शहरों में जाम एक आम समस्या है। भीड़ से ज्यादा लोगों का रवैया ज्यादा जिम्मेदार है जाम के लिए। हर आदमी हड़बड़ी में है। सोचता है एक मिनट का काम उल्टी तरफ से निकल लेते हैं। इस चक्कर में कभी-कभी घण्टों फंस जाता है और दूसरों को जाम के लिए कोसता है।
हमारे घर के पास सालों से ओवर ब्रिज बन रहा है। लगता है सालों तक अभी और बनेगा। दो स्कूल हैं एक बाईं तरफ दूसरा दाईं तरफ। स्कूल शुरू होने और बन्द होते समय गजब भभ्भड़ मचता है। लोग अपने बच्चों को छोड़ने आते हैं और जहां भी जगह मिलती है , गाड़ी घुसा देते हैं। इस चक्कर में सुबह और दोपहर रोज जाम लगता है। जिस दिन नहीं लगता है , लगता है कुछ गड़बड़ हुई।
पिछले कुछ दिनों से रोट्रेक्ट क्लब से जुड़े कुछ लोग जाम कम करने में सहयोग करने के लिए सुबह पुल की शुरुआत पर खड़े होकर लोगों को सही तरफ़ से जाने के लिए समझाते दिखे। उनको देखकर उल्टी तरफ से जाते देखकर सीधे हो गये लोग। कुछ लोग फुर्ररर से उल्टी तरफ निकल गए। शायद आगे जाकर सेलिब्रेट भी किया हो।
आज
Raghvendra मिले पुल के मुहाने पर। सीने पर यातायात अनुशासन का पोस्टर चिपकाए हुए। रोट्रेक्ट क्लब क्लब वाले इस अभियान में लगे हैं। राघवेंद्र से बतियाते । पता चला कि थिएटर से जुड़े हैं। मुम्बई में 'इप्टा'। कई नाटक कर चुके हैं। भगत सिंह पर केंद्रित पीयूष मिश्रा के प्रसिद्ध नाटक 'गगन दमामा बाजयो' में सुखदेव का रोल कर चुके हैं। उसे देखकर पीयूष जी ने उनको मुम्बई बुलाया कहते हुए -'अब तुम मुम्बई आने लायक हो गए। '
एक और यादगार प्रस्तुति बताई चेखव की एक कहानी के नाट्य रूपांतर 'जांच पड़ताल' पर अभिनय की। पीपीएन से पढ़कर थियटर से जुड़े हैं।
फेसबुक पर राघवेंद्र का परिचय का अंदाज भी कनपुरिया है-"जोकर, घुमक्कड़ी मानुष, कड़क कनपुरिया, लौंडा कलाकार"। उनके दोस्त उनके इस परिचय को कनपुरिया अंदाज में उनको सुनाते होंगे। आप भी कल्पना कीजिये।
नाटक के चलते घुमक्कड़ी करते हुए राघवेंद्र 20-25 प्रदेश घूम चुके हैं।
कनपुरिया ट्रैफिक की अराजकता को सुधारने की कोशिश करते हुए उन्होंने मुम्बई, मिजोरम आदि के अनुशासित ट्रैफिक के किस्से सुनाये। वहां आदमी लाइन में लगकर बस में चढ़ता है। यहां लोग लगी हुई लाइन तोड़ देते हैं।
राघवेंद्र के बोर्ड को देखकर कुछ लोग सीधी तरफ से गए। कुछ ने बच्चों को मोड़ पर उतार दिया। लेकिन कुछ लोग झांसा जैसा देकर सरपट निकल गए। एक ने तो मोटर साईकल धीमे की । लगा कि वहीं उतर जाएगा। लेकिन फिर बुत्ता देकर बगलियाते हुये निकल गया।
एक उत्साही सवार ने वहीं खड़े-खड़े राघवेंद्र को तमाम हिदायतें दे डालीं। ऐसे करना चाहिए, वैसे करना चाहिए। कुछ इस तरह जैसे चाय की दुकानों पर चुश्कियाँ लेते हुए विराट कोहली को खेलना सिखाते हैं। हमें लगा कि कहीं वह इस स्वयंसेवक को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड न कर दे। लेकिन शायद उसको जल्दी दी इस लिए बिना कठोर अनुशासनिक कार्यवाही के सिर्फ हिदायत देकर चला गया।
राघवेंद्र ने बताया कि वो होटलों में बचा हुआ खाना इकट्ठा करके भूखों को भोजन कराने वाली संस्था 'रॉबिनहुड आर्मी ' से भी जुड़े हैं। र होटलों , रेस्तराओं से बचा हुआ खाना इकट्ठा करके गरीबों को खिलाते हैं। 100- 150 लोग जुड़े हैं इससे।
राघवेंद्र मूलतः हास्य-व्यंग्य से जुड़े हैं। राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल आदि कनपुरिया सेलिब्रिटी के साथ जुड़े हैं। नाटक भी किये हैं उनके साथ। खुद भी लिखते हैं।
अभी मुम्बई से कानपुर अपनी माँ की बीमारी में इलाज के लिए आये थे । ऑपरेशन हुआ तो यह ट्रैफिक वाला काम थमा दिया गया। कल से मेघदूत होटल के पास ट्रैफिक सीधा करेंगे।
राघवेंद्र को देखकर मन किया कि हम भी सुबह सुबह घर से निकल कर ओवरब्रिज के पास खड़े होकर ट्रैफिक सुधार में सहयोग करें। सुना है किरण बेदी जी के पति रिटायरमेंट के बाद कुछ देर ट्राफिक चौराहे पर सहयोग करते थे। हम पहले ही करने लगें।
लेकिन सोचने और करने में फर्क होता है। फिलहाल तो यही तय किया कि ट्राफिक में शॉर्ट कट नहीं मारेंगे। सीधी तरफ से जाएंगे। जाम का झाम बचाएंगे।
आपका भी मन करने लगा होगा न इसी तरह का संकल्प लेने का। तो ले लीजिए। कोई फीस नहीं है अभी संकल्प लेने में। संकल्प लीजिये कि ट्राफिक नियम का पालन करेंगे। अच्छा संकल्प लेने में कभी घबराना नहीं चाहिए। क्या पता अमल भी हो जाये।
हम लोगों ने सुबह-सुबह एक बढ़िया संकल्प लिया। इतना कम है क्या?
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