1. हम समझते थे , यह लोकतंत्र वटवृक्ष है। कैसी भी आंधी आये, उखड़ेगा नहीं। रोपा इसी उद्देश्य से था। मगर अब सिद्धांतहीन, बेईमान, गैरजिम्मेदार हमारे नेताओं ने उसे गमले का पौधा बना दिया है। अब यह हाल है कि कोई भी बैल,गधा, भैंसा उस पर मुंह मारकर पत्ते नोंच लेता है। अभी यह पौधा उखड़ा तो नहीं है, मगर गर्दिश में है।
2. गलती हमारी भारतीय जनता की भी है। हमने समझ लिया कि पांच साल में एक बार वोट देना ही लोकतंत्र है। जिसका ज्यादा हल्ला हो, उसे वोट दे दो।
3. जिन्हें पांच साल के लिये चुन लिया उन्होंने अपने को ही देश मान लिया। वे मुंह खोलकर अपने भीतर वैसे ही भारत को बताने लगे, जैसे कृष्ण ने अर्जुन को अपने मुंह में सारा ब्रह्माण्ड दिखाया था।
4. क्या इसीलिये कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। मंहगाई को रोयेंगे, लेकिन दीवाली ठाट से ही मनायेंगे। जैसे-जैसे मंहगाई बढ़ती है, वैसे-वैसे उत्सव बढ़ते हैं।
5. वैदिक आर्य उत्सव-प्रेमी था। मस्त था। खाती-पीता, नाचता था। गेहूं पैदा करना उसे पहले नहीं आता था, पर उसने तब भी वह सोमलता खोज ली थी, जिससे सोमरस निकलता था। यानी घर में रोटी का ठिकाना नहीं है पर दारू की भट्टी जरूर खोले बैठे हैं।
6. लक्ष्मी की उत्पत्ति की कल्पना अद्भुत है। वह समुद्र मन्थन से अन्य रत्नों के साथ निकली थी। समुद्र-मन्थन अकेले देवों ने नहीं किया था। उसके लिये दानवों का सहयोग लिया था। जब रत्न निकले तो दानवों को तो मदिरा पिला दी और लक्ष्मी को विष्णु ले उड़े।
7. फ़ौजी तानाशाह इन्सानों से डरता है। अलग-अलग इन्सानों से कम डरता है, पर इकट्ठे इन्सानों से बहुत डरता है।
8. तानाशाह एक डरपोक आदमी होता है। अगर पांच गधे भी साथ-साथ घास खा रहे हों, तो तानाशाह को डर पैदा होता है कि गधे भी मेरे खिलाफ़ साजिश कर रहे हैं।( हालांकि गधे अपनी बिरादरी के खिलाफ़ साजिश नहीं करते।)
9. धार्मिक उन्माद पैदा करना, अन्धविश्वास फ़ैलाना, लोगों को अज्ञानी और क्रूर बनाना राजसत्ता, धर्मसत्ता और पुरुषसत्ता का पुराना हथकंडा है। हिन्दू पीछे नहीं हैं मुसलमानों से।
10. हम दूसरी जातियों पर थूकें तो वह अपने ऊपर ही गिरेगा। हमारा सौभाग्य यह है कि हमारे शंकराचार्य उन्माद नहीं पैदा कर सकते, जैसा अयातुल्ला और इमाम कर सकते हैं। शंकाराचार्यों की इस अक्षमता ने हमें बहुत बचाया।
11. हर नेता दूसरे की धोती खींचता है। कुछ तो शुरु से ही सिर्फ़ चड्डी पहने हैं। ये नाड़ा खींचते ही नंगे हो जाते हैं।
No comments:
Post a Comment