http://web.archive.org/web/20140420082301/http://hindini.com/fursatiya/archives/3170
सावधान आप निगरानी में हैं
By फ़ुरसतिया on August 3, 2012
ओमपुरी जी एक सीसीटीवी का विज्ञापन कर रहे हैं- सावधान आप निगरानी में हैं।
कैमरा आप पर निगाह रखे हुये है। आपने कुछ भी किया वह रिकार्ड करके बता देगा दुनिया भर को।
कैमरे के इसी डर के चलते भले आदमी कुछ करने से परहेज करने लगे हैं। जहां कुछ किया नहीं कि पकड़ गये। लेकिन गड़बड़ आदमी की बात ही कुछ और है। जैसे कि अभी पुणे में हुआ।
पुणे में चार-पांच जगह विस्फ़ोट हुये।
पता चला जहां विस्फ़ोट हुआ था वहां एक कैमरा लगा था। लेकिन कैमरा खराब था इसलिये वो फ़ोटू न ले सका। ठीक होता तो बम रखने वाले का फोटो खैंच लेता। पुलिस फ़ोटो देखकर कई हमशक्ल पकड़ लाती। कोई न कोई फ़ाइनली पकड़ा ही जाता। उससे सवाल-जबाब होते। धर्म के हिसाब से उसको सजा देने-बचाने के बवाल कटते।
एक कैमरे के आलस ने इत्ता सारा मजा दायें-बायें कर दिया। शायद कैमरा गांधीजी का बन्दर हो गया हो। उसको याद आ गया होगा -बुरा देखना नहीं है।
यह भी हो सकता है कि कैमरा केवल उन पर निगाह रखने के लिये बना हो जो सावधान मुद्रा में हों। विश्राम स्थिति वालों के फोटो खैंचने से कैमरा मुकर जाता हो यह कहकर – हमको केवल सावधान लोगों को फोटो खैंचने का आदेश हैं। विश्राम मुद्रा वाले फोटो हमारे स्कोप के बाहर हैं।
होने को तो यह भी हो सकता है कि कैमरे को टीम अन्ना के राजनीति में आने का पूर्वाभास हो गया हो और उसने अपनी आंखें मूंद ली हों- अब किसके लिये रिकार्डिंग करें।
इनके अलावा कैमरा ऐन वक्त पर काम करके नहीं दिया इसका क्या कारण था यह तो पूना वाले जांच करके बतायेंगे लेकिन कुछ कारण ये भी हो सकते हैं:
कैमरा आप पर निगाह रखे हुये है। आपने कुछ भी किया वह रिकार्ड करके बता देगा दुनिया भर को।
कैमरे के इसी डर के चलते भले आदमी कुछ करने से परहेज करने लगे हैं। जहां कुछ किया नहीं कि पकड़ गये। लेकिन गड़बड़ आदमी की बात ही कुछ और है। जैसे कि अभी पुणे में हुआ।
पुणे में चार-पांच जगह विस्फ़ोट हुये।
पता चला जहां विस्फ़ोट हुआ था वहां एक कैमरा लगा था। लेकिन कैमरा खराब था इसलिये वो फ़ोटू न ले सका। ठीक होता तो बम रखने वाले का फोटो खैंच लेता। पुलिस फ़ोटो देखकर कई हमशक्ल पकड़ लाती। कोई न कोई फ़ाइनली पकड़ा ही जाता। उससे सवाल-जबाब होते। धर्म के हिसाब से उसको सजा देने-बचाने के बवाल कटते।
एक कैमरे के आलस ने इत्ता सारा मजा दायें-बायें कर दिया। शायद कैमरा गांधीजी का बन्दर हो गया हो। उसको याद आ गया होगा -बुरा देखना नहीं है।
यह भी हो सकता है कि कैमरा केवल उन पर निगाह रखने के लिये बना हो जो सावधान मुद्रा में हों। विश्राम स्थिति वालों के फोटो खैंचने से कैमरा मुकर जाता हो यह कहकर – हमको केवल सावधान लोगों को फोटो खैंचने का आदेश हैं। विश्राम मुद्रा वाले फोटो हमारे स्कोप के बाहर हैं।
होने को तो यह भी हो सकता है कि कैमरे को टीम अन्ना के राजनीति में आने का पूर्वाभास हो गया हो और उसने अपनी आंखें मूंद ली हों- अब किसके लिये रिकार्डिंग करें।
इनके अलावा कैमरा ऐन वक्त पर काम करके नहीं दिया इसका क्या कारण था यह तो पूना वाले जांच करके बतायेंगे लेकिन कुछ कारण ये भी हो सकते हैं:
- कैमरा खरीदकर लगा दिया गया हो लेकिन उसकी केबल का आर्डर देना लोग भूल गये हों।
- कैमरे के कुछ सामान का आर्डर एक कंपनी को गया कुछ का दूसरी कंपनी को। दूसरी कंपनी वाले की सप्लाई अभी बाकी हो।
- समय पर भुगतान न होने के चलते कैमरा कम्पनी वाले सीढ़ी लगाकर कैमरे का बल्ब निकाल ले गये हों।
- एक ही कैमरे को कई जगह लगा दिखाकर भुगतान हो गया हो। उसके बाद कैमरे के सामान अलग-अलग जगह लगे रह गये हों।
- कैमरे की गठबंधन सरकार का कोई घटक ऐन टाइम पर रूठ गया हो और उसने काम करने से इंकार कर दिया हो।
- गारंटी/वारंटी अवधि के बाद का ए.एम.सी.(वार्षिक रखरखाव ठेका) न हो पाने के चलते कैमरा नखरे करने लगा हो।
- कैमरे की बिजली सप्लाई वाला स्विच आन करना भूल गये हों लोग।
- ग्रिड की देखा-देखी कैमरा भी फ़ेल हो गया हो।
- कैमरे की आत्मा जंतर-मंतर पर आकर अन्ना समर्थकों के साथ अनशन पर बैठ गयी हो।
- कैमरे का तेल-पानी ठीक से न हुआ हो और इसी के चलते वह रूठ गया हो।
- कैमरा भी दूसरा नया कैमरा खरीदने के अभियान में शामिल हो गया हो।
Posted in बस यूं ही | 14 Responses
इस बार एक भी नहीं , एक शायद घायल है बस |
इसीलिए तो कैमरे ने आंखे मूंद ली |
यह तो सिमुलेटर ट्रेनिंग थी , जब असली होगा तब खचाक से खैंच लेंगे |
amit srivastava की हालिया प्रविष्टी.." पहली अगस्त …..जन्म हुआ था इस दिन हमारा ….."
लेकिन क्या मालूम था कैमरे के दिन आ गए हैं..बहुत ही मजेदार पोइंट्स हैं .
सारे ही बिंदुओं में जान लग रही है ,किसी एक को दोषी देना सही नहीं है.
वैसे इस कि जांच का काम सोनी टी वी वाले सी आई डी प्रमुख प्रत्युमन जी को सौंप दिया जाता
तो एक घंटे में सब सुलझ गया होता ,बेकार आप को भी पोस्ट लिखनी पड़ गयी!
…
कैमरे की बात चली तो याद आया कि अब यहाँ स्कूलों में चप्पे-चप्पे पर लग गए हैं [उन्हें मजबूरन लगवाने पड़े हैं ].
सी-सी टी वी के चालू होने से कुछ के मज़े हैं तो कुछ की मुसीबत ..अब कौन आनंद लेता होगा और कौन परेशान ‘बताने की आवश्यकता नहीं है
…
सी सी टी वी जैसे उपेक्षित ‘ कर्मचारियों’ पर आप ने ध्यान दिया.
आशा है ,उनकी टीम वाले आभार भेजेंगे .
रोचक और बढ़िया लेख है !.
Alpana की हालिया प्रविष्टी..सही निर्णय ….
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..नर की अग्नि
रवि की हालिया प्रविष्टी..सॉफ़्टवेयर समीक्षा : हिंदी टैक्स्ट टू स्पीच प्रोग्राम – श्रुतलेखन राजभाषा
आज कल बदर पुर – सेंट्रल secretariat रूट पर चलनी वाली मेट्रो में सुनाई देता हैं सावधान ये गाडी कैमरा निगरानी में हैं . मुझे तो किसी भी डिब्बे में कैमरा नहीं दिखा , अब अगर टनल में कैमरा हैं तो गाडी की फोटो खिचता होगा , सवारी की नहीं
वैसे ये इतना सावधान क्यूँ किया जाता हैं , आप के प्रबुद्ध पाठको में से कोई बात दे आभार होगा
rachna की हालिया प्रविष्टी..बहन-रक्षा का प्रण लेने की जरुरत नहीं
सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..मनजौकी भौजी और गुछून परसाद
संजय अनेजा की हालिया प्रविष्टी..हानि-लाभ ….