आज जामुन 15 रूपये पाव मिल रहे थे। जो लोग कह रहे थे कि मंहगे हैं उनसे गुप्ताजी बता रहे थे- "परसों बीस रूपये पाव थे। साहब से पूछ लीजिये।"
हम सोचे हमसे कोई पूछेगा लेकिन किसी ने पूछा नहीं तो हम दफ्तर चले आये चुपचाप सर झुकाए हुए। यह कविता पंक्ति बिना किसी कारण याद आ गयी-
जिस तट पर प्यास बुझाने में अपमान प्यास का होता हो,
उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा रह जाना बेहतर है।
- अनूप शुक्ल आज की आखिरी। अब रात हो गयी। अभी पुलिया के पास से गुजरे तो देखा सर्वहारा पुलिया खाली थी।बुर्जुआ पुलिया पर दो लोग बातचीत में तल्लीन थे। Kajal Kumar
- अनूप शुक्ल ठगा नहीं। दो दिन पहले कलकत्ते में बीस के सौ ग्राम थे जामुन। आज ही बंगलौर में 60 के पाव बताये Shekhar Suman ने। मतलब बंगलौर 45 रूपये पाव मंहगा है आज।Vivek Singh
- Parveen Chopra कल लखनऊ की हजरतगंज मार्किट जनपथ मैं 60 रुपल्ली पाव बिक रहे थे। मुझे अपनी नानी की बजाये आप की पोस्ट 20रुपल्ली वाली चेते आ गयी।
- सलिल वर्मा Aapki wall JPI yani - JAMUN PAAV INDEX ho gayi hai. Kal bolega Saab ki wall par bhav dekh lo!
- Udan Tashtari जिस तट पर प्यास बुझाने में अपमान प्यास का होता हो,
उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा रह जाना बेहतर है।,,,,,वाह....कवि कौन है?? - Krishn Adhar आप की अटपटी वातों मे कुछ तो है रंग रवानी का,
कुछ कविता,कुछ चटपटी चाट,कुछ जामुन पुलिया नानी का।
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