हुन्डर से हम लोग सुबह निकल लिए थे, समय पर। दोपहर होते-होते पेंगोंग झील के किनारे पहुंच गए। झील का पानी एकदम साफ। गोरा-चिट्टा-पारदर्शी।
'थ्री इडियट' पिक्चर के पहले इस झील के बारे में कम ही लोग जानते होंगे। पिक्चर हिट होने के बाद झील देखने बहुतायत में आने लगे लोग। पिक्चर से जुड़ी झील और स्कूल प्रसिद्ध हो गये। पिक्चर में स्कूल और झील पास-पास दिखाये गए हैं। असलियत में स्कूल और झील के बीच कई घण्टों की दूरी है। सिनेमा हकीकत को अपने हिसाब से दिखाता है। इतना जोड़तोड़ तो चलता है।
झील के किनारे लोग समुद्र तट वाले अंदाज में बैठे थे। लेकिन कोई उस अंदाज में नहा नहीं रहा था । पानी बहुत ठंडा था। लोग फोटुबाजी में जुटे थे। आते ही कैमरे दगने लगे। फोटो, वीडियोओ बनने लगे। हमने भी कंजूसी नहीं की।
थ्री इडियट पिक्चर में नायिका करीना कपूर स्कूटी पर बैठकर हीरो से मिलने आती है और उसको जबरियन चूमकर लम्बी नाक को चूमने में बाधा की बात को बेबुनियाद बताती है । उसी तरह के सैकड़ों स्कूटी झील के किनारे रखे हुए हैं। सबके नम्बर एक। उस पर बैठकर फोटो खिंचवाकर लोग नायिका - सुख लूटते दिखे। शहर होता तो शायद बोर्ड भी लगा होता। 50/- खर्चिये, करीना कपूर बनिये।
वहीं पर पिक्चर में दिखाए तीन प्लास्टिक के स्टूल भी धरे थे । लोग उनपर बैठकर फ़ोटो खिंचाते हुए 'इडियट' होने का धड़ल्ले से एहसास कर रहे थे।
झील किनारे याक भी थे। कमजोर,मरियल, थके-थके याक पर सवारी करते हुए लोग फोटो खिंचाने में जुटे हुए थे। बेजुबान याक बेचारे चुपचाप किसी लोकतंत्र की जनता सरीखे चुपचाप अपने ऊपर चढ़कर फोटो खिंचाते लोगों को निरीह आंखों से देख रहे थे। लोग उनकी पीठ पर जनसेवकों की तरह धड़ल्ले से सवारी करते हुए खुश हो रहे थे। याक का मालिक कारपोरेट की तरह कमाई में जुटा हुआ था।
हमने भी देखा देखी याक पर सवारी की। चढ़ते ही याक कसमसाया। मन किया उतर जाएं। लेकिन मन की बात आजकल सुनता कौन है ? चढ़ ही गये टेढ़े-मेढ़े होकर। फ़ोटो खिंचाकर उतर आये। अपराधबोध के साथ। कमजोर याक पर सवार होने के अपराध बोध को इस तर्क के साथ दबा दिया -'हमारे पहले इतने लोग और भी तो चढ़ चुके हैं इन पर।' वैसे भी सामूहिक रूप से किया अपराध , अपराध नहीं माना जाता है।
झील के किनारे आसपास के गांवों के लोग आकर स्कूटी, स्टूल, याक, मोती-मनका और होटल के व्यवसाय के सहारे रोजगार करते हैं। 'थ्री इडियट' पिक्चर के वाद कमाई के अवसर बढ़े हैं यहां।
कुछ लोग वहां जमीन पर बैठे कोई खेल खेल रहे थे। शायद जुआ जैसा। हमने वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसमें से एक ने कुछ कहा । मतलब तो हम न समझ सके लेकिन अंदाज लगाया कि शायद नाराज हो रहा है विडियोबाजी से। हमने बन्द कर दी रिकार्डिंग।
झील किनारे लोगों के रुकने के लिए टेंट लगे हुए थे। टेंट में बिस्तर, बगल में अस्थाई शौचालय की व्यवस्था थी। हम लोग रात को रुकने के विचार से ही आये थे। लेकिन कई टेंट देखने के व्यवस्था जमी नहीं तो पहले अनमने मन से फिर अंततः मजबूती से लेह के लिए लौट पढ़े।
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