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चिठेरी उवाच- आजा इंग्लिश सिख लें
By फ़ुरसतिया on December 17, 2007
चिठेरी को देखकर चिठेरा ऐसे खुश हो जाता है जैसे कोई मासूम खुराफ़ती किसी विवाद को फ़ैलाकर प्रफ़ुल्ल्तित होता है!
चिठेरा: अरी ओ चिठेरी, किधर गयी तू दिखती नहीं। एकदम्मै समीरलाल बन गई।
चिठेरी: अरे सब जगह हल्ला मच गया था। ब्लागर मीट मुर्दाबाद-मुर्दाबाद। सो हम दुबक गये कोने में! तुम भी दिखे नहीं।
चिठेरा:हां , रिजेक्टेड नारा था। रिजेक्टेड माल में दिखा। फिर आज कैसे आ गयी? डर कहां गया?
चिठेरी: वो अभय तिवारी ने कहा न छाती ठोंक के। हम तो जबरिया मिलबै यार हमार कोई का करिहै।
चिठेरा: अभय तिवारी ने छाती ठोंकी? किसकी? कैसे? कहां? किधर? कैसे? क्या वे ऐसे हैं?
चिठेरी: अरे बरजोर बेवकूफ! हर जगह अपनी अकल लगाता है। डिफ़ेक्टिव आइटम की तर हर जगह डिफ़ेक्टिव हकरतें करता है। तू मेरे ब्लाग पर कमेंट न करता होता नियमित रूप से तो अभी तेरी शिकायत कर देती।
चिठेरा: मेरी बात को गलत मत समझ री चिठेरी। मैं तुससे जरूरी डिस्कसन करना चाहता हूं। तुम पहले से ही उखड़ने लगी।
चिठेरी: क्या जरूरी डिस्कसन है रे? क्या ये जगह सिनेमाहाल है जहां डिस्कसन के लिये हुड़क रहा है? फिर आलोक पुराणिक भी नहीं दिख रहा तो फ़ायदा डिस्कशन-फ़िस्कशन का? ऐसी हरकत से क्या फ़ायदा जाड़े में जिसका हल्ला न मचे। आय डोन्ट लाइक इट। इट्स यूजलेस।
चिठेरा: हाय री चिठेरी, तेरे से गले से अंग्रेजी छलक रही है। एकदम नये-नवेले किर्केटर की तरह। पूरे छह शब्द ठोंक दिये दो वाक्य में। ये छक्का मारने की प्रेरणा कहां से मिली?
चिठेरी:ज्ञानजी के ब्लाग से। उन्होंने आज अंग्रेजी केबारे में बहुत हिंदी लिखी है। सब समझ में आ गयी। तू भी सिखेगा?
चिठेरा: मुझे कौन सिखायेगा? मेरा कौन है यहां जो मुझे गिटिर-पिटिर सिखाये?
चिठेरी: मैं हूं न! तू चिन्ता बेकार करता है। आजा इंग्लिश सिख ले। शुरू करें।
चिठेरा: करो! लेकिन मुझे डर लग रहा है। कुछ होगा तो नहीं अंग्रेजी सीखने से। डरता हूं कोई ऊंच-नीच न हो जाये।
चिठेरी: किससे डरता है रे तू? इत्ता तो अमेरिका ओसामा से भी नहीं डरता जित्ता तू डर रहा है अंग्रेजी से?
चिठेरा: छोड़ ! अब तू शुरू कर। जो होगा देखा जायेगा। जब सर दिया अंग्रेजी में तो डिक्शनरी से क्या डरना? चल शुरू कर।
चिठेरी: अच्छा एकदम रैपिडेक्स वाली अंग्रेजी सिखाती हूं तेरे को। तू जब मुझसे मिलता है तो मुंह फ़ाड़ के गंवारों की तरह, ओह सारी अपनी तरह ,हाय री चिठेरी, अरी चिठेरी कहता है न ! उसे अंग्रेजी में जानते हो कैसे कहते हैं?
चिठेरा: कैसे कहते हैं? बता तो सही । मैं भी जानूं भला अंग्रेजी के गंवार कैसे बोलते हैं!
चिठेरी: अंग्रेजी में इसे कहते हैं- हेलो चिठेरी, हाऊ डू यू डू? या ज्यादा कड़ा अंग्रेज हुआ तो बोलेगा- हे चिठेड़ी, हा दु यू दु? बोल के देखो! जस्ट ट्राय। डोन्ट फ़ाल शाई।
चिठेरा: अभी नहीं। कल हनुमानजी का व्रत है। उसके बाद ई पराक्रम शुरू करेंगे। लाल लंगोटे वाले का आशीर्वाद ले लें।
चिठेरी: अच्छा एज यू विश।
चिठेरा: लेकिन चिठेरी ये अंग्रेजी है बहुत मजेदार! देखो। तुम हिंदी में अकेली रहती हो। अंग्रेजी में जाते ही दु-दु (दो-दो) हुई गयीं। क्या जलवे हैं अंग्रेजी के। अब समझा कि काहे देशभर में लोग अंग्रेजी स्कूल खोले हैं। सब एक का दू और दुई का चार कर रहे हैं।
चिठेरी: तुझको किती बार समझाया तू फ़ुरसतिया के संग मत रहा कर। तेरा भी दिमाग कुंद हो रहा है। तू जित्ती जलदी हो सके अंग्रेजी सीख ले। कल्याण होगा तेरा।
चिठेरा: अच्छा तू कहती है तो सीखूंगा। वैसे एक बात कहूं चिठेरी। बुरा तो नहीं मानेगी?
चिठेरी: कह लेकिन अगर मेरी तारीफ़ के अलावा कोई और बात हुयी तो बुरा न मानने की कोई गारण्टी नहीं। इस मामले में मैं महिला चिट्ठाकारों को अपना महाजन मानती हूं। वे जहां जाती हैं वही मेरा रास्ता है।
चिठेरा: तू जब अंग्रेजी पढ़ा रही थी तो एकदम ऐसी लग रही थी जैसे इंजमाम हक क्रिकेट के मैदान पर अंगेजी में हाकी की कमेंन्ट्री कर रहे हों। एकदम्मै ऐसी लग रही थी कि का बतावैं कैसी लग रही थी। कुछ-कुछ होने लगा मन में।
चिठेरी: अरे मूढ़मति, गोबर गणेश कुछ बता तो कैसी लग रही थीं। शर्मा मत। शरम बेंच खा। बेशरम हो जा।
चिठेरा: तू एकदम जगर-मगर लग रही थी। मन कर रहा था तुझे ऐसे ही टुकुर-टुकुर ताकता रहूं। दीदा फ़ाड़े।
चिठेरी: तो देख न । अगर-मगर काहे करता है। कोई राशनिग थोड़ी हैअ ताकने में। चल आगे बता।
चिठेरा: तू जब हंसते हुये अंग्रेजी पढ़ा रही थी न! तो लग रहा था कि किसी बगीचे में गुनगुनी धूप खिली है। हमारा मन फूल सा इतराने लगा देखकर कि हमारी चिठेरी कित्ती सोंणी लग रही है।
चिठेरी: सच्ची। मैं ऐसी लग रही थी्?
चिठेरा: मुच्ची। मैं तेरे से झूठ बोल कर कौन से अपने ब्लाग पर कमेंट पा जाउंगा। तू तो कभी करती नहीं मेरे ब्लाग पर कमेंट। मैं ही जुटा रहता हूं तेरे ब्लाग पर। चाहे पोस्ट पल्ले पड़े या न पड़े।
चिठेरी: तू बोल्ड है रे बौड़म। इत्ती अच्छी बाते करते हुये जरा भी डरा नहीं। तेरे जैसे बेवकूफ़ी भगवान सबको क्यों नहीं देता।
चिठेरा: हम रेड एन्ड व्हाइट पीने वालों की बात ही कुछ और है।
चिठेरी: तू रेड और व्हाइट भी पीता है निगोड़े? बताया नहीं पहले ! चल परे हट। दूर जा! दुर्-दुर।
चिठेरा: अरे री चिठेरी। तू भी अकल के नाम पर नवाज शरीफ़ है। रेड एंड व्हाइट मतलब टमाटर का सूप और दूध। हम यही पीते हैं जाड़े में। तेरे दिमाग में तो लगता है इन्फ़ैक्शन हो गया है। चल अब जा मुझे भी सोने दे।
चिठेरी: चल जा, तू भी सो जा। शब्बाखैर। सपने में गलत हरकत मती करना किसी से। हमारे सिवाय किसी को ताका भी तो समझ ले तेरी खैर नहीं। लिमिट में रहना।
चिठेरा: ओके , टेक केयर, ब्बाय, गुड नाइट। सी यू टुमारो।
चिठेरी:अरे चिठेरे, धोखेबाज तू तो इंगलिश बोल लेता है। तैने मुझसे छिपा के अंग्रेजी सीखी। मझे बताया भी नहीं। जा मैं तुझसे नहीं बोलती। मैं तुझे श्राप देती हूं कि तू जब किसी के सामने धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने की कोशिश कर तो ‘आई मीन’, ‘यूसी’, ‘यू नो ‘, ‘आई मीन टु से’ कहकर अंग्रेजी बोलने वाले आम भरतीय की तरह हकलाने लगे। आज से तेरी-मेरी कुट्टी।
(ब्लाग नक्कारा २०-२० ओवर वाले मैच में फ़्री हिट सा बजता है।)
चिठेरा: अरी ओ चिठेरी, किधर गयी तू दिखती नहीं। एकदम्मै समीरलाल बन गई।
चिठेरी: अरे सब जगह हल्ला मच गया था। ब्लागर मीट मुर्दाबाद-मुर्दाबाद। सो हम दुबक गये कोने में! तुम भी दिखे नहीं।
चिठेरा:हां , रिजेक्टेड नारा था। रिजेक्टेड माल में दिखा। फिर आज कैसे आ गयी? डर कहां गया?
चिठेरी: वो अभय तिवारी ने कहा न छाती ठोंक के। हम तो जबरिया मिलबै यार हमार कोई का करिहै।
चिठेरा: अभय तिवारी ने छाती ठोंकी? किसकी? कैसे? कहां? किधर? कैसे? क्या वे ऐसे हैं?
चिठेरी: अरे बरजोर बेवकूफ! हर जगह अपनी अकल लगाता है। डिफ़ेक्टिव आइटम की तर हर जगह डिफ़ेक्टिव हकरतें करता है। तू मेरे ब्लाग पर कमेंट न करता होता नियमित रूप से तो अभी तेरी शिकायत कर देती।
चिठेरा: मेरी बात को गलत मत समझ री चिठेरी। मैं तुससे जरूरी डिस्कसन करना चाहता हूं। तुम पहले से ही उखड़ने लगी।
चिठेरी: क्या जरूरी डिस्कसन है रे? क्या ये जगह सिनेमाहाल है जहां डिस्कसन के लिये हुड़क रहा है? फिर आलोक पुराणिक भी नहीं दिख रहा तो फ़ायदा डिस्कशन-फ़िस्कशन का? ऐसी हरकत से क्या फ़ायदा जाड़े में जिसका हल्ला न मचे। आय डोन्ट लाइक इट। इट्स यूजलेस।
चिठेरा: हाय री चिठेरी, तेरे से गले से अंग्रेजी छलक रही है। एकदम नये-नवेले किर्केटर की तरह। पूरे छह शब्द ठोंक दिये दो वाक्य में। ये छक्का मारने की प्रेरणा कहां से मिली?
चिठेरी:ज्ञानजी के ब्लाग से। उन्होंने आज अंग्रेजी केबारे में बहुत हिंदी लिखी है। सब समझ में आ गयी। तू भी सिखेगा?
चिठेरा: मुझे कौन सिखायेगा? मेरा कौन है यहां जो मुझे गिटिर-पिटिर सिखाये?
चिठेरी: मैं हूं न! तू चिन्ता बेकार करता है। आजा इंग्लिश सिख ले। शुरू करें।
चिठेरा: करो! लेकिन मुझे डर लग रहा है। कुछ होगा तो नहीं अंग्रेजी सीखने से। डरता हूं कोई ऊंच-नीच न हो जाये।
चिठेरी: किससे डरता है रे तू? इत्ता तो अमेरिका ओसामा से भी नहीं डरता जित्ता तू डर रहा है अंग्रेजी से?
चिठेरा: छोड़ ! अब तू शुरू कर। जो होगा देखा जायेगा। जब सर दिया अंग्रेजी में तो डिक्शनरी से क्या डरना? चल शुरू कर।
चिठेरी: अच्छा एकदम रैपिडेक्स वाली अंग्रेजी सिखाती हूं तेरे को। तू जब मुझसे मिलता है तो मुंह फ़ाड़ के गंवारों की तरह, ओह सारी अपनी तरह ,हाय री चिठेरी, अरी चिठेरी कहता है न ! उसे अंग्रेजी में जानते हो कैसे कहते हैं?
चिठेरा: कैसे कहते हैं? बता तो सही । मैं भी जानूं भला अंग्रेजी के गंवार कैसे बोलते हैं!
चिठेरी: अंग्रेजी में इसे कहते हैं- हेलो चिठेरी, हाऊ डू यू डू? या ज्यादा कड़ा अंग्रेज हुआ तो बोलेगा- हे चिठेड़ी, हा दु यू दु? बोल के देखो! जस्ट ट्राय। डोन्ट फ़ाल शाई।
चिठेरा: अभी नहीं। कल हनुमानजी का व्रत है। उसके बाद ई पराक्रम शुरू करेंगे। लाल लंगोटे वाले का आशीर्वाद ले लें।
चिठेरी: अच्छा एज यू विश।
चिठेरा: लेकिन चिठेरी ये अंग्रेजी है बहुत मजेदार! देखो। तुम हिंदी में अकेली रहती हो। अंग्रेजी में जाते ही दु-दु (दो-दो) हुई गयीं। क्या जलवे हैं अंग्रेजी के। अब समझा कि काहे देशभर में लोग अंग्रेजी स्कूल खोले हैं। सब एक का दू और दुई का चार कर रहे हैं।
चिठेरी: तुझको किती बार समझाया तू फ़ुरसतिया के संग मत रहा कर। तेरा भी दिमाग कुंद हो रहा है। तू जित्ती जलदी हो सके अंग्रेजी सीख ले। कल्याण होगा तेरा।
चिठेरा: अच्छा तू कहती है तो सीखूंगा। वैसे एक बात कहूं चिठेरी। बुरा तो नहीं मानेगी?
चिठेरी: कह लेकिन अगर मेरी तारीफ़ के अलावा कोई और बात हुयी तो बुरा न मानने की कोई गारण्टी नहीं। इस मामले में मैं महिला चिट्ठाकारों को अपना महाजन मानती हूं। वे जहां जाती हैं वही मेरा रास्ता है।
चिठेरा: तू जब अंग्रेजी पढ़ा रही थी तो एकदम ऐसी लग रही थी जैसे इंजमाम हक क्रिकेट के मैदान पर अंगेजी में हाकी की कमेंन्ट्री कर रहे हों। एकदम्मै ऐसी लग रही थी कि का बतावैं कैसी लग रही थी। कुछ-कुछ होने लगा मन में।
चिठेरी: अरे मूढ़मति, गोबर गणेश कुछ बता तो कैसी लग रही थीं। शर्मा मत। शरम बेंच खा। बेशरम हो जा।
चिठेरा: तू एकदम जगर-मगर लग रही थी। मन कर रहा था तुझे ऐसे ही टुकुर-टुकुर ताकता रहूं। दीदा फ़ाड़े।
चिठेरी: तो देख न । अगर-मगर काहे करता है। कोई राशनिग थोड़ी हैअ ताकने में। चल आगे बता।
चिठेरा: तू जब हंसते हुये अंग्रेजी पढ़ा रही थी न! तो लग रहा था कि किसी बगीचे में गुनगुनी धूप खिली है। हमारा मन फूल सा इतराने लगा देखकर कि हमारी चिठेरी कित्ती सोंणी लग रही है।
चिठेरी: सच्ची। मैं ऐसी लग रही थी्?
चिठेरा: मुच्ची। मैं तेरे से झूठ बोल कर कौन से अपने ब्लाग पर कमेंट पा जाउंगा। तू तो कभी करती नहीं मेरे ब्लाग पर कमेंट। मैं ही जुटा रहता हूं तेरे ब्लाग पर। चाहे पोस्ट पल्ले पड़े या न पड़े।
चिठेरी: तू बोल्ड है रे बौड़म। इत्ती अच्छी बाते करते हुये जरा भी डरा नहीं। तेरे जैसे बेवकूफ़ी भगवान सबको क्यों नहीं देता।
चिठेरा: हम रेड एन्ड व्हाइट पीने वालों की बात ही कुछ और है।
चिठेरी: तू रेड और व्हाइट भी पीता है निगोड़े? बताया नहीं पहले ! चल परे हट। दूर जा! दुर्-दुर।
चिठेरा: अरे री चिठेरी। तू भी अकल के नाम पर नवाज शरीफ़ है। रेड एंड व्हाइट मतलब टमाटर का सूप और दूध। हम यही पीते हैं जाड़े में। तेरे दिमाग में तो लगता है इन्फ़ैक्शन हो गया है। चल अब जा मुझे भी सोने दे।
चिठेरी: चल जा, तू भी सो जा। शब्बाखैर। सपने में गलत हरकत मती करना किसी से। हमारे सिवाय किसी को ताका भी तो समझ ले तेरी खैर नहीं। लिमिट में रहना।
चिठेरा: ओके , टेक केयर, ब्बाय, गुड नाइट। सी यू टुमारो।
चिठेरी:अरे चिठेरे, धोखेबाज तू तो इंगलिश बोल लेता है। तैने मुझसे छिपा के अंग्रेजी सीखी। मझे बताया भी नहीं। जा मैं तुझसे नहीं बोलती। मैं तुझे श्राप देती हूं कि तू जब किसी के सामने धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने की कोशिश कर तो ‘आई मीन’, ‘यूसी’, ‘यू नो ‘, ‘आई मीन टु से’ कहकर अंग्रेजी बोलने वाले आम भरतीय की तरह हकलाने लगे। आज से तेरी-मेरी कुट्टी।
(ब्लाग नक्कारा २०-२० ओवर वाले मैच में फ़्री हिट सा बजता है।)
Posted in बस यूं ही | 11 Responses
व्यंग्य के साथ.
आप धन्य हो.
बढ़िया लिखा है इस बार भी। जमाए रखिये कनपुरिया ठाठ…