आज सुबह साइकिल से निकले तो साइकिल एकदम हल्की चल रही थी।शायद दो दिन के आराम से चकाचक चुस्त,चैतन्य हो गयी थी।
मेस के गेट की तरफ़ बढ़ते देखा कि धूप सड़क की बायीं तरफ पसर चुकी थी। साईकिल से मुझे आता देखकर धूप ने हल्ला मचाते हुए और किरणों को बुलाया। पंक्षियों ने भी टी-टी, चीं-चीं करते हुये किरणों को आवाज दी। फूल, पत्तियों पर बिखरी किरणें उनसे विदा लेकर चलने को हुईं लेकिन पत्तियों, फूलों ने उनको जाने नहीं दिया। सूरज भाई ने यह देखकर सड़क के लिये दूसरी किरणों को भेज दिया। सड़क के किनारे के पेड़ से नीचे गिरे फूल उनकी अगवानी में बिछे हुए थे।
एक पुलिया की बगल से गुजरे तो वहां बैठी महिलाओं की बातें सुनाई दीं। एक बता रहीं थीं कि उनके घर के पास शाम को 4 बजे किसी ने घर में घुसकर एक महिला से सोने की चेन उतरवा ली। आजकल जमाना बड़ा खराब है। पता नहीं कब, कौन लूट ले।
महिलाओं से मजे लेते हुये मैंने कहा-आप सब लोग अपनी बहुओं की तारीफ, बुराई करती होगी यहां बैठकर। सुनकर सब हंसने लगीं।एक बोलीं -’अरे का बुराई/तारीफ़। आयके बतिया लेती हैं।’
सुबह 5 बजे आती हैं। 7 बजे तक बतियाती हैं। सुख दुःख। फिर घर चली जाती हैं। कोई और आ गया तो फिर देर तक भी बैठ जाती हैं। सुबह पहले जल्दी आती थीं लेकिन उजाला देर से होने के चलते आजकल थोड़ा लेट आती हैं। उजाला होने पर ही निकलती हैं घर से।
फोटो लेने के लिए पूछा तो सबसे दायीं तरफ वाली माता जी ने पल्लू सर पर रखा। फोटो दिखाई तो बोली-ये तो बढ़िया फोटो आई। एक जन बोलीं - एक जन पहले भी खींच ले गए थे फोटो। सबके अपने-अपने शौक हैं।हमने बताया वह भी हम ही थे। तब भी माता जी ने फोटो खींचते समय ऐसे ही पल्लू सर पर रखा था। देखिये वह पोस्ट यहां http://fursatiya.blogspot.in/2015/04/blog-post_10.html
चलते हुए सुना कि वे आपस में बतिया रहीं थीं कि साईकिल चलाने से आदमी बीमार कम पड़ता है। पेट भी नहीं निकलता है।
चाय की दूकान पर चाय अभी बनी नहीं थी। बोला -आज देर हो गयी। वहीं सीमेंट की बेंच पर बैठ गए। एक आदमी हाथ में कुछ लिए रगड़ रहा था। मैंने पूछा- तम्बाकू रगड़ रहे हो? बोला -नहीं अंकल जी, गांजा है। हमने पूछा-सुबह-सुबह गांजा पीते हो? वो बोला -हाँ। ले लेते हैं। दोपहर तक असर रहता है।
हमने आदतन पूछा- क्यों करते हो? नुकसान करता है। वो बड़े आराम से बोला-16 साल की उम्र से कर रहे हैं। अब आदत हो गयी। ट्रक चलाते हैं। दारु नहीं पीते। दारू महंगा नशा है। चढ़ जाती है तो मारपीट होती है। गांजा सस्ता है। चुपचाप पी लो। आराम से रहो। बताते हुए गांजे की कली जो कि लौंग के आकार की थी को मसलते हुए जेब से बीड़ी निकालकर उसकी तम्बाकू को गांजे के साथ मिलाकर रगड़ते हुए तैयार करता रहा।
पुलिस पकड़ती नहीं ? पूछने पर बोला- पुलिस जानती है कि कोई गलत काम,लड़ाई-झगड़ा नहीँ करता तो नहीँ पकड़ती। कभी पकड़ा भी तो छोड़ देती है।कोई मारपीट थोड़ी करते हैं दारू पीने वालों की तरह।
करीब 40 साल की उम्र के देवेन ने बताया कि 3 बच्चे हैं। लड़के 9 वीं, 8 वीं और बिटिया 5 वीं में पढ़ती है। 3 बच्चे होने के बाद पत्नी का आपरेशन करवा दिया। खुद का क्यों नहीं करवाया वह तो आसान होता है पूछने पर मुस्काते हुए बताया-अरे अंकल जी कौन हमको पैसा चाहिए। पत्नी का करा दिया।
ड्राइवरी के लिए घर से बाहर जाते हैं तो बच्ची ,जिसको सबसे ज्यादा प्यार करते हैं देवेन, रोकती है कि पापा मत जाया करो। लेकिन बोले- उनके लिए ही तो जाते हैं।सबको प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। गांजा पीने के बारे में बच्चे जानते हैं लेकिन क्या करें आदत पड़ गयी है। पहले बस चलाते रहे तो गुटका खाते थे। अब कम कर दिया।
ट्रक खाली होने पर सवारी या सामान लादने के सवाल पर वो बोला- मिल जाता है तो लाद लेते हैं। न करें तो खर्च कैसे निकलेगा? मालिक लोग पैसा ही नहीं देते खर्चे का पूरा।
गांजे और शराब के नशे का तुलनात्मक अध्ययन सा करते हुए बोले- शराब में लोग सूंघ के जान जाते हैं। मंहगा नशा है। मारपीट करता है आदमी। नकली शराब से लोग मरते हैं ।जबकि गांजा सस्ता नशा है। हल्ला नहीं मचाता गंजेड़ी। नकली गांजा पीने से लोग मरते नहीं। उसके तर्क सुनकर लगा कि शराब पीने से मरने वालों की संख्या कम करने के लिए शराब की जगह गांजे के नशे को तरजीह देने के लिये लोग तर्क न गढ़ने लगें।
लौटते हुए देखा तो सूरज भाई निकल आये थे। आसमान में चमक रहे थे। मतलब दैदीप्यमान थे। हमसे मजे लेने के लिए हमारी साईकिल की परछाई हमसे कई गुना बड़ी करके दिखाने लगे। हमने कहा- क्या भाई आप भी हमको ऐसे दिखा रहे हो जैसे प्रभावशाली लोगों को उनके 'जे बिनु काज दाहिने बाएं' रहने वाले चम्पू-चेले, रंगरूट उनके बारे उनकी औकात से कई गुना बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। मेरी बात सुनकर सूरज भाई सामने आकर हंसने लगे। परछाई हवा हो गई।
पुलिया पर बैठी महिलाएं घर चली गयी थीं। अब वहां दो पुरुष और एक कुत्ता बैठे थे।
खरामा-खरामा साइकिल चलाते हुए मेस आए। चाय मंगाई। पीते हुए पोस्ट टाइप की। अब इसको पोस्ट करने के बाद दफ्तर के लिए निकलेंगे।
आप भी काम से लगिए। सबका दिन शुभ हो।।मंगलमय हो।
मेस के गेट की तरफ़ बढ़ते देखा कि धूप सड़क की बायीं तरफ पसर चुकी थी। साईकिल से मुझे आता देखकर धूप ने हल्ला मचाते हुए और किरणों को बुलाया। पंक्षियों ने भी टी-टी, चीं-चीं करते हुये किरणों को आवाज दी। फूल, पत्तियों पर बिखरी किरणें उनसे विदा लेकर चलने को हुईं लेकिन पत्तियों, फूलों ने उनको जाने नहीं दिया। सूरज भाई ने यह देखकर सड़क के लिये दूसरी किरणों को भेज दिया। सड़क के किनारे के पेड़ से नीचे गिरे फूल उनकी अगवानी में बिछे हुए थे।
एक पुलिया की बगल से गुजरे तो वहां बैठी महिलाओं की बातें सुनाई दीं। एक बता रहीं थीं कि उनके घर के पास शाम को 4 बजे किसी ने घर में घुसकर एक महिला से सोने की चेन उतरवा ली। आजकल जमाना बड़ा खराब है। पता नहीं कब, कौन लूट ले।
महिलाओं से मजे लेते हुये मैंने कहा-आप सब लोग अपनी बहुओं की तारीफ, बुराई करती होगी यहां बैठकर। सुनकर सब हंसने लगीं।एक बोलीं -’अरे का बुराई/तारीफ़। आयके बतिया लेती हैं।’
सुबह 5 बजे आती हैं। 7 बजे तक बतियाती हैं। सुख दुःख। फिर घर चली जाती हैं। कोई और आ गया तो फिर देर तक भी बैठ जाती हैं। सुबह पहले जल्दी आती थीं लेकिन उजाला देर से होने के चलते आजकल थोड़ा लेट आती हैं। उजाला होने पर ही निकलती हैं घर से।
फोटो लेने के लिए पूछा तो सबसे दायीं तरफ वाली माता जी ने पल्लू सर पर रखा। फोटो दिखाई तो बोली-ये तो बढ़िया फोटो आई। एक जन बोलीं - एक जन पहले भी खींच ले गए थे फोटो। सबके अपने-अपने शौक हैं।हमने बताया वह भी हम ही थे। तब भी माता जी ने फोटो खींचते समय ऐसे ही पल्लू सर पर रखा था। देखिये वह पोस्ट यहां http://fursatiya.blogspot.in/2015/04/blog-post_10.html
चलते हुए सुना कि वे आपस में बतिया रहीं थीं कि साईकिल चलाने से आदमी बीमार कम पड़ता है। पेट भी नहीं निकलता है।
चाय की दूकान पर चाय अभी बनी नहीं थी। बोला -आज देर हो गयी। वहीं सीमेंट की बेंच पर बैठ गए। एक आदमी हाथ में कुछ लिए रगड़ रहा था। मैंने पूछा- तम्बाकू रगड़ रहे हो? बोला -नहीं अंकल जी, गांजा है। हमने पूछा-सुबह-सुबह गांजा पीते हो? वो बोला -हाँ। ले लेते हैं। दोपहर तक असर रहता है।
हमने आदतन पूछा- क्यों करते हो? नुकसान करता है। वो बड़े आराम से बोला-16 साल की उम्र से कर रहे हैं। अब आदत हो गयी। ट्रक चलाते हैं। दारु नहीं पीते। दारू महंगा नशा है। चढ़ जाती है तो मारपीट होती है। गांजा सस्ता है। चुपचाप पी लो। आराम से रहो। बताते हुए गांजे की कली जो कि लौंग के आकार की थी को मसलते हुए जेब से बीड़ी निकालकर उसकी तम्बाकू को गांजे के साथ मिलाकर रगड़ते हुए तैयार करता रहा।
पुलिस पकड़ती नहीं ? पूछने पर बोला- पुलिस जानती है कि कोई गलत काम,लड़ाई-झगड़ा नहीँ करता तो नहीँ पकड़ती। कभी पकड़ा भी तो छोड़ देती है।कोई मारपीट थोड़ी करते हैं दारू पीने वालों की तरह।
करीब 40 साल की उम्र के देवेन ने बताया कि 3 बच्चे हैं। लड़के 9 वीं, 8 वीं और बिटिया 5 वीं में पढ़ती है। 3 बच्चे होने के बाद पत्नी का आपरेशन करवा दिया। खुद का क्यों नहीं करवाया वह तो आसान होता है पूछने पर मुस्काते हुए बताया-अरे अंकल जी कौन हमको पैसा चाहिए। पत्नी का करा दिया।
ड्राइवरी के लिए घर से बाहर जाते हैं तो बच्ची ,जिसको सबसे ज्यादा प्यार करते हैं देवेन, रोकती है कि पापा मत जाया करो। लेकिन बोले- उनके लिए ही तो जाते हैं।सबको प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। गांजा पीने के बारे में बच्चे जानते हैं लेकिन क्या करें आदत पड़ गयी है। पहले बस चलाते रहे तो गुटका खाते थे। अब कम कर दिया।
ट्रक खाली होने पर सवारी या सामान लादने के सवाल पर वो बोला- मिल जाता है तो लाद लेते हैं। न करें तो खर्च कैसे निकलेगा? मालिक लोग पैसा ही नहीं देते खर्चे का पूरा।
गांजे और शराब के नशे का तुलनात्मक अध्ययन सा करते हुए बोले- शराब में लोग सूंघ के जान जाते हैं। मंहगा नशा है। मारपीट करता है आदमी। नकली शराब से लोग मरते हैं ।जबकि गांजा सस्ता नशा है। हल्ला नहीं मचाता गंजेड़ी। नकली गांजा पीने से लोग मरते नहीं। उसके तर्क सुनकर लगा कि शराब पीने से मरने वालों की संख्या कम करने के लिए शराब की जगह गांजे के नशे को तरजीह देने के लिये लोग तर्क न गढ़ने लगें।
लौटते हुए देखा तो सूरज भाई निकल आये थे। आसमान में चमक रहे थे। मतलब दैदीप्यमान थे। हमसे मजे लेने के लिए हमारी साईकिल की परछाई हमसे कई गुना बड़ी करके दिखाने लगे। हमने कहा- क्या भाई आप भी हमको ऐसे दिखा रहे हो जैसे प्रभावशाली लोगों को उनके 'जे बिनु काज दाहिने बाएं' रहने वाले चम्पू-चेले, रंगरूट उनके बारे उनकी औकात से कई गुना बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। मेरी बात सुनकर सूरज भाई सामने आकर हंसने लगे। परछाई हवा हो गई।
पुलिया पर बैठी महिलाएं घर चली गयी थीं। अब वहां दो पुरुष और एक कुत्ता बैठे थे।
खरामा-खरामा साइकिल चलाते हुए मेस आए। चाय मंगाई। पीते हुए पोस्ट टाइप की। अब इसको पोस्ट करने के बाद दफ्तर के लिए निकलेंगे।
आप भी काम से लगिए। सबका दिन शुभ हो।।मंगलमय हो।