आयुध वस्त्र निर्माणी, शाहजहांपुर 1914 में स्थापित हुई। यह फैक्ट्री कम्बल, जर्सी, मोजे,कॉम्बैट यूनिफार्म और अन्य तमाम तरह की वर्दियां बनाती है।
निर्माणी बहुत ठंडे मौसम (ECC extreme cold climate) के लिए कपड़े बनाने के लिए जानी जाती है। बहुत पहले हमको एक ग्लेशियर सूट दिखाकर बताया गया था कि यही कोट पहनकर शेरपा तेनसिंग ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था।
106 साल के अपने इतिहास में निर्माणी ने अनगिनत उत्पाद बनाये। बनाकर सप्लाई किये और भूल गये। कभी किसी उत्पाद को पेटेंट जैसा कुछ कराने की नहीं सोची। लेकिन अब जमाना पेटेटिंग का है। जो बनाओ उसका पेटेंट कराओ वरना बनाएंगे हम नाम और दाम कमाएगा कोई और। हल्दी और दूसरे भारतीय उत्पादों का हाल पता है सबको।
इसी पेटेटिंग की कड़ी में हमारी निर्माणी के एक उत्पाद 'कैप बालाकलावा' का पेटेंट हुआ। कैप बालाकलावा शून्य डिग्री तापमान के आसपास पहनने के काम आती है। कैप बालाकलावा मतलब ऐसी टोपी जिसमें सर, गर्दन और दूसरे हिस्से (आंख ,नाक और मुंह छोड़कर) ढंके रहें।
निर्माणी ने यह उत्पाद डिजाइन किया। बनाया और सेना को सप्लाई किया। 2016 से शुरू होकर लाखों कैप बालाकलावा आयुध वस्त्र निर्माणी, शाहजहांपुर बना चुकी है। बनाने के बाद इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया। पिछले महीने ही इसका पेटेंट आयुध वस्त्र निर्माणी, शाहजहांपुर के नाम हुआ।
पेटेंट होने का मतलब यह कि अब इस उत्पाद को हमारी ही निर्माणी बना सकती है। अगर कोई दूसरा बनाएगा तो उसको हमारी अनुमति लेनी होगी और हमको इसकी रॉयल्टी देनी होगी।
यह कैप सेना को सप्लाई की जाती है। इस वर्ष हमारी निर्माणी को 92000 कैप सप्लाई करनी है। अगले साल का आर्डर अभी आना है। हमारा पेटेंट होने के चलते हमारे अलावा दूसरा कोई इस उत्पाद हमारी अनुमति के बिना इसको बना नहीं सकता।
इस साल हमारी निर्माणी का लक्ष्य 10 आइटम पेटेंट कराने का है। इस दिशा में काम जारी है।
निर्माणी का महाप्रबन्धक होने के चलते इस उपलब्धि पर प्रसन्न होने, निर्माणी पर गर्व करने और आपसे साझा करने के हक का उपयोग किया जा रहा है।
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