http://web.archive.org/web/20140419212817/http://hindini.com/fursatiya/archives/589
rowse: Home / पुरालेख / बेटी को वाणी से संवार दे ओ वीणापाणि
पिछ्ली पोस्ट में सतीश सक्सेनाजी ने लिखा-जीतू भाई के कमेंट्स कन्फ्यूज कर रहे हैं अनूप भाई !!!!!
उधर जीतेन्द्र के कमेंट देखे तो पता लगा वो लिखे थे-हमारे शुकुल भी ना, अपने टाइप के एक ही बने है। आप इनको कोई व्यक्तिगत और गोपनीय बात बताओ, घंटे भर मे सभी ब्लॉगरों को पता चल जाएगा और सुबह सवेरे उस पर इनकी पोस्ट भी तैयार हो उनके इनके ब्लॉग पर चिपक जाएगी। (ऊपर से बदनाम हमे करते है कि हम नारदमुनि है, पाठक खुद डिसाइड करें)
जब आप नाराजगी जताओगे तो इनका रटा रटाया जवाब है, “हम तो मौज ले रहे थे।” अब आप ही बताओ, सुकुल की मौज मे अगले का तो जलूस निकल गया, है कि नही?
अब भाई बताओ जो फ़र्जी बहाने आप पोस्ट पर साइनबोर्ड की तरह चपकाये हो उसको भी व्यक्तिगत और गोपनीय बताओ तब तो हो चुका।
कल जीतेन्द्र के पुराने चेलों में से एक मिला। हमने पूछा कि जीतेन्द्र क्या हमेशा से ऐसे ही बहाने बनाते थे? वो बोला- बहानेबाजी की तो नहीं कह सकता क्योंकि उस समय भी अकल आज जितनी ही थी। लेकिन एक बात है वे सेल्समैनेजर गजब के हैं। इस बारे में उसमें जीतेन्द्र के मुंह से सुनी सच्ची घटना सुनाई जिसे श्रम को भुलाने के लिये आपौ सुन लें:
24. सारे विषय ही बांसी हो गए है।
अरे तो गरम कर लो माइक्रोवेव ओवेन में। वैसे इत्ता तो सीख लो बच्चा बांसी नहीं बासी लिखा जाता है।
25. कब तक एक ही शराब को नयी नयी बोतलों में पैक करके परोसें?
जब तक बोतलों के ढक्कन सलामत हैं!
26. और भी गम है जमानें मे ब्लॉगिंग के सिवाए।
ब्लागिंग से बड़ा गम कौन हो गया भाई?
27. बीबी ने ब्लॉग पढ लिया था, इसलिए दुकान बढानी पड़ी।
अब भाई बीबी पर तो कोई बस नहीं लेकिन ब्लाग नया बना लो!
28. बॉस ने भी ब्लॉगिंग शुरु कर दी थी, अब एक मोहल्ले मे एक ही रहेगा ना।
बास के ब्लाग की तारीफ़ करने से अच्छा भी कोई काम होता है क्या? तारीफ़ करो, मस्त रहो।
29. ऑफिस मे सबको ब्लॉगिंग का रोग लग गया था, हैड-आफिस ने ब्लॉगिंग करने पर बैन लगा दिया है।
तो क्या कभी घर जाना नहीं होता?
30. यार इधर बाजे बजे पड़े है और तुमको ब्लॉगिंग की सूझ रही है।
बाजे की धुन क्या है कुडुम-मुडु़म मुड़ झैयम-झैयम?
31. रेसेशन के दौर मे नौकरी सम्भाले या ब्लॉगिंग का शौंक?
नौकरी रहेगी तब न संभलेगी! कम से कम ब्लागिंग तो हाथ में रखो!
32. शादी नही हो रही….इसलिए ब्लॉगिंग बन्द की है।
ब्लागिंग से क्या जीवनसाथी बिदक जाते हैं?
33. शादी हो गयी है…..इसलिए ब्लॉगिंग बन्द करनी पड़ी।
ब्लागिंग क्या तलाकनामा है?
34. बीबी मायके गयी है, इसलिए ब्लॉगिंग……
क्या तुम्हारी डायरी भी ले गयी है ?
35. बीबीजी मायके से वापस आ गयी है इसलिए…….
उसके किस्से सुनो फ़िर डालो न!
36. यार गूगल एडसेंस से काफी पैसे कमा लिए थे, इसलिए अब बस…
गंवाने में कित्ती देर लगती है? मन से लगो तो।
37. यार कोई कमाई वगैरहा तो हो नही रही थी , इसलिए….
क्या ब्लागिंग बंद करने से पैसे बरसने लगेंगे?
38. यार लोगों को लिंक टिकाते टिकाते थक गया था, लिंक टिकाने पर बदनामी मिली सो अलग।
कुछ काम की चीज टिकाओ न!
39. हम कोई कवि तो है नही जो हर घन्टे मे लिखे।
कवि बनने से किसी ने रोका है क्या?
40. हम क्लासिक लेखक है, कभी कभी ही लिखते है।
क्लासिक लेखक तो आदमी मरने से कुछ पहले ही बनता है। अभी तुम्हारी उमर क्या है?
41. यार पिछले महीने नामी पत्रकार पर लिख दिया था, लोगों ने झंडे दिखा दिए और हमारा जलूस निकाल दिया, इतनी जलालत नही सहनी…..
इससे कम जलालत का पैकेज अब कहां आता है जी?
42. लोगॊं ने मेरा लिखा दिल पर लगा लिया, इसलिए….
अब जब उनके दिल छलछलायेंगे तो हटा देंगे दिल से।
43. लोगो ने मेरा लिखा मजाक मे उड़ा दिया, इसलिए…
तुम भी मजाक करना सीख लो न!
44. जाओ नही लिखते, क्या उखाड़ लोगे?
जाओ नहीं पढ़ते क्या कल्लोगे?
45. लिस्ट आगे भी जारी रहेगी…खबर जो आगे बहाने बाजी करी…..
शक्ति दे,शालीनता दे और संस्कार दे।
लक्ष्मी तू भर दे घर उसका धन संपदा से
गणपति से कहकर सब संकट निवार दे
गौरी तू शिव से दिला दे वरदान उसे,
दांपत्य पर अक्षत तरुणाई वार दे,
मेरे सुख सपनों के सारे पुण्य ले ले मातु
अपने हाथों से उसकी झोरी में डार दे।
(अपनी छोटी बेटी की विदाई लिखा नंदनजी का यह छंद आज खास तौर से पेश कर रहा हूं। आज हमारी छोटी भतीजी सुधा का विवाह संपन्न होना तय हुआ है। आप सबकी मंगलकामनायें अपेक्षित हैं सो हम लिये ले रहे हैं-जबरिया!
rowse: Home / पुरालेख / बेटी को वाणी से संवार दे ओ वीणापाणि
बेटी को वाणी से संवार दे ओ वीणापाणि
By फ़ुरसतिया on February 19, 2009
बेइज्जती तो आज तक हुई
:पिछ्ली पोस्ट में सतीश सक्सेनाजी ने लिखा-जीतू भाई के कमेंट्स कन्फ्यूज कर रहे हैं अनूप भाई !!!!!
उधर जीतेन्द्र के कमेंट देखे तो पता लगा वो लिखे थे-हमारे शुकुल भी ना, अपने टाइप के एक ही बने है। आप इनको कोई व्यक्तिगत और गोपनीय बात बताओ, घंटे भर मे सभी ब्लॉगरों को पता चल जाएगा और सुबह सवेरे उस पर इनकी पोस्ट भी तैयार हो उनके इनके ब्लॉग पर चिपक जाएगी। (ऊपर से बदनाम हमे करते है कि हम नारदमुनि है, पाठक खुद डिसाइड करें)
जब आप नाराजगी जताओगे तो इनका रटा रटाया जवाब है, “हम तो मौज ले रहे थे।” अब आप ही बताओ, सुकुल की मौज मे अगले का तो जलूस निकल गया, है कि नही?
अब भाई बताओ जो फ़र्जी बहाने आप पोस्ट पर साइनबोर्ड की तरह चपकाये हो उसको भी व्यक्तिगत और गोपनीय बताओ तब तो हो चुका।
कल जीतेन्द्र के पुराने चेलों में से एक मिला। हमने पूछा कि जीतेन्द्र क्या हमेशा से ऐसे ही बहाने बनाते थे? वो बोला- बहानेबाजी की तो नहीं कह सकता क्योंकि उस समय भी अकल आज जितनी ही थी। लेकिन एक बात है वे सेल्समैनेजर गजब के हैं। इस बारे में उसमें जीतेन्द्र के मुंह से सुनी सच्ची घटना सुनाई जिसे श्रम को भुलाने के लिये आपौ सुन लें:
एक सेल्समैनेजर के पास एक बच्चा आया। मैनेजर ने उसको सेल्समैनी के गुर सिखा के खरीदने-बेचने के लिये दौड़ाने लगे। अच्छा पैसा भी देते थे।जीतेन्द्र के आगे के बहाने तो बहुतै लचर हैं लेकिन जब बनाये हैं तो उनका हिसाब तो कर ही लिया जाये वर्ना कहेंगे इनका हिसाब बकाया है।
एक दिन सेल्समैन ने मैनेजर को अपना इस्तीफ़ा दे दिया और नौकरी छोड़कर जाने लगा।
मैनेजर ने पूछा- क्या हुआ बेटा? क्या पैसा कम है? दूसरी जगह नौकरी मिल रही है ? काहे लगी-लगाई नौकरी पर लात मारकर जा रहे हो? या किसी के प्यार-स्यार में पगला गये हो?
सेल्समैन बोला- नहीं ऐसी कोई बात नही। आपके होने के बावजूद हमको तन्ख्वाह ठीक मिलती है। लेकिन ये सेल्समैनी का काम बहुत लीचड़पने का है। लोगों से इत्ती बेइज्जती कराने वाल काम हमारे बस का नहीं। आप हमारा हिसाब कर देव।
मैनेजर बोला-बेटा हिसाब करने का अभी करवा देते हैं। लेकिन ये तुमने अजीब बात बताई । हम इस धंधे में उत्ते साल से हैं जित्ती अभी तुम्हारी उमर नहीं हुई। हमको भी कुछ तजुर्बा है इस लाइन का। लोगों ने हमसे सामान नहीं लिया, ठीक से बात नहीं की, घर से बाहर कर दिया, ठग/चोर कहा। कुछ ने तो धकिया के बाहर कर दिया और आगे से मुंह न दिखाने की चेतावनी दी लेकिन बेइज्जती हमारी आजतक नहीं हुई।
सब बहाने फ़र्जी हैं
इसके पहले के बहाने इधर देखें24. सारे विषय ही बांसी हो गए है।
अरे तो गरम कर लो माइक्रोवेव ओवेन में। वैसे इत्ता तो सीख लो बच्चा बांसी नहीं बासी लिखा जाता है।
25. कब तक एक ही शराब को नयी नयी बोतलों में पैक करके परोसें?
जब तक बोतलों के ढक्कन सलामत हैं!
26. और भी गम है जमानें मे ब्लॉगिंग के सिवाए।
ब्लागिंग से बड़ा गम कौन हो गया भाई?
27. बीबी ने ब्लॉग पढ लिया था, इसलिए दुकान बढानी पड़ी।
अब भाई बीबी पर तो कोई बस नहीं लेकिन ब्लाग नया बना लो!
28. बॉस ने भी ब्लॉगिंग शुरु कर दी थी, अब एक मोहल्ले मे एक ही रहेगा ना।
बास के ब्लाग की तारीफ़ करने से अच्छा भी कोई काम होता है क्या? तारीफ़ करो, मस्त रहो।
29. ऑफिस मे सबको ब्लॉगिंग का रोग लग गया था, हैड-आफिस ने ब्लॉगिंग करने पर बैन लगा दिया है।
तो क्या कभी घर जाना नहीं होता?
30. यार इधर बाजे बजे पड़े है और तुमको ब्लॉगिंग की सूझ रही है।
बाजे की धुन क्या है कुडुम-मुडु़म मुड़ झैयम-झैयम?
31. रेसेशन के दौर मे नौकरी सम्भाले या ब्लॉगिंग का शौंक?
नौकरी रहेगी तब न संभलेगी! कम से कम ब्लागिंग तो हाथ में रखो!
32. शादी नही हो रही….इसलिए ब्लॉगिंग बन्द की है।
ब्लागिंग से क्या जीवनसाथी बिदक जाते हैं?
33. शादी हो गयी है…..इसलिए ब्लॉगिंग बन्द करनी पड़ी।
ब्लागिंग क्या तलाकनामा है?
34. बीबी मायके गयी है, इसलिए ब्लॉगिंग……
क्या तुम्हारी डायरी भी ले गयी है ?
35. बीबीजी मायके से वापस आ गयी है इसलिए…….
उसके किस्से सुनो फ़िर डालो न!
36. यार गूगल एडसेंस से काफी पैसे कमा लिए थे, इसलिए अब बस…
गंवाने में कित्ती देर लगती है? मन से लगो तो।
37. यार कोई कमाई वगैरहा तो हो नही रही थी , इसलिए….
क्या ब्लागिंग बंद करने से पैसे बरसने लगेंगे?
38. यार लोगों को लिंक टिकाते टिकाते थक गया था, लिंक टिकाने पर बदनामी मिली सो अलग।
कुछ काम की चीज टिकाओ न!
39. हम कोई कवि तो है नही जो हर घन्टे मे लिखे।
कवि बनने से किसी ने रोका है क्या?
40. हम क्लासिक लेखक है, कभी कभी ही लिखते है।
क्लासिक लेखक तो आदमी मरने से कुछ पहले ही बनता है। अभी तुम्हारी उमर क्या है?
41. यार पिछले महीने नामी पत्रकार पर लिख दिया था, लोगों ने झंडे दिखा दिए और हमारा जलूस निकाल दिया, इतनी जलालत नही सहनी…..
इससे कम जलालत का पैकेज अब कहां आता है जी?
42. लोगॊं ने मेरा लिखा दिल पर लगा लिया, इसलिए….
अब जब उनके दिल छलछलायेंगे तो हटा देंगे दिल से।
43. लोगो ने मेरा लिखा मजाक मे उड़ा दिया, इसलिए…
तुम भी मजाक करना सीख लो न!
44. जाओ नही लिखते, क्या उखाड़ लोगे?
जाओ नहीं पढ़ते क्या कल्लोगे?
45. लिस्ट आगे भी जारी रहेगी…खबर जो आगे बहाने बाजी करी…..
मेरी पसंद
बेटी को वाणी से संवार दे ओ वीणापाणिशक्ति दे,शालीनता दे और संस्कार दे।
लक्ष्मी तू भर दे घर उसका धन संपदा से
गणपति से कहकर सब संकट निवार दे
गौरी तू शिव से दिला दे वरदान उसे,
दांपत्य पर अक्षत तरुणाई वार दे,
मेरे सुख सपनों के सारे पुण्य ले ले मातु
अपने हाथों से उसकी झोरी में डार दे।
(अपनी छोटी बेटी की विदाई लिखा नंदनजी का यह छंद आज खास तौर से पेश कर रहा हूं। आज हमारी छोटी भतीजी सुधा का विवाह संपन्न होना तय हुआ है। आप सबकी मंगलकामनायें अपेक्षित हैं सो हम लिये ले रहे हैं-जबरिया!
—
गुलाबी कोंपलें
चाँद, बादल और शाम
बहुत बहुत आशीर्वाद सुधा बिटिया को उसके सुन्दर और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए।
regards
मंगलकामनाएं आप ले ही चुके हैं हम स्वीकृति दे देते हैं ढेर सारी बधाइयाँ
भाई जी, लाख टके की पोस्ट है..
मेरी दुखती कमर पर जैसे आयोडेक्स !
मैं तो कई बार जुतियाये जाने की कगार तक पहुँच कर लौट आया ।
पर बेइज़्ज़ती ख़राब होने को परिभाषित न कर पा रहा ।
जहाँ हर कृत्य आभासी हो, गाली ससुरी कैसे वास्तविक लगने लगती है ?
नारद तक तो चलेगा.. पर् मँथरा नहीं..
वह् एकता कपूर् की है ।
मैं स्वयं ही ” यावत् जीवेत् हँसत् जीवेत् – पादुका खावत् मौज़म् लीवेत् ” के टैग का अनुगामी हूँ
जाओ नहीं पढ़ते क्या कल्लोगे?
ऐसा लगा एक लाइना का पैकेज एक साथ बाजार में डाल दिया है ..ओर ऐसा डाला है की हिट हो गया है .सुबह सुबह आपने डोज दे दी है….जब भी जूही चावला का कुरकुरे वाला एड देखता हूँ “पिंटू थोड़ा टेडा लागे है “…कसम से सोचता हूँ..की कही आपने तो नही लिखा ?या किसी कानपुर वाले ने ….जे हो शुक्ल जी की…….
अउर बधावा तो रहिये गया था ।
वहू लेयो.. अउर हमार बायना भेजना न भेजना ।
पर, निश्चित तिथि की सूचना जरा फोनिया देना,
पहुँचता हूँ, बिना स्पर्श किये आभासी आशीर्वाद तो मैं नहिंये देता हूँ ।
दम्पति को स्नेहाशीष व आप परिवारीजनों को हार्दिक बधाई!
बाकी आप जबरी मंगलकामनायें क्यों ले रहे हैं – हम सहर्ष दे रहे हैं!
राज की बात बताएं, ये पूँजी जीवन की,
शोभा आज से है ये आपके आँगन की
और आँखें नम होने लगी…!
ईश्वर करे बिटिया जहाँ जाये वहाँ से सिर्फ खुशियाँ पाये और खुशियाँ लुटाये और हमें भी वहाँ से खुशियाँ लौटाये…!
और ब्लांगिंग भी अजीब है साब. उधर बारात वाले काका ससुर को ढूंध कर हल्कान हुये हारहे हैं और वो यहां बैठे बिलगिया रहे हैं.:)
बहुत बधाई हो. सब आनन्द मय और मंगल मय हो.
रामराम.
ये ऊपर वाली लाईन मैं अपने आप से बोल रहा हूं
क्या बोलें ?
और क्या बोलें ?
जीतू भाई और आप दोनों को सलाम
ख़ामूश हिन्दी चिट्ठाजगत को हंसाने और जगमाने के लिए आप दोनों को बधाई
ठहरिये, मैं सिफ़ारिश लगाता हूँ…
जरा हमारे गुरुवर ज्ञानदत्त जी की भी सुनी जाये,
उनका एतराज़ है, कि जब तलक मौज़ लिये जाने योग्य एक देदीप्यमान रत्न उनमें छिपा है ।
तब तक श्री दे.र. जितेन्द्र चौधरी को न डिस्टर्ब किया जाय ।
वल्लाह.. इस सादगी पर कौन न मर मर जाये !!
दे.र. = देदीप्यमान रत्न
आज तो मैंने सोचा था आप कुछ नहीं लिखोगे शायद . हाँ अगले कुछ दिनों में आप अवश्य झिलाते ! कल की पोस्ट पर लड्डू का फोटू अवश्य लगना माँगता है
क्या ? मैं पहेली जीत गया ?
नंदन जी रचना विशेष तौर पर पसंद आई. बहानेबाजी तो खैर है ही टॉप पर. जय हो!!
नंदनजी का छंद बहुत अच्छा लगा. आपको बधाई और भतीजी को शुभकामनाएँ!
Baat karte hain zaldi
How r u.
“Blog na likhane ke bahanon” ki khinchaai bhut hi majedaar lagi.
Very humorous. Jyada tarrif isaliye nahin kar raha hun ki aap naga na maan jaayen.
Badhai.
शक्ति दे, शालीनता दे और संस्कार दे।
सौभाग्यवती सुधा को हमारा स्नेह और आशीर्वाद।
एक और ‘ढिंचक’ पोस्ट के लिए आपको बधाई और धन्यवाद।:)
सुधा बिटिया को ढेर सारी शुभकामनाएं, बहुत सुंदर लग रही है इस फ़ोटो में । फ़ोटो और भी दिखाये जाएं ताकि हमें भी लगे कि हम भी वहीं थे।
सुधा बेटी को आशीर्वाद !
सुधा हमारी तो बहन हुयी तो हम तो खुशी में इंडियन स्टोर जाकर मिठाई खायेंगे भी और अपने रूममेट को भी खिलायेंगे। और अगली भारतयात्रा में आपसे भी जमकर खायेंगे।
कमान इतना न खीँचो की डोरी ही टूट जाऐँ।।
आगे इतना भी न बढ़ो की साथ ही छूट जाऐँ।
छपासकीड़ीकाट जगत मे आलोचना की स्वस्थ परंपरा विकसित की जानी चाहिऐँ।
वरना खिसियानी बिल्ली तो नोचती ही हैँ??
पाँय लाँगू