कल इतवार था। छुट्टी का दिन। लेकिन हमारी निर्माणियां कोरोना आपदा से मुकाबले में सहयोग के लिए सतत संलग्न होने के संकल्प के अनुसार चालू थीं। कवरआल और सर्जिकल मास्क का उत्पादन लगातार हो रहा था। लक्ष्य था कि शाम तक 1000 कवरआल और 25000 सर्जिकल मास्क भेजने हैं।
साथ ही पैराशूट फैक्ट्री , कानपुर के एक लाख सर्जिकल मास्क भी भेजना तय हुआ। वहां के सामान की फिनिशिंग यहां शाहजहांपुर में ही होनीं थी इसलिए सोचा गया कि सामान कानपुर जाकर वहां से भेजने की बजाय यहीं से निकाल दिया जाए।
हमारा सामान लग रहा था कि तैयार होने में देर होगी। रात तक तैयार होगा। लेकिन सब लोग जुट गए। सब लोगों के 'साथी हाथ बढाना' वाले भाव से हुए काम का नतीजा यह हुआ कि तय समय तक सब सामान तैयार हो गया।
पैराशूट का भी सामान (सर्जिकल मास्क) लग रहा था एक लाख तक हो नहीं पायेगा। सोचा गया कि जितना होगा उतना भेज देंगे या फिर कल सुबह भेजेंगे। लेकिन हमारे मुंह से निकल गया -'सामान आज ही जायेगा और पूरा एक लाख जाएगा। जरूरत होगी तो हम अपने सामान से पूरा कर देंगे।'
अपने सामान से पूरा करने की बात अपन ने तब कही जब हमारा खुद का उत्पादन होना बाकी था। खुद का पूरा नहीं, दूसरी फैक्ट्री का कराएंगे। क्या बात है। लेकिन उत्साह के पहाड़ पर चढ़ा इंसान जमीनी हकीकत कहां देखता है। उसके तो उत्साह के साथ दिमाग भी आसमान पर भले न चढ़े लेकिन पहाड़ पर तो रहता ही है।
पैराशूट फैक्ट्री हमारी पुरानी फैक्ट्री है। कई महीने हुए उसको छोड़े लेकिन हम तो उसको आज भी अपना ही समझते हैं। आयुध निर्माणी संगठन में निर्माणियों को 'सिस्टर फैक्ट्री' कहा जाता है। हम इसको इसी भाव से, लेते हैं। बहनों के लिए तो कुछ भी किया जा सकता है। इसी भाव से सहयोग का मन रहता है।
दोपहर को महानिदेशक एवं चेयरमैन आयुध निर्माणी बोर्ड कोलकता अपनी मैराथन वीडियो कांफ्रेंसिंग खत्म करके आराम करने चले गए तब मेरे मन में आया कि शाम को सामान की रवानगी साहब से करवाई जाए। इतने दिन वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए अब सब इतना सुगम लगने लगा कि कोलकता में बैठकर शाहजहांपुर, कानपुर से जुड़ सकें। फ्लैग आफ किया जा सके।
वैसे भी यह खास मौका था। पिछले दिनों कोरोना संकट से मुकाबले करने में हमारे महानिदेशक ने अपने अनथक प्रयासों से सभी निर्माणियों में उत्साह का संचार करते हुए ऐसे-ऐसे काम करने में सूत्रधार और निर्देशक की भूमिका निभाई है जो अन्यथा निर्माणियों में होने के बारे में सोचे ही नहीं जाते। दो हफ्ते पहले तक पूरे देश में मात्र दो जगह यह सुविधा थी जहां मेडिकल जरूरतों के लिए कपड़े और सीम टेस्टिंग की सुविधा है। महानिदेशक के आह्वान पर आज हमारी पाँच निर्माणियों में यह टेस्टिंग होने की सुविधा हो गयी। टेस्टिंग के लिए इक्विपमेंट्स डिजाइन करने, बनाने और उसकी मान्यता दिलाने का काम हफ्ते भर में। यह सब सामान्य समय में केवल कल्पना में ही सम्भव समझा जा सकता था।
बहरहाल जब तय हुआ कि सामान शाम को निकलेगा तो हमने सोचा कि इसका फ्लैगऑफ भी महानिदेशक से करवाया जाए। हमने सन्देश भेजा शाम को पैराशूट और शाहजहांपुर के सामान को फ्लैग ऑफ करना है। अनुरोध है कि शाम को तैयार रहें। विवरण दोपहर के बाद भेजेंगे।
जैसे ही हमारा सन्देश देखा साहब का फोन आया। हंसते हुए बोले -'तुम लोग रोज एक नया सरप्राइज देते हो।'
कार्यक्रम तय हुआ तो सबको सूचित किया गया। हमारे वरिष्ठ उप महानिदेशक श्री ए के अग्रवाल जी, महाप्रबन्धक पैराशूट फैक्ट्री श्री बंगोत्रा जी, बोर्ड के उप महानिदेशक श्री प्रकाश अग्रवाल जी को बताया गया। हमारे सुशील सिन्हा उपमहानिदेशक छूट रहे थे तो उनको मीटिंग के दौरान ही बिना कोई समय दिए जोड़ लिया गया उसी तरह जैसे उनको बिना कोई समय दिए सूचनाएं मांग ली जाती हैं।
शाम तय समय और कार्यक्रम शुरू हुआ। उधर कोलकता में अपने निवास से महानिदेशक एवं चेयरमैन हरिमोहन जी ने सम्बोधित किया जिसको निर्माणी के तमाम अधिकारियों, कर्मचारियों लोगों ने सुना। महानिदेशक ने कहा -'जब मैं जनवरी में शाहजहांपुर में आया था तो मैंने आप लोगों से कहा था कि अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए हमको ऐसे काम करना है जो दूसरे नहीं कर पाते। अपने को बदलना है। आप लोगों ने बहुत कम समय में बहुत शानदार काम किया है। निर्माणी के महाप्रबन्धक अनूप शुक्ल के नेतृत्व में आप लोग दिन रात मेहनत कर रहे हैं। मुझे चप्पे-चप्पे की खबर है। आप लोग ऐसे ही काम करते रहिए। देश की जरूरतें पूरी करना हमारी निर्माणियो का कर्तव्य है।'
इसके बाद महानिदेशक जी ने पैराशूट फैक्ट्री की सराहना करते हुए कहा -' पैराशूट फैक्ट्री देश के लिए पैराशूट बनाती है। लेकिन आज देश की जरूरत के लिए महाप्रबंधक बंगोत्रा जी के नेतृत्व में पीपीई आईटम बना रही है। बहुत कम समय में एक लाख सर्जिकल मास्क बनाकर बहुत सराहनीय काम किया है। मैं इसके लिए पैराशूट निर्माणी के सभी कामगारों, अधिकारियों की सराहना करता हूँ।
अपने आत्मीय और उत्साह वर्धक सम्बोधन के बाद महानिदेशक जी ने फ्लैग ऑफ करके सामान की रवानगी की। पहले पैराशूट का ट्रक निकला, फिर शाहजहांपुर का।निर्माणी के तमाम कर्मचारी इस ऐतिहासिक घटना के गवाह बने। किसी ने कहा -'हमारे बनाये 30 कवरआल भी इसमें जा रहे हैं।
पैराशूट निर्माणी के महाप्रबन्धक बंगोत्रा जी अपने साथियों के साथ अपने सामान को विदा होते देख रहे थे। अपने सम्बोधन में उन्होंने महानिदेशक को उनके नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा -'आपकी गाइडेंस औऱ सहयोग से यह सब सम्भव हुआ।'
बीच के खाली समय का उपयोग करते हुए बंगोत्रा जी ने मजे लेते हुए कहा -'आज के कार्यक्रम के दूल्हा तो अनूप शुक्ल हैं जो इस कार्यक्रम के सूत्रधार हैं।'
अनूप शुक्ल शर्माते हुए यह सोच रहे थे कि क्या जबाब दिया जाए तब तक महानिदेशक जी आ गए और बात उनसे शूरु हुई। अनूप शुक्ल ने महानिदेशक का स्वागत करते हुए कहा -'हम लोग निर्माणी के बाहर उस लान के एकदम पास हैं जहां आपने जनवरी में हमारी निर्माणी के लोगों को सम्बोधित किया था। सभी आपको सुनने के लिए आतुर हैं।'
इसके बाद महानिदेशक ने अपना सम्बोधन दिया। सामान को विदा किया। सभी लोगों ने उत्साह और गर्व के साथ इस कार्यक्रम को देखा।
हमारा भेजा हुआ सामान अब दिल्ली पहुंचने वाला है। जल्द ही यह उन लोगों तक पहुंचेगा जिनको इसकी आवश्यकता है। इसके बाद और सामान भी जाएगा।
आयुध निर्माणियां देश के सैनिकों की आवश्यकता के लिए सामान बनाती हैं। आज देश की मेडिकल सेवाओं से जुड़े लोग हमारे सैनिक हैं। हम कोरोना से युद्ध में जुटे सैनिकों के लिए सामान बना रहे हैं।
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