समाज की बड़ी हस्तियों को याद करने का आम जनता का अलग अंदाज होता है। बच्चन परिवार के बारे में रामफल यादव ने बताया:
"नेहरूजी के दोस्त थे अमिताभ बच्चन के बाप।उनका भी बंगला वहीँ इलाहाबाद में था। अमिताभ बच्चन कलाकार तो हैं ही उनका भाग्य भी तगड़ा है। खूब पैसा कमाया। इलाहाबाद में मन्दिर भी बनवाया। इंदिराजी के मरने के बाद चुनाव भी लड़ा। फिर छोड़ दी राजनीति। उसकी बीबी जया बच्चन यहीं जबलैपुर की तो हैं। फब्बारे के पास की। जीसीऍफ़ में काम करते थे उनके पिता। उनकी तो बहू भी एक्टिंग करती है। लड़का भी फिल्म में। का कमी है उनको। खूब नाम है, पैसा है।"
एक बार फिर पचास साल की तरफ लौटे रामफल और बोले-"पचास साल हो गए फल बेचते। शुद्ध यादव हैं। पांच साल के थे तब आये थे घर से।"
- मधु अरोड़ा bahut acchi prastuti Anupji. poora padh rahee hooN. aapki kitab pooree ho jaayegee. all the best.
- Vijay Sappatti भविष्य में ये पुलिया आपकी शानदार फेस्बुकिया पोस्ट्स की वजह से विश्व का आँठवा आश्चर्य बनेंगी और इसका नाम होंगा - जबलपुरी ब्लॉगर पुलिया
- Rajesh Priyadarshi आपके रामफल यादव, परसाई जी के चिरऊ महराज की तरह अमर हो जाएँगे, आप कहेंगे कि 'कहाँ परसाई जी और कहाँ हम' लेकिन परसाई जी के पास डिजिटल कैमरा और फेसबुक कहाँ था?
- Krishn Adhar आप ने राम फल को आम फल वना दिया और आम के साथ राम के प्रचार के पुण्यायी हो गये।राम जी जल्दी आप का अकेलापन हर लेंऔरआप भी सवकी तरह ....।
- अनूप शुक्ल यह पुलिया तो बहुत बड़ी दुनिया का एक बहुत छोटा हिस्सा है। लोग कहते हैं दुनिया अपने में बहुत बड़ा नरक है।संतोष त्रिवेदी
- अनूप शुक्ल ऐसे दुनिया में अनगिनत कोने हैं जो अपने आप में आश्चर्य हैं। यह पुलिया भी एक कोना है।Vijay Sappatti
- अनूप शुक्ल वही करते जो फेसबुक न होने पर बाकी लोग करते। इन्सान की चिरकुटैयान किसी माध्यम का मोहताज नहीं होतीं। वो अपने को अभिव्यक्त करने का कारण खोज ही लेती हैं।Neeraj Goswamy Rk Nigam
- अनूप शुक्ल हां यह बात तो सही है ही। कहाँ परसाईजी और कहाँ हम। परसाईजी की समझ और पहुंच का दायरा अद्भुत था। चिरऊ महाराज और अन्य समकालीनों पर लिखे उनके संस्मरण अद्भत हैं।Rajesh Priyadarshi
- अनूप शुक्ल हर शहर के हर मोहल्ले में अनागिनत रामफल हैं। जहाँ हो वहां खुद अपने रामफल से ऑटो ग्राफ ले लो।संतोष त्रिवेदी
- अनूप शुक्ल पुलिया तो निमित्त मात्र है। अनगिनत जगहें होंगी जहां लोग मिलते,बैठते,इकट्ठे होते होंगे। वहीं मिलेंगे रामफल।संतोष त्रिवेदी
- Arun Patel अनूप साहब जनहित का कार्य कर रहे है. पुलिया पर हो रही गतबिधियो पर लिखकर अपनी रचनात्मक दृष्टि से हम सभी को आनन्दित तो कर ही रहे है वरन महत्वपूर्ण यह भी है कि इससे सब लोगों का फायदा भी है-फल वालो का फे.बु. मे प्रचार होने से बिक्री बढ़ने की सम्भावना है स...और देखें
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