कल रात देर तक पानी बरसता रहा। टप टप। बादल हमसे बोला भी एक दो बार गरजकर, आओ मेरे जलवे देखो।
हम नहीं आये झांसे में। दुबककर सो गए। कुछ किताबें बगल में धर लिए जिससे कि सपने में कोई आये तो हवा-पानी पड़े। वह भी सोचे कि पढ़ने-लिखने वाला आदमी है। कोई अच्छा सपना दिखाना चाहिए इसको।
सपने के नाम पर एक गाना है न, 'कल रात मैंने सपना देखा, तेरी झील सी गहरी आँखों में।' कितना हसीन लेकिन उससे ज्यादा बीहड़ सपना है। सपना देखने के लिए किसी झील सी गहरी आँखों की कल्पना करें।
हम नहीं आये झांसे में। दुबककर सो गए। कुछ किताबें बगल में धर लिए जिससे कि सपने में कोई आये तो हवा-पानी पड़े। वह भी सोचे कि पढ़ने-लिखने वाला आदमी है। कोई अच्छा सपना दिखाना चाहिए इसको।
सपने के नाम पर एक गाना है न, 'कल रात मैंने सपना देखा, तेरी झील सी गहरी आँखों में।' कितना हसीन लेकिन उससे ज्यादा बीहड़ सपना है। सपना देखने के लिए किसी झील सी गहरी आँखों की कल्पना करें।
झील के नाम
पर हमारे पास ही 'रॉबर्टसन झील' है। वहां तक पहुंचने के पहले उसके आसपास के
अवैध कब्जे से होते हुए गुजरना होता है।यह कब्जा बिना 'भूमि अधिग्रहण
क़ानून' के आम लोगों ने किया है। बताते हैं प्रदेश के एक छुटभैये नेता ने
लोगों को इस झील के पास की जमीन पर कब्जा करने में सहयोग किया। फिर
कब्जेदारों के वोटों के सहयोग से चुनाव जीतकर प्रभावी , वरिष्ठ और लोकप्रिय
नेता होते हुए परमगति को प्राप्त होकर अमर हो गए।
लेकिन हमको झील वाले बवालिया सपने नहीँ आते। हमको हमारी औकात वाले सपने ही आते हैं। कल भी आया ।वही लिखाई-पढ़ाई और इम्तहान वाला। सपने में देखा कि इन्तहान के दिन नजदीक आ गए हैं लेकिन पढ़ाई बिलकुल नहीं हुई है। कोर्स अधूरा है। डर लग रहा है कि कैसे पूरा होगा कोर्स।
आज के सपने में एक और लफड़ा हुआ कि आज दो-दो इम्तहान देने का सपना आया। दोनों की तारीखें आपस में भिड़ी हुई हैं। पर्चे एक ही दिन। मजे की बात की इंटर और ग्रेजुएशन के इम्तहान एक साथ देने हैं। तय किया कि एक इम्तहान छोड़ देंगे। कौन सा छोड़ना है यह तय नहीं किया। जाहिर है कि पहले इंटर वाला पर्चा ही देंगे।लेकिन यह अच्छा हुआ कि कोई इम्तहान देना नहीँ पड़ा। बिना पढ़े ही सपना खत्म हो गया।
हमें हमेशा ये इम्तहान वाला सपना ही आता है।कोर्स ज्यादा है,तैयारी अधूरी। शायद इसलिए कि तमाम काम अधूरे छूटने का एहसास रहता है अवचेतन में।सोचते ज्यादा हैं करने की, हो कम पाता है। बजट घाटे की तरह काम-घाटा सपने में आता है। काम का दबाब मतलब व्यक्तिगत,सामजिक और दफ्तरी काम का दबाब।बगल में धरी मोती किताबें भी सपने में शामिल हो जाती होंगी-'अभी हमें पढ़ा जाना बाकी है।'
मैं सोचता हूँ कि क्या हमारी तरह और लोगों को भी सपने आते होंगे? क्या उनको भी अधूरे काम की चिंता सताती होगी? आते तो जरूर होंगे। प्रेम करने वालों/वालियों के सपने में उनके प्रेमी/प्रेमिकाएं हीरो/हीरोइनों की तरह आते होंगे।बेरोजगारों के सपने में नौकरी आती होगी। नौकरी करने वालों के सपने में प्रोन्नति दिखती होगी। कुछ को बर्खास्तगी का सपना आता होगा।युवा होती लड़कियों के माँ-बाप को सपने में दामाद दीखते होंगे।
यह तो आम लोगों के सपने हुए। घरेलू टाइप। कुछ लोग अलग टाइप के सपने भी देखते होंगे।आतंकवादी सपने में देखते होंगे -'इतने लोगों को ठिकाने लगा दिया, अब इतनों को और लगाना है।'
कोई देखता होगा-'इतनी जमीन हड़प ली।अभी इतनी और हड़पनी है।'
बांग्लादेश में ब्लॉगर को मारने वाले सपने में किसी दूसरे ब्लॉगर की पहचान कर रहे होंगे जिसको वे ठिकाने लगा सके।
और भी सपनों की लिस्ट बनाते लेकिन देखते हैं कि दफ्तर जाने का समय हो गया है। सपना होता तो टाल जाते लेकिन यह सपना नहीं हकीकत है। जाना पड़ेगा।
आप मस्त रहो।हम निकलते हैं।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10205004489565405&set=a.3154374571759.141820.1037033614&type=3&theater
लेकिन हमको झील वाले बवालिया सपने नहीँ आते। हमको हमारी औकात वाले सपने ही आते हैं। कल भी आया ।वही लिखाई-पढ़ाई और इम्तहान वाला। सपने में देखा कि इन्तहान के दिन नजदीक आ गए हैं लेकिन पढ़ाई बिलकुल नहीं हुई है। कोर्स अधूरा है। डर लग रहा है कि कैसे पूरा होगा कोर्स।
आज के सपने में एक और लफड़ा हुआ कि आज दो-दो इम्तहान देने का सपना आया। दोनों की तारीखें आपस में भिड़ी हुई हैं। पर्चे एक ही दिन। मजे की बात की इंटर और ग्रेजुएशन के इम्तहान एक साथ देने हैं। तय किया कि एक इम्तहान छोड़ देंगे। कौन सा छोड़ना है यह तय नहीं किया। जाहिर है कि पहले इंटर वाला पर्चा ही देंगे।लेकिन यह अच्छा हुआ कि कोई इम्तहान देना नहीँ पड़ा। बिना पढ़े ही सपना खत्म हो गया।
हमें हमेशा ये इम्तहान वाला सपना ही आता है।कोर्स ज्यादा है,तैयारी अधूरी। शायद इसलिए कि तमाम काम अधूरे छूटने का एहसास रहता है अवचेतन में।सोचते ज्यादा हैं करने की, हो कम पाता है। बजट घाटे की तरह काम-घाटा सपने में आता है। काम का दबाब मतलब व्यक्तिगत,सामजिक और दफ्तरी काम का दबाब।बगल में धरी मोती किताबें भी सपने में शामिल हो जाती होंगी-'अभी हमें पढ़ा जाना बाकी है।'
मैं सोचता हूँ कि क्या हमारी तरह और लोगों को भी सपने आते होंगे? क्या उनको भी अधूरे काम की चिंता सताती होगी? आते तो जरूर होंगे। प्रेम करने वालों/वालियों के सपने में उनके प्रेमी/प्रेमिकाएं हीरो/हीरोइनों की तरह आते होंगे।बेरोजगारों के सपने में नौकरी आती होगी। नौकरी करने वालों के सपने में प्रोन्नति दिखती होगी। कुछ को बर्खास्तगी का सपना आता होगा।युवा होती लड़कियों के माँ-बाप को सपने में दामाद दीखते होंगे।
यह तो आम लोगों के सपने हुए। घरेलू टाइप। कुछ लोग अलग टाइप के सपने भी देखते होंगे।आतंकवादी सपने में देखते होंगे -'इतने लोगों को ठिकाने लगा दिया, अब इतनों को और लगाना है।'
कोई देखता होगा-'इतनी जमीन हड़प ली।अभी इतनी और हड़पनी है।'
बांग्लादेश में ब्लॉगर को मारने वाले सपने में किसी दूसरे ब्लॉगर की पहचान कर रहे होंगे जिसको वे ठिकाने लगा सके।
और भी सपनों की लिस्ट बनाते लेकिन देखते हैं कि दफ्तर जाने का समय हो गया है। सपना होता तो टाल जाते लेकिन यह सपना नहीं हकीकत है। जाना पड़ेगा।
आप मस्त रहो।हम निकलते हैं।
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