Saturday, August 31, 2013

देश का भविष्य कक्षा के बाहर

http://web.archive.org/web/20140420082345/http://hindini.com/fursatiya/archives/4694

देश का भविष्य कक्षा के बाहर

शिवमबच्चे का नाम शिवम है। पिता का नाम छोटे। मां का नाम पता नहीं। वो बूढ़ा माता की बिटिया है। बूढ़ा माता का भी कोई नाम है कि नहीं पता नहीं। एक सामान्य बात है। अपने यहां मां लोगों के नाम नहीं होते। मां के नाम कवितायें होती हैं। शेर होते हैं। शायरी होती है। नाम नहीं होते। नाम से लय बिगड़ती है, कविता, शेर और समाज की भी।
बच्चा कक्षा पांच में पढ़ता है। उसको स्कॉलरशिप मिलनी है। उसके लिये फ़ार्म भरवाने आया है। मां साथ में है। बच्चा दस साल कुछ महीने का है। बताता नहीं तो यही लगता कि अभी कक्षा एक-दो में होगा। पहले स्कूल में ही वजीफ़ा मिल जाता था। अब सरकार सीधे खाते में देगी। सरकार अब किसी पर भरोसा नहीं कर पाती। वजीफ़ा सीधे खाते में भेजेगी। सीधे खाते में भेजने से वजीफ़ा पाने वाले को भी आसानी होगी। लेकिन बच्चे की मां झल्ला रही है। कह रही है- पहिले सीधे मिल जाति रहैं। अब जानै कौन-कौन झमेला!

बच्चा स्कूल छोड़कर फ़ार्म भरने के लिये इधर-उधर घूम रहा है। स्कूल वालों ने फ़ार्म थमा दिये हैं। भराकर लाओ। धीरे-धीरे स्कूल वाले भी अनपढ होते जा रहे हैं।
फ़ार्म भरने के लिये नाम, कक्षा के अलावा और कोई विवरण पता नहीं न बच्चे को न उसकी मां को। बच्चा पांचवीं में पढ़ता है। उसको अपनी जन्मतिथि नहीं पता। घर का पता नहीं पता। उसको कुछ नहीं पता अपने नाम के सिवाय। साथ के सब कागज प्लास्टिक के थैले से उलटने के बाद भी विवरण नहीं मिलते। वे लौट जाते हैं। अगले दिन आयेंगे सब ’कागज’ लेकर। वजीफ़े के लिये बैंक का खाता खुलना जरूरी है।
आज बच्चा फ़िर अपनी अम्मा के साथ सब कागज लेकर आता है। अभिभावक की जगह पर पिता के अलावा कोई और नाम है। पता चला नाना हैं। वजीफ़े के तीन सौ महीने मिलने हैं। खाता खुलने का फ़ार्म सब अंग्रेजी में है। कुछ कालम भरने के लिये मैं अपने बैंक वाले भाईसाहब से पूछता हूं। फ़ार्म भरते हुये और भी बातें होती रहती हैं।
सरनेम पर पता चलता है कि कुरील हैं। बच्चे की मां बताती है- कुरील लिखत हन, चमार जाति है।
मैं बैंक फ़ार्म में केवल बच्चे का नाम और पिता का नाम भरता हूं।
पांचवी में पढ़ने वाले शिवम से मैं पहाड़े सुनाने के लिये कहता हूं। सुना नहीं पाता। नाम लिख लेता है। बताता है कोचिंग पढ़ने जाता है। आज ज्यादातर बच्चे दो जगह पढ़ते हैं। दो तरह के स्कूल हो गये हैं। एक स्कूल में नाम लिखाने, वजीफ़ा, मिड डे मील, लैपटॉप और डिग्री वगैरह के लिये। दूसरा पढ़ने के लिये। सफ़ल होने के लिये दोनों में जाना अनिवार्य होता जा रहा है।
बता रही हैं बच्चे की मां कि शिवम का एडमिशन उसकी मौसी ने कराया था। मौसी मतलब उसकी छोटी बहन। आई.टी.आई. की थी वो। घर में आने वाले एक लड़के के साथ भागकर शादी कर ली। घर वालों ने पुलिस में रिपोर्ट की। लड़की बालिग थी। उसने कहा उसने अपनी मर्जी से शादी की। घर वालों ने कचहरी में ही लड़की और उसके पति को बहुत मारा। लड़की से सम्बन्ध खतम कर लिये। लड़की उनके लिये मर गयी। अपनी मर्जी से शादी करने वाली लड़कियों की नियति ही होती है घर वालों के लिये मर जाना।
लड़की घर वालों के लिये मर भले गयी हो लेकिन उसकी बातें याद आती हैं घर वालों को। फ़ार्म भराने आयी लड़के की मां बताती है- वो यहिते कहिके गयी है कि बबुआ पढ़ाई न छ्वाड़ेव। खूब पढ़ेव।
हमने पूछा कि अपनी मर्जी से शादी कर ली तो कौन गुनाह किया? लड़के की मां बताती है -“बिरादरी में नाक कट गयी। बता के करती तो धूमधाम से शादी करते। भाग के करी तो इज्जत चली गयी। फ़ार्म भरने के बहाने चली गयी।”
बताते हुये मुझे अपनी चचेरी बहन याद आ गयी। वो अपनी मर्जी से एक लड़के से शादी करना चाहती थी। इस कारण उसने कई लड़कों से शादी मना कर दी। घर वालों को जब पता चला तब सब एकदम अड़ गये कि शादी उस लड़के से तो नहीं करेंगे। बहन भी अड़ गयी- शादी उसी से करेंगे। आखिर में उसकी मर्जी से शादी की व्यवस्था हुई। पिता और उसके समर्थ भाई शादी में नहीं शामिल हुये। उनके लिये लड़की मर चुकी है। किसी के लिये भले वह मर चुकी हो लेकिन फ़िलहाल वह अपने पति के साथ खुश है।
यह पोस्ट लिखते हुये बच्चा दुबारा आया फ़ार्म दिखाने। उसकी फोटू खींची। ऊपर उसी की फ़ोटो है। मोबाइल में दिखाने पर बताया कि टेड़ी है। फ़िर दूसरी खैंची। अब वो बैंक जा रहा है। फ़ार्म जमा करने। वजीफ़े के लिये स्कूल छोड़ा बच्चे ने दो दिन। कैसे पहाड़े याद कर पायेगा? आज हालांकि वह कुछ सहज था। बारह तक पहाड़े भी सुनाये। आगे नहीं आते।
पूछने पर बच्चा मां, नानी और मौसी के नाम भी बताता है। नाम तो सबके होते हैं। लेकिन हम उनको भूल जाते हैं। भूलते क्या , याद ही नहीं करते। जरूरत ही नहीं पड़ती।
टी.वी. पर गिरफ़्तारी से भागते आशाराम, पकड़े गये भटकल, गिरते रुपये और संसद में अमर्यादित बहस के किस्से आ रहे हैं। एक चैनल करीना और सैफ़ की मोहब्बत के किस्से बयान कर रहा है।
मन किया कि बच्चे से पूछे कि इस सब के बारे में उसको क्या जानकारी है। लेकिन बच्चे के चेहरे पसरी मजबूरी और जिम्मेदारी के भाव देखकर सहम गया मन।
ये बच्चा हमारे देश का भविष्य है। देश का भविष्य वजीफ़े के लिये कक्षा छोड़कर बैंक, स्कूल और इधर-उधर भटक रहा है।
अपन भी सब निर्लिप्त भाव से लिखते हुये पूछ रहे हैं -आपका क्या कहना है इस मसले में।

12 responses to “देश का भविष्य कक्षा के बाहर”

  1. विवेक रस्तोगी
    सरकार यही तो चाहती है कि बचपन भी जिम्मेदार हो जाये, जिससे विद्यालय में शिक्षा मिले ना मिले परंतु विद्यार्थी को कम से कम यह पता होना चाहिये कि बैंक में कैसे काम होता है और कौन से कागज की जुगाड़ कहाँ से होती है.. धन्य है हमारे देश के भविष्य के नौनिहाल !!
    विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..म्यूचयल फ़ंड में डाइरेक्ट या रेग्यूलर प्लॉन किसमें निवेश करें ?(Where to Invest Mutual fund Direct or Regular plan)
  2. archanachaoji
    बहुत दुखद स्थिती होती जा रही है , …
    archanachaoji की हालिया प्रविष्टी..अगर हम ठान लें मन में …..
  3. भारतीय नागरिक
    आजकल पढ़ने से कुछ नहीं हासिल, बिना पढ़े जरूर पढ़े लिखों पर चाबुक चलाते दिखाई देते हैं.
  4. shakuntala sharma
    यह सच- मुच चिन्तनीय विषय है कि इस देश का बचपन महफूज़ नहीं है , वह कूडा बिन रहा है ।
  5. देवेन्द्र बेचैन आत्मा
    मेरा कहना यहा कि यह ‘चिंतित व्यंग्य’ है।
  6. Kajal Kumar
    :(
    Kajal Kumar की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- सो रहे थे क्‍या ?
  7. प्रवीण पाण्डेय
    भविष्य है वह देश का, आपके पास आ गया है, सही दिशा में बढ़ जायेगा।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..पर्यटन – एक शैली
  8. कट्टा कानपुरी असली वाले
    आप अक्सर सहमे सहमे रहते हो प्रभु …?
    वे भी दिन थे,जब चलने पर,धरती कांपा करती थी,
    मगर आज,वो जान न दिखती,बस्ती के सरदारों में ! -सतीश सक्सेना
    कट्टा कानपुरी असली वाले की हालिया प्रविष्टी..हमने हाथ लगाकर देखा,ठंडक है, अंगारों में -सतीश सक्सेना
  9. Madan Mohan saxena
    सुन्दर ,सरल और प्रभाबशाली रचना। बधाई।
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    सादर मदन
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हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो

http://web.archive.org/web/20140420082850/http://hindini.com/fursatiya/archives/4440

हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो

Classएक सरकारी स्कूल का सीन।
गुरुजी कहीं निकल गये हैं। रोज की तरह। शायद पान खाने गये हैं चौराहे तक।
बच्चे हुड़दंग मचा रहे हैं। कापियां फ़ाड़कर जहाज उड़ाने की उमर से आगे के बच्चे। बारिश हो रही है इसलिये मैदान में बस्ता जमाकर क्रिकेट खेलने से वंचित बच्चे क्लास में अबे-तबे कर रहे हैं। कुछ देर अंताक्षरी खेलने के बाद वे कुछ नया करने की सोचने लगे।
एक बच्चे ने सुझाव दिया- चल बे अपना मॉनीटर चुनते हैं। मजा आयेगा।
अबे मॉनीटर चुनने से क्या होगा? क्या मॉनीटर पर्चा आउट करायेगा? हमको पास करायेगा? – कई लोगों का सवाल था।
अबे नहीं यार, मॉनीटर चुनने से क्लास के हाल सुधर जायेंगे। जैसे देश का अगला प्रधानमंत्री चुनते ही देश के हाल चकाचक हो जायेंगे वैसे ही मॉनीटर बनते ही क्लास का कल्याण हो जायेगा। -मॉनीटर चुनने का सुझाव देने वाले बच्चे ने बताया।
अबे तुम तो मीडिया वालों की तरह बातें करने लगे। लगता है किसी भाड़े के टीवी के एंकर बनोगे आगे चलकर। यहां क्लास में प्रैक्टिस कर रहे हो। करो, करो। जब मीडिया को बेवकूफ़ी करने से नहीं रोका अपन ने तो तुम तो फ़िर भी दोस्त हो।- बच्चे में मीडिया एक्स्पर्ट का अंदाज था।
आखिर में दो बच्चे, जिनकी सब खिल्ली उड़ाते थे अलग-अलग कारणों से , तय हुये मॉनीटर के चुनाव के लिये। दो दल बन गये। प्रचार होने लगा अपने-अपने मॉनीटर पद के प्रत्याशी का।
-अबे तुम्हारा मॉनीटर सुबह जब आंख मलते हुये उठता है तब तक हमारा मॉनीटर चार घंटे का रियाज करके नाश्ता करता है। मॉनीटर नं एक की टीन ने मिसरा उठाया।
-अबे मेरा मॉनीटर सब पढ़ाई रात को करके देर तक टीवी देखकर सोता है। तेरे मॉनीटर की तरह रात का काम सुबह पर नहीं छोड़ता। – दो नंबर मॉनीटर की टीम ने सुर मिलाया।
-अबे तेरा मॉनीटर हिन्दी वाली ’कुमार मित्तल’ से फ़िजिक्स पढ़ता है। -मॉनीटर नंबर एक की टीम व्यक्तिगत स्तर पर उतर आयी।
-अब देख ये सीडी इसमें तेरा मॉनीटर ’रेसनिक हेलीडे’ की फ़िजिक्स की किताब के नीचे इंगलिश टू हिन्दी वाली भार्गव डिस्कशनरी दबाये है। छद्म इंग्लिशिया है तेरा मॉनीटर। -दो नंबरी टीम ने दहला मारा।
Monitor-अबे तेरा मॉनीटर मैदान में निपटने जाता है। कमोड पर बैठ नहीं पाता है।
-अबे तेरा मॉनीटर कमोड पर वज्रासन लगाता है।
-अबे तेरा मॉनीटर अभी तक सर को सर कहना नहीं सीखा- गुरुजी कहता है। बालकांडिया है तेरा मॉनीटर।
-अबे तेरा मॉनीटर तो मोहब्बत की बात ऐसे करता है जैसे लंकाकाण्ड पढ़ रहा हो।
-अबे तेरे को मॉनीटर तो अभी तक बाइक को बाइक कहना नहीं सीखा। मोटर साइकिल बोलता है।
-तेरे वाले को अभी तक लड़कियों से बात करने में शरम आती है। क्या बनेगा क्लास का मॉनीटर?
-तेरा मॉनीटर को सब लड़कियों को बहन जी नमस्ते कहता है। जैसे स्कूल कोई गुरुकुल हो।
-अबे तेरे मॉनीटर की तो नकल के नाम पर नानी मरती है। अपन का मॉनीटर तो गुरुजी की आंख के सामने सबको खुल्लम खुल्ला नकल करवाता है।
-अबे मेरा मॉनीटर सबको पर्चा आउट करवाता है। घर जाकर बताता है। पास कराता है।
-अबे तेरे मॉनीटर को बोलना तक नहीं आता- मिमियाता है।
-अबे तेरे वाला तो हर बात में चिल्लाता है। वीर रस की कविता जैसा सुनाता है।
अचानक गुरु जी के कक्षा में प्रवेश से मॉनीटर सभा में उसी तरह सन्नाटा छा गया जिस तरह परशुराम जी के जनक सभी में प्रवेश से कभी छाया होगा।
गुरुजी ने सब बच्चों को बताया कि आज वे आगामी परीक्षा में आने वाले निबंध का रियाज करायेंगे। विषय बताया – हमारा अगला प्रधानमंत्री कैसा हो?
हमारे मॉनीटर जैसा हो- दोनों मॉनीटरों के समर्थक बच्चे एक साथ चिल्लाये।
गुरु जी ने माजरा समझने के लिये क्लास को घूरना शुरु किया। ऐसा लगा कोई विकसित देश तमाम विकासशील देशों की आत्मनिर्भर होने की कोशिशों को घूर रहा हो। दोनों मॉनीटर पद के प्रत्याशी सर झुकाये अपने पेंसिलें छीलते हुये बगल की कन्याओं की नजरों के इशारे से माहौल का जायजा ले रहे थे जैसे देश के अनेकानेक प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी अपनी पी.आर. एजेंसियों से लेते हैं।
सूचना: तस्वीरें फ़्लिकर से साभार!

15 responses to “हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो”

  1. धीरेन्द्र पाण्डेय
    अबे तेरा मॉनीटर कमोड पर वज्रासन लगाता है। बचपन में नए नए थे तो हमहूँ कमोड पर हिन्दुस्तानी तरीके से बैठे हैं | और आप भी बैठे ही होगे तभी मालुम है
  2. Pawan Mishra
    हमारा प्रधानमंत्री मास्टर जी जैसा हो।
    Pawan Mishra की हालिया प्रविष्टी..आन के लोखरिया सगुन बतावे अपुना कुकुरन से नोचवावे
  3. shikha varshney
    @अबे तेरा मॉनीटर कमोड पर वज्रासन लगाता है।…..हा हा हा …वज्रासन में कैसे बैठ सकते हैं lol.
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..गृह विज्ञान ..किसके लिए ?
  4. Gyandutt Pandey
    जिस देश में इतने तर्कशील बच्चे हों, वहां प्रजातंत्र की जड़ें बरगद की तरह जम चुकी होंगी। शर्तिया।
    Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..शैलेश का उत्तराखण्ड के लिये प्रस्थान
  5. संतोष त्रिवेदी
    …मस्त ।
    .
    .
    मुलुक के परधानमंतरी का चुनाव कक्षा के मनीटर जैसा हो गया !
  6. masijeevi
    परजातंतर किलास से दूर रखा जाए… यहॉं पर शिक्षकों के अधिनायकवाद को जमा रहने दें :)
    masijeevi की हालिया प्रविष्टी..दर्शक की परीक्षा है शांघाई
  7. देवांशु निगम
    यही डिसकसियाने के लिए आपको फोन किये थे, आपका फोने नहीं मिला, अब पता नहीं कैसे चुनाव होगा पिरधानमंतरी का !!!!
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..इतिहास में डुबकी और बिजली का टोका !!!
  8. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो [...]
  9. प्रवीण पाण्डेय
    बच्चे ऐसे ही तर्किया बने रहें..भविष्य दमदार है..
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..महीने भर का ऱाशन या महीने भर का लेखन
  10. उदयन पी के तुलजापूरकर
    आपका ब्‍लाग बहुत ही अच्‍छा है। ज्‍यादा पढने का समय नहीं था इसलिए एक ही चिठ्ठा पढ पाया। बहुत दिनों के बाद अच्‍छी हिंदी पढने को मिली। आपका एक मित्र : उदयन
  11. नाज़िम नक़वी
    फ़ुरसतिया जी…
    कमाल का लेखन… ज्ञानदत्त पांडेय जी की टिप्पणी बिल्कुल सटीक… इंटरनेट का शुक्रिया जिसकी वजह से ये सब संभव हो पा रहा है… बधाई…
  12. हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो | SportSquare
    [...] हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो [...]
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Friday, August 30, 2013

अतिक्रमण हटाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र

http://web.archive.org/web/20140420081746/http://hindini.com/fursatiya/archives/4594

अतिक्रमण हटाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र

encrochmentएक गांव में अवैध दीवार गिराने के चलते हुये एक युवा अधिकारी निलम्बित हो गयीं। पूरे देश में इसका हल्ला है। जनता अधिकारी का समर्थन कर रही है। सरकार को डर है कि देखा-देखी दूसरे अधिकारी भी ईमानदारी और कर्मनिष्ठा के भाव से संक्रमित न हो जायें। अतिक्रमण के साथ-साथ सरकार के लिये भी खतरा है यह संभावित संक्रमण। इसी को ध्यान में रखते हुये सरकार यह नियम बनाने की सोच रही है कि कोई भी अतिक्रमण ढहाने के पहले अनापत्ति प्रमाण लेना अनिवार्य कर दिया। सरकार के सोचते ही पेश किया गया मसौदा इस प्रकार है :
  1. किसी भी किस्म का अतिक्रमण किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये।
  2. किसी भी अतिक्रमण को उसके बनने के पहले ही ढहा दिया जाना चाहिये। इसमें किसी भी किस्म की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
  3. अतिक्रमण से संबंधित किसी भी कार्यवाही कोई हड़बड़ी या गड़बड़ी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ़ कार्यवाही की जायेगी। उनकी चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्टि की जा सकती है।
  4. कोई भी अतिक्रमण ढहाने से पहले ’सक्षम अधिकारी’ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा।
  5. ’सक्षम अधिकारी’ इलाके का हर वह व्यक्ति होगा जिसकी सरकार से किसी भी तरह की नजदीकी है। सीधे सम्पर्क वाले सक्षम अधिकारी को किसी दूसरे के माध्यम से सम्पर्क वाले सक्षम अधिकारी पर तरजीह दी जायेगी।
  6. धर्मनिरपेक्ष सरकार होने के स्थिति में अतिक्रमण वाले इलाके के सभी धर्मगुरुओं की अनापत्ति भी नत्थी करनी होगी।
  7. कई धर्मगुरुओं की राय में मतभेद होने की स्थिति में उस धर्म के धर्मगुरु की राय को वरीयता प्रदान की जायेगी जिससे सरकार के वोट सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
  8. सरकार से संबंधित दल के किसी भी स्तर के पदाधिकारी से जुड़े अतिक्रमण ढहाने से संबंधित प्रस्ताव को सामान्यतया स्वीकार न किया जायेगा। लेकिन अगर दो पदाधिकारियों के बीच आपसी रंजिश है तो प्रभावशाली और बाहुबली पदाधिकारी की राय को वरीयता प्रदान की जायेगी।
  9. सरकार को चंदा देने वाले अतिक्रमण कारियों के विरुद्ध कार्यवाही अमान्य होगी। चंदे की पुष्टि के लिये स्थानीय सांसद/विधायक की राय अंतिम मानी जायेगी।
  10. विरोधी पार्टी के राजनेता और उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति के अतिक्रमण को ढहाने के लिये किसी भी तरह के अनापत्ति प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
  11. लेकिन किसी ऐसी विरोधी पार्टी के राजनेता के खिलाफ़ कार्यवाही बर्दास्त नहीं होगी जिसके पार्टीबदल करके सत्ता पार्टी में आने की संभावना है। इस संबंध में अधिकारी में राजनैतिक सूझ-बूझ होना आवश्यक है।
  12. नयी दुनिया में अतिक्रमण
  13. सरकारी पार्टी को चंदा न देने वाले यदि सरकार को चंदा देने का मन बनाते हैं तो उनके अतिक्रमण को ढहाने के प्रस्ताव को चंदा देने तक स्थगित और चंदा मिलने के बाद निरस्त किया जा सकता है।
  14. ’सक्षम अधिकारी’ की अनुमति मौखिक रूप में ही प्रदान की जायेगी। अतिक्रमण हटाने के बाद किसी बवाल के न होने की स्थिति में ’बैक डेट’ में लिखित अनुमति प्राप्त की जा सकती है।
  15. ’सक्षम अधिकारी’ की अनुमति प्राप्त होने पर भी किसी भी गड़बड़ी की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी और उसे बिना कोई सफ़ाई का मौका दिये निलंबित किया जा सकता है।
  16. ’सक्षम अधिकारी’ उपरोक्त नियमों में से किसी में भी अपनी मर्जी के हिसाब से कुछ भी बदलाव, जोड़-घटाव कर सकता है। बदलाव तत्काल प्रभाव से मान्य होगा।
मसौदा तो तैयार हो गया लेकिन इसको स्वीकृत करने के लिये कोई सक्षम अधिकारी नहीं मिल रहा है। जिसके दिखाओ वही कहता इसको स्वीकृत कराने की क्या आवश्यकता- ये तो पूरे देश में लागू है।

7 responses to “अतिक्रमण हटाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र”

  1. संतोष त्रिवेदी
    मुबारक हो :)
    .
    .सूचना तो आपके पास पहिले से ही थी :)
  2. राहुल सिंह
    बेवजह अनापत्ति प्रमाण पत्र हेतु आवेदन न करें, अनापत्ति होने पर ही अनापत्ति आवेदन स्‍वीकार किए जाएंगे.
    राहुल सिंह की हालिया प्रविष्टी..हरित-लाल
  3. दीपक बाबा
    सबसे पहले तो ‘सक्षम अधिकारी’ को अक्षम करने वालों घेरा जाए.
    दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..सब मिथ्या… सब माया… सब बकवास/गल्प….
  4. प्रवीण पाण्डेय
    जो भी प्रकट या परोक्ष रूप से प्रभावित हो, उन सबसे अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया जाये।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..पर्यटन, रेल और नीरज जाट
  5. indian citizen
    यह मसौदा तो पहले से ही चलन में है।
    indian citizen की हालिया प्रविष्टी..क्या हमारे यहाँ सही अर्थों में लोकतन्त्रिक व्यवस्था लागू है?
  6. arvind mishra
    सक्षम पोस्ट :-)
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..गोरे रंग पर ना गुमान कर.…
  7. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]

Wednesday, August 28, 2013

गिरता रुपया होता चिन्तन

http://web.archive.org/web/20140420082855/http://hindini.com/fursatiya/archives/4663

गिरता रुपया होता चिन्तन

गदहा
पता चला कि इधर रुपये के हाल नासाज हैं। गिर रहा है डालर के मुकाबले। गिर तो खैर पहले भी रहा था लेकिन इधर जरा ज्यादा तेजी से गिर रहा है। गिरता ही चला जा रहा है। मान ही नहीं रहा है। इत्ता कि मीडिया चैनलों के लिये चिन्ता का विषय हो गया है। चैनलों की चिन्ता और चिन्तन का स्तर इस बात से समझिये कि ’देश का अगला प्रधानमंत्री कौन’ तक पर बहस छोड़कर रुपया चिंतन करने लगे हैं।
मजे की बात हमको पिछले दो-तीन दिन में चैनल और अखबार छोड़कर और कोई गिरते रुपये पर चिन्ता करते नहीं दिखा। कल शाम कानपुर आने के लिये स्टेशन के लिये चले तब ड्राइवर ने लगातार बरसते पानी पर चिन्ता व्यक्त की। लेकिन गिरते रुपये के बारे में कोई चर्चा नहीं की। टी.टी. ने टिकट चेक करने के अलावा कोई बात नहीं की। सहयात्रियों में से कईयों ने बार-बार कम्बल से मुंह निकालकर यह पूछा कि गाड़ी कहां पहुंची? किसी के मुंह से हमने यह नहीं सुना कि रुपया कहां पहुंचा?
सबेरे अपनी गाड़ी से ही हमने देखा कि बगल की मालगाड़ी का ड्राइवर सिग्नल के इंतजार में मालगाड़ी के पैनल पर पैर धरे , जैसे दफ़्तर में कुर्सी पर बैठे बाबू लोग मेज पर धरते हैं, अखबार पढ़ रहा था। मालगाड़ी में कोयला लदा था। मन किया कि उससे पूछें कि इसमें कहीं कोयला मंत्रालय की खोयी फ़ाइलें तो नहीं हैं लेकिन तब तक मालगाड़ी ने सीटी बजा दी। फ़िर चल दी।
बाबाप्लेटफ़ार्म पर उतरे तो देखा कि एक आदमी दो गदहों को साथ लिये चला जा रहा था। मन में सोचा कि क्या प्लेटफ़ार्म पर गदहे आ सकते हैं? क्या इनको भी प्लेटफ़ार्म टिकट लेना होता है? लेकिन फ़िर यह सोचकर कि जब गाड़ी और आदमी प्लेटफ़ार्म पर आ सकते हैं तो ये गदहे क्यों नहीं? आगे एक बाबा अकेले बैठे थे। आजकल दिन की रोशनी में किसी बाबा का अकेले रहना बड़ा अटपटा लगता है। लगा कि ये बाबा कोई महंत होते तो इनकी सुबह इतनी अकेली नहीं होती। गदहे, उसके मालिक और बाबा में से किसी ने भी मुझसे रूपये के अवमूल्यन पर चर्चा नहीं की। सब इस राष्ट्रीय समस्या से उदासीन दिखे।
आगे चले तो देखा कि पटरी पर जाती गाड़ी के गुजर जाने का इंतजार करते हुये एक दूधिया अपने दूध के पीपे को स्टूल सरीखा बनाये बैठा था। सर नीचे झुकाये कुछ सोचता सा दिखा वह। लेकिन उसके सोचने के अंदाज से यह कत्तई नहीं लगा कि वह गिरते रुपये को देखकर हलकान है।
बाहर निकलते ही एक ऑटो वाले ने हमको लपक लिया। किराया उत्ता ही बताया जित्ता उस समय बताया था जब डॉलर 54 रुपये पर थी। आज डॉलर के 68 रुपये पर पहुंचने पर भी किराया वही था। हमने सोचा कि शायद मांग भले न रहा लेकिन गिरते रुपये से कुछ तो चिन्तित होगा अगला। लेकिन उसने गिरते रुपये पर कोई चिन्ता जाहिर नहीं की।निश्चिन्तता से मुंह ऊपर उठाकर आंख मूंदकर मसाला मुंह के हवाले किया और झटके से ऑटो स्टार्ट कर दिया।
रास्ते में हमने ऑटो वाले को उसके मसाला खाने की आदत पर टोंका। बताया कि नुकसान करता है। उसने कहा कि ऑटो लाइन में बिना मसाले के गुजारा नहीं। आदत पड़ जाती है। लेकिन हम माने नहीं। उसको समझाते ही रहे कि मसाला नुकसान करता है। वो नहीं माना तो उसके बच्चों को घसीट लिया बातचीत में। कहा- मसाला खाने से तुम्हें कुछ हो गया तो बच्चों को कौन देखेगा। बच्चों की बात आने पर वह मेरे तर्क से पसीज सा गया। उसने आश्वासन दिया कि वह मेरी बात पर गौर करेगा। यह वायदा उसने उसी अधबने ओवरब्रिज के पास किया जो पिछले तीन-चार साल से अधबना है और जिसके ’इसी साल पूरा हो जाने’ की घोषणा यदा कदा लोग करते रहते हैं। घर पहुंचने तक ऑटो वाले ने न मंहगाई का जिक्र किया और न ही रुपये के अवमूल्यन का।
दूधवालाघर में भी किसी ने गिरते रुपये पर चिन्ता नहीं की। अलबत्ता आशाराम को जरूर गरियाया जाते सुना मैंने जब टीवी पर उनका चेहरा दिखा। हमारे घर वालों तक को पता है कि आशाराम का पैसा कहां-कहां लगा है। क्या-क्या लीलायें करता रहतें है ये संतई की आड़ में।
शाम को फ़िर जब प्राइमटाइम पर गिरते रुपये की चर्चा सुनी तो लगा कि और चैनलों के अलावा कोई क्यों नहीं चिन्तित है गिरते रुपये के बारे में?
कहीं यह चैनल वालों की ’देश का अगला प्रधानमंत्री कौन’ विषय को पीछे धकेलने की साजिश तो नहीं?
सोचने को तो हम यह भी सोचने लगे कि रूपये के अवमूल्यन का कारण यह है कि देश को चलाने वाले उसे गदहा समझ कर हांक रहे हैं, संपन्न लोग निठल्ले बाबाओं के आश्रम में शांति तलाश रहे हैं और आम जनता रेल की पटरी के किनारे सर पर हाथ धरे बैठे दूधिये की तरह इस इंतजार में है कभी तो लाइन क्लियर होगी। कभी तो यह कलयुग निपटेगा।
यह सोचते-सोचते बगल के कमरे से आवाज आई- आओ कृष्ण का जनम होने वाला है। पूजा करो। घंटा बजाओ। आरती उतारो।
हमें लगता है कृष्ण भी गिरते रुपये को अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वन की तरह थाम लेने की मंशा से आये हैं।
आपको क्या लगता है?

20 responses to “गिरता रुपया होता चिन्तन”

  1. देवांशु निगम
    बड़ा मुश्किल काम थमा दिए आप भगवान् को हैप्पी बड्डे वाले दिन, ऐसा नहीं करिए , गलत बात है |
    हम सब हमेशा की तरह वेटिंग मोड में हैं , कुछ दिनों में या तो रुपया सुधर जाएगा या सिधार जाएगा :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..१५ अगस्त का तोड़ू-फोड़ू दिन !!!
  2. प्रतिभा सक्सेना
    बेचारे लोग ! रुपए -डालर वाले हिसाब पर ध्यान दें कैसे -अपने चक्कर से बाहर निकलें तब न !!
  3. प्रवीण पाण्डेय
    हमने अपना रुपया ऊँची अल्मारी में रख दिया है, हो सकता है, वहाँ से न गिरे।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..पर्यटन, रेल और नीरज जाट
  4. arvind mishra
    गिरता रुपैया उठता चिंतन -बढियां है !
    दो चार दिनों में सब फरिया जाएगा घबराईये मत !
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..गोरे रंग पर ना गुमान कर.…
  5. भारतीय नागरिक
    आटो वाला भी बढ़ती करके माँग लेगा जैसे ही सीएनजी के दाम बढ़ेंगे. वैसे आपका यह लेख म०प्र०कांग्रेस कमेटी के काफी काम आयेगा. विश्वास न हो तो उनकी फेसबुक वाल देख लीजिये.
  6. rachna
    पता नहीं लोग रूपए के गिरने से इतना क्यूँ परेशान हैं , जब ओनिडा , विडियोकौन न खरीद कर एल जी कारिड कर गिरे तब नहीं परेशान हुए। जब वालमार्ट को भारत बुला कर गिरे तब नहीं परेशान हुए , जब कॉटन ना पहन कर नायलॉन पहन कर गिरे तब नहीं परेशान हुए तो रूपए का गिरना तो मामूली बात हैं
  7. पंछी
    भगवान भी किस किस को उठाएंगे… सभी कुछ तो गिर रहा है :)
    पंछी की हालिया प्रविष्टी..Poem on Janmashtami in Hindi
  8. सतीश सक्सेना
    गिरते रुपय्ये की चिंता लगी है !
    काहे पान वाले पे, नज़रें जमीं है !
    जीवन की शिक्षा तुम्हें सीखना हो
    हमें दूधिये की, बेफिक्री लगी है !
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..कौन किसे सम्मानित करता,खूब जानते मेरे गीत -सतीश सक्सेना
  9. कट्टा कानपुरी असली वाले
    ऊपर वाले कमेन्ट पर सतीश सक्सेना का नाम गलत छाप गया है उसे कट्टा कानपुरी असली वाले के नाम से जाना जाए !
    कट्टा कानपुरी असली वाले की हालिया प्रविष्टी..कौन किसे सम्मानित करता,खूब जानते मेरे गीत -सतीश सक्सेना
  10. देवेन्द्र बेचैन आत्मा
    मस्त।
  11. Anonymous
    बढ़िया व्यंग्य मजेदार लगा !
    1. suman patil
      बढ़िया व्यंग्य मजेदार लगा !
  12. दीपक बाबा
    थोडा फुर्सत मिले तो पता कीजिएगा…
    रूपये के गिरने में कहीं विदेशी हाथ तो नहीं .:)
    दीपक बाबा की हालिया प्रविष्टी..सब मिथ्या… सब माया… सब बकवास/गल्प….
  13. sharmila ghosh
    बहुत बढ़िया पोस्ट है अनूप जी.
  14. shefali pande
    जब गिरा है तभी तो नज़रों में चढ़ा है |
  15. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] गिरता रुपया होता चिन्तन [...]
  16. संतोष त्रिवेदी
    क्या बात है …?
    .
    .उम्दा।
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