Wednesday, June 25, 2008

मैं कृष्णबिहारी को नहीं जानता – गोविन्द उपाध्याय

http://web.archive.org/web/20140419215246/http://hindini.com/fursatiya/archives/452

8 responses to “मैं कृष्णबिहारी को नहीं जानता – गोविन्द उपाध्याय”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    बहुत लम्बा है फुरसत निकाल कर पढ़ना पडे़गा।
  2. लिखने के स्वानुभूति होना जरूरी है- कृष्ण बिहारी
    [...] और उनके बारे में गोविन्द उपाध्याय का लेख पढ़ा। अब आप अपने खुद के लेखन के बारे में [...]
  3. Gyan Dutt Pandey
    नाम ही है कृष्ण और बिहारी। तो उसी में निहित है वर्जनाओं से मुक्त और निहायत पारदर्शी होना। और ऊपर से लिखने वाले गोविंद। तब तो बात ही निराली है।
    भैया कृष्ण बिहारी को तो बचपन से समझने की कोशिश कर रहे हैं! रोज गच्चा देते हैं। हमने तो फोटो भी लगा ली है ब्लॉग पर कि इसी बहाने कुछ समझ आयें!
  4. समीर लाल
    गोविन्द भाई ने बिहारी जी के विषय में बड़ी तल्लीनता और आत्मियता से लिखा है. बहुत रोचक लगा यह आलेख बिहारी जी के जीवन के विभिन्न पहलूओं से परिचित करता. आभार इसे यहाँ पेश करने का.
  5. डा०अमर कुमार
    लगता है कि बेलौस तबियत,
    ने बनायी बिहारी की शख़्सियत !
  6. raj kamal awasthi`

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