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सावधानी संरक्षण सिद्धांत
By फ़ुरसतिया on November 30, 2012
आज सुबह चाय बड़ी सावधानी से पी। प्लेट की चाय कप से लगकर कपड़े में न
गिर जाये इसलिये प्लेट कप के नीचे ही धरे रहे। चाय लाने वाले की ने
असावधानी चाय पीने वाले को सावधान बना दिया।
सोचते हैं कि इस बात को ’सावधानी संरक्षण सिद्धांत’ के कपड़े पहना दिये जायें।
1.दुनिया में सावधानी और असावधानी की कुल मात्रा स्थिर होती है। सावधानी और असावधानी को न तो पैदा किया जा सकता है न नष्ट। बस उनका आपस में रूप परिवर्तन किया जा सकता है।
2.किसी काम में उपलब्ध असावधानी के अवसर उस काम के पहले बरती गयी सावधानी के समानुपाती होते हैं। अगर पहले सावधान रहे तो बाद में असावधान रहने के मौके मिल सकते हैं। पहले से लापरवाही बरती तो आगे सावधान रहना पड़ेगा।
चाय वाले उदाहरण से समझा जाये तो चाय लाने वाले ने लाने में असावधानी बरती इसलिये पीते समय सावधान रहना पड़ा। अगर वो लाने में सावधानी बरतता तो पीते समय थोड़ा लापरवाह रहा जा सकता था।
सावधानी आमदनी की तरह है। लापरवाही खर्चे की भांति। जित्ती ज्यादा सावधानी जमा होगी उत्ता ज्यादा लापरवाह रहने की सुविधा मिलेगी।
बाप-दादे सावधानी से कमाते हैं। औलादें बेफ़िक्र होकर खर्चते हैं। बेफ़िक्र बुजुर्गों की संतानों को जीने के लिये सावधान रहना पड़ता है।
जिम्मेदारी से पढ़ने वाले इम्तहान में बिन्दास रहते हैं। इम्तहान के पहले असावधान रहने वालो को परीक्षा भवन में सावधान रहना पड़ता है- कौन जेब में कौन सवाल की पुर्जी है। पकड़ गये तो बचेंगे कि साल बेकार जायेगा।
स्कूल, पेशा, पार्टी चुनने में सावधानी बरतने वाले आगे बेफ़्रिक्र रहते हैं। अपना आका चुनने में चौकस रहने वाले आगे मस्त रहते हैं। भगवान भी जिनका पावरफ़ुल रहता है उनके यहां ’किरपा’ भी बढिया क्वालिटी की बरसती है। नेता सावधानी से चुनिये, इसके बाद सब लफ़ड़ों से लापरवाह हो जाइये।
अभी देखिये दो संपादक लोग जेल गये। अगर वे बातचीत में सावधानी बरतते तो बेफ़िक्र रहकर अपना काम कर रहे थे। उनकी असावधानी ने अगले को सावधानी बरतने के लिये मजबूर कर दिया।
मुंबई की लड़कियों ने लापरवाही से कमेंट किया और लाइक भी। वहां की पुलिस को मजबूरन सावधान होना पड़ा। अब चूंकि पुलिस गुंडों से निपटने में अमूमन लापरवाह रहती है इसलिये भले लोगों से निपटने में उसको चौकस होना ही पड़ता है।
अमेरिकी बैंक लोन बांटने में गैरजिम्मेदार रहे। बाद में उनको इत्ती सावधानी बरतनी पड़ी कि पसीने आ गये उनके।
पता चला है कि पृथ्वी पर बढ़ते अत्याचार और धर्म की हानि का हवाला देकर भगवान ने एक बार फ़िर से अवतार लेने की अनुमति मांगी थी। लेकिन उनकी अर्जी लंबित पड़ी है। जांच बैठ गयी है इस बात के लिये कि उनके चेले जगह-जगह जमीन पर कब्जा करके कमाई करने में लगे हैं। अपराधियों से चढ़ावा लेने की भी बात पता चली है। पहले अवतार के समय की असावधानी भगवान को भारी पड़ रही है।
लोग कहते हैं ’सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ इसका मतलब यह है कि सावधानी कम करो, ज्यादा करो लेकिन उसको हटाओ मती। जहां वो हटी तो उसकी जगह पर दुर्घटना कब्जा कर लेगी। जगह की कीमतें हरेक के लिये बढ़ी हैं भाई।
कुछ लोग तो इसकी व्याख्या करते हुये बताते हैं -सावधानी हटाने से दुर्घटना घट जाती है मतलब कम हो जाती है।
इत्ता टाइप करने के बाद देख रहे हैं कि घड़ी हमको सावधान कर रही है। चलो उठो दफ़्तर तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
सोचते हैं कि इस बात को ’सावधानी संरक्षण सिद्धांत’ के कपड़े पहना दिये जायें।
1.दुनिया में सावधानी और असावधानी की कुल मात्रा स्थिर होती है। सावधानी और असावधानी को न तो पैदा किया जा सकता है न नष्ट। बस उनका आपस में रूप परिवर्तन किया जा सकता है।
2.किसी काम में उपलब्ध असावधानी के अवसर उस काम के पहले बरती गयी सावधानी के समानुपाती होते हैं। अगर पहले सावधान रहे तो बाद में असावधान रहने के मौके मिल सकते हैं। पहले से लापरवाही बरती तो आगे सावधान रहना पड़ेगा।
चाय वाले उदाहरण से समझा जाये तो चाय लाने वाले ने लाने में असावधानी बरती इसलिये पीते समय सावधान रहना पड़ा। अगर वो लाने में सावधानी बरतता तो पीते समय थोड़ा लापरवाह रहा जा सकता था।
सावधानी आमदनी की तरह है। लापरवाही खर्चे की भांति। जित्ती ज्यादा सावधानी जमा होगी उत्ता ज्यादा लापरवाह रहने की सुविधा मिलेगी।
बाप-दादे सावधानी से कमाते हैं। औलादें बेफ़िक्र होकर खर्चते हैं। बेफ़िक्र बुजुर्गों की संतानों को जीने के लिये सावधान रहना पड़ता है।
जिम्मेदारी से पढ़ने वाले इम्तहान में बिन्दास रहते हैं। इम्तहान के पहले असावधान रहने वालो को परीक्षा भवन में सावधान रहना पड़ता है- कौन जेब में कौन सवाल की पुर्जी है। पकड़ गये तो बचेंगे कि साल बेकार जायेगा।
स्कूल, पेशा, पार्टी चुनने में सावधानी बरतने वाले आगे बेफ़्रिक्र रहते हैं। अपना आका चुनने में चौकस रहने वाले आगे मस्त रहते हैं। भगवान भी जिनका पावरफ़ुल रहता है उनके यहां ’किरपा’ भी बढिया क्वालिटी की बरसती है। नेता सावधानी से चुनिये, इसके बाद सब लफ़ड़ों से लापरवाह हो जाइये।
अभी देखिये दो संपादक लोग जेल गये। अगर वे बातचीत में सावधानी बरतते तो बेफ़िक्र रहकर अपना काम कर रहे थे। उनकी असावधानी ने अगले को सावधानी बरतने के लिये मजबूर कर दिया।
मुंबई की लड़कियों ने लापरवाही से कमेंट किया और लाइक भी। वहां की पुलिस को मजबूरन सावधान होना पड़ा। अब चूंकि पुलिस गुंडों से निपटने में अमूमन लापरवाह रहती है इसलिये भले लोगों से निपटने में उसको चौकस होना ही पड़ता है।
अमेरिकी बैंक लोन बांटने में गैरजिम्मेदार रहे। बाद में उनको इत्ती सावधानी बरतनी पड़ी कि पसीने आ गये उनके।
पता चला है कि पृथ्वी पर बढ़ते अत्याचार और धर्म की हानि का हवाला देकर भगवान ने एक बार फ़िर से अवतार लेने की अनुमति मांगी थी। लेकिन उनकी अर्जी लंबित पड़ी है। जांच बैठ गयी है इस बात के लिये कि उनके चेले जगह-जगह जमीन पर कब्जा करके कमाई करने में लगे हैं। अपराधियों से चढ़ावा लेने की भी बात पता चली है। पहले अवतार के समय की असावधानी भगवान को भारी पड़ रही है।
लोग कहते हैं ’सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ इसका मतलब यह है कि सावधानी कम करो, ज्यादा करो लेकिन उसको हटाओ मती। जहां वो हटी तो उसकी जगह पर दुर्घटना कब्जा कर लेगी। जगह की कीमतें हरेक के लिये बढ़ी हैं भाई।
कुछ लोग तो इसकी व्याख्या करते हुये बताते हैं -सावधानी हटाने से दुर्घटना घट जाती है मतलब कम हो जाती है।
इत्ता टाइप करने के बाद देख रहे हैं कि घड़ी हमको सावधान कर रही है। चलो उठो दफ़्तर तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
Posted in बस यूं ही | 32 Responses
sonal की हालिया प्रविष्टी..मेरे शहर में
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..शिक्षा – एक वार्तालाप
ajit gupta की हालिया प्रविष्टी..केरियर, बॉस और विदेश के कारण विस्मृत पिता और परिवार
जनाब वाकई फुर्सत में रहते है , मतलब इ कि दफ्तर जाने से पहले ही सावधानी पूर्वक इस विषय पर सोचा जा रहा है, न केवल सोचा जा रहा अपितु पोस्ट भी ठेल दिए, उसके बाद भी तुर्रा ये कि दफ्तर जाना है.
शुक्र है आज सन्डे नहीं, नहीं तो “सावधानी संरक्षण सिद्धांत’” लघु पुस्तक के रूप में मिलता.
जय हो भक्तों की.
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..भाग दरिद्दर!
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..अपनी फ़िक्र पहले…
कल 01/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
प्रणाम.
अब कितना भी सावधान रहने की कोशिश करें, आपको पढ़ते ही चेहरे पर मुस्कान आ ही जाती है और फ़िर दुर्घटना घट जाती है.
sanjay @ mo sam kaun…..? की हालिया प्रविष्टी..ये बात तो सही है…
पोस्ट की रोचकता का जबाब नहीं………..