1. स्त्री के लिये अभी भी पत्नी के पद पर नौकरी सबसे सुरक्षित जीविका है ।
2. सहकारी दूकान के सामने कतार लगी है और पीछे के दरवाजे से चीजें कालाबाजार में चली जा रही हैं। क्षेत्र में कोई काम कोई करता है और टिकट दूसरे को मिल जाती है । हम किसी को महान भ्रष्टाचारी घोषित करते हैं और वह सदाचार अधिकारी बना दिया जाता है ।
3. सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं ।
4. शुद्द बेवकूफ़ एक दैवी वरदान है , मनुष्य जाति को । दुनिया का आधा सुख खत्म हो जाये, अगर शुद्ध बेवकूफ़ न हों ।
5. गिरने के बड़े फ़ायदे हैं । पतन से न मोच आती , न फ़्रैक्चर होता । कितने ही लोग मैंने कितने क्षेत्रों में देखे हैं, जो मौका देखकर एकदम आड़े हो जाते हैं । न उन्हें मोच आती है, न उनकी हड्डी टूटती । सिर्फ़ धूल लग जाती है , पर यह धूल कपड़ों में लगती है, आत्मा में नहीं ।वे उसे झाड़ लेते हैं, और इस शान से चलते हैं, जैसे आड़े होकर गिरे ही नहीं ।
6. हड्डी टूटने के हड्डी चाहिये। किसी ने सुना है कि किसी केंचुये का कभी ’फ़्रेक्चर’ हुआ ? उसकी हड्डी ही नहीं है । लहरिया मारकर किलकिलाकर बड़े-बड़े गड्डे पार कर लेता है।
7. बहुत आदमियों की रीढ की हड्डी नहीं होती । उन्हें चाहे तो आप बोरे में भी डालकर ले जा सकते हैं । ले ही जाते हैं । मैं लगातार देख रहा हूं कि राजनीति और साहित्य में बहुत लोग आपरेशन करवा के रीढ की हड्डी निकलवा लेते हैं । फ़िर इन्हें चाहे बोरे में भर लीजिये या सूटकेस में डाल लीजिये और कुली पर लदवाकर चाहे जहां जाइये।
8. सम्मान से आत्मा में मोच आती है और पुरस्कार से व्यक्तित्व में ’फ़्रेक्चर’ होता है।
9. वजनदार माला गर्दन झुकाने के काम आती है। तीन-चार किलो की माला गर्दन में डाल दो तो अच्छी-अच्छी गर्दनें झुक जाती हैं।
10. पिट भी जाओ और साहित्य-रचना भी न हो। यह साहित्य के प्रति बड़ा अन्याय है। लोगों को मिरगी आती है और वे मिरगी पर उपन्यास लिख डालते हैं ।
11. जब उद्घाटन भाषण पूरा होने से पहले ही पुल गिर जाता है, तो जांच पड़ताल , जांच कमीशन वगैरह की जरूरत ही नहीं है। यह युग सत्य है और सत्य को स्वीकार करनी ही चाहिये। पहले असत्य से शर्म आती थी, अब सत्य से शर्म आती है।
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