आज सुबह घर से निकले तो तीन बच्चे मिल गए। एक केवल पटरे वाला जांघिया पहने। दो कमीज धारी। सड़क पर गलबहियां डाले चले जा रहे थे। हाथ में राखी टाइप धागे बंधे थे। लेकिन बात की तो पता चला 'फ्रेंडशिप बैंड' है। बिना कमीज वाला बच्चा तीन बैंड बांधे थे। एक की कीमत बताई 8 रुपया।
कई दोस्त हैं बच्चों के। नाम भी गिनाने लगे। बताया चार, तीन में पढ़ते हैं। बिना कमीज वाला केजी में पढता है। छुटपन में भाई नहीं रहा तो पढ़ाई छुड़वा दी गयी थी। बहन नहीं है लेकिन रक्षा बंधन के खर्चे के लिए हलकान।हमको फ्रेंडशिप बैंड बेचने की बात भी की लेकिन बस ऐसे ही।
सुबह उठकर खेलने जा रहे थे।लेकिन फिर बात करते हुए वापस लौटकर चल दिये।
आज फ्रेंडशिप डे है। मुझसे फेसबुक पर आए सन्देशों से पता चला। सुबह-सुबह और कई मित्रों के संदेशों के एक नए मित्र का सन्देशा आया। राघव । पिछले हफ्ते मुलाकात हुई थी राघव से। अर्मापुर के रास्ते में ओएफसी के सामने फुटपाथ पर प्लास्टिक की रस्सी के बने झूले बेंचता है। 100 रुपये का एक। विज्ञापन के रूप में एक झूला पेड़ पर डालकर उस पर झूलता रहता है।
उस दिन झूलते हुये मैने उसकी फोटो खींची तो बोला मुझे भेज दो व्हाट्सएप पर। मुझसे बनी नहीं तो फौरन खाता जोडकर खुद को भेज दी। उसका नाम भी सेव कर लिया मैंने। राघव। आज मेसेज आया तो ध्यान आया इतवार को मिले थे। लहजे से लगता है दक्षिण भारत का रहने वाला है। कानपुर में मुंबई से आया है। कानपुर में पेड़ तो घरों में बचे नहीं। झूला कौन झूलेगा।
दोस्ती दिवस पर जिन दोस्तों के संदेशे आये उनको भी मुबारक 'फ्रेंडशिप डे'। वसीम बरेलवी के इस शेर के साथ:
शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ
कीजिये मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ।
कीजिये मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ।
दोस्तों के मामले में मैं हमेशा सौभाग्यशाली रहा। बहुत अच्छे दोस्त मिले जीवन में। इनमें आभासी दुनिया के माध्यम से बने दोस्त भी शामिल हैं। अब यह दोस्तों की किस्मत कि उनके पल्ले हम पड़े।
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