Sunday, June 15, 2014

उधार की चल रही है जिन्दगी



इस साल अभी तक एक भी आम चखा नहीं था। दशहरी आम देखते ही मन ललचा गया। आम लेने के बाद बतियाये कुछ देर। बोले ठेले पर दस हजार के आम हैं। दो हजार के केले। उम्र के चलते ठेला खीँच नहीं पाते। भतीजा आता है ठेले को ठेल कर ठीहे पर पहुंचवाने। 110/-रोज का देते हैं उसको।दो बच्चे फैक्ट्री में प्राइवेट काम करते हैं।ऊँचा सुनते हैं रामफल तो जोर से बोलना पड़ता है ग्राहक को।रोज के ग्राहक इशारे में बात करते हैं। एक किलो माने एक ऊँगली। दो किलो माने दो।आधा किलो माने ऊँगली पर क्रास का इशारा। इशारे से बात करने को रामफल ने बताया -"उधार की चल रही है जिन्दगी।"

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