पिछले साल लगभग इन्ही दिनों मैंने पुलिया पर लिखी पोस्टों को इकट्ठा करके ई-बुक बनाई थी--’पुलिया पर दुनिया’। उसका फ़िर ’प्रिन्ट आन डिमांन्ड’ के अंतर्गत प्रिंट संस्करण भी निकाला गया। यह काम सब कुछ एक नौसिखिये की तरह किया गया। किताबें pothi.com और onlinegatha.com पर रखी गयीं। pothi.com को मैं देखता रहा। वहां कल तक कुल 50 किताबें बिक चुकी थीं। इनमें से एक रंगीन प्रिंटिंग में किताब भी (कीमत 800 रुपये) थी जिसे Om Varma जी ने अपने पिताजी के लिये लिया था। ओम वर्मा जी ने बताया कि उनके बुजुर्ग पिताजी को मेरा लेखन बहुत पसंद है पर वे कम्प्यूटर पर पढ नहीं पाते इसलिये उन्होंने इस किताब का छपा हुआ संस्करण उनके लिये मंगाया। मैं यह सुनकर अविभूत हो गया और मैंने उनसे उनका पता मांगा यह कहते हुये कि मैं अपनी पोस्टों को हफ़्तावार उनके पिताजी के पढ़ने के लिये भेजता रहूंगा।
मेरी पोस्टों को पढे जाने के बारे में मुझे हमारे समधी जी Jai Narain Awasthi ने बताया कि मेरी हर पोस्ट वे अपने यहां होने वाले सतसंग में, जिसमें उनके साथी उनके घर में इकट्ठा होते हैं,पढकर सबको सुनाई जाती है। हमें यह सुनकर ताज्जुब हुआ और मैंने कहा -’ यह तो पढने और सुनने वाले के साथ अन्याय होता होगा जब मेरी लम्बी पोस्टें पढी जाती होंगी।’ लेकिन उन्होंने कहा -’अरे नहीं सबको बड़ा अच्छा लगता है सुनने में।’ मेरी एक और मित्र Tamanna Bansal ने एक बार बातचीत में बताया था कि मेरी सुबह की पोस्टें वे व्हाटसएप पर अपने मित्र-ग्रुप में भेजती हैं और लोग इंतजार करते मेरी पोस्टों को।
हालांकि मेरी पोस्टों पर कुल जमा लाइक्स आमतौर पर 100 -200 तक रहते हैं लेकिन जब मुझे यह पता चला कि मेरी पोस्टें ऐसे भी पढी जाती हैं तो जानकर अच्छा लगा और यह भी लगा कि मुझे लिखते रहना चाहिये। न जाने किस वेश में पाठक मिल जायें।
हां, तो बात कर रहे थे किताबों की। तो कल मुझे onlinegatha.com से सूचना मिली कि मेरी किताब उनके यहां सबसे ज्यादा बिकी है। सबसे ज्यादा मतलब ई-बुक बिकी है 100 और पेपरबैक किताबें बिकीं 5. आनलाइनगाथा पर ई-बुक जो कि आपके अपने कम्प्यूटर पर डाउनलोड करके पढी जा सकती है की कीमत मैंने रखी थी 49 रुपये और पेपरबैक संस्करण की कीमत रखी थी 251 रुपये।
ई-बुक पर 70% रायल्टी मिलती है (पोथी.काम पर यह 75% है) पेपरबैक किताब पर 113 रुपये है। आनलाइन गाथा से कल तक कुल मिलाकर मेरी रायल्टी 4731.83 INR / $ 74.07 . इसी तरह पोथी.काम पर बिकी कुल 50 किताबों (47 ई-बुक और 1 ब्लैक एंड व्हाइट 2 रंगीन) की रायल्टी Rs.1,864.80 हुई। इस तरह कुल मिलाकर साल भर में कुल 155 किताबों की बिक्री से मेरे नाम रायल्टी के कुल रुपये 6595. 80 हुये।
आनलाइन गाथा की रायल्टी मुझे तब मिलेगी जब यह 100 डालर हो जायेगी। यह तभी संभव है जब डालर रुपये के मुकाबले इतना भड़भड़ा के गिरे कि एक डालर की कीमत 47 रुपया 31 पैसे हो जाये या फ़िर करीब 50 किताबें और बिक जायें। किताबें तो बिकेंगी ही। अभी मैंने अभी अपने विभाग को सूचना नहीं दी है। 40 फ़ैक्ट्रियां और कम से कम 20 और संस्थान हैं हमारे। उनको सूचना देंगे और हर संस्थान का राजभाषा विभाग 2 किताब खरीदेगा तो मार्च तक 100 किताबें और बिक जायेंगी। तब तक रायल्टी के पैसे भी मिल भी 100 डालर मतलब 7500 करीब हो ही जायेंगे आनलाइन गाथा पर। है कि नहीं?
मेरे कई मित्रों ने अपनी किताबें प्रकाशकों को पैसे देकर छपवाई। कुछ लोगों ने तो 25 से 35 हजार रुपये तक दिये। उनको कितनी रायल्टी मिली मुझे पता नहीं पर मुझे लगता है प्रकाशकों को पैसा देकर छपवाने से बेहतर यह विकल्प है जिसमें भले ही कम पैसा मिले लेकिन गांठ से कुछ नहीं जाता।
हां यह जरूर रहा कि आनलाइन प्रकाशन के चलते इस किताब के बारे में किसी ने कुछ लिखा नहीं। किसी ने किताब के साथ फ़ोटो खींचकर नहीं छपवाई। किसी ’खचाखच भरे सभागार’ विमोचन भी नहीं हुआ मेरी किताब का रामफ़ल यादव ने पुलिया पर किया था। किताब के साथ में खड़े होकर फ़ोटो खिंचाई थी।
यह पोस्ट सिर्फ़ अपने मित्रों की जानकारी के लिये है कि हमारी पुलिया की पोस्टों की किताब भी उपलब्ध है। अगर वे चाहें तो इसे आनलाइन खरीद सकते हैं। जानकारी यह भी कि ये सारी पोस्टें मेरे फ़ेसबुक और ब्लॉग पर भी उपलब्ध हैं (यह बताना अपनी बिक्री के पैर पर कुल्हाड़ी मारना है न! smile इमोटिकॉन ) लेकिन सब पोस्टों को किताब के रूप में पढ़ने का मजा ही कुछ और है न। किताब में भूमिका भी है जो कि फ़ेसबुक और ब्लॉग पर नहीं मिलेगी।
जिन मित्रों को मेरा लिखा पसंद आता है और जो मेरे लिखे को किताब के रूप में लेना चाहते हैं वे आनलाइन इसे खरीद सकते हैं। सभी जगह से खरीदने के लिंक नीचे टिप्पणी बाक्स में दे रहा हूं।
आज इतवार है। जिनकी छुट्टी है वे मजे करें। सबका दिन मंगलमय हो।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10206860473323839
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