Monday, April 19, 2010

…जिन्दगी ऐसी नदी है जिसमें देर तक साथ बह नहीं सकते

http://web.archive.org/web/20110109023343/http://hindini.com/fursatiya/archives/1343

फ़ुरसतिया

अनूप शुक्ला: पैदाइश तथा शुरुआती पढ़ाई-लिखाई, कभी भारत का मैनचेस्टर कहलाने वाले शहर कानपुर में। यह ताज्जुब की बात लगती है कि मैनचेस्टर कुली, कबाड़ियों,धूल-धक्कड़ के शहर में कैसे बदल गया। अभियांत्रिकी(मेकेनिकल) इलाहाबाद से करने के बाद उच्च शिक्षा बनारस से। इलाहाबाद में पढ़ते हुये सन १९८३में ‘जिज्ञासु यायावर ‘ के रूप में साइकिल से भारत भ्रमण। संप्रति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर में अधिकारी। लिखने का कारण यह भ्रम कि लोगों के पास हमारा लिखा पढ़ने की फुरसत है। जिंदगी में ‘झाड़े रहो कलट्टरगंज’ का कनपुरिया मोटो लेखन में ‘हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै‘ कैसे धंस गया, हर पोस्ट में इसकी जांच चल रही है।

31 responses to “…जिन्दगी ऐसी नदी है जिसमें देर तक साथ बह नहीं सकते”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    अवस्थी जी को केवल एक बार बाराँ में सुन पाया था। आज दूसरी बार सुन रहा हूँ।
  2. Nishant
    बहुत ही सुंदर और सदा के लिए संजो रखने के काबिल.
    पहले सुना हुआ था पर भूल सा चला था. आज सुनवाने के लिए आभार.
  3. ई-स्वामी
    ये मेरी पसंदीदा कविताओं मे से एक है!
    सफ़र की थकान उतारने में सहायक रही है ये! :)
  4. प्रवीण पाण्डेय
    परिपक्वता से यदि सरलता न उपजे तो समझिये कहीं खोट है । स्व रमानाथ अवस्थी जी की सरलता कविता में बहती है । सरल शब्द, गहरी बातें । यह दूसरी कविता पढ़ रहा हूँ, और भी पढ़ाइये ।
  5. विनोद कुमार पांडेय
    मैं एक बार पहले भी अवस्थी जी की कविता पढ़ चुका हूँ बहुत बढ़िया लगा था आज की प्रस्तुति भी बेहतरीन जिंदगी की सच्चाई व्यक्त करती एक सुंदर कविता..अनूप जी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
  6. Dr.Manoj Mishra
    आपनें दिल खुश कर दिया ,बहुत ही उम्दा प्रस्तुति.
  7. काजल कुमार
    वाह सुबह सुबह इतनी सुंदर रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद. कविता की रिकार्डिंग भी बहुत उम्दा है. मेरे ख़्याल से आपको इन्हें कैसेट से डिजीटल फ़ार्मेट में सहेज लेना चाहिये. कैसेट की क्वालिटी धीरे-धीरे विगड़ती जाती है.
  8. pankaj upadhyay
    वाह, सरल शब्दो मे बहुत बडी बात कह गये ये..
    मैने अपने लिये ये उठाया:
    “किसलिये होते हो उदास यहाँ,
    जो नहीं होना है नहीं होगा।।”
    इस कवि सम्मेलन को सुनने के लिये आप शाहजहापुर गये थे.. सही है.. :)
  9. amrendra nath tripathi
    दर्शन और तरल अनुभवों से भरी रचना पढ़/सुन कर
    बड़ा अच्छा लगा .. आभार !
  10. dr anurag
    हम गर्मी का सदुपयोग कहते है जी इसे …..केसेट रिकोरडर अभी तक है आपके पास
  11. shekhar kumawat
    bahut khub
    bahut sundar khayal he aap ke
    shekhar kumawat
    http://kavyawani.blogspot.com
  12. संजय बेंगाणी
    क्या कविताएं ऐसे ही समझ में आ जाने वाली भी होती है?! :)
    प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
  13. वन्दना अवस्थी दुबे
    आपने चाहा हम चले आये,
    आप कह देंगे हम लौट जायेंगे।
    एक दिन होगा हम नहीं होंगे,
    आप चाहेंगे हम न आयेंगे॥
    क्या कहूं रमानाथ अवस्थी जी के इस गीत पर? आभार.
  14. Abhishek Ojha
    ये लाईने बहुत पसंद आई :
    “जिसको जो होना है वही होगा,
    जो भी होगा वही सही होगा।
    किसलिये होते हो उदास यहाँ,
    जो नहीं होना है नहीं होगा।।”
  15. alpana
    ‘कविता लिखना जितना कठिन है उससे कठिन है उसके साथ होना।’
    शब्द कभी हमको आपको धोखा नहीं देता।
    दिल से जो सुना जाता है वही भजन भी होता है और वही शब्द भी होता है.
    आज इस वक्त आप हैं,हम हैं
    कल कहां होंगे कह नहीं सकते।
    ‘वक्त मुश्किल है कुछ सरल बनिये
    प्यास पथरा गई तरल बनिये।
    जिसको पीने से कृष्ण मिलता हो,
    आप मीरा का वह गरल बनिये।’
    बहुत सटीक!
    उनका काव्य पाठ बहुत पसंद आया .आभार अनूप जी इस प्रस्तुति के लिए.
  16. अर्कजेश
    शुक्रिया ही कहना चाहेंगे यहॉं पर और कुछ नहीं । कविता क्‍या है जीवन का फलसफा है , और वह इतनी सहजता । यही तो सौंदर्य है ।
  17. जि‍तेन्‍द्र भगत
    बहुत अच्‍छा संयोजन।
  18. विवेक सिंह
    बहुत अच्छी लगी कविता ।
  19. kanchan
    आज इस वक्त आप हैं,हम हैं
    कल कहां होंगे कह नहीं सकते।
    जिंदगी ऐसी नदी है जिसमें
    देर तक साथ बह नहीं सकते।

    आपने चाहा हम चले आये,
    आप कह देंगे हम लौट जायेंगे।
    एक दिन होगा हम नहीं होंगे,
    आप चाहेंगे हम न आयेंगे॥

    bantane ka aabahar…..
  20. हिमांशु
    पहले भी रमानाथ जी की कविताएं यहाँ पढ़ने-सुनने का सुख ले चुका हूँ !
    रमानाथ अवस्थी के गीतों को दीवानगी की हद तक सुना, गाया, गुनगुनाया है !
    उनके स्वर में तो बस यहीं सुन पाता हूँ ! हम अभागों ने उन्हें साक्षात कहां सुना है !
    आभार ।
  21. समीर लाल
    रमानाथ अवस्थी के स्वर में सुनना सुखकर रहा ..कविता भी और भूमिका भी. आभार आपका प्रस्तुत करने के लिए.
  22. SHUAIB
    bahut acchi kavita hai
  23. महामूर्खराज
    सुंदर लेख एक बहुत अच्छी कविता पढ़ने को मिली
    धन्यवाद
  24. anitakumar
    आज इस वक्त आप हैं,हम हैं
    कल कहां होंगे कह नहीं सकते।
    जिंदगी ऐसी नदी है जिसमें
    देर तक साथ बह नहीं सकते।
    आपने चाहा हम चले आये,
    आप कह देंगे हम लौट जायेंगे।
    एक दिन होगा हम नहीं होंगे,
    आप चाहेंगे हम न आयेंगे॥
  25. masijeevi
    वक्‍त मुश्किल है कुछ सरल बनिए
    प्‍यास पथरा गई तरल बनिए
    एकदम अपनाएबुल बात है।
  26. Zakir Ali Rajnish
    शायद यही कारण है कि बहुत देर तक बहुत सारे लोग एक साथ रह नहीं पाते।
    …………….
    अपने ब्लॉग पर 8-10 विजि़टर्स हमेशा ऑनलाइन पाएँ।
  27. Rangnath
    कवि की तारीफ क्या करूँ साथियों ने हर लहजे से बात रख दी है. आप के इस ब्लॉग को अपने ब्लॉग से जोड़ा है.
  28. amrendra nath tripathi
    सुना और पूर्ववत डूबा ! कविता जो ताली नहीं चाहती , दिलों में कुछ पहुंचा सके बस ! ये कवि ( मंच ) कविता के हीरक हस्ताक्षर हैं | पूर्व का कथन भी दृष्टिपूर्ण और कविता भी !
    amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..बजार के माहौल मा चेतना कै भरमब रमई काका कै कविता ध्वाखा My ComLuv Profile
  29. Neeraj Diwan
    अग्निवेश शुक्ल का संपर्क नंबर चाहिए.. कृपया इतना बताएं कि वे वही कवि है ना जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन पर ओजमयी कविताएं रची थीं।
  30. shikha varshney
    रमानाथ अवस्थी के स्वर में सुनना अच्छा लगा ..कविता और लेख भी अच्छे हैं.
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..दो दिन- स्कॉटस और बैग पाइप My ComLuv Profile
  31. jyoti
    कौन सी कविता पडवा दी आज तुमने अनूप. दिल उदास हो गया.तुम सब वहां, हम यहाँ, अच्छा नहीं लग रहा है. पर यही है शायद जिन्दगी, ज्यादा देर साथ नहीं चल सकते.—- ज्योति

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