सबेरे सड़क पर भीड़ है। बच्चे स्कूल की तरफ चले जा रहे हैं। रिक्शे , साइकिल, ऑटो, कार, स्कूटर मने जिसको जो सवारी मिली उसी पर चढ़ा चला जा रहा है। वैन का ड्राइवर बच्चों को छोड़ने के बाद गाड़ी की खिड़की पर हाथ रखे बीड़ी पी रहा है।
अधबने पुल के आगे गिट्टी का ढेर पड़ा है। न जाने कब बनेगा पुल। बगलिया के निकलते हैं लोग। हरेक को जल्दी है। कोई गाड़ी मुड़ने की कोशिश करती है तो मुड़ नहीं पाती। जरा सी जगह मिलते ही लोग उस जगह से निकलने की कोशिश करते हैं। जहां सायकिल निकलना मुश्किल वहां लोग मोटर साइकिल अड़ा देते हैं। विश्वास है कि जगह कभी न कभी तो निकल ही जाएगी। विश्वास बड़ी चीज है। जाम तो लगता रहता है। जाम लग रहा है मतलब दुनिया चल रही है। सड़क पर जाम मतलब दुनिया आबाद।
गिट्टी के ढेर पर एक कुत्ता आगे की टांगे फैलाकर वर्जिश टाइप कर रहा है। अभी उठा लग रहा है। हो तो यह भी सकता है कि 'मार्निंग भौंक' के बाद अलसा गया हो। उसके बाद अभी फिर जगकर टांगे सीधी कर रहा हो। क्या पता उसके डॉक्टरों ने उसे इस कसरत की सलाह दी हो। सेहत के प्रति जागरूक लगा कुत्ता। हमने उसकी फोटो लेनी चाही तो वह कसरत बन्द करके गिट्टी के ढेर से नीचे उतर आया। दिखावा पसन्द नहीं शायद उसको। कुत्ते और इंसान में शायद यही फर्क होता है। ठीक भी है। कौन उसको कोई चुनाव लड़ना है। किस बात का दिखावा करे। गबरू जवान है। कोई बूढा थोड़ी हो गया जो बुजुर्ग नेताओं की तरह फ़ोटो सेशन करते घूमे यह दिखाने के लिए कि -'अभी तो मैं जवान हूँ।'
सड़क पर एक रिक्शा वाला अपने रिक्शे पर दूसरा रिक्शा लादे लिए जा रहा है। शायद दूसरा रिक्शा घायल हो गया है। उसको अपने कंधे पर लादकर 'रिक्शा अस्पताल' लिए जा रहा है। लेकिन पीछे वाला रिक्शा जिस सरपट गति से साथ पीछे चल रहा है उससे लगता नहीं कि उसमें कोई खराबी है। शायद रिक्शा ढोने के लिए यह तरीका अपनाया हो रिक्शे वाले ने।
थोड़ी दूर पर रेलगाड़ी गुजर रही है। पुल पर गुजरते हुये उसकी आवाज बदलती है। बगल के स्कूल से सुबह की प्रार्थना की आवाज आ रही है। प्रार्थना के बाद राष्ट्रगान बजता है। असहज हो जाते हैं। 100 मीटर दूर बजता राष्ट्रगान सावधान कर देता है। फिर लगता है प्रार्थना , राष्ट्रगान लाउडस्पीकर बजाकर क्यों होते हैं?
राष्ट्रगान से अमेरिका के एक चोर का किस्सा याद आता है। चोर चोरी करके भाग रहा होता है उसी समय कहीं बजते राष्ट्रगान की आवाज सुनकर खड़ा हो जाता है। पकड़ा जाता है। बाद में उसकी राष्ट्रगान के प्रति सम्मान की भावना को देखते हुए उसकी चोरी की सजा माफ कर दी जाती है।
पता नहीं सच क्या था। क्या पता पकड़े जाने पर उसने ऐसा कहा बताया हो। लेकिन देश-दुनिया में अनगिनत लोग तमाम देशभक्ति के नारे लगाते हुए तरह-तरह के भ्रष्टाचार करते हैं। देशभक्ति का नारा लगाते हुए गड़बड़ करने वाले को टोंकने की जल्दी किसी की हिम्मत नहीं होती।
आसमान में सूरज भाई चमक रहे हैं। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि क्या आपने यहां देशभक्ति का चलन है धरती की तरह? क्या आपके यहाँ भी कोई रोशनी घोटाला या अंधकार घपला होता है? आपके यहां भी चुनाव होते हैं क्या ? अगर हां तो मुद्दे क्या होते हैं चुनाव के ?
लेकिन सूरज भाई फिलहाल कुछ बताने के मूड में नहीं हैं। उनको चमकने से ही फुरसत नहीं।
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