आज हम अपने एक मित्र से मिलने गए। रास्ते में याद आया कि मुझे पैसे भी निकालने हैं। मेरा खाता स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया में है। जब तक याद आया तब तक स्टेट बैंक का एटीएम पार हो गया था। आगे एच. डी. ऍफ़. सी. का एटीएम दिखा। बगल में बैंक। हम घुस गए एटीएम चैंबर में और अपना एटीएम कार्ड मशीन के हवाले कर दिया। स्क्रीन पर मीनू का इंतजार करने लगे कि अनूप शुक्ल का स्वागत होगा। पिन नम्बर माँगा जाएगा या ऐसा ही कुछ। लेक
िन कोई हलचल न हुई। हमने स्क्रीन पर देखा तो निम्न निर्देश दिए गए थे:
1. अपनी कार्ड डालिये।
2. मशीन आपके कार्ड को पढ़े तब तक प्रतीक्षा करिये।
3. लेनदेन आगे बढ़ाने के लिए कार्ड स्लॉट से अपना कार्ड वापस लीजिये।
हम कार्ड डालकर प्रतीक्षा करते रहे। कार्ड वापस लेने वाली कार्यवाही नहीं हुई। हमें लगा कि मशीन कार्ड पढ़ रही है। पढ़ने दो आराम से। जब दो तीन मिनट हो गए और कोई सूचना नहीं आई स्क्रीन पर तो सोचना शुरू किया कि बहुत धीमा है ये एटीएम। यह भी सोचा कि कहीं मशीन अनपढ़ तो नहीँ जो किसी और से पढ़वाने गयी हो कार्ड।
पांच मिनट से अधिक हो गए तो और कुछ नहीं हुआ तो मैंने कैंसल से शुरू करके सारे बटन दबा डाले मशीन के। मशीन को कोई फर्क नहीं पड़ा। फिर मैं बगल में ही स्थित एच डी ऍफ़ सी बैंक गया। समस्या बताई तो दरबान बोला-'आपका कार्ड अंदर चला गया। सोमवार को मिलेगा।गोलबाजार आफिस से।'
मैंने पूछा-'अंदर कैसे चला गया। सोमवार को क्यों मिलेगा? आज क्यों नहीं?'
उसने बताया कि मशीन ने कार्ड पढ़ने के बाद बाहर किया होगा। आपने कार्ड वापस लिया नहीं होगा इसलिए अंदर चला गया। कल इतवार है इसलिए अब परसों ही मिलेगा।
मुझे याद आया कि कार्ड मशीन के अंदर से बाहर तो आया था लेकिन उसके साथ कोई सूचना नहीँ आई थी कि कार्ड वापस ले लीजिये वरना अंदर चला जाएगा तो अगले दिन मिलेगा। मैं तो स्क्रीन पर सूचना का इंतजार ही करता रहा और उधर कार्ड मशीन ने गिरफ्तार कर लिया। अब जमानत सोमवार को होगी। पहचान पत्र और बैंक की अपडेटेट पासबुक के साथ जाना होगा।
जबसे एटीएम आया करीब 15-20 साल हुए होंगे हमारे साथ इस तरह का पहला हादसा था। इसके पहले पैसे नहीं निकले, कट गए, एटीएम कार्ड नहीं काम किया, पिन गलत होने पर पैसा नहीं निकला, पैसे कम हो गए, मशीन में फंस गए। सब हुआ और सबके समाधान हुए। तार्किक सा लगा वह सब। लेकिन एटीएम कार्ड आप निकालना भूल जाओ वह मशीन अपने में कर ले और कहे -'जाओ कल आना कार्ड लेने।' यह पहली बार हुआ। ग्राहक को उसकी अज्ञानता की जैसे सजा सुनाई हो एटीएम ने एक दिन के लिए।
मैंने बैंक के कर्मचारी से बात की। बोली मैनेजर नहीं है। मैंने कहा-' ये कैसी मशीन है आपकी जो बिना बताये कार्ड जब्त कर लेती है और कहती है कल आना। ऐसा तो मैंने कभी नहीं देखा पहले।'
मन में शायद उसने यही बोला हो कि चलिए इसी बहाने यह भी देख लिया। लेकिन प्रकट में बोली-'सर, हमारे एच डी ऍफ़ सी में तो ऐसा ही होता है।'
हमने पूछा-'आप एच डी ऍफ़ सी की कर्मचारी की तरह नहीं एक आम नागरिक की तरह भी सोचें।मैं तो जबलपुर में हूँ, आ जाऊँगा परसों। लेकिन कोई बाहर का आदमी हो। मुम्बई ,कलकत्ता से आया हो। उसको पैसे की जरूरत हो। ट्रेन हो शाम को। वह क्या करेगा? वह पासबुक भी तो लेकर नहीँ चलेगा न।'
इस पर उसने बड़ी मासूमियत से कहा-' सर, कार्ड तो आजकल बैंक से फौरन बन जाते हैं। कोई प्राब्लम होगी तो दूसरा एटीएम बन जाता है।'
यह सुनकर मुझे जो लगा सो लगा लेकिन मैंने कहा यही कि बैंक में दूसरा एटीएम बनने के पहले भी तो एफआईआर करानी होगी। थाने में मुंशी जरूरी थोड़ी फौरन लिख ले ऍफ़ आई आर।
लेकिन उसकी भी सीमाएं होंगी। वह कुछ बोली नहीं। चुप रही। मैं भी चुपचाप चला आया।
मेरा इस तरह का पहला अनुभव था कि कार्ड वापस न लेने पर मशीन कार्ड जब्त कर ले। ज्यादातर बैंक एटीएम कार्ड स्वैप करने वाली मशीन इस्तेमाल करते हैं। कुछ में ऐसा होता है कि कार्ड मशीन रख लेती है और पूरे ट्रांजैक्शन होने के बाद वापस कर देती है। लेकिन यहां तो बिना किसी कार्यवाही के मशीन ने जब्त कर लिया।
पता नहीं किस तर्क को ध्यान में रखकर इस तरह की मशीन बनाई गयी होगी। हो सकता है यह सोचा गया हो कि अगर कार्ड वापस नहीं लिया तो कहीं चला तो नहीं गया कार्ड धारक। कोई दूसरा इसका गलत इस्तेमाल न कर ले इसलिए धर लो इसे। जब असली मालिक आयेगा , सबूत सहित तो उसे दे देंगे कार्ड।
अगर यही तर्क है तो ठीक नहीं है। कोई भी व्यक्ति एटीएम आता है तो या तो पैसे का लेनदेन करने बैलेंस की जानकारी लेने। वह लिए बिना क्यों जाएगा। खाली कार्ड डालकर भूल जाने के लिए थोड़ी कोई आएगा।
व्यवस्था यह होनी चाहिए कि कार्ड मशीन से बाहर आ जाने के बाद फौरन स्क्रीन पर मीनू आना चाहिए। कार्ड निकलने के बाद ही आगे कोई कार्यवाही होनी चाहिए। न निकाले कार्ड तो आगे कुछ न हो।
बहरहाल आज के अनुभव के बाद यह कसम खाई की आइन्दा से एच डी ऍफ़ सी के एटीएम में कदम न रखेंगे। रखना भी पड़ा तो कार्ड डालें भले बाद में लेकिन निकाल पहले लेंगे।
आपके साथ भी कभी हुआ है क्या ऐसा?
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िन कोई हलचल न हुई। हमने स्क्रीन पर देखा तो निम्न निर्देश दिए गए थे:
1. अपनी कार्ड डालिये।
2. मशीन आपके कार्ड को पढ़े तब तक प्रतीक्षा करिये।
3. लेनदेन आगे बढ़ाने के लिए कार्ड स्लॉट से अपना कार्ड वापस लीजिये।
हम कार्ड डालकर प्रतीक्षा करते रहे। कार्ड वापस लेने वाली कार्यवाही नहीं हुई। हमें लगा कि मशीन कार्ड पढ़ रही है। पढ़ने दो आराम से। जब दो तीन मिनट हो गए और कोई सूचना नहीं आई स्क्रीन पर तो सोचना शुरू किया कि बहुत धीमा है ये एटीएम। यह भी सोचा कि कहीं मशीन अनपढ़ तो नहीँ जो किसी और से पढ़वाने गयी हो कार्ड।
पांच मिनट से अधिक हो गए तो और कुछ नहीं हुआ तो मैंने कैंसल से शुरू करके सारे बटन दबा डाले मशीन के। मशीन को कोई फर्क नहीं पड़ा। फिर मैं बगल में ही स्थित एच डी ऍफ़ सी बैंक गया। समस्या बताई तो दरबान बोला-'आपका कार्ड अंदर चला गया। सोमवार को मिलेगा।गोलबाजार आफिस से।'
मैंने पूछा-'अंदर कैसे चला गया। सोमवार को क्यों मिलेगा? आज क्यों नहीं?'
उसने बताया कि मशीन ने कार्ड पढ़ने के बाद बाहर किया होगा। आपने कार्ड वापस लिया नहीं होगा इसलिए अंदर चला गया। कल इतवार है इसलिए अब परसों ही मिलेगा।
मुझे याद आया कि कार्ड मशीन के अंदर से बाहर तो आया था लेकिन उसके साथ कोई सूचना नहीँ आई थी कि कार्ड वापस ले लीजिये वरना अंदर चला जाएगा तो अगले दिन मिलेगा। मैं तो स्क्रीन पर सूचना का इंतजार ही करता रहा और उधर कार्ड मशीन ने गिरफ्तार कर लिया। अब जमानत सोमवार को होगी। पहचान पत्र और बैंक की अपडेटेट पासबुक के साथ जाना होगा।
जबसे एटीएम आया करीब 15-20 साल हुए होंगे हमारे साथ इस तरह का पहला हादसा था। इसके पहले पैसे नहीं निकले, कट गए, एटीएम कार्ड नहीं काम किया, पिन गलत होने पर पैसा नहीं निकला, पैसे कम हो गए, मशीन में फंस गए। सब हुआ और सबके समाधान हुए। तार्किक सा लगा वह सब। लेकिन एटीएम कार्ड आप निकालना भूल जाओ वह मशीन अपने में कर ले और कहे -'जाओ कल आना कार्ड लेने।' यह पहली बार हुआ। ग्राहक को उसकी अज्ञानता की जैसे सजा सुनाई हो एटीएम ने एक दिन के लिए।
मैंने बैंक के कर्मचारी से बात की। बोली मैनेजर नहीं है। मैंने कहा-' ये कैसी मशीन है आपकी जो बिना बताये कार्ड जब्त कर लेती है और कहती है कल आना। ऐसा तो मैंने कभी नहीं देखा पहले।'
मन में शायद उसने यही बोला हो कि चलिए इसी बहाने यह भी देख लिया। लेकिन प्रकट में बोली-'सर, हमारे एच डी ऍफ़ सी में तो ऐसा ही होता है।'
हमने पूछा-'आप एच डी ऍफ़ सी की कर्मचारी की तरह नहीं एक आम नागरिक की तरह भी सोचें।मैं तो जबलपुर में हूँ, आ जाऊँगा परसों। लेकिन कोई बाहर का आदमी हो। मुम्बई ,कलकत्ता से आया हो। उसको पैसे की जरूरत हो। ट्रेन हो शाम को। वह क्या करेगा? वह पासबुक भी तो लेकर नहीँ चलेगा न।'
इस पर उसने बड़ी मासूमियत से कहा-' सर, कार्ड तो आजकल बैंक से फौरन बन जाते हैं। कोई प्राब्लम होगी तो दूसरा एटीएम बन जाता है।'
यह सुनकर मुझे जो लगा सो लगा लेकिन मैंने कहा यही कि बैंक में दूसरा एटीएम बनने के पहले भी तो एफआईआर करानी होगी। थाने में मुंशी जरूरी थोड़ी फौरन लिख ले ऍफ़ आई आर।
लेकिन उसकी भी सीमाएं होंगी। वह कुछ बोली नहीं। चुप रही। मैं भी चुपचाप चला आया।
मेरा इस तरह का पहला अनुभव था कि कार्ड वापस न लेने पर मशीन कार्ड जब्त कर ले। ज्यादातर बैंक एटीएम कार्ड स्वैप करने वाली मशीन इस्तेमाल करते हैं। कुछ में ऐसा होता है कि कार्ड मशीन रख लेती है और पूरे ट्रांजैक्शन होने के बाद वापस कर देती है। लेकिन यहां तो बिना किसी कार्यवाही के मशीन ने जब्त कर लिया।
पता नहीं किस तर्क को ध्यान में रखकर इस तरह की मशीन बनाई गयी होगी। हो सकता है यह सोचा गया हो कि अगर कार्ड वापस नहीं लिया तो कहीं चला तो नहीं गया कार्ड धारक। कोई दूसरा इसका गलत इस्तेमाल न कर ले इसलिए धर लो इसे। जब असली मालिक आयेगा , सबूत सहित तो उसे दे देंगे कार्ड।
अगर यही तर्क है तो ठीक नहीं है। कोई भी व्यक्ति एटीएम आता है तो या तो पैसे का लेनदेन करने बैलेंस की जानकारी लेने। वह लिए बिना क्यों जाएगा। खाली कार्ड डालकर भूल जाने के लिए थोड़ी कोई आएगा।
व्यवस्था यह होनी चाहिए कि कार्ड मशीन से बाहर आ जाने के बाद फौरन स्क्रीन पर मीनू आना चाहिए। कार्ड निकलने के बाद ही आगे कोई कार्यवाही होनी चाहिए। न निकाले कार्ड तो आगे कुछ न हो।
बहरहाल आज के अनुभव के बाद यह कसम खाई की आइन्दा से एच डी ऍफ़ सी के एटीएम में कदम न रखेंगे। रखना भी पड़ा तो कार्ड डालें भले बाद में लेकिन निकाल पहले लेंगे।
आपके साथ भी कभी हुआ है क्या ऐसा?
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