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12 रुपये में भरपेट खाना- शर्तें लागू
By फ़ुरसतिया on July 27, 2013
आजकल
में मीडिया में खाने वाले बयान का हल्ला है। बमचक मची है। कोई कहता है 12
रुपये में खा सकते हैं, कोई बोलता है 5 रुपये में ही काम चल जायेगा।
बयान का विरोध हुआ। प्रतिक्रिया में बयान आये। मूल बयान सार्थक हुआ। बयानों की सार्थकता उसके चर्चित हो जाने में है। मीडिया बयानों को चर्चित करने वाला बिचौलिया है।
मीडिया दिन भर तमाम तरह के बेवकूफ़ी के बयान की तलाश में छुछुआता रहता है। जहां कोई उलजलूल बयान उसे मिलता है वह उसे दुनिया भर को चीख-चिल्लाकर दिखाने/सुनाने लगता है। बयान देने वाला मीडिया के प्रति आभारी होता है।
खाने के मामले में 12 रुपये वाला वापस लेना पड़ा। 5 रुपये वाला अभी तक टिका है। देखिये कब उसका विकेट गिरता है। हो सकता है अगले किसी चिरकुट बयान की ओट में भूल जायें लोग उसे।
बयानची से इस मामले में तकनीकी चूक हुई। बारह/पांच रुपये थाली वाले बयान में अगर जनप्रतिनिधि (शर्तें लागू) जोड़ देते तो कोई माई का लाल उनको गलत साबित न कर पाता न उनको अपना बयान वापस लेना पड़ता।
विज्ञापन में शर्तें लागू लिखकर लोग कुछ भी बेंच लेते हैं। जहां फ़ंसते हैं कह देते हैं- ये तो शर्तों में था ही नहीं।
खाने वाले बयान में बयानवीर कह सकते थे:
वैसे आज भी जनप्रतिनिधि कह सकते हैं- बयान देना आज की राजनीति का फ़ैशन है और फ़ैशन के दौर में गारण्टी की अपेक्षा करके शर्मिन्दा न करें।
बयान का विरोध हुआ। प्रतिक्रिया में बयान आये। मूल बयान सार्थक हुआ। बयानों की सार्थकता उसके चर्चित हो जाने में है। मीडिया बयानों को चर्चित करने वाला बिचौलिया है।
मीडिया दिन भर तमाम तरह के बेवकूफ़ी के बयान की तलाश में छुछुआता रहता है। जहां कोई उलजलूल बयान उसे मिलता है वह उसे दुनिया भर को चीख-चिल्लाकर दिखाने/सुनाने लगता है। बयान देने वाला मीडिया के प्रति आभारी होता है।
खाने के मामले में 12 रुपये वाला वापस लेना पड़ा। 5 रुपये वाला अभी तक टिका है। देखिये कब उसका विकेट गिरता है। हो सकता है अगले किसी चिरकुट बयान की ओट में भूल जायें लोग उसे।
बयानची से इस मामले में तकनीकी चूक हुई। बारह/पांच रुपये थाली वाले बयान में अगर जनप्रतिनिधि (शर्तें लागू) जोड़ देते तो कोई माई का लाल उनको गलत साबित न कर पाता न उनको अपना बयान वापस लेना पड़ता।
विज्ञापन में शर्तें लागू लिखकर लोग कुछ भी बेंच लेते हैं। जहां फ़ंसते हैं कह देते हैं- ये तो शर्तों में था ही नहीं।
खाने वाले बयान में बयानवीर कह सकते थे:
- 12 रुपये में खाने वाली थाली में आलू के दाम तब के लागू होंगे जब आलू की बम्पर पैदावार के चलते कोल्ड स्टोरेज वाले उसे अपने यहां रखने से मना कर देते हैं और किसान उसे सड़क किनारे सड़ने के लिये छोड़ के चले जाते हैं।
- टमाटर के दाम वे लिये जायेंगे ,जो घरों में सॉस बनाने मे मौसम में, मंडियों में सडनोत्सुक टमाटर के लगाये जाते हैं।
- गेहूं, चावल के दाम उस क्वालिटी वाले गेहूं और चावल के लगाये जायें जो गोदामों में सड़ता है और जिसके लिये सुप्रीम कोर्ट कहता है कि सड़ाने से अच्छा है मुफ़्त में बांट दो जनता को।
- बयान में रुपये का मतलब सन सैतालिस का रुपया है। सन सैतालिस में रुपये की जो औकात थी वो बारह रुपये अगर मिल जायें तो खाना भरपेट खाया जा सकता है।
वैसे आज भी जनप्रतिनिधि कह सकते हैं- बयान देना आज की राजनीति का फ़ैशन है और फ़ैशन के दौर में गारण्टी की अपेक्षा करके शर्मिन्दा न करें।
Posted in बस यूं ही | 8 Responses
बस ऐसे ही १२ रूपये की थाली है , १५० रूपये सर्विस चार्ज, २०० रूपये इंटरटेनमेंट टैक्स ( खाना खाना मनोरंजन की बात है ) , और पूरे ८८ रूपये टिप !!!!
बस १२ रूपये की थाली के आपको ४५० रूपये देने होंगे !!!!
( वही शर्ते लागू वाली कंडीशन ) !!!!
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