Thursday, August 26, 2021

जहां भी खाई है ठोकर निशान छोड आये

 जहां भी खाई है ठोकर निशान छोड आये,
हम अपने दर्द का एक तर्जुमान छोड आये.

हमारी उम्र तो शायद सफर में गुजरेगी,
जमीं के इश्क में हम आसमान छोड आये.
किसी के इश्क में इतना भी तुमको होश नहीं
बला की धूप थी और सायबान छोड आये.
हमारे घर के दरो-बाम रात भर जागे,
अधूरी आप जो वो दास्तान छोड आये.
फजा में जहर हवाओं ने ऐसे घोल दिया,
कई परिन्दे तो अबके उडान छोड आये.
ख्यालों-ख्वाब की दुनिया उजड गयी 'शाहिद'
बुरा हुआ जो उन्हें बदगुमान छोड आये.
शाहिद रज़ा , शाहजहांपुर

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