Arvind Tiwari जी वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं। बावजूद वरिष्ठता के उनकी सबसे अच्छी खूबी यह भी है कि वे अपनी वरिष्ठता सर पर लादकर नहीं रखते। उनका खिलंदड़ापन भी बरकरार है। हंसी-मजाक से परहेज नहीं। खिलकर लिखना, खुलकर हंसना। लिखाई में एक बैठक में एक लेख निकाल देते हैं। लेखन में निरन्तर सक्रिय हैं। क्रिकेट की भाषा में कहें तो विकेट के चारो तरफ शॉट लगाते हैं। खूब लिखा है। खूब छपे हैं। अभी भी लिख रहे हैं। छप रहे हैं। नए से नए विषय पर लिखना जारी है। नए से नए लेखक की किताब पढ़कर उस पर , बिना चेला बनाने के लालच के, लिखना अरविंद जी के व्यक्तित्व की खूबसूरती है।
इनाम भी खूब पाए हैं। आगे भी मिलेंगे इंशाअल्लाह। फिलहाल थोड़ा ब्रेक टाइप लगा है शायद। असल में इनामिया कमेटी में शामिल लोग शायद इनके साथ के ही हैं जो इनको नम्बर तो अच्छे देते होंगे लेकिन इतने अच्छे नहीं कि इनामों के मामले में उनके बराबर आ सकें। बिना गुट, मठ, चेलेबाजी के लेखन के ये सहज साइड इफ़ेक्ट होते होंगे।
बहरहाल यह सब तो भूमिका है अरविंद जी द्वारा दिये होली के टाइटल साझा करने की।
दरअसल अरविंद तिवारी जी ने मुझको होली के टाइटल देने का जिम्मा सौंपा। लेकिन हम अलसिया गए। फिर जब मन किया लिखने का तो कुछ सूझा नहीं , सिवाय दो-चार के। फेसबुक वॉल पर 'टायटल चन्दा' की अपील लगाई तो अरविंद जी ने हमारे आलस्य पर लानत टाइप भेजते हुए सूचना दी कि उन्होंने टाइटल दे दिए हैं। एक से एक शानदार टाइटल। यह घण्टों की मेहनत का काम है। इससे पता चलता है कि अरविंद जी ने काम भले हमें सौंप दिया होगा लेकिन उनको हमारी नाकाबिलियत और आलस्य पर पूरा भरोसा होगा कि -'इनसे हो नहीं पायेगा।'
हमको अरविंद जी द्वारा सौंपे काम को न कर पाने का जितना अफ़सोस है उससे ज्यादा खुशी इस बात की है कि हमने उनके विश्वास की रक्षा की (इनसे न हो पायेगा)। जितने लोगों को टाइटल दिए अरविंद जी ने उनको अपन ठीक से जानते भी नहीं।
कुछ टाइटल
सौरभ जैन ने भी दिए हैं और कुछ
अर्चना चतुर्वेदी ने भी। बेहतरीन होने के बावजूद वे 'कुछ ही' हुए। अरविंद जी के टाइटल में साझा करने का विकल्प नहीं है इसलिये कॉपी करके यहां पेस्ट कर रहे हैं।
अरविंद जी ने अपने लिए टाइटल दिया था - 'मुझे नहीं मिलेंगें अब सम्मान'। प्रभाशंकर उपाध्याय जी की आपत्ति पर बदलकर किया -'आज का ज्ञान समाप्त हुआ।' हमको सूझा था -'डोनाल्ड ट्रम्प की नाक काटने वाला अकेला व्यंग्यकार'।
गोपाल चतुर्वेदी जी वरिष्ठतम व्यंग्यकार हैं। विपुल लेखन है उनका। अभी भी नियमित लिखते हैं सोमवार के दैनिक हिंदुस्तान में। लगभग सब इनाम मिल चुके। वे कंट्रोलर आफ फाइनेंस रहे हैं। कोई भी खर्च बिना उनकी सहमति के होता नहीं है। अभी भी बड़े इनाम उनकी प्रत्यक्ष या परोक्ष सहमति से ही मिलते हैं। उनके लिए सोचा था -'कमेटी कोई हो इनाम के लिए हमारी वित्तीय समहति जरूरी है -हमको हलके में न ले कोई।'
Hari Joshi जी के लिए अरविंद जी ने लिखा -'व्यंग्य के त्रिदेव उपन्यास नहीं, संस्मरण है।' हरि जोशी जी ने लिखा भी -आप इसे कविता भी मान सकते हैं।
हमको उनके लिए सूझा था -'व्यंग्य के त्रिदेव का मारा, एक शरीफ व्यंग्यकार बेचारा।'
Harish Naval जी की किताब अमेरिकन प्याले में हिंदुस्तानी चाय पर लिखा। विपुल लेखन के बावजूद हरीश जी का लेखन 'बागपत के खरबूजे' की खुशबू से ही जाना जाता है। इस खुशबू के आगे कोई खुशबू जम नहीं पा रही। उनके लिये लिखना था मुझे -'बागपत के खरबूजे अभी तक महक रहे हैं।'
हरीश नवल जी की 'अमेरिकन प्याले में भारतीय चाय' में लगभग आधे लेख उनके मित्रों द्वारा उनकी तारीफ में लिखे लेख हैं। इस पर इनाम भी मिला। यह व्यंग्य के नए अंदाज हैं। इस किताब के छपने, बिकने के पहले ही इसका अनुवाद आया और इनाम भी (समग्र व्यक्तित्व के संलग्नक के रूप में)। सब कुछ इतनी फुर्ती से कि बरबस राम जी द्वारा धनुष भंग वाली चौपाई याद आई -'लेत, चढ़ावत, खैंचत गाढ़े। काहू न लखा देख सब ठाढ़े।' टाइटल भी बना हरीश जी के लिये:
-अपने तआरुफ़ के लिए बस इतना काफी है हरीश, किताब छपते ही अनुवाद/इनाम आ जाता है।'
ज्ञान जी के लिए कई टाइटल सूझे थे। ज्ञान जी वलेस में जब भी कोई संदेश डालते हैं तो उसकी शुरुआत करते हुए अपने लेखन की जानकारी देते हैं -'मित्रों, नए उपन्यास के एक लाख शब्द लिख चुका हूँ/सातवां ड्राफ्ट हो चुका है।' लगता है ज्ञान जी को भरोसा नहीं है कि यह नहीं बताएंगे तो लोग उनको हल्के में लेंगे। अब तो इसका इतना अभ्यास हो गया है कि इसके बिना कुछ शुरुआत करेंगे तो पूछेंगे -'ज्ञान जी का खाता हैक हो गया है क्या?' कुछ टाइटल यह भी हो सकते थे उनके लिए:
-पागलखाना के बाद नया स्वांग
- हर उपन्यास की शुरुआत पांचवे ड्राफ्ट से
-इंटरव्यू कोई ले लेकिन बोलना केवल अपन को ही है
प्रेम जनमेजय जी की चर्चा बिना इनाम के हो यह सम्भव नहीं।नेटवर्किंग के उस्ताद जिसको चाहे इनाम दिलवा दें, जिसको चाहे कबीर बना दें। भले ही कबीर उनको बाद में लुकठिया दें। व्यंग्य यात्रा के द्वारा अपने अद्भुत काम से व्यंग्य के लिये लगातार समर्पित प्रेम जी के लिए यह भी सोचा था
- 'व्यंग्य यात्रा का समर्पित कंडक्टर , यात्रियों को इनाम की गारंटी।'
- 'सभी व्यंग्य यात्रियों से निवेदन है कि वे अपने व्यंग्य सामान से हास्य को यात्रा के पहले निकाल दें। किसी व्यंग्य यात्री के पास हास्य पाया गया तो रास्ते में उतार दिया जाएगा।'
-'राजधानी में गंवार, पहले लेखक फिर संपादक '
Alok Puranik व्हाट्सप के पढ़े लिखे क्या हो गए अपनी सहेलियों सनी लियोनी और राखी सावंत को भूल गए।
बातें बहुत सारी हैं लेकिन फिर कभी। फिलहाल आप मजे लीजिये अरविंद तिवारी जी द्वारा दिये टाइटल की।
(बुरा न मानो होली है।सम्मानों की रिस्क पर लिखा है।याददाश्त पर आधारित है और आत्मीय लोगों पर लिखा है।जोड़ने का आग्रह न करें।शेष अगली होली में)
नरेंद्र कोहली___व्यंग्य के रवि शास्त्री
गोपाल चतुर्वेदी___आप भी सम्मानित होंगे और.. आप भी!
सूर्यबाला____कहानी,व्यंग्य के साथ घर भी संभाला
विष्णु नागर______"शब्द सम्मान" सेलिब्रेट कर रहा हूं
ज्ञान चतुर्वेदी___स्वांग लिखता हूं,करता नहीं
प्रेम जनमेजय_____सम्मान दिलाना हो, तो नियम बदलवा देता हूं
हरीश नवल_____चाय मत देखो, अमेरिकन प्याला देखो
यशवंत व्यास______व्यंग्यकारों की मनोहर कहानियां
लिख रहा हूं
सुभाष चंदर_______ससुराल में होली, सिर्फ़ मैंने खेली
गिरीश पंकज__रचनावली के लिए तीन ट्रक बुक किए हैं
आलोक पुराणिक______व्यंग्यश्री का खुमार बाकी है
गिरिराज शरण अग्रवाल__कब तक प्रतीक्षा करें सम्मान की
श्रीकांत चौधरी___व्यंग्य का सब कुछ गलत हाथों में है
अभी भी
मूलचंद गौतम_____व्यंग्य का प्रगतिशील दर्पण
हरि जोशी________त्रिदेव उपन्यास नहीं,संस्मरण है
अनूप श्रीवास्तव____मेरे लिए सभी अतिथि संपादक हैं
पिलकेंद्र अरोड़ा______टेपा सम्मेलन का पुराना "टपोरी"
कैलाश मंडलेकर__ज्ञान जी ने मेरा नाम लिया..शुक्रिया शुक्रिया
शांतिलाल जैन__ज्ञान जी ने मेरा भी नाम लिया है,समझे!
विजी श्रीवास्तव______समीक्षा करूंगा तो धो दूंगा
संतोष त्रिवेदी_____व्यंग्य का खुरपेच
पूरन सरमा_______पुराने व्यंग्यों का नया प्रयोग
यशवंत कोठारी______इस उम्र में काहे की यारी
मनोज लिमये___कभी दिखे कभी खोए
अजय अनुरागी_____जवाहर सर्कल पर सिनेमा के टिकट ब्लेक में बेचता था
अनुराग बाजपेई_______यू ट्यूब का वीडियो
फारूख अफ़रीदी____बिना लिखे ही मीरी
अतुल चतुर्वेदी_____ सम्मानअभी म्यान में है
अतुल कनक______हर घटना की मिल जाती है भनक
बुलाकी शर्मा____साहित्य अकादमी राजस्थानी में और चर्चा व्यंग्य में
जवाहर चौधरी___अगले शरद जोशी सम्मान पर नज़र
शरद उपाध्याय_____प्रेमी प्रेमिका व्यंग्य स्पेशिलिस्ट
स्नेहलता पाठक______खुद की पुस्तकें, खुद ही पाठक
अनीता यादव____व्यंग्य की नई रेसिपी है मेरे पास
शशि पांडेय___ऑल टाइम लाइव रहती हूं
अर्चना चतुर्वेदी_____खबरदार!ब्रज भाषा में मीठी गालियां भी हैं
समीक्षा तेलंग_____मैं भी व्यंग्य की जंग में हूं
पल्लवी त्रिवेदी____व्यंग्य की खाकी वर्दी
वीना सिंह___व्यंग्य भी लिखती हूं,किचन रेसिपी भी
इंद्रजीत कौर____अभी किचन में व्यस्त हूं
मीना सदाना अरोड़ा_____ व्यंग्य लघुकथा दोनों को निपटाया
मलय जैन______व्यंग्य का पुलिसिया सर्च ऑपरेशन
हरीश कुमार सिंह____महाकालेश्वर से ललितेश्वर तक
निर्मल गुप्त____व्यंग्य की ऊन का उलझा गुल्ला
कुमार विनोद_____शायरी का पानी व्यंग्य के तालाब में
अनूप शुक्ल____पुलिया के ए टी एम में अभी बैलेंस है
शशांक दुबे_____व्यंग्य भी और फ़िल्म भी
श्रवण कुमार उर्मिलिया____व्यंग्य में "ख़ोंगा पानी"
रमेश तिवारी____व्यंग्य की धारा मोड़ दूंगा
एम.एम. चंद्रा____रचनाएं आमंत्रित हैं,शर्तें लागू
रामविलास जांगिड़_____सपाटबयानी का कट्टर दुश्मन
रामस्वरूप दीक्षित____चंदेल राजाओं के समय का व्यंग्यकार
ब्रजेश कानूनगो____व्यंग्य का सीनियर गिरदावर
ईश्वर शर्मा___न वाद न विवाद सिर्फ़ अनहद नाद
अश्वनी कुमार दुबे____सम्मान के लिए कितनी किताबें चाहिए
सुनीता शानू____अब मैं एडमिन भी हूं
प्रभाशंकर उपाध्याय_____कतरनों का संग्रहालय
अनुज खरे____व्यंग्य में कौन उठाए और कौन धरे
सौरभ जैन____अभिषेक अवस्थी का छीना चैन
अमित शर्मा_______व्यंग्य लेखन में पठार भी आते हैं
अनुज त्यागी____व्यंग्य स्तम्भ का नया वैरागी
अनूप मणि त्रिपाठी__गुरू ने अंगूठा मांगा नहीं,दिखाया
पंकज प्रसून___व्यंग्य पर नहीं,इतिहास पर नज़र है
रामकिशोर उपाध्याय__अट्टहास में पूर्णकालिक हूं
ललित लालित्य___अब मैं गब्बर हूं,वह सांभा
रणविजय राव___नए ग्रुप के सूत्रधार
विनोद कुमार विक्की___अतिथि संपादक बनने का रेकॉर्ड बनाया है
डॉ संजीव कुमार___उनसे तो इकरारनामा था,रजिस्ट्री हमसे करानी पड़ेगी
प्रभात गोस्वामी___दिल्ली में विमोचन हो गया,अब जयपुर बेमानी
मृदुल कश्यप__व्यंग्य के खरगोशों को हराने वाला कच्छप
ललित शौर्य__ मंत्रियों से मिल रहा हूं,व्यंग्य बाद में
मोहन मौर्य____व्यंग्य का मेवाती चेहरा
राजेश कुमार____व्यंग्य, मानक शब्दों में टाइप करें
गोविन्द शर्मा____बाल साहित्यकार, पर व्यंग्य में ओवरटाइम
सुनील जैन राही____रेगिस्तानी खेत का मचान
कृष्ण कुमार आशु_____प्रेम के मार्ग का राही
दीपक गिरकर__समीक्षाएं व्यंग्य लिखने ही नहीं देती
राजेश सैन____अब एक छोटा सा अंतराल
अलंकार रस्तोगी_व्यंग्य का "रनर"भी चालीस हजार का
नीरज दईया____खानदानी व्यंग्यकार सिर्फ़ मैं हूं
संजीव निगम___अपनी ढपली अपना राग
प्रमोद तांबट______अभी चुका नहीं हूं
तीरथ सिंह खरबंदा___व्यंग्य के चक्कर में चौपट है धंधा
सिंघई सुभाष जैन____ये मुकेश राठौर है बड़ा बेचैन
मुकेश जोशी___मैं निर्दोषी व्यंग्यकार हूं
मुकेश राठौर______अमर उजाला से निराश हूं
जयप्रकाश पांडेय____व्यंग्य जैसा भी है, परोस देता हूं
रमेश सैनी____व्यंग्य का पुराना चावल
विवेक रंजन श्रीवास्तव__व्यंग्य का बाबू नहीं, अभियंता हूं
प्रदीप उपाध्याय___जहां जो छपे,वही लिखता हूं
सुधीर कुमार चौधरी____व्यंग्य का चौधरी कब बनूंगा
कमलेश पांडेय____आलोक पुराणिक,अनूप शुक्ल और मैं,व्यंग्य की नई त्रयी है परसाई,जोशी और त्यागी की तरह
आशीष दशोत्तर___रतलामी सेव की तासीर
संजय जोशी____दुखी हैं पड़ोसी
अभिषेक अवस्थी____सौरभ जैन के साथ फुल मस्ती
सूर्य कुमार पांडेय___गद्य पद्य दोनों से व्यंग्य दोहन जारी
बी एल अाच्छा____सम्मान से सुखी,व्यंग्य से दुखी
सुरेश सौरभ____लघुकथा से व्यंग्य उपजा देता हूं
अरविंद तिवारी____आज का ज्ञान समाप्त हुआ
आसिम अनमोल___पुरानी कतरनों का भी है मोल
अरुण अर्णव खरे____पुरस्कार से पुरस्कार खींचे जाते हैं
सुधीर ओखदे_____व्यंग्यकार के ठीक ठाक चौखटे
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