जैसे-जैसे साम्राज्य पर अहंकार और हवस बढ़ती जाती है डिक्टेटर अपने निजी विरोधियों को ईश्वर का विरोधी और अपने चाकर-टोले को बुरा बताने वालों को देशद्रोही बताता है। जो उसके कदमों में नहीं लोटते, उन पर ईश्वर की धरती का अन्न, उसकी छांव और चांदनी हराम कर देता है। लेखकों, कवियों को शाही बिरयानी खिलाकर ये बताता है कि लिखने वाले के क्या कर्तव्य हैं और नमकहरामी किसे कहते हैं।
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
’खोया पानी ’
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