Tuesday, April 29, 2008

प्रत्यक्षा जी को पितृशोक

http://web.archive.org/web/20140419214348/http://hindini.com/fursatiya/archives/429

प्रत्यक्षा जी को पितृशोक


प्रत्यक्षा के पापा
आज अभी कुछ देर पहले प्रत्यक्षाजी की मेल मिली। दुखद समाचार था। उनके पापा एक लम्बी बीमारी के बाद नहीं रहे।
उनके पापाजी पिछले साल से लगातार किसी न किसी बीमारी से परेशान थे। अंतत: वे 27 अप्रैल की रात को दुनिया से विदा हो गये।
अपने पापा के बारे में प्रत्यक्षाजी ने लिखते हुये एक पोस्ट लिखी थी यादों की गठरी और सन्दूक भर तस्वीरें। उन्होंने लिखा था-


अभी भी कुछ दिन पहले एक पैकेट कूरियर से आया जिसमें चिट्ठी के अलावा मेरे बचपन की कुछ और तस्वीरें थीं. मेरे बच्चों को बहुत मज़ा आया उनको देखने में . खैर, जब माँ और पापा को कहा था वो तस्वीर खोजने को तो मुझे बहुत उम्मीद नहीं थी कि ये मिल ही जायें. पर दो दिन बाद ही उनका फ़ोन आ गया. कई बक्सों और सन्दूकों को खंगालने के बाद उन्होंने आखिर वो तस्वीर खोज निकाली थी. फ़िर तुरत कूरियर भी कर दिया.
ये पैकेट जब खोला , तस्वीरें देखीं तो आँखें भर आईं. बस आँसू उमडते गये. बच्चे परेशान हैरान. संतोष उस वक्त घर पर नहीं थे, वरना मुझे संभाल लेते. खूब रोयी उस दिन. पता नहीं क्या लग रहा था . कुछ छूटने का सा एहसास था, कुछ पाने का सा एहसास था, एक मीठी उदास सी टीस थी. फ़िर कुछ देर बाद जी हल्का हुआ. रात में संतोष ने उन्हें फ़ोन किया और हँसते हुये मेरे रोने के बारे में बताया. मैं क्यों रोई ये मैं उन्हें क्या बताती पर शायद उन्हें पता होगा .

पिछले दिनों शायद वे अस्पताल में ही थे जब प्रत्यक्षाजी ने यह पोस्ट लिखी थी।
आज दुख की इस घड़ी में अपनी और अपने तमाम साथियों की तरफ़ से प्रत्यक्षाजी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनको और उनके परिवार को इस विकट दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। उनके पापा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

40 responses to “प्रत्यक्षा जी को पितृशोक”

  1. डा० अमर कुमार
    इस दःख की घड़ी में, ईश्वर उनको धैर्य दे ।
    शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के
    शब्द मुझे नहीं सूझ पाते ।
    परमपिता के प्रश्रय में पिताजी को शांन्ति मिले ।
  2. समीर लाल
    प्रत्यक्षाजी और उनके परिवार के प्रति संवेदना एवं उनके पिताजी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
  3. mehek
    pratyaksha ji ke pitaji ke bare mein padhkar bada hi dukh hua,unke parivar ke saath hamari bhi sahanubhuti hai,unke papaji ko hamari aur se vinamra abhivadhan aur shraddha suman arpit.
  4. kakesh
    हमारी भी श्रद्धांजली.
  5. दिनेशराय द्विवेदी
    इन क्षणों में हम भी प्रत्यक्षा जी के साथ हैं।
  6. atul
    दुखद समाचार. हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि.
  7. bhuvnesh
    प्रत्‍यक्षाजी के पिताजी को मेरी श्रद्धांजलि.
    ईश्‍वर उन्‍हें इस दुख की घड़ी में संभाले रखे.
  8. नितिन बागला
    हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
  9. अजित वडनेरकर
    दिवंगत आत्मा को प्रभु अपनी शरण में लें। परिजनों को कठोर दुख सहने की शक्ति मिले यही प्रभु से कामना है।
  10. Sanjeet Tripathi
    दुखद!
    हमारी श्रद्धांजलि!!
  11. ghughutibasuti
    प्रत्यक्षा जी के साथ मेरी संवेदनाएँ हैं । माता या पिता का जाना हमें अपनी उम्र व अकेलेपन का एहसास कराता है । उनके पिताजी को मेरी श्रद्धाजंली ।
    घुघूती बासूती
  12. लावण्या
    प्रत्यक्षा जी तथा उनके परिवार को ईश्वर यह आघात सहने की शक्ति देँ
    उनके पिताजी के प्रति मेरे परिवार की श्रध्धाँजलि !
    - लावण्या
  13. गीत चतुर्वेदी
    विनम्र श्रद्धांजलि. प्रत्‍यक्षा और पूरे परिवार को दुख की यह घड़ी सहने की ताक़त मिले.
  14. Gyan Dutt Pandey
    पिता का जाना तो छत्र-छाया उठने जैसा होता है। दुखद।
    श्रद्धांजलि।
  15. उन्मुक्त
    मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
  16. हर्षवर्धन
    श्रद्धांजलि। प्रत्यक्षाजी भगवान संबल दे।
  17. vijaygaur
    विनम्र श्रद्धांजलि.
  18. नितिन व्यास
    प्रत्यक्षा जी और उनके परिवार को ईश्वर यह आघात सहने की शक्ति देँ
    उनके पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
  19. yunus
    हमारी ओर से भी विनम्र श्रद्धांजली ।
  20. सुजाता
    दुखद समाचार अभी मिला ।
    पिताजी की नाज़ुक तबीयत से वाकिफ थे और बहुत डरा हुआ वक़्त था यह ।
    ईश्वर प्रत्यक्षा जी व अन्य परिवारजनों को इस दुख से बाहर आने की शक्ति प्रदान करें ।
  21. संजय पटेल
    जब तक बुज़ुर्गों का साया हमारे सर पे है
    हम अपनी उम्र से छोटे दिखाई देते हैं
    स म वे द ना एँ.
  22. संजय बेंगाणी
    दुख हुआ. विनम्र श्रद्धांजलि.
  23. आलोक
    ईश्वर दिवङ्गत आत्मा को शान्ति दे।
  24. प्रियंकर
    श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं . उनकी आत्मा को शांति मिले . दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदना प्रत्यक्षा जी के साथ है .
  25. Dr.Anurag Arya
    इश्वर उन्हें व उनके परिवार को इस दुःख से लड़ने की शक्ति प्रदान करे …….
  26. parulk
    विनम्र श्रद्धांजलि.
  27. Rajesh Roshan
    हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
  28. arun aditya
    श्रद्धांजलि… हमारी संवेदनाएं प्रत्‍यक्षा जी और उनके परिवार के साथ हैं।
  29. vimal verma
    पिताजी को हमारी भी विनम्र श्रद्धांजलि..
  30. अरूण
    भगवान उन्हे और उनके परिवार को इस दुख की घडी मे साहस प्रदान करे
  31. abha
    ऊपर वाला जब दुखदेता है तो उसे सहने की ताकत भी देता है इस तकलीफ मे मैं प्रत्यक्षा के साथ हूँ , पिताजी को मेरी नमन ।
  32. neelima
    उनके पिताजी को मेर%
  33. neelima
    उनके पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !
    प्रत्यक्षा जी और उनके परिवार को ईश्वर यह आघात सहने की शक्ति देँ
  34. anuradha srivastav
    दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदना प्रत्यक्षा जी के साथ है . उनके पिताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि
  35. mamta
    प्रत्यक्षा जी के पिता जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
  36. अनिल रघुराज
    ईश्वर प्रत्यक्षा को इस दुख से निकलने की ताकत दे। बेटियां बाप से कुछ ज्यादा ही जुड़ी होती हैं। इसलिए उनके लिए बाप की जुदाई से निपटना बहुत मुश्किल होता है।
  37. Manish
    दुखद समाचार. विनम्र श्रद्धांजलि
  38. अनूप भार्गव
    पिता जी को श्रद्धांजली और प्रत्यक्षा के लिये प्रार्थनाएं ।

    रजनी और अनूप
  39. हिंदी ब्लॉगर
    हमारी विनम्र श्रद्धांजलि! ईश्वर प्रत्यक्षा जी को ये दुख सहने की ताक़त दें.
  40. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] प्रत्यक्षा जी को पितृशोक [...]

Monday, April 28, 2008

झापड़ ही तो मारा है…

http://web.archive.org/web/20140419215746/http://hindini.com/fursatiya/archives/428

झापड़ ही तो मारा है…


यह मैंने कल अपनी आंखों से देखा।
एक लड़का सड़क पर जा रहा था। भीड़ बहुत थी। ट्रैफिक देश की प्रगति की रफ़्तार सा। ठहरा था। पीछे से आई कार ने उसे छुआ सा होगा। उसने कुछ कहा। शायद कार के बंद शीशे पर हाथ भी मारा। अंदर से कार वाला निकला। बाहर वाले बच्चे को थुर दिया। तीन-चार कन्टाप धर दिये। बोला भी- साले सड़क पर चलने की तमीज नहीं। पिटने वाले लड़के ने प्रतिवाद करने का प्रयास किया। तब तक लोगों बीच-बचाव करके अलग कर दिया। सबको जल्दी थी। सब चाहते थे सड़क खाली हो, वे घर पहुंचे। लड़का मन -मसोस कर चला गया। गाल सहलाता। पता नहीं ये झापड़ उसके जीवन में क्या रंग लायेंगे आगे? लेकिन ला सकते हैं।
दो दिन पहले हरभजन सिंह ने श्रीसंत को थपड़िया दिया। श्रीसंत रोने लगे। युवराज सिंह ने शिकायत कर दी। बात आगे बढ़ी और अब जांच शुरू हो गयी। फ़ारुख इंजानियर मामले की जांच करेंगे । वीडियो देखेंगे। हरभजन की सजा तय करेंगे।
हम तब से सोच रहे हैं इस सारे मसले पर।
श्रीसंत कहते हैं -हरभजन उनके बड़े भाई के समान हैं। जो मारा था वो झापड़ नहीं था दर असल वो गलत जगह हाथ मिलाने के समान हो गया। मतलब हरभजन अपने छोटे भाई से हाथ मिला रहे होंगे तेजी से, सामने गाल आ गया। अब हाथ में ब्रेक तो लगा नहीं होता। जड़त्व के आधीन बेचारा गाल से मिल गया।
श्रीसंत कहते हैं- वे इस मामले में शिकायत न करेंगे।
हरभजन कहते हैं- उनका मामला निपट गया है।
दोनों भाई आपस में निपट लिये लेकिन दुनिया वाले जांच पर आमादा हैं। भाई-भाई के बीच दरार डालने का काम कर रहे हैं। दीवार खड़ी कर रहे हैं। दरार पैदा कर रहे हैं। लोगों से दूसरों का प्रेम देखा नहीं जाता। जलते हैं।
अपने यहां संयुक्त परिवारों में प्रेम प्रकट करने के कुछ तरीकों में यह तरीका बहुत चलन में था। जिससे बहुत प्यार करते हैं उसकी गाहे-बगाहे पिटाई करते रहो। गाल पर झापड़ मारना प्यार की मोहर लगाने के समान होता था। बाप-बेटे में अक्सर इसी प्रेम का चलन था। बड़े भाई -छोटे भाई भी बिना कापी राइट की चिंता किये इसे अपनाते रहे। हरभजन और श्रीसंत अपनी उज्ज्वल पारिवारिक परंपराओं से जुड़ने का प्रयास करते हैं तो दूसरों को क्यों जलन हो?
अक्सर बात होती है- ऐसा हुआ तो क्यों हुआ। आइये आपके साथ मिलकर सोचते हैं। हरभजन ने श्रीसंत को झापड़ क्यों मारा?
एक तो जो कारण बताया गया कि हरभजन अपनी टीम की लगातार हार से बौखलाये थे। उसके बाद श्रीसंत ने कुछ हरकत की तो टीम प्रेम के वशीभूत होकर उनका भ्रातृप्रेम उमड़ आया। छलक पड़ा।
लेकिन पिछले रिकार्ड से यह बहाना मनगड़न्त लगता है। हमने तमाम बार देखा है कि जब टीम हार रही होती है। सारे देश की क्रिकेट प्रेमी धर्मभीरू जनता जीत के लिये या हार बचाने के लिये भजन-कीर्तन-प्रसाद मनौती में जुटी रहती है तब भी ये धुरंधर खिलखिलाते दिखते हैं। एक दूसरे पर गिरते-पड़ते, लस्टम-पस्टम होते दिखते हैं। सो हार से संतुलन खोना हमारे खिलाडियों की फ़ितरत में है- यह सही नहीं लगता। वे जीत-हार से बहुत ऊपर उठ गये हैं।
दूसरे कारणों में मुझे लगता है कि शायद चीयरलीडरानियों का रोल भी हो इस मामले में। देश के तमाम दूसरे लोगों की तरह हरभजन भी क्रिकेट में चीयरलाडरानियों की उपस्थिति से खफ़ा-खफ़ा हों। श्रीसंत और हरभजन खुद यह मटकने-लटकने का काम करते रहे हैं। प्रतिस्पर्धी के आने से वे बौखलाये हों। श्रीसंत को देखकर उनकी बौखलाहट सामने आ गयी। श्रीसंत अपनी टीम की जीत से मटकने लगे होंगे। उन्होंने चीयरबालाओं वाला गुस्सा उन पर उतार दिया होगा।
हो तो यह भी सकता है कि शायद चीयरलीडरानियां उनको ज्यादा ही भाती हों। उन्होंने ही शायद भज्जी से कहा हो, भाईसाहब, अगर ये श्रीसंत हमारा काम करेंगे तो हमको कौन पूछेगा? हरभजन ने श्रीसंत को ठीक कर देने का आश्वासन दिया होगा। और कर भी दिया।
हो सकता है कि क्रिकेट में सट्टा लगा हो कि आज भी कोई फ़न्नी हरकत की जायेगी। उसी के चलते किसी ने हरभजन को उकसाया हो- आज श्रीसंत के गाल पर भांगड़ा कर दो। भज्जी ने कर दिया होगा।
लोगों ने बेवजह तूल दे दी। वर्ना शायद हरभजन गाना भी गाते- 
हंगामा है क्यूं बरपा,
झापड़ ही तो मारा है,
चोरी तो नहीं की है,
डाका तो नहीं डाला।
बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी। पता चलेगा लोग किसी को पीट देंगे और कहेंगे वे क्रिकेट खेल रहे थे। बच्चे दोस्तों को मुंह बिरायेंगे- तू क्या क्रिकेटर बनेगा? कायदे से झापड़ मारना तो आत नहीं। ऐसा होगा भाई। महाजनों एन गत: स: पन्था का सूत्र यही कहता है। भज्जी महान खिलाड़ी हैं। गाल पर हाथ मिलाते हैं। :)
अखबार से पता चला कि भज्जी उग्र स्वभाव के बहुत पहले से हैं। जब वे पेश अकादमी में क्रिकेट सीखने गये तो घर से दूर होने के कारण तमाम शरारतें करते थे। कई पेस बालरों के बीच वे अकेले क्रिकेटर थे। इसी अकेलेपन और घर से दूरी के कारण वे उग्र बनते गये। बचपन का अभाव और अकेलापन कितनी दूर तक असर करता है। देखिये।
दुनिया के जितने खुराफ़ाती रहे हैं उनके खुराफ़ात की जड़ में बचपन की कोई न कोई कमी रही है।
भज्जी तो चर्चित खिलाड़ी हैं। उनका झापड़बाजी पर देश लफ़्फ़ाजी कर रहा है।
वह बच्चा जिसका जिक्र मैंने शुरुआत में किया जो कारवाले से पिटकर घर चला गया उसका क्या होगा?
उसके गाल पर पड़ा झापड़ क्या गुल खिलायेगा?
क्या कुछ कहा जा सकता है?

15 responses to “झापड़ ही तो मारा है…”

  1. abha
    श्रीसंत , हर भजन की कथा तो हम सुन ही रहे हैं , जहां तक थप्पड खाए बच्चे की बात है -या तो आदि हो जाएगा या कुछ न कुछ गुल खीलाएगा ही
  2. Gyandutt Pandey
    हरि का भजन करते तो सद्वचन निकलते। हर (शंकर) के भजन में तो ताण्डव ही होगा।
    बाकी इन लंगूरों और लंगूरों के खेल को क्या तवज्जो दी जाये! :-)
  3. आलोक
    भज्जी ने खूब मार खाई होगी कार वालों से बचपन में।
  4. Shiv Kumar Mishra
    थप्पड़ काण्ड के कारणों बारे में कुछ कयास…
    ०१. चीयरलीडरनियों के वस्त्रों को लेकर थोड़ा झमेला हो गया था. इस बात से आई पी एल की टी आर पी गिराने के आसार थे. हरभजन जी ने टी आर पी में संभावित गिरावट को रोकने के लिए ये थप्पड़ प्रदान किया. ऐसा सुनने में आ रहा है.
    ०२. हरभजन का कोई छोटा भाई नहीं है. वे छोटे भाई की तलाश में क्रिकेट खेल रहे थे. वहीं श्रीसंत जी को बड़े भाई की तलाश थी. ये थप्पड़ कार्यक्रम इसी तलाश का नतीजा है.
    ०३. क्रिकेट को और मनोरंजक कैसे बनाया जाय. ये बी सी सी आई की नीति के तहत किया गया कार्यक्रम है.
  5. kakesh
    हमें भी आपके मारे थप्पड़ या आ रहे हैं. अब समझा उन थप्पड़ों का महत्व.
  6. आलोक पुराणिक
    बड़े भाई हैं हरभजन, ऐसा संत ने बताया।
    भाई तो टपकाते हैं, पर हरभजन ने सिर्फ चांटे पर निपटाया।
    ये ना समझें कि अबका क्रिकेट विकट बेहया है
    हरभजन ने सिर्फ चांटा लगाया यानी कित्ती दया है।
    जमाये रहिये।
    चांटा नहीं,
    ब्लाग।
  7. आलोक पुराणिक
    बड़े भाई हैं हरभजन, ऐसा संत ने बताया।
    भाई तो टपकाते हैं, पर हरभजन ने सिर्फ चांटे पर निपटाया।
    ये ना समझें कि अबका क्रिकेट विकट बेहया है
    हरभजन ने सिर्फ चांटा लगाया यानी कित्ती दया है।
    जमाये रहिये।
    चांटा नहीं,
    ब्लाग।
  8. vijaygaur
    अच्छा आलेख है, कई सवाल छेडता है. कार वाले से थप्पड खाये लडके और श्री संत में बेशक कोई साम्य न हो {वर्गीय कारणों से पर} पर हरभजन सिंह के सामने तो श्री संत भी वही सड्क का लडका नजर आ रहा है.
  9. दिनेशराय द्विवेदी
    लगता है, भज्जी गलत खेल में घुस लिए। इन्हें तो खली के साथ होना चाहिए।
  10. siddharth
    झापड़ काण्ड का यह विवेचन मजेदार है। खेल में व्यापारियों की घुसपैठ जिस तरह से हावी हो रही है और जितना बड़ा पैसा involve है, अभी बहुत लत्तम्-जुत्तम् और जूतम्-पैजार देखने को मिलेगी। बस देखते जाइये।
  11. नितिन
    दुखद है लाइफ बैन लगता तो शायद ठीक होता!
    वैसे बाजार की उम्मीदों पर बिलकुल खरा उतर रहा है ये खेल – इसमें रोमांस है, ड्रामा है, इमोशन है, ट्रेजेडी है।
  12. समीर लाल
    कुछ बातें सामने आ गई हैं अब तो:
    -भज्जी ने बचपन में कारवालों से खूब झापड़ खाये हैं.
    -श्रीसंत बचपन में मार खा लेते तो आज लोगों को नहीं चिढ़ाते. तब कोई डांटता नहीं और वो गाली नहीं बकता तो कोई मारता भी नहीं. (अर्थात क्रिया की प्रतिक्रिया में बचाव हो सकता था)
    -श्रीसंत ने साबित कर दिया कि सिर्फ महिलाऐं ही आँसू से जंग नहीं जीता करतीं, वह भी जीत सकते हैं और जीत ही गये.
    -झापड़ मारने से रिश्ते कायम हो जाते हैं (बड़े भाई-छोटे भाई वाले)
    -फारुख इंजिनियर झापड़ को लापड़ बोलकर हंसते हैं कि कैसा मारा.
    -पीटने वाले से ज्यादा साहनभूति पिटने वाले के साथ होती है यह बात भज्जी ने गाँठ बाँध ली है. आगे से अपने बॉलिंग और बैटिंग में इस बात का ध्यान रखेंगे.
    आदि आदि..
    –बाकी आप लिखे बहुते चकाचक हैं..अब तो भज्जी सजा पा गये. बड़ा मंहगा और करारा झापड़ था. :)
  13. जीतू
    पेश है आईपीएल: रोमांस, रोमांच, एक्शन, संस्पेंस,सेंसेशन और ढेर सारे लटके झटकों से भरपूर। इसमे आइटम सांग है, आइटम गर्ल्स है, छक्के(वो वाले नही) और चौके है। पूरे परिवार का भरपूर मनोरंजन। आपके पैसों की भरपूर अदायगी। इसको देखने के बाद आप अपने आपको चीटेड महसूस नही करेंगे। हर हफ़्ते नया एपीसोड:
    पिछला एपीसोड : चीयरलीडरनियां – To be (more Sexy) or not to be
    आज का ड्रामा(पिछला वाला): तीन करोड़ का थप्पड़
    अगला ड्रामा : देखते रहिए…
    कुल मिलाकर लब्बो लुबाब: बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा….टीआरपी बड़ती रहे, दुनिया जले तो जलती रहे।
  14. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] झापड़ ही तो मारा है… [...]
  15. नीरज दीवान
    आज वाला भी सटीक रहा.. श्रीसंत ने क्रिकेट को तमाचा मारकर बदला ले लिया।