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कादम्बिनी में ब्लागिंग की चर्चा और कुछ ब्लाग
By फ़ुरसतिया on October 1, 2007
ब्लॉगिंग एक ऐसा माध्यम है जिसमें लेखक ही संपादक है और वही प्रकाशक भी। ऐसा माध्यम जो भौगोलिक सीमाओं से पूरी तरह मुक्त, और राजनैतिक-सामाजिक नियंत्रण से लगभग स्वतंत्र है। जहां अभिव्यक्ति न कायदों में बंधने को मजबूर है, न अल कायदा से डरने को। इस माध्यम में न समय की कोई समस्या है, न सर्कुलेशन की कमी, न महीने भर तक पाठकीय प्रतिक्रियाओं का इंतजार करने की जरूरत। त्वरित अभिव्यक्ति, त्वरित प्रसारण, त्वरित प्रतिक्रिया और विश्वव्यापी प्रसार के चलते ब्लॉगिंग अद्वितीय रूप से लोकप्रिय हो गया है। बालेंदु शर्मा
बालेंदु शर्मा दाधीच ने हिंदी ब्लागिंग से संबंधित विस्तृत लेख लिखा है। यह लेख् कादम्बिनी के अक्टूबर अंक में प्रकाशित हुआ है। इस लेख में ब्लागिंग के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये हिंदी ब्लागिंग से जुड़े हुये तमाम मुद्दों, जिनमें विवादित मुद्दे भी शामिल हैं, की भी निष्पक्ष जानकारी देने की ईमानदार कोशिश की गयी है। संपादक की कैंची की मेहरवानी से कादंबिनी में छपे लेख में इस मूल लेख के कुछ अंश नहीं शामिल हैं लेकिन फिर भी ब्लाग से संबंधित जानकारी के लिये सात पेज कादम्बिनी पत्रिका ने दिये हैं।
ब्लागिंग से जुड़े तमाम लोगों से बातचीत करके बहुत मेहनत से लिखे गये इस लेख के अंश देना आपको उस सुख से वंचित करना होगा जो आपको खुद इस लेख को पूरा पढ़ने के दौरान मिलेगा। आप अगर ब्लागिंग से संबंधित एक सार्थक और मौजूं लेख को पढ़ना चाहते हैं तो यहां जायें और आनंदित हों। लेख के बारे में प्रतिक्रिया आप बालेंदु शर्मा balendu@gmail.com को भेज सकते हैं।
ब्लागिंग संबंधी इस लेख को पढ़्ने के साथ आप एक और ब्लाग पढ़िये तो शायद मजा आये। विधि चर्चा के नाम से शुरू किया गया यह ब्लाग लखनऊ विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफ़ेसर डा. अशोक कुमार अवस्थी के लेखों को प्रकाशित करने के लिये शुरू किया गया है। इन लेखों समाज में घटने वाली समसामयिक घटनाओं को कानून की नजर से देखने का प्रयास किया जायेगा।
एक ब्लाग और शुरू हुआ है कल ही। हमारे ही मोहल्ले में रहने वाले डा. लक्ष्मी शंकर त्रिपाठी भी बातों बातों में हमारी ब्लागर पार्टी में शामिल हो गये। डा. त्रिपाठी ठेलुहा नरेश इंद्र अवस्थी के मामा हैं सो ठेलुहई के कुछ न कुछ अंदाज बातों बातों में भी मिलने चाहिये।
Posted in सूचना | 16 Responses
विधि चर्चा जैसा ब्लॉग बहुत जरूरी था।
वाकई ब्लॉगिंग ने उत्तर भारत के मध्यवर्ग को जबरदस्त अभिव्यक्ति का माध्यम दिया है। जितने लोग आ जाएं, उतना ही अच्छा है।
मैं देख नही पाया हूँ ……मेरी भी कुछ चर्चा है वहाँ…..
कादम्बिनी का अंक आज ही मंगवाया है। जैसी ही आएगा स्कैन कर प्रकाशित किया जाएगा।