Sunday, August 24, 2008

प्रेम गली अति सांकरी

http://web.archive.org/web/20140419213256/http://hindini.com/fursatiya/archives/511

36 responses to “प्रेम गली अति सांकरी”

  1. अभिनव
    भाईसाहब, इस कथा को दुबारा पढ़ कर भी उतना ही आनंद आया जितना की पहली बार आया था,
    जय हो.
  2. Abhishek Ojha
    बस पोस्ट छपते ही पढ़ गए… एक साँस में. जब लगे की कोई अपनी गाथा सुना रहा हो तो फिर रुकने का सवाल ही कहाँ होता है ! मजा आ गया लेकिन पढ़ कर, उस जमाने से इस जमाने तक कुछ ज्यादा बदला नहीं. ये तो शाश्वत चीज है और हमेशा लगता है “नए बीच में बहुत लडकियां आई हैं और आजकल की बात और है हमारे जमाने में तो …. ”
    ये लाइने भूलने में थोड़ा समय लगेगा.
    - प्यार की त्रिभुज रूपी परिभाषा और चुगद… अपनी बात थी तो अच्छी लगेगी ही :-)
    - सारे प्रेम संबंध भाई-बहन के पवित्र रिश्ते से शुरु होते.
    - खूंटा तुड़ाकर भागे बछड़े की होती है जो मैदान में पहुंचते ही कुलांचे मारने लगता है
    - हमारे हिस्से आयी 1/120 लड़की
    क्लासिक पोस्ट, अच्छा किया आपने जो फिर से ठेल दिया.
  3. abha
    सारे संबंध भाई बहन के स्नेह-प्रेम से शुरू होते हैं …. सुबह अभिषेक की पोस्ट चौके साठ और बकलमखुद पर टिप्पणी करने की कोशिश ही करती रही लेकिन नहीं कर पाई….। बढ़ियाँ है सब ।
  4. दिनेशराय द्विवेदी
    आप ने फिर से ठेल दिया, वर्ना हम तो पढ़ने से ही रह जाते। आप का प्रेम लगता है आम प्रेम था। खास की गुंजाइश नहीं थी। वैसे भी आम आदमी आम प्रेम ही करता है।
  5. दिनेशराय द्विवेदी
    पर यह बेईमानी है, टिपियाया पोस्ट करते ही धुन बंद हो गई। लगता है कन्हैया भी ऐसे ही बांसुरी बजाते होंगे कहीं कुंज में छिप कर और गोपियाँ तलाशती रह जाती होंगी।
  6. - लावण्या
    अनूप जी, आपने पुराना आलेख देकर अच्छा किया सभी लिन्क पढे और पसँद आये हैँ
    मेरे ब्लोग पे भी इसका जिक्र किया है आज ..
    अभिषेक भाईसे बात हुई और लगा जैसे पुराने परिचित हैँ
    जय हो हिन्दी ब्लोग जगत ! साथवाली कविता भी अच्छी लगी
    – लावण्या
  7. Asha Joglekar
    Aapne to prem ko ekdam hi chaupat kar diya par kawita bahut achcee lagi.
  8. Tarun
    अब हम क्या बतायें, हमारा भी दिल कुछ ऐसा ही है – कभी इधर गिरा, कभी उधर गिरा ;)
  9. Gyan Dutt Pandey
    किस जमाने की याद दिला दी। हमारे यहां भी ऐसा ही रेश्यो था और हम तो आपके जितने भी असरदार न थे।
    उस दुखद समय की क्या याद करें! :-)
  10. Anonymous
    हमारे हिस्से आयी 1/120 लड़की .इतने में कोई कैसे प्यार कर सकता है?
    ha ha..bahut shaandar…kitna badhiya ganit tha aapka. hamne to pahlei baar ye post padhi…maza aa gaya.
  11. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    सभी जमे-जमाये मूर्धन्य अग्रजों से गुजारिश है कि अपने मालखाने से छांटकर ऐसे ही मोती झाड़पोंछकर नुमाइश में लगाते रहें। नये लोगों के आने से हो सकता है उसकी कीमत कुछ ज्यादा ही लगे क्यों कि इस बीच ब्लॉगिंग का बाजार चढ़ान पर है।
    बहतरीन री-ठेल… धन्यवाद।
  12. anitakumar
    हाय पता होता कि रेशो इतना बिगड़ा हुआ है तो उसी कॉलेज में इंजिनिअरिंग ही कर लेते। आर्ट्स में तो सब लड़कियां ही लड़कियां होती हैं, मुश्किल से कोई लड़का आर्टस में आता है। मतलब रेशो उधर भी उतना या उससे भी ज्यादा बिगड़ा होता था। …:)
  13. डा.अमर कुमार
    भाई जी, दो दिन बीत रहे इंतज़ार में
    अनुराग नहीं दिख रहे इस बहार में

    आपकी पोस्ट तो सालिड स्टम्प है, डा.अनुराग की टिप्पणी आये तो आये मज़ा बैटिंग का..
    अनुराग मानों कामदेव हों ( कोई शक ? ) आग लगायी, पोस्ट ठेलवायी औ’ खेत रहे
    ज्ञानदत्त जी पर क्या बैटिंग करें, गा रहे हैं, ” ये दुःखद समय मुझे कब छोड़ेगा ”
    गुरु हैं ( माना है, मैंने ) सो मैं यह भी नहीं कह सकता कि,
    ” दुःखी गुरु मेरे.. सुन मेरा कहना… जहाँ नहीं चैना.. वहाँ क्यों रहना, दुःखी गुरु मेरे..
    आप भी कितने महीन तरीके से इश्क की झलक तो दिखाय दिये, अउर मुश्क छुपा ले गये
    सो जाय रहे हैं.. मसल है ’ लाख यहाँ झोली फैला ले.. कुछ ना देंगे ये ब्लाग वाले.. ’

  14. kanchan
    केवल दो गीत लिखे मैंने
    इक गीत तुम्हारे मिलने का
    इक गीत तुम्हारे खोने का।
    waah .. sher yaad aa gaya
    Jindagi me do hi ghadiya.n guzari hai ham par kathin
    ek tere aane ke pahale ek tere jaane ke baad
  15. khetesh
    गूगल क्रोम (गूगल का नया ब्राउजर) हिन्दी में :-
    डाउनलोड कराने के लिए यहाँ जायें
  16. कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को
    [...] फ़िर भी बताते चले कि लैला-मजनू प्रेम के ब्रांड एम्बेसडर थे। जिस जमाने में के ये लोग थे उस जमाने [...]
  17. रजनीश के झा
    अति सुंदर, शब्दों की सार्थकता साबित होती हुई.
    प्रेम की दमदार प्रस्तुति.
    बधाई
  18. ayub
    ati uttam hai hindi bhashiyon ke liye
  19. swapnilsahu
    i live in kanpur then i wil meet you your shari was very intersting
  20. shahina
    sir aap to kamal hi kar diya is trah ki kavita likh kar aap ne hamare dil jit liya hai jo mango ham dene ke liya taiyar hai
  21. Anonymous
    हा हा… बहुत मज़ा आया पढने में! अच्छा हुआ आपने ये पोस्ट ठेली क्योकि पहले हम नहीं पढ़े थे ये पोस्ट!
  22. pallavi trivedi
    हा हा … बहुत मज़ेदार रही आपके कॉलेज की प्रेम गाथाये! इस कथा से आपके युग की पूरी झांकी मिल गयी! अच्छा हुआ आपने ये पोस्ट ठेली क्योकि हम पहले नहीं पढ़े थे!
  23. mukesh choudhary
    sir, I had only heard about your blog, read it for the first time. SUPERB!! But is the weekend personality aware u had started from 1/120 and ended up at 1/1.
  24. dr.anurag
    आपकी इस गली में एंट्री का कोई जिक्र नहीं है….बड़ी सफाई से आपने यहाँ भी अपने ज़ज्बातो को कंट्रोल कर लिया है ….कसम उस पहले प्यार की शुक्ल जी…..आज बह जाने दीजिये ..बस कह डालिए !
  25. गुरुकुल की एक छात्रा
    जब किताबों के संस्करण साल में दो आ जाते हैं तो ब्लाग पोस्ट इतने समय बाद तो दुबारा पेश किये ही जा सकते हैं।
    वाह!
    ……:)…..हमारे आस पास कोई हिंदी का प्रकाशक नहीं मिल रहा… नहीं तो हम भी ब्लॉग पोस्ट ही किताबें बनवा कर [छपवा -छपवा कर] अपने /अपने बच्चों के जन्मदिन पर मित्रों में अडोस -पड़ोस में बाँट चुके होते ! सोच रहे हैं ..फोटोकॉपी कर के खुद ही किताबे बना लें … !
  26. अल्पना
    पोस्ट पढ़ने में आनंद आ रहा है..दोबारा पढ़ कर टिप्पणी बाद में करूँगी.
  27. सतीश पंचम
    इस प्रेमगली का रसास्वादन तो बड़ा झन्नाटेदार है जी, एकदम राप्चिक :)
    सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..मेरा नया ब्लॉगThoughts of a Lensसतीश पंचम
  28. ashish
    ई लो जी, सब कुछ तो लिख दिया लेकिन इ नहीं पता चला की वो फटफटिया वाली के एस्कोर्ट में आप थे की नहीं ? नहीं थे तो कौन सी गली (प्रेम वाली ) में आप टहल रहे थे . अनुराग जी की तरह हमरी भी मांग है श्वेत पत्र जारी करने की .
  29. shikha varshney
    हा हा हा .बहुत बढ़िया…अच्छा किया दुबारा पोस्ट करके .हमने तो पहली बार ही पढ़ी.अनुराग जी की मांग पर ध्यान दिया जाये.:)
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..पुरानी कमीज
  30. : ये पीला वासन्तिया चांद
    [...] डा.अनुराग ने प्रेम गली अति सांकरी पर टिपियाते हुये लिखा- आपकी इस गली में [...]
  31. कुश भाई "संकरी गली के राही"
    कोलेजिय रोमांस तो ठीक है पर ऊपर फोटू बिल्ली की काहे लगायी
  32. sangeeta swarup
    पुरानी यादें … और आपकी मजबूरी ..१/१२० लडकी … रोचक पोस्ट
    sangeeta swarup की हालिया प्रविष्टी..तथागत
  33. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] प्रेम गली अति सांकरी [...]
  34. Puja Upadhyay
    मजेदार, लज्जतदार, धुआंधार पोस्ट…मिजाज़ चकचका गया पढ़ कर :)
    Puja Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..मुझे/तुम्हें वहीं ठहर जाना था
  35. देवांशु निगम
    कॉलेज में प्रेम हो जाना वाकई बड़ी आम बात है , पर इतनी शानदार विवेचना गुरुवर आप ही कर सकते हो, एक दम ढिन॒का – चिका पोस्ट!!!!!
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..प्यार, इश्क, मोहब्बत और लफड़े…
  36. Anonymous
    शुकुल जी कर रहा है की लिंक दम्मो को भेज ही दूं ,बोलो क्या कहते हो ,मामला रफा – दफा करना हो तो आफर भेज दो विचार किया जायेगा .
    मृगांक

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