अरलिंगटन शहीद स्मारक देखकर हम लोग वापस लौटे। लौटते हुए फिर एक बार पोटोमैक नदी पार की। एक बार फिर अमेरिका की राजधानी वासिंगटन डी सी पहुंचे। कुछ देर नदी के पास टहले। नदी किनारे न कोई बालू, न कीचड़, न कोई धोबी घाट न ही कोई नाला नदी में गिरता दिखाई दिया। यह सब न हो फिर काहे की नदी? सड़क के साथ बहती साफ-सुथरी नदी देखकर ऐसा लगा कि कोई पानी की सड़क बिछा दी गई हो राजधानी के किनारे।
नदी किनारे कोई भीड़-भाड़ भी नहीं दिखी। अलबत्ता सड़क किनारे एक आदमी उचकता हुआ साइकिल चलाता दिखा। राजधानी के एकदम पास बहती नदी के किनारे भीड़-भाड़ नहीं , न कोई चाय की दुकान , न कोई चाट का ठेला। थोड़ा अचरच भी लगा। ऐसा शायद इसलिए हो कि वासिंगटन डी सी केवल राजधानी है। सचिवालयों, दफ़तर के अलावा और कोई रिहाइश नहीं होगी आसपास। लोग आते होंगे, नौकरी बजाकर चले जाते होंगे।
सूरज भाई अलबत्ता नदी किनारे अपनी बैठकी जमाए दिखे। शाम हो रही थी। नदी के पानी में सूरज भाई अपनी सवारी उतारकर पानी को सिंदूरी कर रहे थे। आसमान भी लाल हो रहा था। लग रहा था की कुछ ही देर में अपना बस्ता समेटकर निकालने वाले हैं।
नदी किनारे से चलकर हम लोग लिंकन स्मारक देखने गए। अमेरिका के 16 वें राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन की याद में बने स्मारक को देखने लाखों लोग आते हैं। मंदिर की तरह बने इस स्मारक में अब्राहिम लिंकन की कुर्सी पर बैठी एक बड़ी सी मूर्ति है। मूर्ति के ऊपर अमेरिका के प्रसिद्ध इतिहाकार कलाविद रायल कार्टजोज Royal Cortissoz द्वारा लिखा स्मृतिवाक्य उत्कीर्ण है ।
IN THIS TEMPLE AS IN THE HEARTS OF THE PEOPLE FOR WHOM HE SAVED THE UNION THE MEMORY OF ABRAHAM LINCOLN IS ENSHRINED FOREVER
इस मंदिर में अब्राहिम लिंकन की स्मृतियाँ उसी तरह संरक्षित हैं जिस तरह वे उन लोगों के दिलों में बसे हैं जिनकी उन्होंने सेवा की।
यह स्मारक अनेक यादगार मोर्चों की शुरुआत और उद्बोधनों का शुरुआती स्थल रहा है। नागरिक आंदोलनों का प्रस्थापन स्थल रहा है। 28 अगस्त ,1963 को मार्टिन लूथर किंग ने प्रसिद्ध भाषण I have a dream इसी मंदिर के प्रांगण में दिया था। करीब ढाई लाख लोग उसमें शामिल हुए थे। नागरिक अधिकारों और रंगभेद की समाप्ति के लिए शुरू किए इस आंदोलन के शुरुआत करते हुए मार्टिन लूथर किंग का उद्बोधन अमेरिका के इतिहास में सबसे यादगार उद्बोधनों में माना जाता है । 1999 में हुए एक सर्वे के अनुसार इसे अमेरिका के 20 वीं शताब्दी का सबसे प्रभावी भाषण माना गया।
अब्राहिम लिंकन स्मारक के प्रांगण में दिए गए इस भाषण में मार्टिन लूथर किंग कल्पना करते हैं कि उनका सपना है कि एक दिन ऐसा आएगा जब आने वाली पीढ़ियों में बच्चों का मूल्यांकन उनके रंग या जाति के आधार पर नहीं नहीं लेकिन उनकी क्षमताओं के आधार पर होगा। मार्टिन लूथर किंग का भाषण यहां सुन सकते हैं।
कुछ देर अब्राहिम लिंकन की मूर्ति के पास रहने के बाद हम बाहर आ गए। बाहर विशाल प्रांगण में तमाम लोग टहल रहे थे। फ़ोटो खिंचा रहे थे। सामने पानी की नहर जैसी बिछिएए हुई थे। सामने एक मीनार। सूरज भाई पानी में चमक रहे थे। शायद अमेरिका में हमारी देखभाल के लिए देर तक मौजूद थे।
उस मौके पर न जाने कितने भाव मन में आए। उनकी तासीर अभी तक मन में बसी है लेकिन उनसे जुड़े शब्द कहीं गम हो गए। स्वतंत्रता, समानता के यादगार स्मारक के पास खड़े होकर अनगिनत भाव आए। लेकिन अब सब कहीं नदारद हो गए हैं। शायद मन में कहीं गहरे धंस गए हैं। शायद उनको भी अपनी सुरक्षा की चिन्ता है।
अब्राहिम लिंकन स्मारक से निकलकर हम लोग स्टेशन के लिए चले। रास्ते में लोग आते जाते दिखे। ट्राफिक चुस्त-दुरुस्त। अमेरिका की संस्था नासा का मुख्यालय भी दूर से देखा। विनय जैन ने हमको स्टेशन के पास छोड़ दिया और विदा लेकर चले गए। हम लोग वासिंगटन डी सी को वासिंगटन के हवाले करके स्टेशन में दाखिल हो गए।
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