1. विनय के रेशमी पर्दे के पीछे अहं की क्रूरता छिपी नहीं रह सकती। अहं की प्रकृति ही प्रदर्शन की है, वह नकटे की तरह आईना देखने को उत्सुक रहता है।
2. कुछ नकटों को आईना देखकर भी यह समझ में नहीं आता कि नकटापन कुरूपता है। वे समझते हैं कि कट जाने से नाक सुडौल हो गयी।
3. अफ़सर-कवि एक खास प्रकार का प्राणी होता है। अफ़सरी रोब और कवि की कोमलता में निरन्तर संघर्ष चलता रहता है।
4. मनुष्य का जीवन यों बहुत दुखमय है, पर इसमें कभी-कभी सुख के क्षण आते रहते हैं। एक क्षण सुख का वह होता है, जब हमारी खोटी चवन्नी चल जाती है या हम बगैर टिकट बाबू से बचकर निकल जाते हैं। एक सुख का क्षण वह होता है, जब मुहल्ले की लड़की किसी के साथ भाग जाती है और एक सुख का क्षण वह भी होता है , जब बॉस के घर छठवीं लड़की होती है।
5. ब्रह्मानन्द तब प्राप्त होता है, जब साधक परमात्मा को ठग लेता है। कई तपस्वी ब्रह्मानन्द की प्राप्ति के लिये पूरी जिन्दगी साधना में बरबाद कर देते हैं। वे अगर स्थानीय पानवाले के पास एक खोटी चवन्नी चला देते हैं, तो उन्हें सहज ही ब्रह्मानन्द प्राप्त हो जाता।
6. ठगते देवता भी हैं। विष्णु ने तो एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण करके अपने साथी और मित्र शंकर को ही ठग लिया था – जैसे कोई प्रोफ़ेसर दूसरे प्रोफ़ेसर का पेपर आउट कर दे।
7. इन्द्र ने तो तपस्वियों को ठगने के लिये अप्सराओं की एक पलटन ही रखी थी और कई मुनि इस आशा से तपस्या करते थे कि तपस्या भंग करने के लिये इन्द्र कोई अप्सरा भेजेगा। पर कोई-कोई इसमें भी ठगा जाते थे – वे जिन्दगी भर तपस्या करते और कोई अप्सरा नहीं आती थी। आत्मा पुकारती – देवराज, अप्सरा भेजो ! हम तपस्या कर रहे हैं और इन्द्र जबाब देता –अभी कोई ’स्पेयर’ (खाली) नहीं है।
8. प्रेम में ठगना जरूरी है। जब प्रेम बहुत गहरा हो जाता है, तब प्रेमिका प्रेमी को छलिया, कपटी और ठग कहने लगती है। जो जितना बड़ा ठग होगा, वह उतना ही बड़ा प्रेमी होगा।
9. कोई ’मरा-मरा’ चिल्ला रहा था तो राम ने उसे सीधा स्वर्ग भेज दिया। बड़े आदमी छोटा एहसान करके ’प्रोपेगण्डा स्टण्ट’ साधते हैं। वैष्णव इस स्टण्ट को समझे ही नहीं और स्तुति गाने लगे।
10. आजकल देख रहा हूं कि अच्छी बाते कहने वाले ज्यादा पिट रहे हैं। अब अच्छी बातें कहने का हक किसी को लोग देना नहीं चाहते। जिस देश में अच्छी बातें कहने से आदमी पिट जाये, उसमें अच्छी बात कहने वालों ने क्या गजब न किया होगा?
11. इस देश में यह बड़ी अजब बात है कि जो आदमी जितना पिटता है, वह उतना अच्छा मुस्कराता है।
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