http://web.archive.org/web/20140419213922/http://hindini.com/fursatiya/archives/348
इसके अलावा भी तमाम अटरम-सटरम विषयों पर किताबें मौजूद हैं लेकिन हमने आजतक ऐसी कोई किताब नहीं देखी जिसमें कोई ऐसी तरकीबें बताई गई हों कि
आप महान कैसे बनें? आजकल दुनिया में सबसे ज्यादा कमी है तो महान लोगों की। दुनिया में औने-पौने-बौने व्यक्तित्व के लोग का धमाल मचा हुआ है। महान लोग दिखते ही नहीं! ऐसा नहीं है कि महान लोग भगवान के यहां से ही बन के आते हैं। सच तो यह है ज्यादातर महान लोग अपनी मेहनत से महान बने। जब मेहनत से बने तो उसका तरीका भी होगा कि कैसे हम चाहने पर महान बन सकते हैं।
महान बनने के कुछ सुगम उपाय
By फ़ुरसतिया on October 5, 2007
पिछली पोस्ट में मैंनें ब्लागर साथियों की सहायता के लिये टिप्पणी करने से बचने के लिये कुछ सुगम उपाय बताये थे। हमारे एक दोस्त इसे देखकर उखड़ गये। बोले क्या हमको ब्लागर समझ रखा है जो तुम्हारी इस बेसिर हरकत पर बलैया लूं। अरे तुमको जनता से जुड़ी कोई बात लिखनी चाहिये जिससे कि सबका भला हो। ये क्या कि १००० लोगों से भी कम लोगों के मतलब की बात लिखकर कूदते घूम रहे हो!
हमने बहुत सोचा कि ऐसा क्या लिखूं कि जो सबके मतलब का हो! दुनिया में हर मर्ज की दवा बताते हुये उससे बचने के उपाय हाजिर हैं। कुछ में तो दर्द बाद में आता है , दवा पहले तैयार रहती है बल्कि सच कहा जाये तो दवा होती है इसीलिये दर्द इजाद किया जाता है।
काफ़ी पहलें एक किताब देखी थी जो बहुत बिकती थी। डेल कार्नेगी की किताब थी दोस्त कैसे बनायें और लोगों को प्रभावित कैसे करें?(किताब का शीर्षक हाउ टु विन फ़्रेंड अटपटा लगता था। क्योंकि दोस्त से तो दोस्ती की जाती है। जीता तो दुश्मनों को जाता है)। एक बार कभी पढ़ी थी आधी-चौथाई। मुझे लगता है उस दिन से मेरे दोस्तों की संख्या कम ही हुई है, प्रभावित तो जब मैं ही खुद से नहीं हूं तो दूसरा क्या खाकर होगा।
काफ़ी पहलें एक किताब देखी थी जो बहुत बिकती थी। डेल कार्नेगी की किताब थी दोस्त कैसे बनायें और लोगों को प्रभावित कैसे करें?(किताब का शीर्षक हाउ टु विन फ़्रेंड अटपटा लगता था। क्योंकि दोस्त से तो दोस्ती की जाती है। जीता तो दुश्मनों को जाता है)। एक बार कभी पढ़ी थी आधी-चौथाई। मुझे लगता है उस दिन से मेरे दोस्तों की संख्या कम ही हुई है, प्रभावित तो जब मैं ही खुद से नहीं हूं तो दूसरा क्या खाकर होगा।
किताबों की श्रंखला में तो बाजार में तमाम किताबें मौजूद हैं जो आपको आपका मनचाहा काम करने का तरीका बताती हैं। भारत में भी आजकल मैनेजमेंट और लीडरशिप पर किताबें अटी पड़ी हैं। अच्छे मैनेजर कैसे बनें? अच्छे लीडर कैसे बने? (अच्छे ब्लागर कैसे बने ? कब आयेगी भाई ) । लेकिन मुझे लगता है आप भारत में मौजूद किताबों की सूची से प्रभावित नहीं होंगे! इसलिये आपको अमेरिकी समाज में प्रचलित पुस्तकों की सूची का जायका देता हूं। अमेरिकी समाज के बारे में अपने संस्मरण लिखते हुये अमेरिका में भारतीय प्रवासी (केरल के मूल निवासी) डा.पोलसन जोसफ़ ने ५४ किताबों की सूची प्रस्तुत की है। जिनमें से कुछ के नाम मैं यहा दे रहा हूं:
१. सोते हुये अमीर कैसे बने?
२.अपने कूल्हे कैसे ट्रिम करें और जांघे कैसे सुडौल बनायें?
३.प्यार और शादी से कैसे बचें?
४.अपने कुत्ते के माध्यम से अपना व्यक्तित्व कैसे पहचाने?
५.आदमी को कैसे फ़सायें, कैसे पकड़े रहें और कैसे छुटकारा पायें?
६.शादीशुदा औरतों को कैसे पटायें?
७.चालीस साल की होने के बाद आदमी कैसे पायें?
८.अपने पूर्व-पति को कैसे माफ़ करें?
९.अपनी शादी को किसी प्यार के चक्कर से कैसे बचायें?
१०.किसी महिला से फ़ायदा कैसे उठायें?
११. किसी आदमी को अपने से प्यार करने के लिये कैसे मजबूर करें?
इसके अलावा भी तमाम अटरम-सटरम विषयों पर किताबें मौजूद हैं लेकिन हमने आजतक ऐसी कोई किताब नहीं देखी जिसमें कोई ऐसी तरकीबें बताई गई हों कि
आप महान कैसे बनें? आजकल दुनिया में सबसे ज्यादा कमी है तो महान लोगों की। दुनिया में औने-पौने-बौने व्यक्तित्व के लोग का धमाल मचा हुआ है। महान लोग दिखते ही नहीं! ऐसा नहीं है कि महान लोग भगवान के यहां से ही बन के आते हैं। सच तो यह है ज्यादातर महान लोग अपनी मेहनत से महान बने। जब मेहनत से बने तो उसका तरीका भी होगा कि कैसे हम चाहने पर महान बन सकते हैं।
वैसे महानता से हमारा कोई संबंध नहीं है सिवाय इसके कि हम इस बारे में विचार कर रहे हैं। लेकिन मेरा मन करता है कि भले ही किताब न लिख पाऊं लेकिन महान बनने के जितने सूत्र मुझे पता हैं उतने तो अपने दोस्तों को बता दूं। हो सकता है आपमें से कोई इन्हें ही पढ़कर महान बन जाये। आप महान बनने के इन उपायों को पढ़ें और बतायें कि आपके पास भी इस तरह के कुछ उपाय हैं? अगर हैं तो बतायें?
१.ठान लीजिये: सबसे पहले तो यह ठान लीजिये कि आपको महान ही बनना है। महान के सिवा कुछ नहीं बनना है। आपके सामने तमाम प्रलोभन आयेंगे। लोग डाक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, अफ़सर, अध्यापक,पत्रकार,नेता, अभिनेता बनाने के लिये आपको फ़ुसलायेंगे लेकिन आपको अपने आपको इन लालच से बचा के रखना पड़ेगा। जैसे ही आप महान बनने की ठान लेते हैं वैसे ही आपका महानता का हसीन सफ़र शुरू हो जाता है। बिना ठाने आप ठन-ठन गोपाल बन के रह जायेंगे।
२.मान लीजिये: कोई व्यक्ति महान तब माना जाता है जब दुनिया उसको महान माने।दुनिया का एक अंग होने के नाते आपका यह कर्तव्य बनता है कि आप खुद को महान मानना शुरू कर दें। दुनिया में दिखावे का बहुत चलन है। जैसे ही आप खुद अपने को महान घोषित कर देंगे लोग देखा-देखी आपको महान कहने लगेंगे। आज के जामने के तमाम स्वयंभू भगवान तभी भगवान कहलाये जब उन्होंने खुद को सबसे पहले भगवान कहाना शुरू किया।
३.आत्मनिर्भर बने: जैसे आपने अपनी हिचक का गला घोंट कर अपने को महान कहना शुरू कर दिया वैसे ही आपकी महानता का सफ़र शुरू हो जाता है। इसके बाद अपनी तारीफ़ खुद करना शुरू कर दें। आजकल वो जमाना नहीं रहा कि आपकी तारीफ़ दूसरे करें। सबको अपनी-अपनी पड़ी है। इसलिये आपको अपनी तारीफ़ में आत्मनिर्भरता हासिल करनी बहुत आवश्यक है। आजकल यह चलन है कि जैसे-जैसे आदमी नाकारा होता जाता है वैसे-वैसे वह अपनी तारीफ़ में आत्मनिर्भर होता जाता है और महान से महानतर भी।
४. अधूरे काम छोड़िये: दुनिया में जितने भी महापुरुष हुये हैं वे तमाम अधूरे काम छोड़ गये हैं। जो जितना बड़ा महापुरुष है उसने उतने ज्यादा अधूरे काम छोड़े। आप इसे अपनी सुविधानुसार इस तरह ग्रहण कर सकते हैं कि जो जितने ज्यादा अधूरे काम छोड़ जाता है वह उतना महान होता है। आपके बाद आपके अनुयायी आपके छोड़े काम करते रहेंगे। जितने दिन आपके छोड़े काम चलते रहेंगे उतने दिन आपकी महानता सुरक्षित रहेगी।
५. भाषा पर समान अधिकार रखिये: आप तौर पर जो महापुरुष होते हैं उनका दुनिया की कई भाषाओं पर समान अधिकार होता है। इसलिये आप महान बनने के लिये तमाम भाषायें सीखना शुरू कर सकते हैं। अगर इसमें कोई अड़चन आती है तो आपको जो भाषा आती है उस पर भी पकड़ ढीली कर दीजिये। इस तरह आपका सभी भाषाओं पर समान अधिकार हो जायेगा। उदाहरण के लिये आप अपने देश के तमाम नेताओं के भाषण सुन सकते हैं। उनको न हिंदी ठीक से आती है न अंग्रेजी। दोनों भाषाओं पर समान अधिकार है।
६. दुनिया से जुड़िये: आप अपने हर क्रिया कलाप,छोटी से छोटी हरकत को ,दुनिया /समाज के साथ जोड़कर देखिये। जैसे कि अगर आपको रोज नहाना पसंद है तो आप यह बयान जारी करा कीजिये- मैं अपने जीवन और समाज में कोई गंदगी नहीं देखता इसीलिये मैं दिन में दो बार स्नान करता हूं। इसके उलट अगर आपको नहाने डोने से एलर्जी है तो आप शहीदाना अंदाज में बयान जारी कर सकते हैं- जब देश के लोगों को पीने तक के लिये पानी नहीं उपलब्ध है तो ऐसे में नहाने में पानी बहाने की बात सोचना भी मैं पाप समझता हूं। जितना पानी मैं नहाने में होगा उतने में सौ लोगों की प्यास बुझ सकती है।
७. वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रखिये:महान लोगों के उदार चरित वाले होते हैं और उदार चरित वाले लोगों के लिये पूरी धरती कुटुम्ब के समान होती है। आप सारी धरती को अपने कुटुम्ब के समान मानते हुये धरती के जो भी संसाधन दिखें अपनी बपौती मानते हुये उनका उपभोग करिये। महान लोगों के लिये कहा भी गया है ‘परद्रव्येषु लोष्ठ वत‘। अर्थात महान लोगों के लिये दूसरों का धन मिट्ठी के समान होता है। और जो सच में महान बनना चाहता है वह अपनी मिट्टी का मोह कभी नहीं छोड़ सकता। अत: महान बनने के लिये दूसरों के धन से मोह रखना होगा।
८.जनता से जुडिये: आप जो भी काम करिये वो जनता के भले के लिये। अब चूंकि उदारता अपने घर से शुरू होती है इसलिये शुरुआत अपने घर से कीजिये और अपने घर के लोगों को जनता समझकर उसकी भलाई करना शुरू कर दीजिये। आज के सारे महान लोग अपने घर से ही जनता की भलाई की शुरुआत करते हैं और यह काम देखने में भले ही छोटा लगे लेकिन वास्तविकता में इतना बड़ा होता है कि लोग सारी जिंदगी लगे रहते हैं लेकिन फिर भी घर की जनता की पूरी भलाई नहीं हो पाती।
९. बचपन में गलतियां करिये: आमतौर पर देखा गया है कि महान लोग बचपन में तमाम गलतियां करते रहे हैं। महात्मा गांधी जी ने भी चोरी की थी बचपन में और जवानी में कुछ किया था। इसलिये महान बनने के लिये महान लोगों के जीवन का अनुसरण करते हुये बचपन में कुछ हरकते कर लेनी चाहिये। इसको इस तरह भी किया जा सकता है कि आप जिस तरह के महान बनना चाहते हैं उस तरह के महान व्यक्ति के बचपने का अनुसरण करने लगें।
१०.डायरी लिखिये: महान लोग डायरी लिखने की आदत रखते हैं। आप भी रखिये। डायरी में तमाम महापुरुष अपने जीवन की दैनन्दिन घटनाऒ को लिखते रहते हैं ताकि जब कायदे से महान बन जायें तो उस डायरी को छपवाकर और अधिक महान बन जायें। डायरी लिखने से आराम यह भी रहती है कि आप अपनी महानता की राह में संभावित रोड़े साबित हो सकने वाले लोगों के क्रिया-कलापों के बारे में भी नोटस बनाते रहें और समय-समय पर जनता-जनार्दन को अपने विरोधियों की हरकतों से रूबरू कराते रहें। पुराने जमाने तो यह हिसाब चुकाना कहलाता था लेकिन आजकल यह गतिविध स्टिंग आपरेशन के नाम से जानी जाती है।
११. महान बन जाइये तो फ़िर बने ही रहिये: आप एक बार महान बन गये तो फिर आपका मन करेगा कि बने ही रहें। यह ऐसा सुख है जिससे विरत होने का मन नहीं करता। दुनिया में तमाम दूसरी चीजों के कोटे की तरह की महानता की भी राशनिंग होती है। महान लोग एक दूसरे धकियाकर खुद महानता की कुर्सी कब्जियाना चाहते हैं। इसलिये आप जैसे ही महान बन जायें वैसे ही आप दूसरों के महानता के रास्तों में रोड़े अटकाना शुरू कर दें। इससे आप काफ़ी दिन महान बने रह सकते हैं!
१२.जन्मदिन कब्जियाइये: असली महान व्यक्ति वह कहलाता है जिसका जन्मदिन उसके बाद भी मनाया जाये।वैसे आप तौर पर इसका इंतजाम महान व्यक्ति के मरने के बाद ही किया जाता है। समझदार महान लोग अपनी जन्मतिथि मनाये जाने का इंतजाम करके ही मरते हैं। इसके लिये कभी-कभी तकलीफ़ भी होती है कि लगभग साल के सारे दिन किसी न किसी त्योहार, जनमतिथि/मरणदिवस के नाम रखे हुये हैं। इसीलिये कुछ लोग अपने जन्मदिन की तिथि इस हिसाब से सेट करते हैं ताकि उनके साथ किसी दूसरे की तिथि न टकराये। लालबहादुर शास्त्री जी के साथ हुआ भी न! सारा का ध्यानाकर्षण गांधीजी पर हो जाता है।
तो क्या सोचा आपने? चल रहे हैं महान बनने की राह पर? आइये शुरू करें जो होगा देखा जायेगा।
हो सकता है कि आप इन मापदन्डों के हिसाब से पहले से ही महान आत्मा हों। यदि ऐसा है तो आपको मेरा अभिवादन।
Posted in बस यूं ही | 20 Responses
2. हमें तो आपमे महानता के बीज नजर आते हैं. कृपया आत्मविश्लेषण कर बतायें कि यह सत्य है या नहीं. अगर नहीं, तो आपको इस पुनीत विषय पर लिखने का अधिकार कैसे मिला?
3. बस यूंही लिख रहे हैं कि मस्त लिखा है.
@ज्ञानजी, महान लोग यही करते हैं कि खुद महान बन जाते हैं दूसरों को नहीं बनने देते। इसीलिये बाकी के सूत्र अपने आप छिप गये। लेकिन जो सच्चा महान होता है वह इनकी खोज कर ही लेता है।
महान बनने के कतिपय नुस्खे इस प्रकार हैं-
1-घोषित करें, पामेला एंडरसन और शिल्पा शेट्टी का पूर्व प्रेमी हूं। यह सच भी हो सकता है, एकतरफा प्रेम करने से कौन किसे रोक सकता है।
2-घोषित करें, गालिब ने सब सब की आपके कलाम चोरी किये हैं। लोग हंसे तो बताइए के आप पूर्व जन्म के कालिदास हैं, सो गालिब से सीनियर हैं।
और भी नुस्खे हैं, पर सब के सब ओपन कर दिये, तो सब महान बन जायेंगे। मिलेंगे तो बतायेंगे।
सूत्र तो आप सब ठीकै गिनाय हो .एकदम फर्स्सकिलास ! .
लेकिन एक परेशानी हमारो दूर कई देओ . हम तो बचपने से ‘महान’ की पदवी पाये भये हैं अउर ढोवत ढोवत मुरझाय जाय रहे हैं . तनिक यहू पर लईटिया फेंको कि जौन मनई का महान बेक़ूफ़, महान सिड़ी, महान आलसी वगैरह के तमगा बिना कउनो मेहनत के पहिलेन से हासिल होए, उई ई ब्लगिया पढ़ के का सीखै ? मेहरारू तो दिन भर मा बत्तीस बार याद दिलावत है “तुम सा ‘महान ग़ैरज़िम्मेदार’ इस दुनिया में नहीं मिलेगा”. हमहू आज़ तलक पलट के नहीं पूछा कि,”कद़रदान, तो फिर कहां मिलेगा यही बताय देओ”.
चलै देओ- ई सब तो चलतै रही !
लड़्कन का कछू ऊंच-नीच बताओ तो वहू बेचारगी से हमका एक बार याद ज़रूर याद दिलावत हैं,”पिताज़ी, आप भी न,एकदम महान हैं”.
पता नहीं पैदा होते हमरे ऊपर कितनी महानता सवार हुई गयी रही याकि हम पैदायशी महान रहेन ई तो हमरे जीवनी पर शोध करे वाले आगे चलके बतईहें लेकिन आप तो अबहिन समिस्या खड़ी कर दिहो.
अब आपे बताओ शुकुल महराज, हम इत्ती महानता से लदे पड़े हैं, ऊपर से आपौ सूत्र दर सूत्र गिनाय दिहौ !
दादा, एकठो ब्लाग हमरे जैसन के तईं भी फ़ुरसत में ठेल दिहो जउन हम महान बेक़ूफ़न का भला हुई जाय !
आप जइसन महान आत्मा अउर कहां खोजे जाई ?
ब्लॉगिंग नजरिये से देखूँ तो 20 साल का बन्दा भी पुनीत भाई बुलाता है और 60 साल का भी पुनीत “भाई”।
समाज के नजरिये से देखूँ तो मैं अभी बच्चा हूँ।
नेता नजरिये से देखा जाये तो अभी जन्मा भी नहीं हूँ (50 साल के लोग भी युवा नेता होते हैं)।
परिवार के नजर से देखूँ तो “ऊँट”(सबसे लम्बी उम्र) हो गया हूँ। (फ़ेमस डायलॉग: इत्ता ऊँट जैसा हो गया है, कुछ तो काम धाम किया कर)
चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…