पिछले हफ्ते की खबर के अनुसार मास्टर लोगों की हाजिरी अब एस एम एस से लगेगी।
पता चला कि अध्यापक लोग पढाई का काम छोड़कर नेतागीरी करते रहते हैं। स्कूल से आकर गायब हो जाते हैं। इस मनमानी पर लगाम लगाने के लिए अब मोबाइल से हाजिरी लगेगी अध्यापकों की।
इसमें अध्यापकों को स्कूल परिसर से एक टोल फ्री नंबर पर एस एम एस करना होगा। अध्यापक की यूनिक आई डी होगी। उसके एस एम एस से उसकी हाजिरी लग जायेगी।हाजिरी के लिए एस एम एस स्कूल परिसर से ही भेजा जा सकेगा। दो बार देरी पर वेतन कटेगा। तीसरी बार सस्पेंड।
अब बताओ भाई। ये दिन आ गए हैं। हाजिरी लेने वालों की हाजिरी लगनी शुरू हो रही है। यह तो ऐसा ही हुआ जैसा फिराक साहब कहते थे-"फिराक तो उसकी फिराक में है,जो तेरी फिराक में है।"
जिसने भी इस योजना कि कल्पना की है वह अव्वल दर्जे का घामड़ होगा। इतने छेद हैं इस प्लान में कि योजना शुरू होते ही फेल होना तय है। कुछ उदाहरण ऐसे होंगे:
1.आधे मास्टर कहेंगे-साहब हमारे पास मोबाइल ही नहीं है। कहाँ से लगाये हाजिरी। सरकार को हाजिरी लेनी है तो मोबाइल मुहैया करवाये।
2. मोबाईल धारी अध्यापक कहेंगे--"हमको एस एम एस करना नहीं आता। एस.एम.एस. कार्यशालाएं लगवाये सरकार। तब तक योजना पर कार्यान्वयन स्थगित रखा जाए।"
3. स्कूल के मास्टर सहयोग के आधार पर हाजिरी लगाएंगे। तिवारी जी अपना मोबाइल गुप्ता जी को दे देंगे -"यार ज़रा देर हो जायेगी। लगा देना स्कूल जाकर।" हाजिरी लगाने के लिए चपरासी, स्कूल के छात्र या फिर विद्यालय परिसर के पास चाय/पान वाले की सेवायें भी ली जा सकती हैं।
4.हर अध्यापक के पास दो मोबाईल होगे।एक हाजिरी वाला दूसरा बात वाला। हाजिरी वाला मोबाईल सरकारी स्कूलों की तरह सस्ता टाइप होगा। बतियाने वाला स्मार्ट टाइप।
5. अगला बवाल होगा मोबाइल कवरेज का।जिसका वेतन कटेगा वह बवाल काटेगा कि हमने तो किया था एस एम एस। नेटवर्क की गड़बड़ी के चलते नहीं मिला तो इसमें हमारी क्या गलती?
6.मास्टर लोग स्कूल पहुंचकर बोलेंगे -"साहब हम तो स्कूल आ गए लेकिन मोबाईल घर भूल आये। हाजिरी लगा लो। " हेडमास्टर बोलेगा -"हम कैसे लगा ले भाई? आप यहां हैं लेकिन एस एम एस नहीं है आपका तो आप गैरहाजिर माने जाएंगे।" एस एम एस आदमी से बड़ा हो जाएगा।
7.स्कूल की तरफ भागता मास्टर कहीं भिड़ जाएगा। गिरने से पहले किसी से रिरियाते हुए बोलेगा- "भैया हमको अस्पताल बाद में ले जाना। पहले ये मेरा मोबाईल ले जाकर हाजिरी लगा लो पास में स्कूल है मेरा।" पता चलेगा कि एक ही आदमी स्कूल परिसर में दाखिल हो रहा है 8 बजे और किसी अस्पताल में भी उसी समय उसकी पर्ची बन रही है भर्ती के लिए।
8.मोबाइल कम्पनियां विज्ञापन करेंगी -"हमारे मोबाइल लाएं,हाजिरी का सरदर्द दूर भगाएं।" कोई ऐसा एप्लीकेशन बनेगा जिसमें स्कूल परिसर में मोबाईल आन करते ही हाजिरी का एस एम एस हो जाएगा।
9. जिन स्कूलों में नेटवर्क कवरेज किसी ख़ास जगह खड़े होने पर ही पकड़ता होगा वहां उस जगह पर कब्जे को लेकर मास्टरों में झगड़ा होगा। गुटबाजी होगी। पता चला की नेटवर्क कवरेज वाली जगह पर कब्जे को लेकर पाण्डेय गुट और शर्मा गुट में मारपीट हो जायेगी। स्कूल में हाजिरी लगाने के झगडे को लेकर दोनों गुट के लोग कचहरी में हाजिरी बजाते नजर आएंगे।
और न जाने क्या बवाल होंगे। लेकिन यह सोचकर तरस आ रहा है कि अध्यापक कभी समाज का सबसे सम्मानित वर्ग माना जाता था उसकी हालत ऐसी हो गयी है कि उसकी निगरानी करने के लिए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं। जनगणना, चुनाव,पोलियो का टीका, आधार कार्ड जहां देखो तहाँ उसको भिड़ाया जाता है। पढ़ाई छोड़कर सब काम कराया जाता है । ऐसे में वो पढ़ायेगा कहाँ से?
इसके बाद अब इस तरह के जुगाड़ भी सोचे जा रहे हैं।मास्टर के हाल एक दम मवेशी जैसे हैं जिसको बधिया करने के उपाय हर कोई सोचता है।
मास्टर की तो मरन है।
पता चला कि अध्यापक लोग पढाई का काम छोड़कर नेतागीरी करते रहते हैं। स्कूल से आकर गायब हो जाते हैं। इस मनमानी पर लगाम लगाने के लिए अब मोबाइल से हाजिरी लगेगी अध्यापकों की।
इसमें अध्यापकों को स्कूल परिसर से एक टोल फ्री नंबर पर एस एम एस करना होगा। अध्यापक की यूनिक आई डी होगी। उसके एस एम एस से उसकी हाजिरी लग जायेगी।हाजिरी के लिए एस एम एस स्कूल परिसर से ही भेजा जा सकेगा। दो बार देरी पर वेतन कटेगा। तीसरी बार सस्पेंड।
अब बताओ भाई। ये दिन आ गए हैं। हाजिरी लेने वालों की हाजिरी लगनी शुरू हो रही है। यह तो ऐसा ही हुआ जैसा फिराक साहब कहते थे-"फिराक तो उसकी फिराक में है,जो तेरी फिराक में है।"
जिसने भी इस योजना कि कल्पना की है वह अव्वल दर्जे का घामड़ होगा। इतने छेद हैं इस प्लान में कि योजना शुरू होते ही फेल होना तय है। कुछ उदाहरण ऐसे होंगे:
1.आधे मास्टर कहेंगे-साहब हमारे पास मोबाइल ही नहीं है। कहाँ से लगाये हाजिरी। सरकार को हाजिरी लेनी है तो मोबाइल मुहैया करवाये।
2. मोबाईल धारी अध्यापक कहेंगे--"हमको एस एम एस करना नहीं आता। एस.एम.एस. कार्यशालाएं लगवाये सरकार। तब तक योजना पर कार्यान्वयन स्थगित रखा जाए।"
3. स्कूल के मास्टर सहयोग के आधार पर हाजिरी लगाएंगे। तिवारी जी अपना मोबाइल गुप्ता जी को दे देंगे -"यार ज़रा देर हो जायेगी। लगा देना स्कूल जाकर।" हाजिरी लगाने के लिए चपरासी, स्कूल के छात्र या फिर विद्यालय परिसर के पास चाय/पान वाले की सेवायें भी ली जा सकती हैं।
4.हर अध्यापक के पास दो मोबाईल होगे।एक हाजिरी वाला दूसरा बात वाला। हाजिरी वाला मोबाईल सरकारी स्कूलों की तरह सस्ता टाइप होगा। बतियाने वाला स्मार्ट टाइप।
5. अगला बवाल होगा मोबाइल कवरेज का।जिसका वेतन कटेगा वह बवाल काटेगा कि हमने तो किया था एस एम एस। नेटवर्क की गड़बड़ी के चलते नहीं मिला तो इसमें हमारी क्या गलती?
6.मास्टर लोग स्कूल पहुंचकर बोलेंगे -"साहब हम तो स्कूल आ गए लेकिन मोबाईल घर भूल आये। हाजिरी लगा लो। " हेडमास्टर बोलेगा -"हम कैसे लगा ले भाई? आप यहां हैं लेकिन एस एम एस नहीं है आपका तो आप गैरहाजिर माने जाएंगे।" एस एम एस आदमी से बड़ा हो जाएगा।
7.स्कूल की तरफ भागता मास्टर कहीं भिड़ जाएगा। गिरने से पहले किसी से रिरियाते हुए बोलेगा- "भैया हमको अस्पताल बाद में ले जाना। पहले ये मेरा मोबाईल ले जाकर हाजिरी लगा लो पास में स्कूल है मेरा।" पता चलेगा कि एक ही आदमी स्कूल परिसर में दाखिल हो रहा है 8 बजे और किसी अस्पताल में भी उसी समय उसकी पर्ची बन रही है भर्ती के लिए।
8.मोबाइल कम्पनियां विज्ञापन करेंगी -"हमारे मोबाइल लाएं,हाजिरी का सरदर्द दूर भगाएं।" कोई ऐसा एप्लीकेशन बनेगा जिसमें स्कूल परिसर में मोबाईल आन करते ही हाजिरी का एस एम एस हो जाएगा।
9. जिन स्कूलों में नेटवर्क कवरेज किसी ख़ास जगह खड़े होने पर ही पकड़ता होगा वहां उस जगह पर कब्जे को लेकर मास्टरों में झगड़ा होगा। गुटबाजी होगी। पता चला की नेटवर्क कवरेज वाली जगह पर कब्जे को लेकर पाण्डेय गुट और शर्मा गुट में मारपीट हो जायेगी। स्कूल में हाजिरी लगाने के झगडे को लेकर दोनों गुट के लोग कचहरी में हाजिरी बजाते नजर आएंगे।
और न जाने क्या बवाल होंगे। लेकिन यह सोचकर तरस आ रहा है कि अध्यापक कभी समाज का सबसे सम्मानित वर्ग माना जाता था उसकी हालत ऐसी हो गयी है कि उसकी निगरानी करने के लिए जुगाड़ खोजे जा रहे हैं। जनगणना, चुनाव,पोलियो का टीका, आधार कार्ड जहां देखो तहाँ उसको भिड़ाया जाता है। पढ़ाई छोड़कर सब काम कराया जाता है । ऐसे में वो पढ़ायेगा कहाँ से?
इसके बाद अब इस तरह के जुगाड़ भी सोचे जा रहे हैं।मास्टर के हाल एक दम मवेशी जैसे हैं जिसको बधिया करने के उपाय हर कोई सोचता है।
मास्टर की तो मरन है।