आज दोपहर को पुलिया पर जामुन बिकती दिखी।
जामुन बेचने वाले भाई राम मोहन गुप्ता ने बताया कि अलग-अलग तरह के फसल बेचते हैं। पांच छह सौ की बिक्री रोज हो जाती है। बीस रूपये पाँव के हिसाब से बेंच रहे थे। हमने भी पाव भर तौला लिए। जामुन को एक छोटी हडिया में नमक के साथ डालकर उसके मुंह पर पालीथिन पहना कर हिलाते हैं तो जामुन मुलायम हो जाती है। स्वाद बढ़ जाता है।
जामुन खाते हुए राहत इन्दौरी का शेर याद आ गया:
क्या जरूरी है करें विषपान शंकर की तरह,
सिर्फ जामुन खा लिए और होंठ नीले हो गए।
- DrArvind Mishra Gyan ji ko Ganga maaiee le dubeein aur ab ye puliya paapin aapko kinare baitha degi!
- Satish Saxena नहीं ……
यह पुलिया चमत्कारी है ! यहाँ चलते हैं दर्शन हो जायेंगे पुलिया बाबा के और सुकुल जी के !
जय पुलिया बाबा !! - Satish Saxena @ ज्ञान जी को गंगा … ,
इस ब्लोगिंग में ज्ञान का क्या वास्ता , ज्ञान जी हों या अनूप जी , अगर सारगर्भित लिखने लगें तब कौन नोबल पुरस्कार मिल जाएगा हाँ कोई न कोई बदमगज आकर ज्ञान जरूर दे जाएगा , सो लिखास पूरी करने के लिए , यह मस्तमौजीपन लेखन मुझे तो अच्छा लगता है ! वैसे अगर ध्यान से पढने की अदात डाले तो यहाँ बहुत कुछ छिपा रहता है मगर मिलेगा श्रध्धालुओं को ही !
जय पुलिया बाबा !! DrArvind Mishra - Satish Saxena जय हो Kajal Kumar लगता है आप भी , भगत हो लिए हमारी तरह , पुलिया का चमत्कार महसूस होने लगा है !
आभार रास्ता दिखाने के लिए, सर्वहारा पुलिया के हम भक्त नहीं ! - Jyoti Singh मुझे भी कुछ याद आ गया राहत इन्दौरी के शेर पढ़ -मान सहित बिष खाइके शम्भु भयो जगदीश ,बिना मान अमृत पिया राहू कटायो शीश ,बिषपान आौर जामुन मे यही अंतर है .
- अनूप शुक्ल वैज्ञानिक चेतना सम्पन्न होने का दावा करने वाला व्यक्ति भूत चुड़ैल की बात करने लगे तब तो हो चुका विज्ञान का प्रसार।DrArvind Mishra
- Reena Mukharji Wah
- Alok Puranik इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि अनूप शुक्लजी के अच्छे दिन आ गये, क्योंकि जामुन खाने के पैसे बचा पा रहे हैं, आलू-प्याज की महंगााई में भी, जामुनवाले के अच्छे दिन आ गये, क्योंकि फोटू खिंचके फेसबुक पर लग गयी। पुलिया के तो सतत अच्छे दिन चल ही रहे हैं और राहत इंदौरी के भी बहुत अच्छे दिन आये कि पुलिया की जामुनबाजी में उनका शेयर बहुत इज्जत के साथ कोट हुआ। जैसे पुलिया के अच्छे दिन आये, वैसे सबके आयें।
- Krishn Adhar इन सामान्य लोगों के जीवन में आप कि अभिरुचि यदि,एकेडेमिक भी मान लें तव भी,मूल्यवान है,कहीं मानवीयता मे देवता के अंश का परिचायक है।
- Naveen Tripathi प्रसंग जामुन के सहारे राहत इन्दौरी साहब व्यंगात्मक शेर परोस दिया है आपने ........ बात निकली है तो दूर तलक जाती ही है । मै तो सिर्फ इतना कहना चाहूगा।
जहर पिया है यहाँ हर शख्स ने मजबूरी का ।...और देखें
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