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अलग तरह की सादगी
By फ़ुरसतिया on December 27, 2013
“सादगी परम परिष्कार है.” – लियोनार्डो दा विंसी
दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनने वाली है। पार्टी के लोगों ने ईमानदार सरकार देने का वायदा किया। बड़ा हल्ला मचाया है पार्टी ने ईमानदारी का। लगता है कि ’आप’ लोग ही ईमानदारी के ’अथाराइज्ड स्टॉकिस्ट’ हैं। एकमात्र होलसेल डीलर हैं। कोई कैसे बताये भाई लोगों को कि ईमानदारी कोई गर्व का विषय नहीं है। वह तो होनी ही चाहिये। सार्वजनिक जीवन की मूल आवश्यकता है ईमानदारी।
ईमानदारी के साथ ’आप’ का जोर सादगी पर भी है। सादगी से रहने की बात जितनी ऐंठ से कही जा रही है उससे लगता है ’सादगी का फ़ैशन’आने वाला है। ’वीआईपी कल्चर’ खतम करने की मुनादी हो गयी है। घोषणा सुनते ही ’वीआईपी कल्चर’ बेचारा कहीं कोने में मुंह लटकाये खड़ा ’सादगी की सरकार’ बनते देख रहा होगा।
’वीआईपी कल्चर’ खतम होते ही सब तड़क-भड़क खतम हो जायेगी। मंत्रियों के काफ़िले कम हो जायेंगे। सुरक्षा का ताम-झाम मंहगाई में गरीबों की जरूरतों सा सिमट जायेगा। कारों से लाल बत्तियां उतर जायेंगी। लाल बत्ती उतरने पर कारें सिंदूर पुंछी सुहागन सरीखी दिखेंगी। मंत्री छोटे घरों में रहने लगेंगे। बड़े घर खाली पड़े रहेंगे। ज्यादा दिन चली सरकार तो उन घरों की मरम्मत का खर्चा बढेगा। उनकी मरम्मत का खर्चा सादगी के खाते में जुड़ेगा।
बकौल परसाई जी मंच से मरघटी कवितायें पढने वाले कवि घंटो मेकअप करके तैयारी करके थे जिससे वे लुटे-पिटे और बहदवास दिख सकें। ताकि मरघटी कवितायें असरदार दिख सकें। क्या पता वही हाल सादगी का भी हो। लोग सादगी के लिये हुड़कने लगेंगे। काम के सिलसिले में मंत्रियों से मिलने के लिये आने वाले लोग सादगी से लैस होकर आने लगेंगे। फ़ैशनेबल लोगों को सादे कपड़े पहनते देख उनकी घरैतिनें पूछेगी- फ़िर दिल्ली जा रहे हो? ब्यूटी पार्लर में सादगी के मेकअप होने लगेंगे। ड्रेस डिजाइनर ऐसे कपड़े डिजाइन करने में जुट गये होंगे जिनको पहनकर सादगी खिलती दिखे।
मंत्रियों के आगमन में कालीनें बिछनी बन्द हो जायेंगी। कालीन उद्योग से जुड़े बुनकरों के पेट पर लात पड़ेगी। झालर लगाने वाले बेरोजगार हो जायेंगे। पानी के फ़व्वारे बंद हो जायेंगे। जनरेटर वाले दूसरा धंधा तलासेंगे। सादगी से समारोह होंगे तो ’इवेंट मैनेजरों’ की चुनौतियां बढ जायेंगी कि कैसे इंतजाम करें कार्यक्रमों का ताकि तड़क-भड़क नेपथ्य में रहे। सादगी उभरकर नजर आती रहे।
सादगी के इस हल्ले के बीच आप की सरकार के शपथ ग्रहण की खबर आई है। सुना है रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम होगा। छह मंत्रियों के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम देखने के लिये लाखों लोग जुटेंगे। मंत्रियों को शपथ लेने में मुश्किल से आधा घंटा लगेगा। एकाध भाषण-वाषण होगा। इस सबके इंतजाम सैकड़ों लोग लगेंगे। सुरक्षा व्यवस्था हो रही है। सीसी टीवी लग रहे हैं। माइक से लैस हो रहा है मैदान। लाखों का खर्चा होगा। मंच से ईमानदारी की हुंकार भरी जायेगी। सादगी की फ़ैशन परेड होगी।
यह कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे कि अपने समाज का गरीब आदमी पेट काटकर बचाये पैसे शादी व्याह के दिखावे में लुटा देता है।
छह मंत्रियों की शपथ ग्रहण के कार्यक्रम में लाखों रुपये फ़ूक देने वाली सादगी एक खर्चीली सादगी है। भव्य सादगी भरा कार्यक्रम करने की बजाय किसी हाल में चुप्पे से शपथ लेकर अपना काम शुरु करने में वो मजा नहीं आता जो लाखों की भीड़ में करने में आयेगा।
यह एक अलग तरह की सादगी है। इसका भी फ़ैशन अब आया ही समझो।
दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनने वाली है। पार्टी के लोगों ने ईमानदार सरकार देने का वायदा किया। बड़ा हल्ला मचाया है पार्टी ने ईमानदारी का। लगता है कि ’आप’ लोग ही ईमानदारी के ’अथाराइज्ड स्टॉकिस्ट’ हैं। एकमात्र होलसेल डीलर हैं। कोई कैसे बताये भाई लोगों को कि ईमानदारी कोई गर्व का विषय नहीं है। वह तो होनी ही चाहिये। सार्वजनिक जीवन की मूल आवश्यकता है ईमानदारी।
ईमानदारी के साथ ’आप’ का जोर सादगी पर भी है। सादगी से रहने की बात जितनी ऐंठ से कही जा रही है उससे लगता है ’सादगी का फ़ैशन’आने वाला है। ’वीआईपी कल्चर’ खतम करने की मुनादी हो गयी है। घोषणा सुनते ही ’वीआईपी कल्चर’ बेचारा कहीं कोने में मुंह लटकाये खड़ा ’सादगी की सरकार’ बनते देख रहा होगा।
’वीआईपी कल्चर’ खतम होते ही सब तड़क-भड़क खतम हो जायेगी। मंत्रियों के काफ़िले कम हो जायेंगे। सुरक्षा का ताम-झाम मंहगाई में गरीबों की जरूरतों सा सिमट जायेगा। कारों से लाल बत्तियां उतर जायेंगी। लाल बत्ती उतरने पर कारें सिंदूर पुंछी सुहागन सरीखी दिखेंगी। मंत्री छोटे घरों में रहने लगेंगे। बड़े घर खाली पड़े रहेंगे। ज्यादा दिन चली सरकार तो उन घरों की मरम्मत का खर्चा बढेगा। उनकी मरम्मत का खर्चा सादगी के खाते में जुड़ेगा।
बकौल परसाई जी मंच से मरघटी कवितायें पढने वाले कवि घंटो मेकअप करके तैयारी करके थे जिससे वे लुटे-पिटे और बहदवास दिख सकें। ताकि मरघटी कवितायें असरदार दिख सकें। क्या पता वही हाल सादगी का भी हो। लोग सादगी के लिये हुड़कने लगेंगे। काम के सिलसिले में मंत्रियों से मिलने के लिये आने वाले लोग सादगी से लैस होकर आने लगेंगे। फ़ैशनेबल लोगों को सादे कपड़े पहनते देख उनकी घरैतिनें पूछेगी- फ़िर दिल्ली जा रहे हो? ब्यूटी पार्लर में सादगी के मेकअप होने लगेंगे। ड्रेस डिजाइनर ऐसे कपड़े डिजाइन करने में जुट गये होंगे जिनको पहनकर सादगी खिलती दिखे।
मंत्रियों के आगमन में कालीनें बिछनी बन्द हो जायेंगी। कालीन उद्योग से जुड़े बुनकरों के पेट पर लात पड़ेगी। झालर लगाने वाले बेरोजगार हो जायेंगे। पानी के फ़व्वारे बंद हो जायेंगे। जनरेटर वाले दूसरा धंधा तलासेंगे। सादगी से समारोह होंगे तो ’इवेंट मैनेजरों’ की चुनौतियां बढ जायेंगी कि कैसे इंतजाम करें कार्यक्रमों का ताकि तड़क-भड़क नेपथ्य में रहे। सादगी उभरकर नजर आती रहे।
सादगी के इस हल्ले के बीच आप की सरकार के शपथ ग्रहण की खबर आई है। सुना है रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम होगा। छह मंत्रियों के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम देखने के लिये लाखों लोग जुटेंगे। मंत्रियों को शपथ लेने में मुश्किल से आधा घंटा लगेगा। एकाध भाषण-वाषण होगा। इस सबके इंतजाम सैकड़ों लोग लगेंगे। सुरक्षा व्यवस्था हो रही है। सीसी टीवी लग रहे हैं। माइक से लैस हो रहा है मैदान। लाखों का खर्चा होगा। मंच से ईमानदारी की हुंकार भरी जायेगी। सादगी की फ़ैशन परेड होगी।
यह कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे कि अपने समाज का गरीब आदमी पेट काटकर बचाये पैसे शादी व्याह के दिखावे में लुटा देता है।
छह मंत्रियों की शपथ ग्रहण के कार्यक्रम में लाखों रुपये फ़ूक देने वाली सादगी एक खर्चीली सादगी है। भव्य सादगी भरा कार्यक्रम करने की बजाय किसी हाल में चुप्पे से शपथ लेकर अपना काम शुरु करने में वो मजा नहीं आता जो लाखों की भीड़ में करने में आयेगा।
यह एक अलग तरह की सादगी है। इसका भी फ़ैशन अब आया ही समझो।
Posted in बस यूं ही | 5 Responses
आपको अपना मुंह बंद रखने के लिए क्या चाहिए ?
फ़िलहाल ब्लॉग परिषद् का अध्यक्ष पद दिया जाता है !
सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..घर से माल कमाने निकले, रंग बदलते गंदे लोग -सतीश सक्सेना
ईमानदार साहब भी कल मेट्रो से जाने का एलान कर चुके हैं..
पुनश्च:
“लाल बत्ती उतरने पर कारें सिंदूर पुंछी सुहागन सरीखी दिखेंगी।”
इस पर मेरी आपत्ति दर्ज़ की जाये.. सफ़ेद रंगों वाली गाड़ियाँ तो वैधव्य धारण करेंगी!! पहले फ़ैशनेबुल थीं.. अब सिन्दूर गया!!
सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..तुम मुझमें ज़िन्दा हो
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..दहलीज़ पे बैठा है कोई दीप जलाकर (तरही ग़जल)
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..ह्रदय का रिक्त है फिर एक कोना!
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Blog Chiththa की हालिया प्रविष्टी..हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (27 दिसंबर, 2013)