खाना बनाने के लिये ईंधन बीनकर लौटती महिलायें |
हम बड़ी तेजी से आधुनिकता की तरफ़ बढ़ रहे हैं। जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं हल्ला उससे भी ज्यादा जोर का मच रहा है। लेकिन आसपास के हालात देखते हैं तो सवाल उठता है कि यह कैसी आधुनिकता है और कैसा विकास है जिसमें महिलायें भीषण गर्मी में दोपहर तक ईंधन का इंतजाम करती दिखें।
खाने का जुगाड़ करते हुये |
दो दिन पहले साइकिल पर ढोलक लादकर ले जाते हिकमत अली अपनी ढोलक बेचने कुंडम की तरफ़ जा रहे थे। वहां के गावों में बेचने की मंशा से। कुंडम और आसपास के तमाम गांवों के लोग रोजी-रोटी के लिये यहां आसपास दिखते हैं। पहाड़ के पास, ओवरब्रिज के नीचे और इधर-उधर। जब ये लोग वहां से आये हैं पेट पालने के लिये मजदूरी करने तो वहां जो रह गये होंगे वो इस तरह की खरीद करते होंगे? वैसे भी गांव-घर में ढोलक तो मांगकर भी बजा लेते हैं लोग। फ़िर हिकमत की ढोलक कौन खरीदेगा?
मेरे गम का दरिया अथाह है, फ़कत हौसले से निबाह है। |
एक तरफ़ हम बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं। मंगल तक पहुंच गये। दीगर जगहों तक जाने के पयाने बांधे हुये हैं। लेकिन अपने आसपास की आबादी तक न पहुंच पा रहे।
ये सब बातें बेतुकी, बेतरतीब सी लगती हैं लेकिन लगता है इनमें कुछ न कुछ जुड़ाव भी है। क्या है कुछ समझ नहीं आता। लेकिन कुछ तो है। नहीं क्या?
मेरी पसंद
तेरी याद का ले के आसरा मैं कहां -कहां से गुजर गया,-डा.कन्हैयालाल नंदन
उसे क्या सुनाता मैं दास्तां वो तो आइना देख के डर गया।
मेरे जेहन में कोई ख्वाब था उसे देखना भी गुनाह था,
वो बिखर गया मेरे सामने सारा जुर्म मेरे ही सर गया।
मेरे गम का दरिया अथाह है, फ़कत हौसले से निबाह है,
जो चला था साथ निबाहने वो तो रास्ते में उतर गया।
मुझे स्याहियों में न पाओगे, मैं मिलूंगा लफ़्जों की धूप में,
मुझे रोशनी की है जुस्तजू, मैं किरन-किरन में बिखर गया।
फ़ेसबुक पर टिप्पणिय़ां
- Gautam Kumar कटु सत्य :- एक तरफ़ हम बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं। मंगल तक पहुंच गये। दीगर जगहों तक जाने के पयाने बांधे हुये हैं। लेकिन अपने आसपास की आबादी तक न पहुंच पा रहे।
पयाने मतलब सपने शायद......????? - Nishi Pathak · Friends with Preeti Singh
Aise drishya shahar se thoda bahar nikalte hi dikhne lagte hain. Bujugon ko bhari bhojha dhote, bachchon aurton ko bad se badtar haal me garmi, varsha me kai baar dekha hai. - Arun Chouksey जिन्दगी अबूझ है सुंदर लेख शुभ रात्रि सर जी
- हृदय नारा़यण शुक्ल हकीकत बयान करता आपका यह पोस्ट उस ओर भी ईशारा करता हुआ कि योजनाकारो की योजनाए यहां तक क्यो नहीं पहुंच पा रही , एक बडा सवाल है।#गम का अथाह दरिया तो निबाह तो हौसले से ही है लेकिन विकास के निचले पायदान पर खडे ऐसै लोगों के हौसले को पस्त कर देने की लगातार सा...और देखें
- Ram Kumar Chaturvedi अच्छे दिन या तो नेताओं के या उनसे जुडे अधिकारियों के।आम आदमी इन्तजार करके ही खुश रहता है।
- Spsingh Shantiprakash Wonderful
- Tarkeshwar Pandey · 3 पारस्परिक मित्र
tnx shukla saab ...hakikat se do char karwane ke liye kya kare aam jan pahle sabsidy direct thhi log 300-400 ka intajam kar leti thhi ab pahle lagaawo fir pata nahi kab pawoo schem hai..
yahi sarkare ya kah lijiye petrolium mantralay kahta thha lakdi n...और देखें - Suman Tiwari आज जहाँ अभाव में भी लोग खुश हैं वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है जो सर्वसुविधा सम्पन्न होते हुए भी दुखी है कि अगला कैसे खुश हैं।
- Vimal Maheshwari कुछ भी हो बिन पैसे वालों से पैसे वाले ज्यादा खुश हैं.
- Madhu Arora wah___
- RB Prasad एक बार फिर यथार्थ -चित्रण .सर ! कुछ दिनों बाद जब मेरी शब्दावली शुन्य हो जाएगी और मैं आप के लेखन पर कुछ नहीं लिख पाउँगा तो डांटेंगे तो नहीं न?
- Sanjay Singh guru ji isi ko aajkal modern world me outing kahatey hai
- Ajai Rai Aap k Adbhut lekhan k Dwara sahi chiteran.
- Madhav Kendurkar Marmik likha hai. Dil ko zakzor diya. Shahar ke madhya yeh hal hai, to door daraj gaon me halat esase bhi badatar hogi. Vastavikta ke kareeb pahucha diya.
- Suresh Sahani मार्मिक किन्तु कटु सत्य है।काश हम कुछ कर सकते!!!!
- Mohit Verma इन लोगों को उपर उठाने के लिय हम सभी लोगों तथा सरकार को ध्यान देना चाहिये जिससे की गरीबी को मिटाया जा सके !
- Sanjay Chandwani Sukul...kya likha hai yaar!!!!
- Alok Ranjan wellsaid sir, gd evng
- डाॅ. राजरानी शर्मा जब आप इस क़दर द्रवित हों तोसमझें कि अब उद्धार होने वाला है ; बिना प्रभु की प्रेरणा् सब दिखता नहीं
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