Wednesday, June 11, 2014

जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

आज सुबह पुलिया पर इन भाई लोगों से मुलाक़ात हुई। ये कबाड़ का काम करते हैं। रद्दी और प्लास्टिक खरीदते हैं गली मोहल्लों में घूम फिरकर। सबके झोले में तराजू था।रोजगार के लिए निकलने के पहले पुलिया पर बतकही करते हुए मिले।

नारंगी टी शर्ट वाले भाई जी ने बताया कि वो कानपुर (घाटमपुर) के रहने वाले हैं। बोले यहां गर्मी बहुत है। आज कानपुर निकल लेंगे किसी ट्रक में साइकिल धरकर। हमने कहा -"गर्मी तो कानपुर में भी है।" इस पर भाई जी का कहना था कि" गरमी तो होगी लेकिन घर में तो रहेंगे।" हमने सोचा -" जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। "


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