जबलपुर
पहुंचते ही सूरज ने लपककर हेल्लो बोला! पूछा रहे दिन कानपुर में। हमने
सोचा कह दें -जो बीत गयी सो बात गयी। लेकिन फ़िर सोचा सुबह-सुबह कविता क्या
झेलाना! बोले -मस्त रहे।
- Krishn Adhar पहले तो शुभ 16-12-13 के प्रभात का अभिवादन,अव वतायें किआप ने क्या ही उड़न तस्तरी,वेचैन आतमा इत्यादि एलियन्स को मित्र वनाया है,और सुनिये यह -मस्त कटी-भी कविता हैऔर सूरज से वांतें....।
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