Sunday, September 28, 2014

अच्छे मूड में सूरज भाई

सुबह सूरज भाई दिखे। पत्तों के बीच से झांकते हुए सूरज भाई ऐसे लग रहे थे जैसे बंकर में तैनात  कोई सिपाही अपनी मुंडी निकालकर दुश्मन का जायजा ले रहा हो। उसके फ़ौरन बाद उन्होंने रोशनी,उजाला,किरणों,ताजगी की फायरिंग शुरु कर दी। देखते-देखते सारा अंधियारा धराशायी हो गया। इसके बाद तो सूरज भाई अपना सीना चौड़ा किये पूरे आसमान पर चक्रवर्ती सम्राट की तरह टहलने लगे।

पूरी कायनात के पेड़,पौधे,पत्तियाँ हिल-हिल कर सूरज भाई का अभिनन्दन करने लगे। पक्षीगण सूभो,सूभो चिल्लाते हुए सूरज का स्वागत किया।

हम चाय का कप हाथ में थामें सूरज भाई का इंतजार कर रहे हैं कि वो आयें तो साथ में चाय पियें।सुबह सूरज भाई दिखे। पत्तों के बीच से झांकते हुए सूरज भाई ऐसे लग रहे थे जैसे बंकर में तैनात कोई सिपाही अपनी मुंडी निकालकर दुश्मन का जायजा ले रहा हो। उसके फ़ौरन बाद उन्होंने रोशनी,उजाला,किरणों,ताजगी की फायरिंग शुरु कर दी। देखते-देखते सारा अंधियारा धराशायी हो गया। इसके बाद तो सूरज भाई अपना सीना चौड़ा किये पूरे आसमान पर चक्रवर्ती सम्राट की तरह टहलने लगे।

पूरी कायनात के पेड़,पौधे,पत्तियाँ हिल-हिल कर सूरज भाई का अभिनन्दन करने लगे। पक्षीगण सूभो,सूभो चिल्लाते हुए सूरज का स्वागत किया।


हम चाय का कप हाथ में थामें सूरज भाई का इंतजार कर रहे हैं कि वो आयें तो साथ में चाय पियें।

Saturday, September 27, 2014

सब मैनेजमेंट एक जैसे ही होते हैं

 आज ये बहन जी सर्वहारा पुलिया के पास लकड़ी,पालीथिन,बोतल,शीशी बटोर कर बोरे में भरती दिखीं। आसपास के इलाके से कूड़े में से काम का सामान बीनकर इकट्ठा करते हुये पुलिया के पास अपना 'सफाई अभियान' चला रहीं थीं।पुलिया पर रखे बोरे में प्लास्टिक और कांच की बोतलें थीं। कुछ 'अद्धे' , 'पौवे' वाली खाली बोतलें और शीशियाँ थीं। ये सब बेचकर 100-50 रूपये रोज कमा लेती हैं।

कूड़े से कमाई का अलग अर्थशास्त्र है। सुना है कि ए 'टु जेड' कम्पनी का 800 करोड़ रूपये का कारोबार है-'सालिड वेस्ट मैनेजमेंट' का।सुना तो यह भी है कि कानपुर में 'ए टु जेड' का ठेका निरस्त होने वाला है। सुनने को सुना तो यह भी है कि 'मैनेजमेंट गूरू' अरिंदम चौधरी की 'मैनेजमेंट पाठशाला' की मान्यता निरस्त हो गयी।

खैर छोडिये मैनेंजमेंट को। हमारी समाझ में तो सब मैनेजमेंट एक जैसे ही होते हैं। फिर चाहे वो कूड़े का मैनेजमेंट हो या मीडिया का। ठीक से मैंनेज न हो तो गन्ध मारने लगते हैं।
आज ये बहन जी सर्वहारा पुलिया के पास लकड़ी,पालीथिन,बोतल,शीशी बटोर कर बोरे में भरती दिखीं। आसपास के इलाके से कूड़े में से काम का सामान बीनकर इकट्ठा करते हुये पुलिया के पास अपना 'सफाई अभियान' चला रहीं थीं।पुलिया पर रखे बोरे में प्लास्टिक और कांच की बोतलें थीं। कुछ 'अद्धे' , 'पौवे' वाली खाली बोतलें और शीशियाँ थीं। ये सब बेचकर 100-50 रूपये रोज कमा लेती हैं।

कूड़े से कमाई का अलग अर्थशास्त्र है। सुना है कि ए 'टु जेड' कम्पनी का 800 करोड़ रूपये का कारोबार है-'सालिड वेस्ट मैनेजमेंट' का।सुना तो यह भी है कि कानपुर में 'ए टु जेड' का ठेका निरस्त होने वाला है। सुनने को सुना तो यह भी है कि 'मैनेजमेंट गूरू' अरिंदम चौधरी की 'मैनेजमेंट पाठशाला' की मान्यता निरस्त हो गयी।

खैर छोडिये मैनेंजमेंट को। हमारी समाझ में तो सब मैनेजमेंट एक जैसे ही होते हैं। फिर चाहे वो कूड़े का मैनेजमेंट हो या मीडिया का। ठीक से मैंनेज न हो तो गन्ध मारने लगते हैं।

डुबे हुओं से मत ऊबना

 कल रात पार्टी से लौटते हुए पुलिया के पास से गुजरे। दो लड़के सर्वहारा पुलिया पर बैठे थे। बात करते हुए पता चला कि वे फैक्ट्री में ही एक  ठेकेदार के साथ मजदूर का काम करते हैं। बात करते-करते दोनों खड़े हो गए। हिलने-डुलने लगे।जबान पहले ही हिल रही थी। अब शरीर भी लड़खड़ाने लगा।सुरूर में थे दोनों। पिए हुए। बताया एक-एक क्वार्टर पिए हैं। बात करते हुये बालक खुद सफाई देने लगे-"रोज नहीं पीते हैं। आज थोड़ी पिए हैं। नशे में थोड़ी हैं। गलती सबसेहो जाती है।"

हमने कहा -"अरे डरो नहीं। मस्त रहो। आराम से बैठो। लेकिन  नशे में मोटरसाइकिल ध्यान से चलाना।कुछ देर बाद घर जाना जब कुछ सुरूर कम हो जाए।"

उनमें से एक जो ज्यादा नशे में था उसने दूसरे को समझाते हुए कहा-"अरे परेशान मत हो। साहब लोग सब समझते हैं। "

अपने लिए समझदार सुनकर हम सही में समझदार हो गये और उनको उनकी दुनिया में छोड़कर अपने कमरे में लौट आये।

सर्वहारा पुलिया सबकी शरण स्थली है। मेहनत करके आये के सुस्ताने के लिए भी और नशे में आनंदित के लिए भी। पुलिया सबके लिए समान सुविधा देती है। स्व.वली असी का शेर  है:

................सागर-ओ-जाम रखते हैं,
फकीर सबके लिए इंतजाम रखते हैं।

इसे पोस्ट करते हुये कैलाश बाजपेयी की कविता पंक्तियां याद आ गयीं:

वक्त कुछ कहने का खत्म हो चुका है
जिन्दगी जोड़ है ताने-बाने का लम्बा हिसाब
बुरा भी उतना बुरा नहीं यहां
न भला है एकदम निष्पाप।

अथक सिलसिला है कीचड़ से पानी से
कमल तक जाने का
पाप में उतरता है आदमी फिर पश्चाताप से गुजरता है
मरना आने के पहले हर कोई कई तरह मरता है
यह और बात है कि इस मरणधर्मा संसार में
कोई ही कोई सही मरता है।
कम से कम तुम ठीक तरह मरना।

नदी में पड़ी एक नाव सड़ रही है
और एक लावारिश लाश किसी नाले में
दोनों ही दोनों से चूक गये
यह घोषणा नहीं है, न उलटबांसी,
एक ही नशे के दो नतीजे हैं
तुम नशे में डूबना या न डूबना
डुबे हुओं से मत ऊबना।
कल रात पार्टी से लौटते हुए पुलिया के पास से गुजरे। दो लड़के सर्वहारा पुलिया पर बैठे थे। बात करते हुए पता चला कि वे फैक्ट्री में ही एक ठेकेदार के साथ मजदूर का काम करते हैं। बात करते-करते दोनों खड़े हो गए। हिलने-डुलने लगे।जबान पहले ही हिल रही थी। अब शरीर भी लड़खड़ाने लगा।सुरूर में थे दोनों। पिए हुए। बताया एक-एक क्वार्टर पिए हैं। बात करते हुये बालक खुद सफाई देने लगे-"रोज नहीं पीते हैं। आज थोड़ी पिए हैं। नशे में थोड़ी हैं। गलती सबसेहो जाती है।"

हमने कहा -"अरे डरो नहीं। मस्त रहो। आराम से बैठो। लेकिन नशे में मोटरसाइकिल ध्यान से चलाना।कुछ देर बाद घर जाना जब कुछ सुरूर कम हो जाए।"

उनमें से एक जो ज्यादा नशे में था उसने दूसरे को समझाते हुए कहा-"अरे परेशान मत हो। साहब लोग सब समझते हैं। "

अपने लिए समझदार सुनकर हम सही में समझदार हो गये और उनको उनकी दुनिया में छोड़कर अपने कमरे में लौट आये।

सर्वहारा पुलिया सबकी शरण स्थली है। मेहनत करके आये के सुस्ताने के लिए भी और नशे में आनंदित के लिए भी। पुलिया सबके लिए समान सुविधा देती है। स्व.वली असी का शेर है:

................सागर-ओ-जाम रखते हैं,
फकीर सबके लिए इंतजाम रखते हैं।

इसे पोस्ट करते हुये कैलाश बाजपेयी की कविता पंक्तियां याद आ गयीं:

वक्त कुछ कहने का खत्म हो चुका है
जिन्दगी जोड़ है ताने-बाने का लम्बा हिसाब
बुरा भी उतना बुरा नहीं यहां
न भला है एकदम निष्पाप।
अथक सिलसिला है कीचड़ से पानी से
कमल तक जाने का
पाप में उतरता है आदमी फिर पश्चाताप से गुजरता है
मरना आने के पहले हर कोई कई तरह मरता है
यह और बात है कि इस मरणधर्मा संसार में
कोई ही कोई सही मरता है।
कम से कम तुम ठीक तरह मरना।
नदी में पड़ी एक नाव सड़ रही है
और एक लावारिश लाश किसी नाले में
दोनों ही दोनों से चूक गये
यह घोषणा नहीं है, न उलटबांसी,
एक ही नशे के दो नतीजे हैं
तुम नशे में डूबना या न डूबना
डुबे हुओं से मत ऊबना।