गए हफ्ते शहर गए। बाल कटवाने, डाई करवाने। हमको एहसास नहीं होता बाल बढ़ गए, फिर सफेद हो गए। लेकिन साथ के लोग एहसास बताते रहते हैं। बाल नहीं कटवाए, डाई करवाओ।
व्यक्तिगत कई मामलों में हम काम भर के लापरवाह हैं। घर से दफ्तर जाते हुए अक्सर हमारे ड्राइवर साहब बताते हैं- मोबाइल छूट गया, पेन ले लीजिए और भी इसी तरह की बातें। एटीएम से पैसा निकालने के बाद -'एटीएम ले लिया' के जबाब में अंदर जाकर एटीएम निकालते हैं। एकाध बार तो किसी ने मेरा नाम देखकर अगले दिन हमारे आफिस में दिया।
बहरहाल, बाल कटाने गए। इस बार नए सैलून में। पुराना वाला बन्द था। ए सी बन्द था। हमको पता नहीं चला लेकिन सैलून वाले ने कई बार बताया और सॉरी बोला तो सही में लगा कि बन्द है एसी।
अक्सर आपकी परेशानियां का एहसास आपको दूसरे कराते हैं। यह कुछ उसी तरह कि बात है जिसमें कालेज के जमाने में किसी को उसके दोस्त बताते थे -'तुमको पता नहीं लेकिन तुम उसको बहुत प्यार करते हो।'
जो बच्चा बाल बना रहा था वो रामपुर का रहने वाला था। गुड़गाव में कटिंग की ट्रेनिंग ली। अब पिछले कुछ सालों से शाहजहांपुर में है। हमने पूछा -'रामपुर में किसी सैलून में काम नहीं मिला ?'
बोला -'रामपुर में ऐसे सैलून नहीं है।'
रामपुर की बात चली तो हमने आजम खां के बारे में पूछा। उनके बारे में अच्छे विचार बताये बालक ने। हमने बताया कि आजकल तो वो जेल में हैं। इस पर उसने तमाम सारी बातें साझा की। उसकी बातों से लगा कि वह बहुत प्रभावित है आजम खान से।
सामने एक लड़का फुर्ती से बात काट रहा था। सफेद कलर किये हुए बाल। अलग तरह की चोटी। हमने पूछा -'यह किसकी स्टाइल है?'
'जस्टिन बीबर की'- उसने बताया।
हमें लगा कोई फुटबॉल खिलाड़ी हैं। पूछा तो बताया कि पॉप सिंगर हैं। हमको अपनी अज्ञानता पर अपराध बोध हुआ लेकिन हमने फौरन उसे झाड़ दिया। अज्ञानता अब अपराध बोध नहीं जगाती। किसी प्रसिद्ध व्यक्ति को हम नहीं जानते तो इसमें हमारा क्या दोष ? दोष उसका है जो उसने अभी तक हमने हेलो-हाय नहीं किया।
पता लगा कि जस्टिन वीवर का प्रशंसक गाना भी गाता है। खूब सारे एक-दो मिनट के गाने उसने अपने इंस्टाग्राम पर डाल रखे हैं। हमने पूछा कि पूरे गाने क्यों नहीं गाये?
'मोबाइल नहीं है अपना। खरीदेंगे तो डालेंगे।'- उसने बताया।
बतियाते हुए उसका जाने का समय हो गया। जाते हुए उसने मेरे मोबाइल में झांककर देखा। पूछा -'आपने फॉलो नहीं किया।'
हमने बताया-' किया है'। वह सन्तुष्ट होकर चला गया।
बच्चों से बतियाते हुए नई पीढ़ी की सोच का पता लगा।
यह पोस्ट पढ़ते हुए क्लब हाउस के एक ग्रुप की बात सुन रहे हैं। कुछ नौजवान बतिया रहे हैं। गांव में इंटरनेट की बात चल रही है। वर्क फ्राम होम के किस्से चल रहे हैं। जीवन लगातार व्यस्त होने की कहानी चल रही है। एक ग्वालियर की लड़की पूछने पर बता रही है -'हम आजतक दिल्ली कभी नहीं गए।'
एक और लड़का कह रहा है -'बड़ा मजा आता है जब कोई आपको जज करते हुए बातें कर रहा हो और आप उनकी बातें सुन रहे हों। '
आप भी 'जज' करते हैं किसी को?
करते होंगे। सब करते हैं। लेकिन यह भी सच है कि जब आप किसी को जज रहे होते हैं तो उसी समय आपको भी कई लोग 'जज' कर रहे होते हैं।
लफड़ा है यह जज करना भी। है न
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