http://web.archive.org/web/20140420081905/http://hindini.com/fursatiya/archives/3223
आज देश आंदोलनों के दौर से गुजर रहा है।
तरह-तरह के आंदोलन हो रहे हैं। जिधर देखो उधर आंदोलन। पूरा देश गंजा पड़ा है आंदोलनों से। कहीं-कहीं आंदोलन के साथ क्रांति भी आकर खड़ी हो जाती है। मामला कलरफ़ुल हो जाता है। आंदोलन के साथ क्रांति को देखकर जनता उसी तरह प्रफ़ुल्लित हो जाती है जैसे पर्दे पर हीरो के साथ हीरोइन को देखकर दर्शक सीटी बजाने लगते हैं।
कहीं भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन, कहीं गाय की रक्षा के लिये आंदोलन, कहीं विदेशी पूंजी के खिलाफ़ आंदोलन, कहीं रिटेल के विरोध में आंदोलन। कोई अपनी जाति के लिये नौकरी में आरक्षणरत है कोई धर्म के लिये। सफ़ेद धन से ऊबे लोग काले धन की वापसी के लिये आंदोलनरत हैं। कहीं प्रोमोशन में आरक्षण के विरोध में आंदोलन कहीं समर्थन में आंदोलन। भाषानीति, मंहगाई भत्ता , पे-कमीशन, तन्ख्वाह के लिये भी आंदोलन गाहे-बगाहे होते रहते हैं।
पूरे देश का ट्रैफ़िक आंदोलन की गाड़ियों से जाम हुआ पड़ा है।
आंदोलन के लिये स्वयं-सेवक चाहिये होते हैं। अच्छे स्वयंसेवकों से आंदोलन अच्छा चलता है। खूबसूरत कार्यकर्ता हों तो मीडिया कवरेज में सुविधा होती है। मांग और आपूर्ति के चलते स्वयंसेवकों की मांग भी बढ़ गयी है। न्यूनतम मजदूरी बढ़ने के चलते आंदोलन चलाना मंहगा काम हो गया है। हर किसी के बस की बात नहीं हैं आंदोलन चलाना।
हमारे एक मित्र ने तमाम आंदोलनों में शामिल होने के लिये अपनी सेवायें देने की इच्छा जताई है। उनके आंदोलन में शामिल होने की शर्तें निम्नवत हैं:
वे बेकरार हैं किसी आंदोलन से तुरंत जुड़ने के लिये। किसी क्रांति से फ़ौरन सटने के लिये।
मुझे डर है कि अगर किसी पार्टी ने उनसे संपर्क न किया तो वे कहीं आंदोलन करने वाली पार्टियों के खिलाफ़ क्रांति का आह्वान न कर दें।
नोट:1. ऊपर का फोटो फ़्लिकर से साभार। उसमें लिखा है Chipko aandolan
from Twilight Fairy . चिपको आंदोलन ट्विलाइट फ़ेरी से। ट्विलाइट फ़ेरी को भी आभार!
2.ये लाइनें पॉपुलर मेरठी की इस्टाइल की नकल करके लिखीं। इनको शायरी या गजल अपने रिक्स पर समझा जाये।
एक स्वयं सेवक का आवेदन पत्र
By फ़ुरसतिया on August 14, 2012
तरह-तरह के आंदोलन हो रहे हैं। जिधर देखो उधर आंदोलन। पूरा देश गंजा पड़ा है आंदोलनों से। कहीं-कहीं आंदोलन के साथ क्रांति भी आकर खड़ी हो जाती है। मामला कलरफ़ुल हो जाता है। आंदोलन के साथ क्रांति को देखकर जनता उसी तरह प्रफ़ुल्लित हो जाती है जैसे पर्दे पर हीरो के साथ हीरोइन को देखकर दर्शक सीटी बजाने लगते हैं।
कहीं भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन, कहीं गाय की रक्षा के लिये आंदोलन, कहीं विदेशी पूंजी के खिलाफ़ आंदोलन, कहीं रिटेल के विरोध में आंदोलन। कोई अपनी जाति के लिये नौकरी में आरक्षणरत है कोई धर्म के लिये। सफ़ेद धन से ऊबे लोग काले धन की वापसी के लिये आंदोलनरत हैं। कहीं प्रोमोशन में आरक्षण के विरोध में आंदोलन कहीं समर्थन में आंदोलन। भाषानीति, मंहगाई भत्ता , पे-कमीशन, तन्ख्वाह के लिये भी आंदोलन गाहे-बगाहे होते रहते हैं।
पूरे देश का ट्रैफ़िक आंदोलन की गाड़ियों से जाम हुआ पड़ा है।
आंदोलन के लिये स्वयं-सेवक चाहिये होते हैं। अच्छे स्वयंसेवकों से आंदोलन अच्छा चलता है। खूबसूरत कार्यकर्ता हों तो मीडिया कवरेज में सुविधा होती है। मांग और आपूर्ति के चलते स्वयंसेवकों की मांग भी बढ़ गयी है। न्यूनतम मजदूरी बढ़ने के चलते आंदोलन चलाना मंहगा काम हो गया है। हर किसी के बस की बात नहीं हैं आंदोलन चलाना।
हमारे एक मित्र ने तमाम आंदोलनों में शामिल होने के लिये अपनी सेवायें देने की इच्छा जताई है। उनके आंदोलन में शामिल होने की शर्तें निम्नवत हैं:
- आंदोलन केवल सप्ताहांत में होने चाहिये।
- आंदोलन लंबा चलने पर वे केवल वीकेंड में आंदोलन करेंगे। लेकिन क्रेडिट पूरे आंदोलन का मिलना चाहिये।
- दिल्ली से बाहर के आंदोलनों में शामिल होने के लिये प्रथम श्रेणी के किराये का भुगतान आंदोलन कराने वाली पार्टी को करना होगा। स्वयंसेवक से किराये का हिसाब-किताब नहीं पूछा जायेगा। वह किसी भी श्रेणी या बिना टिकट आंदोलन में शामिल हो सकता है।
- आंदोलन किसी भी शहर में हो लेकिन आंदोलन भत्ता दिल्ली की दर से ही करना होगा।
- भूख हड़ताल वाले आंदोलनों में स्वयंसेवक केवल कीर्तन करने और ताली बजाने का काम करेंगे। उनसे भूखा रहने का आग्रह नहीं किया जायेगा। लेकिन यह बात मीडिया को नहीं बताई जायेगी।
- अगर आंदोलन की कोई ड्रेस हो तो उसका इंतजाम आंदोलन का इंतजाम करने वाली पार्टी को करना होगा।
- मीडिया कवरेज में कम से कम दस प्रतिशत स्वंयसेवक को भी देना होगा। कम से कम एक वंदेमातरम और एक भारतमाता की जय बोलते हुये वीडियो स्वयंसेवक का भी बनाया जायेगा और उसकी सीडी स्वयंसेवक को भी प्रदान की जायेगी ताकि वो उसको यू-ट्यूब पर अपलोड कर सके।
- आंदोलन के दौरान जूस, मिनरल वाटर, नास्ते, खाने की व्यवस्था आंदोलन करने वाली पार्टी को करने होगी। आंदोलन के दौरान स्वयंसेवक से मिलने आने वालों के चाय-नास्ते की व्यवस्था भी आंदोलन कराने वाली पार्टी ही करेगी।
- आंदोलन के चलते अगर नौकरी पर कोई आंच आती है तो नौकरी बहाली का मुद्दा आंदोलन के मुद्दे में शामिल किया जायेगा। वैकल्पिक नौकरी की व्यवस्था होने तक गुजारे भत्ते की व्यवस्था आंदोलन करने वाली पार्टी को करनी होगी।
- आंदोलन की खबर छपने पर स्वयंसेवक का नाम भी मीडिया में दिया जायेगा। आंदोलन पत्रिका में स्वयंसेवक की कवितायें/लेख शामिल किये जायेंगे।
- आंदोलन की बीच से किसी दूसरे आंदोलन में शामिल होने पर आंदोलन पार्टी को कोई एतराज नहीं होना चाहिये। लेकिन अगर आंदोलन पार्टी को स्वयं-सेवक को निष्कासित करना है तो तीन दिन का नोटिस और एक सप्ताह का आंदोलन भत्ता एडवांस में दिया जायेगा।
- आंदोलन के दौरान मोबाइल बिल का भुगतान आंदोलन पार्टी को करना होगा।
- आंदोलन के समय झंडा फ़हराने के लिये बड़े और हल्के झंडे की व्यवस्था करनी होगी। झंडा फ़हराने के दो स्वयंसेवकों के सहयोग की व्यवस्था करनी होगी। विपरीत लिंगी स्वयंसेवक होने पर एक से ही काम चलाया जा सकता है।
- आंदोलन के दौरान चोट-चपेट लगने पर दवा और दारू की व्यवस्था आंदोलन कराने वाली पार्टी को करनी होगी।
- आंदोलन के समय होने वाले चंदे का हिसाब पारदर्शी रखा जायेगा। लेकिन स्वंयसेवक के हिस्से की रकम का भुगतान उसको गुप्त रूप से करना होगा।
वे बेकरार हैं किसी आंदोलन से तुरंत जुड़ने के लिये। किसी क्रांति से फ़ौरन सटने के लिये।
मुझे डर है कि अगर किसी पार्टी ने उनसे संपर्क न किया तो वे कहीं आंदोलन करने वाली पार्टियों के खिलाफ़ क्रांति का आह्वान न कर दें।
मेरी पसंद
- मैं एक आंदोलन चलाना चाहता हूं,
बिना टिकट दिल्ली जाना चाहता हूं। - मेरी अरबों की कमाई का कोई हिसाब नहीं,
बेईमानी के खिलाफ़ झंडा उठाना चाहता हूं। - इस बार तू संडे को करना आदोलन,
तेरे साथ पिकनिक मनाना चाहता हूं। - किसी पार्टी ने घास नहीं डाली बातचीत में,
मैं सबके खिलाफ़ हो जाना चाहता हूं। - मेरे मोबाइल में बैलेंस बहुत कम बचा है,
SMS करके तेरा हौसला बढ़ाना चाहता हूं।
नोट:1. ऊपर का फोटो फ़्लिकर से साभार। उसमें लिखा है Chipko aandolan
from Twilight Fairy . चिपको आंदोलन ट्विलाइट फ़ेरी से। ट्विलाइट फ़ेरी को भी आभार!
2.ये लाइनें पॉपुलर मेरठी की इस्टाइल की नकल करके लिखीं। इनको शायरी या गजल अपने रिक्स पर समझा जाये।
Posted in बस यूं ही | 21 Responses
बाबा ने सचमुच में चमत्कार कर दिया है.उन्होंने अपने योगबल से केवल कांग्रेसियों का और स्विस बैंक में जमा पैसे को काला बना दिया है,जबकि अन्य दलों के नेताओं की बेशुमार संपत्ति पूरी तरह दूध की धुली है.
…इसीलिए मोदी,येदियुरप्पा से लेकर मायावती और मुलायम साथ खड़े हैं !खुद बाबा ने भी अपना धन सफ़ेद कर लिया है !
संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..आलोचनाएं अपने गले में डाल लो !
कोई आंदोलन दिल्ली में हो रहा हो तो बताइयेगा , आप के तो बहुत कनेक्सन हैं । बस न्यूयार्क से तीसरे दर्जे का भी किराया दे दें तो चलेगा । TA /DA हम संभाल लेंगे | एन आर आई होनें के नाते इंटरनेसनल कलर भी मिल जायेगा आंदोलन को । डाक्टर ने डायटिंग बताया है , ज़रा बहुत फ़ास्टिग भी कर लेंगे ।
जय हो
प्रणाम.
ग़ज़ल खूब जमी है.
शिव कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..भरत और बाघ…कालिया मर्दन
ठंडी पड़ने न पाए कभी आग जन – आंदोलन की।
हुंकार भरो धरती पर ऐसी कि दिग दिगन्त भी बोले
हिमगिरि संग, धरती अंबर और पाताल भी डोले।
मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..बस मेरा है!!!
आंदोलन की खबर छपने पर स्वयंसेवक का नाम भी मीडिया में दिया जायेगा। आंदोलन पत्रिका में स्वयंसेवक की कवितायें/लेख शामिल किये जायेंगे।
चलो एक और उम्मीद की किरण दिखी कवितायें छपने की बढ़िया है
neeraj tripathi की हालिया प्रविष्टी..गब्बर सिंह और मंदी
जिस दिन क्रिकेट मैच हो ,आन्दोलन में आना या न आना स्वयं सेवक के स्वविवेक पर निर्भर होगा |
परन्तु उस दिन का आन्दोलन भत्ता पूरा देय होगा
—आशीष श्रीवास्तव
चित्र चयन अनूठा है .
पोस्ट बाद में पढ़ी जायेगी .
Alpana की हालिया प्रविष्टी..बस एक त्रिवेणी !
स्वयंसेवक ब्लॉगर हैं क्या ????
कल आन्दोलन के चलते ट्रेन मिस हो गयी
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..दोस्त…
संजय अनेजा की हालिया प्रविष्टी..ना.का. का पापा
सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..तुम सब चोरी करो डकैती हम मंत्रियों पर छोड़ दो
Abhishek की हालिया प्रविष्टी..‘मैं’ वैसा(सी) नहीं जैसे ‘हम’ !