Sunday, May 14, 2023

जोश मलीहाबादी और नेहरू जी

 जोश मलीहाबादी जी के नेहरू जी से दोस्ताना और आत्मीय रिश्ते थे। जोश मलीहाबादी द्वारा नेहरू जी पर रेखाचित्र का एक अंश यहाँ पेश है।

अब चंद घटनाएँ उनकी अदबनवाजी, उनकी ग़ैरमामूली शराफ़त और उनकी बेनजीर नाज़बरदारी की भी सुन लीजिए।
जब केंद्रीय सरकार के सूचना विभाग में मेरी नियुक्ति सरकारी रिसाले 'आजकल' में हो गई तो मैंने उन्हें ख़त लिखा कि मेरे पर्चे के वास्ते अपना पैग़ाम जल्द भेज दीजिए। अगर आपने सुस्ती से काम लिया तो मेरी आपसे ज़बरदस्त जंग हो जाएगी। एक हफ़्ते के अंदर उनका पैग़ाम आ गया। अपने पैग़ाम के आख़िर में उन्होंने यह भी लिखा मैं जल्दी में पैग़ाम इसलिए भेज रहा हूँ कि जोश साहब ने मुझे धमकी दी है कि अगर देर हो गयी तो वह मुझसे लड़ पड़ेंगे। जब मैंने पैग़ाम के शुक्रिये में उन्हें ख़त लिखा तो दबी ज़बान से यह शिकायत भी कर दी की कि आपने मेरे ख़त का जबाब खुद अपने हाथ से लिखने के एवज़ सेक्रेटरी से लिखवाया है। मेरे साथ आपको यह बरताव नहीं करना चाहिए था।
उनकी शराफ़त देखिए कि मेरी इस शिकायत पर खुद अपने हाथ से मुझे यह लिखा कि अधिक व्यस्तता के कारण मैं सेक्रेटरी से ख़त लिखवाने पर मजबूर हो गया। आप मेरी इस गलती को गलती को माफ़ करें।
एक बार मैं उनके यहाँ पहुँचा तो देखा वह दरवाज़े पर खड़े किदवई साहब से बातें कर रहे हैं। लेकिन जैसे ही मैंने बरामदे में कदम रखा और उन से आँखें चार हुईं तो वह एक सेकेंड के अंदर ग़ायब हो गए।
मैंने किदवई साहब से कहा कि मैं तो अब यहाँ नहीं ठहरूँगा। आप पंडित जी से कह दीजिएगा कि लीडरी और प्राइममिनिस्ट्री को लीडरी और प्राइममिनिस्ट्री तक सीमित रखें। और उसे इस क़दर न बढ़ाएँ कि वह मोनार्की बादशाही से टक्कर लेने लगे। किदवई साहब ने मुस्कराकर पूछा कि आप किस बात पर इस क़दर बिगड़ गए? मैंने कहा,"अरे आप अभी तो खुद देख चुके हैं कि मेरे आते ही वह ग़ायब हो गए। मिज़ाजपुरसी तो बड़ी चीज़ है, उन्होंने मुझसे साहब सलामत तक नहीं की।"
इतने में जवाहरलाल आ गए। मैं मुँह मोड़कर खड़ा हो गया। उन्होंने कहा, "जोश साहब, मामला क्या है?"
किदवई साहब ने सारा माजरा बयान कर दिया। वह मेरे क़रीब आए और मेरे कान में कहा,"मुझे इस क़दर ज़ोर से पेशाब आ गया था कि अगर एक मिनट की भी देर होती तो पायजामे ही में निकल जाता।"
यह बहाना सुनकर मैंने उन्हें गले लगा लिया।
उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की बहुचर्चित आत्मकथा 'यादों की बारात' से। किताब ख़रीदने का लिंक कमेंट बाक़्स में।

https://www.facebook.com/share/p/SucYb4U1V1t4kip1/

No comments:

Post a Comment