Saturday, May 30, 2009

तरही कविता, तरह-तरह की कविता

http://web.archive.org/web/20140419215815/http://hindini.com/fursatiya/archives/647

26 responses to “तरही कविता, तरह-तरह की कविता”

  1. समीर लाल 'उड़न तश्तरी वाले'
    हम तो उहां ही खुटखुटा आये जहाँ से चिंगारी छूटी. वैसे आप कवि कम, दार्शनिक ज्यादा नजर आ रहे हैं आज. कहीं कोई चोट तो नहीं खा गये, लाला!! :)
  2. puja
    अरे बाप रे आप तो धाँसू गठबंधन कवि हो गए हैं…
    बैठे बैठे फुरसतिया जी ने कविता सा कुछ लिख डाला
    यह दिन देखन को बाकी थे, मंदी लाई दिन काला । :D
    टांग खींचने की कोशिश की है…पिटाई न पड़ जाए इसकी आशंका है…उम्मीद है ये छोटन का उत्पात माफ़ करेंगे :)
  3. Shiv Kumar Mishra
    समीर भाई की बात सही है. आप दार्शनिक टाइप लिख गए हैं. वैसे तरही कविता को आगे बढ़ाने के लिए आप साधुवाद और बढ़ाई स्वीकार करें.
    पूजा का कहना है कि छोटन ने उत्पात कर दिया. मुझे तो नहीं लगता. माफी की बात करने का कोई कारण तो दिखाई नहीं देता.
  4. संजय बेंगाणी
    के बात है! अब कवि को लघुग्रंथीवश मूँह छिपाना नहीं पड़ेगा. :) आपने ब्लॉग-कविता को सम्मानित स्थान दिलवा दिया :) ठेलो जी अब बेखौफ़.
  5. मुकेश कुमार तिवारी
    अनूप जी,
    आपका, किसी भी और किसी की भी चर्चा को रोचक बनाने का अंदाज बहुत भाया। शब्दों, वाक्य, को व्यंग्य की घूंटी किस कदर पिलायी है कि पढने वाला भी नशे में आ जाता है।
    सादर,
    मुकेश कुमार तिवारी
  6. masijeevi
    चुनाव में हारी हुई पार्टी की नेता अपना वात्सल्य रस त्यागकर कार्यकर्ताओं से रौद्र रस में बतियाने लगी। वे तब भी खुश थे क्योंकि उनको रौद्र रस की आशंका थी
    रौद्र की आशंका में रौद्र मिलने से प्रसन्‍न होने की बात जमी नहीं… दूसरा रौद्र वीभत्‍स होना चाहिए यानि
    चुनाव में हारी हुई पार्टी की नेता अपना वात्सल्य रस त्यागकर कार्यकर्ताओं से रौद्र रस में बतियाने लगी। वे तब भी खुश थे क्योंकि उनको वीभत्‍स
    रस की आशंका थी
    :))

    हां मास्साब, आप सही समझा रहे हैं। हम वही लिखना चाह रहे थे जो आप बता रहे हैं। लेकिन घंटी बज गयी दुकान (आफिस) जाने की सो चल गये और आपके अलावा और कोई बताइस भी नहीं। आप बताये तो ठीक कर दिये । शुक्रिया! :)

  7. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    हमें कविता नहीं समझ आती थी, उसमें अब तरहीवादी कविता आ गयी। पता नहीं यह कविता की तहरी है या कविता की तेरही!
    खुलासा किया जाने का अग्रिम धन्यवाद!
  8. दिनेशराय द्विवेदी
    कहते है राजा भोज के राज में सभी कवि थे।
  9. रंजना
    हा हा हा हा …
    तरही की तो तेरही मना दी आपने……
    जबरदस्त लिखा है…..एकदम जबरदस्त…वाह !!!
  10. neeraj
    बच्चन जी भी सोच रहे हैं क्यूँ लिख डाली मधुशाला
    फुरसतिया ने भी शिव जैसे खुद को कविवर कह डाला
    एक रंग के होने पर भी देखो कितना अंतर है
    कोयल भी काली होती है होता कव्वा भी काला
    फुरसतिया जी का प्रयास स्तुत्य है…
    नीरज
  11. Dr.Arvind Mishra
    तरही तरही कई दिन से सुन रहा हूँ -क्या कविता की तेरही की कोई तैयारियां हो रही हैं क्या ? मुझे तो न्योता नहीं और ब्राहमण आज भी बिना बुलाये तो जायेगा नहीं !
    और आपकी कविता तो तरही हो ही नहीं सकती इसमें तो तेरही से ज्यादा कुछ दिख रहा है !
  12. mahendra mishra
    बहुत बढ़िया . एक बात कहीं कहन चाहत हो कि जहाँ गुरु वहां लफडा इसीलिए न कोई गुरु न कोई गुड शक्कर हा हा
  13. anitakumar
    इत्ती लफ़्फ़ाजी तो हम ऐसे ही कर लिये ताकि आप इस झांसे में आ जायें कि हम कोई ऊंची बात कर रहे हैं। लेकिन सच में ऐसा है नहीं। हम तो ऐसे ही कुछ इधर-उधर की ठेल रहे हैं।…..:)
    तरही कविता मजेदार लगी, अगली कविता का इंतजार । हम भी समीर जी से सहमत है, अनूप जी बहुत दार्शनिक हो लिए इस पोस्ट में
  14. गौतम राजरिशी
    :-)
  15. Abhishek
    हमें ये विधा बहुते पसंद आई :) कहीं ऐसा तो नहीं है की हमें ‘असली’ कविता-गजल की पहचान ही नहीं है. वैसे असली की पहचान शायद यही है कि जो सीधे समझ में ना आये :)
  16. amit
    अपना हाल भी ज्ञान जी जैसा है, कविता अपने पल्ले नहीं पड़ती, पल्ले पड़े तो जानें उसमें क्या बात है! ;)
    रही बात बदनामी की तो कुछेक कवियों की वजह से पूरी बिरादरी बदनाम हो गई, ये कवि चेप हो जाते हैं, जबरन कविता झिलवाते हैं तो क्या करें, जनरलाइज़ करना एक आम समस्या है इसलिए लोग भी त्रस्तिया और फ्रस्टिया के लेबल लगा दिए कवियों पर, न आम जन की गलती न बाकी कवियों की! :D
  17. ताऊ रामपुरिया
    बहुत लाजवाब है तरही या तेरही.:)
    रामराम.
  18. ANYONASTI
    [ चिठ्ठा-चर्चा ] ,अनूप शुक्ल के
    सौजन्य से नया शग़ल जाना और माना भी , मनोरंजक है | वैस किसी से दुश्मनी निकालने का अच्छा ( गुरु नहीं कहूँगा ) मंत्र बता दिया ; जिससे शत्रुता हो उसे शिष्य मानना ,मानना क्या पुकारना शुरू कर दे मानद [स्वयम्भू ] गुरुडम मिला नहीं कि वह तो गया गया ही ; वह और किसी से उखड़े या न उखड़े आप से आप के आस-पास होने सेतो उखड़ने ही लगेगा |
  19. फ़रियादी फ़कीरा

    भाई जी, अभिवादन स्वीकारें ।
    फ़ीड नहीं मिल पा रही है, चलो देरे सही !
    पर दो दिनों में यह तीसरी टिप्पणी है, पिछली दो शायद माडरेट हो गयी ।
    यदि कारण बता देते, तो चेला सुधार की सँभावना तलाशता ।
    आप जैसे उदारमना अग्रज से इतनी अपेक्षा है ।
    वैसे कविताई तहरी की यह डिश मज़ेदार तो होनी ही थी,
    ज्ञानवर्धक भी है ।

  20. ajit ji wadnerkar saheb
    वाह साहब, क्या कवि दरबार लगाया आपने तो….
  21. dr anurag
    हिंदी के आलोचकों …जरा एक ठो इधर नजर घुमाईये …देखिये इ साहब कौन सी नयी कविता लाये है .आपसे बिना पूछे ?
  22. tasliim
    जोश में होश भी बना रहना चाहिए।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }
  23. nikita sunil
    a very rubbish poem
  24. nude sunil
    very nice poems
    vah vah!!!
  25. Anonymous
    vahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh maja aa gaya
  26. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] तरही कविता, तरह-तरह की कविता [...]

Friday, May 29, 2009

शंकरजी अंग्रेजी सीख रहे हैं

http://web.archive.org/web/20140419213848/http://hindini.com/fursatiya/archives/617

27 responses to “शंकरजी अंग्रेजी सीख रहे हैं”

  1. बालसुब्रमण्यम
    पुराने पोस्ट को दुबारा जारी करने के लिए धन्यवाद। बहुत मजा आया पढ़कर। इसी तरह का मेरा भी एक पोस्ट है, जरूरर पढ़ें। आपको पसंद आएगा। कड़ी यह है -
    प्रधान मंत्री राम
  2. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    योर पोस्ट इज गुडर दैन द गुडेस्ट!
    तथास्तु!
  3. amit
    ही ही ही, मज़ा आ गया!! :D
  4. ताऊ रामपुरिया
    बहुत लाजवाब है जी. परमानन्द आया. ओके देन सी यू,टाक टु यू लेटर इन इवेनिंग, टेक केयर,बाय-बाय।
    देखा क्या फ़टाफ़ट इंगलिश सीख गये हम.:)
    रामराम.
  5. काजल कुमार
    मेरे जैसे, ब्लॉग्गिंग में देर से आने वालों के लिए तो ये लेखा नया ही है. शंकर जी की जय हो.
  6. Abhishek Ojha
    ‘हमें भी बहुत अच्छा लगा। ऐसे ही कभी-कभी रिठेल करते रहा करिये’ !
    जय जय भोले भंडारी !
  7. ajaykumarjha
    aap jaroor narad muni ke roop mein wahan par kisi kone mein maujood honge tabhi saaree gupt vaartaalap sun lee….suna hai iske baad brahma jee bhee hi hello huee thee ….wo baatcheet kab sunne ko milegee…
  8. - लावण्या
    सुँदर मज़ेदार पोस्ट ! रीठेल करते रहीये आप तो और अमरीकन अँग्रेज़ी भी खूब रही ! :)
    - लावण्या
  9. दिनेशराय द्विवेदी
    अपने लिए तो यह बिलकुल ताजा थी। आनंद हो गया।
  10. anil pusadkar
    अपन भी फ़र्स्ट टाईम एन्जाय किया।तथास्तु।
  11. संजय बेंगाणी
    रीठेल फैशन बन गया है जी. वैसे उत्तम दबी पड़ी रचना फिर से पढ़ने को मिले तो गुस्ताखी मुआफ…. :)
  12. गौतम राजरिशी
    ये इतनी लंबी पोस्ट लिख कैसे लेते हैं आप…और हम भी कमबख्त पढ़ लेते हैं…
    वैसे शिव तांडव स्त्रोत की झलकी देख कर अच्छा लगा…रोज पाठ जो करता हूँ।
  13. nivedita
    bahut bariya hai
  14. nivedita
    maja aa gaya par kar
  15. K M Mishra
    क्या बात है अनुप भइया, विष्णु पुराण और शिव पुराण दोनो का एक साथ आनंद आ गया । रिठेलम-ठेल में देखिए हमने भी लुत्फ उठा लिया इस पोस्ट का, नहीं तो कहां देवताओं की वर्ता का सुख मिलता है । अब तो काफी दिन हो गये होंगे दानों लोगों में बतियाये । एक दिन फिर से नंबर लगाइये । पता तो चले शंकर जी की अंग्रेजी किस पहाड़ की कौन सी चोटी तक पहुंच रही है ।
  16. PD
    :) मस्त है.. लास्ट टाइम आइ मिस्ड..
  17. Suresh Sahani
    इतना स्तरीय व्यंग कि पढ़ैया के पसीना छूटि जाय । मुला अन्गरेजी का महत्व समझ मां आइ गवा।
    बहुत ही अच्छा लिखा है।परसाई जी की याद आ गई।
  18. keshav goyal
    गुड वैरी गुड…………..
  19. sanjay jha
    इसकी एकांकी बांचने में आनंद आएगा ……………………
    प्रणाम.
  20. Devanshu Nigam
    पहली बात तो आप मुझे पागल घोषित करवा के रहेंगे…पिछले एक घंटे से कोने पे पड़ा हँसे जा रहा हूँ…
    दूसरा..आप पे फोन टैपिंग का केस बनता है… :)
    Devanshu Nigam की हालिया प्रविष्टी..मोड़ पे बसा प्यार…
  21. shikha varshney
    :):)…
  22. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] शंकरजी अंग्रेजी सीख रहे हैं [...]
  23. amit
    लो आज फिर बाँच लिए, क्या शानदार वार्तालाप लिखा था, फिर से पढ़ के घणा मज़ा आ गया! :D
    amit की हालिया प्रविष्टी..ओ भईया, क्यों दें लगान …..
  24. sharmila ghosh
    ओह माई गॉड…………… मेरा तो हंसते-हंसते बुरा हाल हो रहा है… कैसे मजे से आप गंभीर बातें कह जाते हैं शुक्ल जी. बहुत आनंद आया पोस्ट पढ़ के.
  25. sanjay jha
    मजा आया………..
    प्रणाम.
  26. Nirupma Pandey
    imajination badhiya h
  27. Neerja Shukla
    bada sahi chitran kiya gaya hai..:)