Monday, October 31, 2022

गंगा तट पर छठ पूजा

 


सुबह टहलने निकले। सड़क गुलजार थी। बच्चे स्कूल जा रहे थे। दो बच्चियां बतियाते हुए आहिस्ते-आहिस्ते जाते दिखीं। एक महिला टहलते हुए अपने पीछे आने वाले कुत्तों को हाथ से भगाने की कोशिश कर रही थी। कुत्ते उसके हाथ के इशारे को अपने हिसाब से ग्रहण करके पूंछ हिलाते हुए उसके पीछे लगे थे। कुछ देर परेशान होने के बाद महिला चुपचाप आगे बढ़ गई। कुत्ते ठहर गए।
इससे लगा कि परेशानियों को अनदेखा करने पर वो खत्म हो जाती हैं।
एक महिला अपनी दो बच्चियों को स्कूल भेजने जा रही थी। बच्चियां अपनी पीठ के बस्ते को पीठ उचकाकर ठीक कर रहीं थीं। बस्ता फिर पीठ पर लद जा रहा था। बस्ते भारी थे। बस्तों का बोझ कम नहीं हो रहा है। बढ़ता ही जा रहा है। इस चक्कर में चाल बिगड़ रही है बच्चों की।
बच्ची की चोटी की तारीफ की तो माँ खुश हो गयी। बच्ची से पूछा कौन बनाता है चोटी? मम्मी की तरफ इशारा करके बोली -'मम्मी।' हमने पूछा -'तुम भी करती हो मम्मी की चुटिया?' बच्ची हंसने लगी। साथ में मम्मी भी। बच्ची मरियम पुर में पढ़ती है। माँ उसको स्कूल छोड़ने जा रही थी।
आगे फुटपाथ पर एक आदमी फसक्का मारे बैठा था। नीम की पत्तियां सहेज रहा था। मुझको राहत इंदौरी के शेर याद आये :
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो
दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो
सामने सूरज भाई पेड़ों के बीच के सिंहासन पर राजा की तरह बैठे थे। हमने कहा -'जम रहे हैं भाई जी।' सूरज भाई मारे शरम के लाल हो गए। फिर बादल के पीछे छिप गए।
पुल पर से देखा आसमान में केवल सूरज भाई ही चमक रहे थे। बाकी आसमान कोहरे से ढंका था। शायद सूरज भाई को भी केवल खुद को सामने दिखने की आदत लग गयी है। खुद के अलावा और कोई दिख न जाए।
पुल की रेलिंग पर तमाम गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां लाइन से जमा थीं। ये वो मूर्तियां थीं जो घरों से नई मूर्तियों की पूजा के समय हटा दी गई थी। नए शासक के आने पर पुराने के क्या हाल होते हैं यह बयान कर रहीं थीं मूर्तियां। पुराना बाहर कर दिया गया। नया जम गया।
घाट पर भीड़ थी। छठ पूजा करने वालों की। रास्ते में तमाम गाड़ियों में लोग पूजा करके वापस लौट रहे थे। जिन लोगों ने नदी में उतर कर अर्घ्य दिया था उनके पैरों में कीचड़ लगा था। अरे कीचड़ नहीं मिट्टी। कीचड़ तो ठहरे पानी में उतरने से लगता है। यह तो नदी की मिट्टी थी।
जगह-जगह रुक कर लोग प्रसाद ले रहे थे। व्रत तोड़ रहे थे। फल खा रहे थे। चाय पी रहे थे। व्रत के सकुशल खत्म होने पर उल्लिसित हो रहे थे। फोटो खींच रहे थे। हंसी मजाक कर रहे थे। महिलाओं के चेहरे पर थकन भरे संतोष के भाव थे। मोर्चा फतह की संतुष्टि के भाव।
एक जगह हम खड़े होकर वीडियो बनाने लगे। गाड़ी चलाने वाले ने सवारियों से मजे लिए -'देखो चालान के लिए वीडियो बन रहा है।' पूजा करते हुए घर लौटती सवारियां हंसने लगे।
पूजा का इंतजाम देखने वाले माइक पर व्यवस्था के लिए प्रशासन का शुक्रिया अदा कर रहे थे। चंदे के लिए आग्रह कर रहे थे। प्रसाद लेकर जाने का अनुरोध भी।
घाट पर भारी भीड़ थी। लोग पूजा कर रहे थे। नहा रहे थे। एक आदमी ने नदी में नहाते बच्चे को नहाने के बाद सामान की तरह उठाकर किनारे धर दिया। बच्चा पूरा भीगा हुआ था। पानी उसके बदन से गिरते हुए जमीन से होते हुए वापस नदी में मिल जा रहा था।
नदी किनारे की मिट्टी गीली थी। रपटन थी। जो उतरने की कोशिश कर रहा था रपट कर पानी में छपाक से गिर जा रहा था। एक आदमी ने नदी में उतरकर पानी चुल्लू में लेकर अपनी पत्नी की तरफ थ्रो टाइप क़िया। थोड़ा पानी बीच में गिर गया। बाकी का पानी महिला ने कैच कर लिया। अपने सर पर डाल लिया। सूरज को प्रणाम कर लिया। पूजा हो गयी।
कुछ लोग डब्बा लेकर आये और पानी भरकर पूजा कराने लगे।
पूजा करने के बाद तमाम लोग फोटो और सेल्फी ले रहे थे। फोटो लेने के बाद उंगलियों से फैलाकर देख रहे थे। फिर-फिर फोटो ले रहे थे।
पूजा कर चुकी महिलाएं एक-दूसरे के सिंदूर लगा रहीं थी। प्रसाद ले-दे रहीं थीं।
पूजा के तमाम दीपक जल रहे थे। जितने जल रहे थे उससे कई गुना जलकर बुझ चुके थे।
एक बुजुर्ग महिला , जो शायद अपने बेटे के साथ बैठी थी, चुपचाप सारे उल्लास, उमंग भरे माहौल को निलिप्त से भाव से देख रही थी।
सूरज भाई आसमान के तख्त पर बैठे पूरे घाट का मुआयना कर रहे थे। नाव पर चेतावनी लगी थी -'सावधान , पानी गहरा है।'
चेतावनी वाली नाव पर मल्लाह टहल रहा था। नदी में एकाध नाव चल रही थी। बाकी की अधिकतर किनारे ही बंधी थी।
दुकानों पर जलेबियाँ छन रहीं थीं, पकौड़े तले जा रहे थे। लोग दुकानों के बाहर बैठकर, खड़े होकर व्रत तोड़ रहे थे। दुकानों में काम करने फुर्ती से ग्राहक सेवा में तल्लीन थे। दुकाने खिली हुईं थी। बाजार चहक रहा था।
त्योहार की उपस्थिति मात्र से बाजार का खून बढ़ जाता है। त्योहार बाजार के जिगरी दोस्त होते हैं।
जगह-जगह लोग खड़े होकर, बैठकर फ़ोटो खिचा रहे थे। खुश हो रहे थे।
छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा था।
आसमान के सूरज की पूजा के बाद आज पूनम जैन Poonam Jain का लेख पढ़ा (फ़ोटो में देखिए) – अपने सूरज को अनदेखा न करें। आप भी पढिए और इज्जत दीजिए अपने सूरज की।

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