Saturday, September 05, 2009

सुनि प्राब्लम चेलाराज की , गुरुवर भये फ़ौरन ही हलकान

http://web.archive.org/web/20140331071533/http://hindini.com/fursatiya/archives/679

36 responses to “सुनि प्राब्लम चेलाराज की , गुरुवर भये फ़ौरन ही हलकान”

  1. दिनेशराय द्विवेदी
    गुरूजनों को सुंदर उपहार है!
  2. संजय बेंगाणी
    अंत में ई तो लिखे ही नहीं. अथ श्री गुरूदेव की जै…..
  3. कुश
    हम तो सोच रहे है.. कि आप ही को अपना गुरु बना ले.. क्योंकि जो ज्ञान आपने दिया है वो कोई और तो क्या देगा..
  4. nirmla.kapila
    वाह जी बहुत बडिया दोहे हैं और शिक्षकों के बारे मे भी अच्छी कही जब अनपढ ठेकेदार शिक्षकों की भरती करने लगे तो गुणवत्ता की आशा क्यों आभार्
  5. Shiv Kumar Mishra
    मेरा तो मानना है कि बड़ी धाँसू पोस्ट लिक्खे हैं. (लिक्खे?) कोई बात नहीं आजकल इस्पेलिंग मिस्टिक का नम्बर नहीं कटता. दोहा-वोहा, चौपाई वगैरह सब धाँसू.
  6. विवेक सिंह
    अब तक मेरे जितने गुरु हुए वे सब जहाँ भी हों मेरा उन्हें प्रणाम पहुँचे!
  7. Anonymous
    खालीपन-सा छा गया, पढ़के ब्लॉग तुम्हार
    हिन्दुस्तानी मास्टरी की लीला अपरम्पार
  8. dr anurag
    लो जी …..अब दिन चढा नहीं .नर्सरी के बच्चे गुलाब के फूल लेकर स्कूल पहुचे नहीं ….की आपने अपनी पोस्ट ब्रॉड कास्ट भी कर दी…..इधर आप भी बहुत सेंटी मेंटल हो रहे है शुकल जी….जानते है कितना अवैज्ञानिक है सेंटी मेंटल होना …..कितना इलोजिकल .दोपहर तक इंतजार करते तो दोहो से अलग कुछ एडिशनल डाइलोग का क्रेडिट ले लेते …स्क्रिप्ट की पेचीदा सादगी .कसम से मटुकनाथ को कंफ्युस कर देती है .हम तो जी न तो स्कूल की दरजी से सेटिंग का कुछ बोलेगे ना किताबो कोपियो के एकमात्र मिलने के स्थान पर ….यूँ हफ्ते भर झुर्रिया हटवाने कई गुरुवाइन हमारे यहाँ आती है पर बोटोक्स के चार्ज सुनकर वापस नहीं आती .फेयर एंड लवली से काम चला लेती है .कोई भूल चुक हो तो तनिक मुआफ कीजिये वैसे भी
    अब स्कूलों में इस्पेलिंग पर नम्बर नहीं कटते
  9. dhiru singh
    jay ho sab guruo ki jay ho
    चेले बहुत पढ़ा लिये अब चेली भी लाओ साथ,
    मटुकनाथ सुनि चहक गये, थामा शिष्या(जूली) का हाथ
  10. neeraj1950
    हे कलयुग के तुलसीदास…हे गुरु घंटाल…आपको शत शत नमन….क्या पोस्ट लिखी है…झकास…
    नीरज
  11. वन्दना अवस्थी दुबे
    गज़ब दोहे, अजब गुरु दास्तान. सच है शिक्षा भी तो अब केवल व्यवसाय ही हो गयी है.
    लेकिन सच्ची और मनोरन्जक पोस्ट. नीरज जी ने तो आपको तुलसीदास की उपमा दे ही दी है, तो क्यों न एक आधुनिक रामायण भी छपवा ही लें? शानदार पोस्ट. सभी गुरुओं को पढाने लायक.
  12. रंजना
    आपके आलेख पर टिपण्णी करना बड़ा ही मुश्किल हुआ करता है…पढने के बाद मन में जो विचारों की जो रेलम पेल मचती है,उसमे से सटीक शब्दों को खोजना बड़ा ही दुष्कर कार्य हो जाया करती है….
    सो टोटल एक ही शब्द अभी कह सकती हूँ……शानदार !!!
  13. Abhishek
    ये दो साल पहले वाले दोहे तो छा गए. मजा आ गया जी सही में. आपको तो टीचर होना चाहिए.
  14. Arkjesh
    हम तो केवल सुनी सुनाई बात कहते हैं |
    गुरूजी कि जय हो !:)
  15. shefali pande
    आप भी ?
  16. समीर लाल
    वाअह!! जे भई गुरुवाणी..
    सुनि प्राब्लम चेलाराज की , गुरुवर भये फ़ौरन ही हलकान।
    दूध मंगाया पाव भर, पिया बिद चम्मच भर कम्प्लान॥
    -कम्पलान बड़ा जोर दिखा गया कि बस पूछो मति, कितना आनन्द आ गया. जय हो!!
    टूसन फीस क्या धरे हैं?? हमे ज्वाइन करना है. :)
  17. venus kesari
    guruvar pranaam mauj lene ke maamle me to aap hamaare guru hain
    chele ko bhee kuch zyaan deejiye guru ji
    venus kesari
  18. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    गुरु गृह गये पढ़न रघुराई। पाछे लछिमन गुड़ गठियाई।
    बिन असिस्टेण्ट और बिना सीधा-पिसान के क्या पढाई?
  19. hempandey
    अनेक ब्लोगर बन्धु पेशे से गुरु हैं. उनकी भावनाओं का तो ध्यान रखा होता.
  20. mahendr mshra
    अब तो मटुक नाथ जैसे गुरुओ का बोलबाला है . ……. बहुत ही रोचक आलेख प्रस्तुति . आभार
  21. c4Blog

    हम अईसेहि आपको गुरु थोड़े ही बनाये हैं !
    गुरु-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    ( देर से सही )
  22. दरभंगिया
    मुझे भी शर्म आती है जब मैं अपने बच्चों के लिये सब्से सस्ता स्कूल ढूंढता हूँ. अब हम तो देते नहीं वे जुगारने लगे तो गड़ियावल जायें.
    गुरुजी तो फटेली धोती में ही फबते हैं.
  23. Arvind Chaturvedi अरविन्द चतुर्वेदी
    सुना हो पंडित जी, पूरा का पूरा गुरु पुराण वांच लिये हैं. ऐकै सांस मां.
    कहे क पड़ी ,’ गुरु जी वही ,जो पंडित जी दिलवांय” .
    ई जौन कलियुगी ‘गुरु पचासा’ है , ओके लिये आप तो ‘नो बल’ पुरुस्कार के पात्र हैं.
    झाड़ै रहो….
  24. bhootnath
    age baap ge…..kyaa khoob likha hai….ham kahen bhi to kyaa kahen…..acchha…badhiyaa…. sundar…..aur kyaa….!!
  25. dil ek purana sa museum hai
    वाह शानदार दोहे
    मजा आ गया पढ़ कर
  26. Rashmi Swaroop
    हम तो T’chers day को सुबह सुबह बढिया से तैयार होकर कोलेज गये थे… लगे हाथ कुछ गुलाब भी ले गये थे और गुरुजनो का आशिर्वाद भी ले आये थे… “खुश रहो… बढ़ती रहो… पढ़ती रहो… ” बस निहाल हो गये।
    “हो चुकी एमएससी, अब क्यों ये सब ?” मुझसे मेरी एक जूनियर ने पूछा।
    “अभी पीएचडी तो यहीं से करनी है… ” मैने कह दिया… उस छोटी सोच वाली प्राणी को भला कैसे समझाती कि जब मै टीचर्स के पैरो में झुकी और उन्होंने मेरे सर पे हाथ रख के जो अमुल्य शब्द कहे वो मेरे लिये सफ़लता के रहस्यमयी फ़ोर्मुले के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
    आपका ये लाजवाब गुरुपुराण हमने भी एक ही सांस में पढ़ डाला… मज़ा आ गया… सच में!
    Thank you. :)
  27. anitakumar
    गुरुवर इन दोहों पे तो आप के पांव छू लेने का मन करता है। जय हो फ़ुरसतिया महाराज की। टीचर हो कर भी जय कर रही हूँ……:)
  28. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]
  29. सतीश चंद्र सत्यार्थी
    जय हो गुरुवर…..
    दोहे-चौपाई पढ़कर मन हरियर हो गया… :)
    सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..जेएनयू दही आंदोलन
  30. चंदन कुमार मिश्र
    http://bhojpurihindi.blogspot.in/2012/04/blog-post.हटमल देखिएगा। वहाँ जिस किताब का जिक्र किया है, उसमें भी ऐसा एक कांड था।
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नन्दी की पीठ का कूबड़ (बाल कहानी)- दामोदर धर्मानंद कोसाम्बी
  31. चंदन कुमार मिश्र
    कबीर साहब से शिकायत करनी पड़ेगी कि यहाँ उनके दोहों के साथ जबरदस्ती की जा रही है।
    वैसे चौपाई से दोहे ही बढिया हैं।
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..नन्दी की पीठ का कूबड़ (बाल कहानी)- दामोदर धर्मानंद कोसाम्बी
  32. ePandit
    गुरु के दोष तो आप ढूँढ-ढूँढ कर दिखा दिये साहब पर गुरु की हालत का आपको क्या पता। सरकारी स्कूल का अध्यापक तो डरे बैठा है। आठवीं तक किसी बच्चे को फेल नहीं करना, स्कूल से नाम नहीं काटना, फाइन-फीस कुछ नहीं, किसी बच्चे को चपत लगा दी तो इन्क्वायरी हो जायेगी। कपिल सिब्बल जी की कृपा से बच्चे उद्दंड होकर सिर पर नाचते हैं। पढ़ेंगे क्या खाक, दुनिया में बदनामी हो गयी कि सरकारी मास्टर पढ़ाते नहीं। पहले जो मास्टर पढ़ाते थे उनके सिर पर अब क्या सींग आ गये हैं जो पढ़ाना छोड़ दिये।
    अब प्राइवेट के मास्टर की सुन लो। दो-चार हजार महीना पगार में रोटी-पानी चलाने का आपको क्या पता। बेचारा ट्यूशन नहीं करेगा तो घरवालों को कैसे पालेगा। उसके पास आपकी तरह अफसरी नहीं। ट्यूशन का सहारा भी बेचारे अंग्रेजी-गणित जैसे विषय वालों को ही है, दूसरे विषय वाले के पास वो भी नहीं। प्राइवेट वाले खासकर ये अंग्रेजी पब्लिक स्कूलों की दुकाने, पगार ढंग की देते नहीं बन्दे का खून चूस लेते हैं। वो ट्यूशन से पाँच-दस हजार महीना जुगाड़ कर घर चलाये तो वह भी दुनिया को चुभता है। पढ़ाने के ही पैसे ले रहा है न घोटाला तो नहीं कर रहा।
    मैं ये नहीं कह रहा कि अध्यापकों में कोई दोष नहीं, है पर वह भी बाकी समाज जितना ही है। आपके ऑफिस में बीस लोगों में एक दो निठल्ले-कामचार होंगे। ऐसे ही किसी स्कूल में बीस में एक-दो निठल्ले होते हैं पर उनके कारण सब को एक तराजू पर तोलना ठीक नहीं।
  33. darshan
    चंगा है जी
  34. aradhana
    भ्रष्टाचार हर विभाग में है और हर जगह सभी लोग एक जैसे नहीं होते. ये सच है कि आजकल मास्टर लोगों के ऊपर सख्ती अधिक हो गयी है. इसके अलावा उनसे क्लर्कल काम इतना कराया जाता है, कि जो पढ़ाना चाहते भी हैं, नहीं पढ़ा पाते. लेकिन फिर भी जहाँ तक मैं जानती हूँ कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले मास्टरों का प्रतिशत मुश्किल से बीस होगा, हाँ, ट्रस्ट वाले स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती है. मैं ऐसे ही ट्रस्ट के स्कूल में हे पढ़ी हूँ, जहाँ लगभग सभी अध्यापिकाएं मेहनत से पढाती थीं.
    प्राइवेट स्कूलों के अध्यापकों का खूब शोषण होता है. ये बात बिलकुल सच है.
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..Freshly Pressed: Editors’ Picks for August 2012
  35. देवांशु निगम
    दोहे तो बहुत ही मारू हैं :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..अजनबी, तुम जाने पहचाने से लगते हो !!!
  36. janmejay Mamgai
    चालीसा नहीं बनाना
    नया चलन बनाओ , इस कलयुग में , गुरु उन्नीसा , न टूटी परंपरा ,न गुरु का उपहास

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