रात बहुत हुई मेरी नीँद अभी तक नहीं आई,
जमाना खराब है कोई हादसा न हो जाये.
गोला बारूद कम है कोई परवाह नहीं है यार,
खदेड देँगेँ दुश्मन को फेसबुक पे डिसलाइक करके.
जगह कम पड गई अखबार में विज्ञापन के चलते,
खबर निकाल कर एडीटर ने उसका खँडन सटा दिया
आया था सुबह दफ़्तर अब लौट रहा हूं,
डरा हूं कहीं अखबार इसे छाप न दे।
वो छपा रहे खंडन उस खबर का हरेक अखबार में ,
वो खबर जो कभी छपी ही नहीं किसी अखबार में।
-कट्टा कानपुरी
जमाना खराब है कोई हादसा न हो जाये.
गोला बारूद कम है कोई परवाह नहीं है यार,
खदेड देँगेँ दुश्मन को फेसबुक पे डिसलाइक करके.
जगह कम पड गई अखबार में विज्ञापन के चलते,
खबर निकाल कर एडीटर ने उसका खँडन सटा दिया
आया था सुबह दफ़्तर अब लौट रहा हूं,
डरा हूं कहीं अखबार इसे छाप न दे।
वो छपा रहे खंडन उस खबर का हरेक अखबार में ,
वो खबर जो कभी छपी ही नहीं किसी अखबार में।
-कट्टा कानपुरी
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