http://web.archive.org/web/20140419212610/http://hindini.com/fursatiya/archives/410
होली के कुछ और समाचार
By फ़ुरसतिया on March 23, 2008
आज होली होने के कारण अखबार देर से आये। जो आये सो भीगे हुये थे। इसलिये हमने अपनी खबरें नेट से खोजीं। नेट में आदतन ब्लागिंग से संबंधित खबरें खोजते रहे। जो खबरें हम खोज पाये उनको आप भी देखिये। ज्ञान बढ़ेगा।
समीरलाल हाईस्कूल पास करेंगे:-
आज अखबार में खबर छपी कि अब हाईस्कूल में किसी को शून्य अंक न मिलेंगे। खबर सुनते ही समीरलालउछल पड़े और उनका सर छत से टकरा गया। वे बिना उड़नतस्तरी के , हवा की तरह ,भागते हुये जबलपुर के शिक्षा विभाग के दफ़्तर में हाईस्कूल का फ़ार्म भरने के लिये खिड़की पर अकेले खड़े हैं। उनकी वर्षों की तमन्ना है कि हाईस्कूल में कुछ नम्बर मिलें सो वह पूरी होगी। लोगों ने पूछा -कौन से विषय लेंगे हाईस्कूल में। उन्होंने बताया विषय अभी तय नहीं हुआ लेकिन जो भी सवाल आयेगा वे उस पर साधुवादी टिप्पणी करेंगे। नम्बर अपने आप मिलेंगे। समीरलाल के भाईचारे की एक और मिसाल उस समय दिखी जब वे मोहल्ले पर मौजूद कुत्ते को भी होली मुबारक कहने गये। वे वहां जाकर बोले-सही है..आपको होली बहुत-बहुत मुबारक! उस कुत्ते ने अभी तक समीरजी की बात का जबाब नहीं दिया है। उसने बताया कि इस सवाल का जबाब पार्टी प्रवक्ता देगा।
पाण्डेयजी गुझिया किंग
सबेरे ज्ञान जी ने गुझिया बनाती हुयी भाभीजी की तस्वीर लगाई। इस तस्वीर को देखते ही चोखेरवालियां एक बार फ़िर बमक गयीं। उनका कहना था कि पहले खिचड़ी और अब गुझिया में भी महिला को ही मेहनत करनी होगी? इस पर उनको सूचित किया गया कि श्रीमती रीता पाण्डेय जी ने तो केवल उद्घाटन के लिये फोटो खिंचाई थी। असल मेहनत तो पाण्डेयजी को करनी है। उनको ही गुझिया बनानी है। सुनते ही सारी चोखेरवालियां अपने-अपने घरवालों से गुझिया बनवाने चली गयीं। पाण्डेयजी जैसे समर्पित गुझिया निर्माता को शिवपुरी इलाके का गुझिया किंग घोषित किया गया।
अनीताकुमार रिंग में
अनीताकुमार जी का मसल युक्त फोटो देखकर अमेरिका की एक बाक्सिंग एजेन्सी ने उनको रिंग में लैला अली से मुकाबला करने के लिये साइन करने का विचार किया है। अभी मामला तय नहीं हुआ है लेकिन कयास लगाये जा रहे हैं कि शीघ्र ही डील फ़ाइनल हो जायेगा। अनीताजी ने भी अपना नाम सही करवाने के लिये अदालत में हलफ़नामा दाखिल किया है। अब उनको अनीता कुमार के जगह कुमारी अनीता के नाम से जाना जायेगा।
मैल और क्रोध के रंग बाजार में
मीनाक्षीजी ने अपने गूगल ग्रुप के सौजन्य से एकदम नयी तकनीक से बने रंग पेश किये हैं। इन रंगो की खास बात यह है कि इनके बनाने में कोई लागत नहीं लगती। थोड़ा सा मन का मैल, थोड़ा सा क्रोध और थोड़ा गिला-शिकवा और चुटकी भर शिकवा मिलाकर इन रंगों को डालकर धो दिया जाता है। बिन छदाम बन जाता काम।
होरी पर तैयार है गोरी
: युनुस के वैसे तो मधुर स्वभाव के माने जाते हैं। लेकिन उनके ब्लाग पर आज गाली-गलौज की भूमिका बनती दिखी। वहां पर गोरी ने कन्हैया को चुनौती देते हुये कहा -इस बार कन्हैया की हरकतों का डटकर जबाब दिया जायेगा। बरजोरी सहन न होगी। ब्लाग जगत के बड़े-बड़े सूरमा अपने को कन्हैया मानकर इधर-उधर फ़ूट लिये। ज्ञानदत्त जी गुझिया बनाना छोड़कर भागते हुये कलकत्ता पहुंचे गये और वहां शिवकुमार मिश्र के ब्लाग पर शरणागत हुये।
समीरलाल को बहुत खुशी हुयी कि ऐन समय पर उनका रूप परिवर्तन हो गया और वे अपने को गोरी की सहेली के रूप में पेश करने को तैयार करने लगे। गोरी ने गारी रट रखी हैं इसका कानूनी तोड़ जानने के लिये लोगों ने डा. द्विवेदी से सलाह ली। तीसरे खंबे का सहारा लेते हुये उन्होंने बताया कि कापी राइट एक्ट लिखी-लिखाई चीजों पर होता है। अगर गोरी ने रटी-रटाई गालियां दीं तो पकड़ना मुश्किल है। आलोक पुराणिक से भी लोगों ने सलाह ली। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये उन्होंने चेहरे पर चश्मा चढ़ाते हुये कहा कि उनके सम्बन्ध केवल राखीजी, मल्लिकाजी जैसियों से ही हैं। इनके अलावा वे किसी और से याराना बनाने में डरते हैं। अजित वडनेरकर से भी जब लोगों ने सलाह ली तो उन्होंने बताया यहां गारी का मतलब गाड़ी होगा। गोरी ने अगर गारी रट रखी है तो इसका मतलब यह हो सकता है, और ज्यादा चांसेज इसी बात के हैं ,कि गोरी ने कन्हैया को बुलवा रखा है। अबकी जैसे ही आयेंगे वो उनके साथ निकल लेगी। सारी गाड़ियों के नम्बर उसने रट रखे हैं।
जैसा कि होता है इस रंगबाजी के माहौल में लोगों ने कन्हैया के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया ताकि गोरी की नजदीकी हासिल कर सकें। गोपी की कुछ सहेलियों ने काकेश पर हाथ साफ़ करना शुरू कर दिया। काकेश ने बचने की बजाय और अच्छी तरह सिकने का प्रयास करते हुये इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया – कन्हैया ईश्वर हैं। उनको तो हम पकड़ न पाये अभी तक। तब तक आपके ऊपर ही नेट प्रैक्टिस करते हैं। आप भी तो कौवों के ईश्वर हो( काकेश= काक+ ईश्वर) । गोपियों के शब्दज्ञान पर काकेश खुश हो गये।
अनिल रघुराज न जाने क्यों होली के मौके पर कृष्ण कन्हैया और राधा गोरी का रंगभेद देखने की बजाय ओबामा -क्लिंटन हिलेरी का रंगभेद देखने लगे।
पंगेबाज पकड़े गये छूटे भी:
पंगेबाज को होली की पूर्वसंध्या पर अफ़वाहें फ़ैलाने के जुर्म में ब्लागपुलिस ने पकड़ लिया । पता चला है कि पंगेबाज ने अफ़वाह फ़ैलाई कि ब्लागवाणी का गूगल में विलय हो गया। इस पर मैथिलीजी उनके खिलाफ़ रिपोर्ट लिखा दी। उन्होंने बताया कि सच यह है कि गूगल के ब्लागवाणी में विलय की बात चल रही है। पंगेबाज की उल्टी अफ़वाह से ब्लागवाणी की शाख को धक्का पहुंचा है। बाद में पंगेबाज को इस शर्त पर छोड़ा गया वे आगे से खुराफ़ात न करेंगे। पंगेबाज ने शर्तनामे पर अंगूठा लगाते हुये सवाल भी किया कि खुराफ़ात न करेंगे तो करेंगे क्या?
अफ़लातून ने पंगेबाज पर इस पाबंदी का विरोध किया। उनका मानना है कि यह पाबंदी एक शरीफ़ वयक्ति के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। सृजन शिल्पी और जगदीश भटिया ने लोकतांत्रिक अधिकार की बात तो मानी लेकिन पंगेबाज को शरीफ़ मानने से उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया। जहां लफ़ड़ा होता है वहां मसिजीवी अवश्य होते हैं या सच कहें तो जहां मसिजीवी होते हैं वहां लफ़ड़ा अवश्य होता के सिद्धान्त के अनुसार मसिजीवी घटनास्थल पर पाये गये। उन्होंने पंगेबाज का यह सोचते हुये समर्थन किया कि अगर आज इनका समर्थन न किया तो कल हमारा कौन करेगा?
अध्यापक होने के कारण आलोक पुराणिक से भी पंगेबाज की शराफ़त के बारे में पूछा गया। आलोक जी ने बताया -एक तो इस लड़के को मैं पढ़ाता नहीं हूं। उल्टा ये दुनिया भर को पढ़ाता है। दूसरी बात जहां तक शराफ़त की है तो मैं केवल राखी सावंत और मल्लिका सहरावत की शराफ़त की गारण्टी ले सकता । इसके अलावा अपनी खुद की शराफ़त की भी गारण्टी मैं नहीं ले सकता। फिर इन पंगेबाज की शराफ़त के बारे में कैसे कहूं, क्या कहूं?
आया फ़ागुन झूम के
:सुनीता शानू ने सूचित किया कि इस बार फ़ागुन झूम के आया है। हर बात पर सवाल उठाने वालों कुछ लोगों ने सवाल किया कि भाई झूमने का हक तो सावन का है। वही झूमते हुये आता है। ये फ़ागुन काहे झूमने लगा। नकल कर रहा है सावन की। इसको क्या पता नहीं कि कापीराइट एक्ट भी कोई चीज होती है। सवाल पूछने वाले लोगों ने कारण भी बता दिया। फ़ागुन के चढ़ गयी होगी इसी लिये झूमते हुये आ गया। झूम लेन दो निगोड़े को। कल चला जायेगा घूम के। लोगों को इकट्ठा देखा तो विनोद पराशर सबको अपना कवि सप्लाई केन्द्र दिखाने ले गये। वहां भी घालमेल दिखा जब पता कि वहां कवियत्रियों का भी इंतजाम था। पता नहीं लोग इत्ता असत्य भाषण काहे करते हैं जी।
होली खेलें रघुवीरा
: इस गाने का अध्ययन करने वाले ने बताया कि राम को वनवास मिलने का कारण उनका होली खेलना था। उन्होंने कृष्णावतार की होली की थीम चुरा के पहले हे खेल डाली। असल में यह तय हुआ था कि होली का कार्यक्रम कृष्णावतार के समय पेश किया जायेगा। रामावतार के समय केवल फ़ुलवारी प्रसंग ही होगा। लेकिन होली थीम देखकर राम का जी ललचा गया और उन्हॊंने इसे खेल डाला। अबभाई उनको पता होना चाहिये था कि थीम चुराना कित्ता बड़ा अपराध होता है। देखिये उप्र में मुख्यमंत्री जी ने अपने एक सचिव को इसीलिये हटा दिया काहे से कि उनकी गुलाबी थीम पर सचिव के यहां फ़ैशन परेड हो गयी। इसीलिये होली- थीम चोरी की घटना पर भिन्नाते हुये विधाता ने रामचंद्रजी की कर्मकुंडली बदल डाली। गुस्सा कर उनको १४ साल के अयोध्या-बदर कर दिया गया। वहां राम ने विधाता का गुस्सा रावण -अहिरावण आदि पर उतारा। गुस्से में आकर उन्होंने रावण को निपटा दिया जिसने सीता से होली खेलने की कोशिश की। बाद में मनगठंत कहानियां गढ़ी गयीं।
अब आगे और क्या कहें। आप मौज करें होली में। होली की शुभकामनायें आपको। ये रहे चंद एक लाइना:
१. वोट और नोट पर होलियाना निबंध : पढ़कर बुरा मान गये क्या आप?
२. रंगों के त्यौहार पर थोड़ा रंगभेद हो जाए तो!!! कौन बड़ी आफ़त आ जायेगी?
३.होली है और हमारी हक़ीक़त है! बड़ी हसीन हकीकत है जी। नजर न लगे इसे।
४.उनकी फुरसत, हमारी खबर : और हम बने हैं अभी तक बेखबर!
५. तिलकब्रिज रेलवे क्वार्टर्स में धमाचौकड़ी:धरे गये विमल वर्मा।
६. कवि सप्लाई केन्द्र:खूबसूरत कवियत्रियों का भी प्रबंध है।
७.जब पीडा हो मन में तो शोर मचा दो-हिन्दी शायरी : मतलब चोर मचाये शोर के अनुसार अब शायरी चोरों का काम हो गयी।
८. लिखने वाले हिट्स की परवाह नहीं करते: इसीलिये हिट्स भी उनसे कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है।
९.अज़दक, ईराक और अमरीका : को आप देखेंगे तो पायेंगे ‘क’ सबकी पूंछ में मौजूद है।
१०.फ़ागुन आया झूम के.. : चला जायेगा घूम के।
११. गुझिया बनाना उद्यम : ‘उद्यम’ की जगह ‘ऊधम’ पढ़ें बाकी सब मुबारक है।
१२.होरी पर बरजोरी , रंगबाजी नहीं वाजिब… : होरी पर बरजोरी न होगी तो का रक्षाबंधन को होगी?
१३.होली के पीछे क्या है, होली के पीछे : ड्रामेबाजी है।
१४. हाय तेरी ब्लॉग सी आँखें !पर टिप्पणियों का चश्मा चढ़ा है।
१५. घोस्ट बस्टर जी, ये होली का खुमार है: आप पर भी चढ़ेगा।
१६. ईसाई होकर भी दलित रहे: मतलब ढाक के तीन पात।
१७.फिर आया फागुन…. : हमेशा बिना पूछे चला आता है।
१८.जिसको भी देखा मुस्का के उसको ही घायल कर डाला : डा. द्विवेदी जी बतायें कौन सी दफ़ा लगेगी इन पर?
१९. बाप का बीस लाख फूँक कर :दस आपके हाथ पर धर दूँगा !
२०.व्रज में हरी होरी मचाई….. :पुलिस मिली है, अभै तक न आई।
२१. यूं तो हम पंगे नहीं लेते :लेकिन होली में लिये लेते हैं, काम आयेगा।
Posted in बस यूं ही | 14 Responses
इतना लिखे आप की कोई छूटा नहीँ!
सभी को नाप लिया आपने अपने अंदाज में । अपने होली के कारनामें बताईये, कहाँ कहाँ से छूटे और किस किस चौराहे पर धरे गये
होली के आसपास आप बहुत एक्टिव टाइप हो जाते है।
होली की स्पिरिट बनाये रखिये।
पूरे साल सारी चिरकुटई की मोनोपोली सिर्फ हमरी थोड़ी ही है।
कुछ तो दायित्व आप भी संभालिए ना।
अख़बार भीग जाने का न बाक़ी रहा मलाल !
वो जो ऊपर में दिया है आपने व्यू
क्या हुआ उनका कोई इंटरव्यू ?
होली है, मत छुपाइए मेहरबान
सच बताइए क्या कहा, बढ़ जाए हमारा ज्ञान !
चोखेरबालियों से गुझिया खाने की इच्छा भी पता चल गई।