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चलो ट्विटियाते हैं यार
By फ़ुरसतिया on July 18, 2012
कल बोर हो रहे थे। सोचा क्या किया जाये। जहां सोचने लगे तो बोरियत का
वोल्टेज डाउन हो गया। सोचा कि सोचने का काम किया जाये। इससे बोरियत अपने आप
कम हो जायेगी। जहां सोचना शुरु किया तो मामला और आगे बढ़ गया। सोचा सोच को
साझा किया जाये। साझा करने के लिये आज दुनिया में सबसे तेज चैनल ट्विटर और
फ़ेसबुक हैं। सो वहां पहुंचकर सोच को जग जाहिर करते रहे। आप भी देख लीजिये।
आम आदमी इसी में गच्च रहता है कि उसकी बात दुनिया भर में फ़ैल रही है। कोई ध्यान दे या न दे। ट्विट की दुनिया भी मजेदार है। आदमी किसी एक घटना की रिपोर्टिंग करने में इत्ता मशगूल रहता है कि तमाम दूसरी घटनायें उसको बगलिया के निकल जाती हैं। मामला हाइजनबर्ग के अनिश्चितता के सिद्धांत की तरह का हो जाता है- या तो देख लो या ट्विट कर लो।
कोई एक ऊटपटांग ट्विट करने के बाद मन कुछ देर शान्त रहता है। इसके बाद मन करता है एक और किया जाये यार! किया जाता है। फ़िर एक और। मतलब मामला ये दिल मांगे मोर वाला होता जाता है।
ट्विट लोग अपनी प्रवृत्ति के हिसाब से करते हैं। जैसा मन वैसा ट्विट। बड़े लोग बड़ी-बड़ी बातें लिखते हैं ट्विट में। उन बातों को बड़े लोग ही समझ पाते हैं। अब आप यह तो जानते ही हैं कि दुनिया में बड़े लोग कित्ते हैं। आपसे क्या छिपाना।
मुझे लगता है कुछ लोग अपने ट्विट लिखने के लिये कुछ लोगों को अपने यहां तैनात भी रखते होंगे। जैसे सिनेमा के लिये संवाद लेखक होते हैं वैसे ही बड़े लोगों के लिये ट्विट लेखक होते होंगे।
कभी-कभी क्या मुझे अक्सर ही लगता है कि ट्विट लिखना आदमी का पवित्र हो जाना है। जो मन में होता है वह लिख देता है। एक बात ट्विटिया दी शान्त हो गये। दूसरी आ गयी उसको भी मौका दे दिया जा बेटी ट्विट संसार में कूद जा। हमारे मन के मुकाबले तो वहां सुरक्षित ही रहेगी। यहां पता नहीं कौन सा आइडिया कैसा सुलूक करे तेरे साथ।
इत्ता लिखने के बाद आगे लिखने को बहुत कुछ बचा है अभी। लेकिन एक ठो आइडिया आया है। दिमाग की मेज खटखटा रहा है। कह रहा हमको ट्विट करो फ़िर अपना काम करते रहना। देखते हैं कि है तो चिरकुट सा लेकिन अकड़ ऐसा रहा है जैसे किसी बहुत बड़े आइडिया का बाप हो। खैर आते हैं जरा इसको ठिकाने लगा के फ़िर आपसे आगे बतियाते हैं।
तब ताक आप ऊपर वाली फ़ोटो दुबारा देखिये। इसे ज्ञानजी ने अपने ट्विटर पर लगाया है सुबह सवा पांच बजे और साथ में ट्विट भी है-आज सवेरे 5:15 इलाहाबाद के प्लेटफॉर्म 1 पर उतर कर घर के लिये चला तो पार्सल ऑफिस के बाहर अखबार वितरक यह भीड़ लगाये थे! !
आप कहीं जाइयेगा नहीं। हम बस ये गये ये आये। ठीक है न!
- जिन क्षणों के बारे में हमने ट्विट नहीं किया वे अनंत में ब्लैक होल की तरह हैं जिनके बारे में कोई सूचना दुनिया को नहीं मिलती।
- बरामदे में बईठ के सुबह की दूसरी चाय पी रहे हैं। सामने फ़ूल गरदना हिला रहा है, कुछ पक्षी बोल रहे हैं। शायद कह रहे हैं -तीसरी मत मंगाना अब!
- मंत्रीजी का कहना है कि छात्र पिटने पर काबिल बनते हैं। आम जनता ने मंत्रियों को काबिल बनाने के लिये प्रौढ़ शिक्षा अनिवार्य करने की मांग की है।
- उत्तर प्रदेश में मंसूरपुर थानातर्गत दूधाहेड़ी गाव में लड़कियों का नाखून न बढ़ाने के फ़ैसले को कुछ लोग नेलकटर कंपनी- प्रायोजित बता रहे हैं।
- लड़कियों को मोबाइल-वंचित रखने के बावजूद कुछ जगह प्रेम विवाह होते देख एक पंचायत ने फ़तवा जारी किया- लड़कियां अठारह साल बाद बोलना सीखेंगी।
- पुराने लोकप्रिय ग्रंथ/किताबें अक्सर आपको अपनी बेवकूफ़ सोच को सही साबित करने के लम्पट बहाने मुहैया करने में भी सहयोग करते हैं।
आम आदमी इसी में गच्च रहता है कि उसकी बात दुनिया भर में फ़ैल रही है। कोई ध्यान दे या न दे। ट्विट की दुनिया भी मजेदार है। आदमी किसी एक घटना की रिपोर्टिंग करने में इत्ता मशगूल रहता है कि तमाम दूसरी घटनायें उसको बगलिया के निकल जाती हैं। मामला हाइजनबर्ग के अनिश्चितता के सिद्धांत की तरह का हो जाता है- या तो देख लो या ट्विट कर लो।
कोई एक ऊटपटांग ट्विट करने के बाद मन कुछ देर शान्त रहता है। इसके बाद मन करता है एक और किया जाये यार! किया जाता है। फ़िर एक और। मतलब मामला ये दिल मांगे मोर वाला होता जाता है।
ट्विट लोग अपनी प्रवृत्ति के हिसाब से करते हैं। जैसा मन वैसा ट्विट। बड़े लोग बड़ी-बड़ी बातें लिखते हैं ट्विट में। उन बातों को बड़े लोग ही समझ पाते हैं। अब आप यह तो जानते ही हैं कि दुनिया में बड़े लोग कित्ते हैं। आपसे क्या छिपाना।
मुझे लगता है कुछ लोग अपने ट्विट लिखने के लिये कुछ लोगों को अपने यहां तैनात भी रखते होंगे। जैसे सिनेमा के लिये संवाद लेखक होते हैं वैसे ही बड़े लोगों के लिये ट्विट लेखक होते होंगे।
कभी-कभी क्या मुझे अक्सर ही लगता है कि ट्विट लिखना आदमी का पवित्र हो जाना है। जो मन में होता है वह लिख देता है। एक बात ट्विटिया दी शान्त हो गये। दूसरी आ गयी उसको भी मौका दे दिया जा बेटी ट्विट संसार में कूद जा। हमारे मन के मुकाबले तो वहां सुरक्षित ही रहेगी। यहां पता नहीं कौन सा आइडिया कैसा सुलूक करे तेरे साथ।
इत्ता लिखने के बाद आगे लिखने को बहुत कुछ बचा है अभी। लेकिन एक ठो आइडिया आया है। दिमाग की मेज खटखटा रहा है। कह रहा हमको ट्विट करो फ़िर अपना काम करते रहना। देखते हैं कि है तो चिरकुट सा लेकिन अकड़ ऐसा रहा है जैसे किसी बहुत बड़े आइडिया का बाप हो। खैर आते हैं जरा इसको ठिकाने लगा के फ़िर आपसे आगे बतियाते हैं।
तब ताक आप ऊपर वाली फ़ोटो दुबारा देखिये। इसे ज्ञानजी ने अपने ट्विटर पर लगाया है सुबह सवा पांच बजे और साथ में ट्विट भी है-आज सवेरे 5:15 इलाहाबाद के प्लेटफॉर्म 1 पर उतर कर घर के लिये चला तो पार्सल ऑफिस के बाहर अखबार वितरक यह भीड़ लगाये थे! !
आप कहीं जाइयेगा नहीं। हम बस ये गये ये आये। ठीक है न!
Posted in बस यूं ही | 18 Responses
संजय अनेजा की हालिया प्रविष्टी..बहुत कठिन है डगर पनघट की …..
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..वर्षा गीत !
अफलातून की हालिया प्रविष्टी..खेत में दबाये गये दाने की तरह / कविता / भवानीप्रसाद मिश्र
https://twitter.com/eswami/status/225435577833635840
eswami की हालिया प्रविष्टी..कटी-छँटी सी लिखा-ई
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..ना जीना ना मरना
विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..हमारे शौक ही हमारी सोच को बदल देते हैं
विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..हमारे शौक ही हमारी सोच को बदल देते हैं
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..कारू मामा की कचौरी
बकिया, दरी-पाटिया यहीं लगाई लिए हैं………आप फिर से आईये….
प्रणाम.
aradhana की हालिया प्रविष्टी..More Widgets For Your Blog
Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..कारू मामा की कचौरी
ट्विटराते चलिए…
ये एक पर एक फ्री वाला जुगाड अच्छा है…
सोच रहा हूँ मैं भी कनेक्ट कर ही लूं फेसबुक और ट्विटर को…
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..उर्वशी, एक परिक्रमा
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..यूँ ही…कुछ परिभाषाएँ !
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..बुर्जुआ भाषा वालीं हिन्दी फ़िल्में