http://web.archive.org/web/20140419221625/http://hindini.com/fursatiya/archives/807
रात सो गये थोड़ा जल्दी, हालांकि थके नहीं थे ज्यादा,
तीन हीरोइनें ले गयीं, हमसे सपन-मिलन का वादा।
हमने उनको बहुत बताया, हैं बहुत बिजी हम भईया,
बात न मानी वे सुंदरियां, बोली मत करो निराश फ़ुरसतिया॥
बात बताई श्रीमती को, फ़िर तो उनकी खिलखिल गूंजी,
चले खरीदने चांदमहल हो, है घर में भांग न भूंजी।
मिलना जब उन सुंदरियों से, तो जरा कायदे से रहना
बाढ़ काढ़कर, मूंछ डाईकर, बनकर स्मार्ट सा मिलना॥
नखरें दिखलायें बालायें तो, मत उनके झांसे में आना,
इठला-इतरा, मुस्का-शर्मा कर, पास आने का करेंगी बहाना।
कैसे सजती, कैसे धजतीं , साबुन हैं कौन लगाती,
पूछ के आना कौन क्रीम से, वे चेहरे अपने चमकातीं।।
सोते ही मच्छर की सेना, बस लगी बमकने -भुन्नाने,
हीरोइन के चमचे हैं हम सोचा, आये हैं मिलने-मिलाने।
तभी अचानक मोबाइल मेरा, ससुरा बड़ी तेज भन्नाया,
उधर से मेरे दोस्त ने मुझको था, बड़ी तेज हड़काया॥
तुमतो मेरे जिगरी दोस्त हो, भेजे क्यों मीठे सपने,
मिला तुम्हारा SMS जैसे ही, हम तुरतै लगे कलपने।
तुम्हें पता क्या हम हो बैठे हैं, अब डाइबिटीज के रोगी,
वे दिन मती दिलवाओ जब, हमनें चांपी बहुत जलेबी॥
अगर चाहते भला हमारा, कुछ दिन जिये तुम्हारा यार,
सपन-करेला, ड्रीम-चिरायता, बस यही भेजवाओ यार।
मीठे-सपने,किसमिस-बातें, किसी सुमुखि-सुंदरी को भेजो,
जीना अभी चाहता हूं, मीठे सपने मुझको मत बिल्कुल भेजो।
हमने उसको फ़िर समझाया, बे समझो थोड़ी अंगरेजी,
स्वीट-ड्रीम्स से डर गये लल्ला, बातें करन लगे चंगेजी।
मतलब समझो बात का बबुआ,और मौज करो झन्नाटे से,
ज्यादा बहकोगे रातों को, तो करना होगा इलाज फ़िर चांटे से॥
रख दो फ़ौरन फ़ोन और अब बस झट से तुम सो जाओ,
यदि अनिद्रा के भी रोगी हो, तो ब्लाग पढ़ो और टिपियाओ।
और समस्या यदि कोई हो, तो सुबह मुझे बतलाना,
मस्त रहो, तुम जियो धांस के, मत काहू से घबराना॥
रात बीत गई पूरी-पूरी , आई न कोई सुंदरी बाला,
आया फोन कनाडा से, सबको बुलवाइन लाला।
अपनी किताब के विमोचन पर, उनको जिद करके बुलवाया,
फ़ुरसतिया से फ़िर मिलवा देंगे, कह सुंदरियों को भरमाया।
खैर मजे से कटी रात , और सुबह हुई खिलती सी,
याद दोस्त की घुली हुयी है, हवा महकती सी है।
बालायें अब फोन कर रही हैं, अब कब मिलिहौ फ़ुरसतिया,
हम उनको टरकाय रहे हैं, हैं बिजी बहुत हम भईया॥
….भेजे क्यों मीठे सपने
By फ़ुरसतिया on October 6, 2009
तीन हीरोइनें ले गयीं, हमसे सपन-मिलन का वादा।
हमने उनको बहुत बताया, हैं बहुत बिजी हम भईया,
बात न मानी वे सुंदरियां, बोली मत करो निराश फ़ुरसतिया॥
बात बताई श्रीमती को, फ़िर तो उनकी खिलखिल गूंजी,
चले खरीदने चांदमहल हो, है घर में भांग न भूंजी।
मिलना जब उन सुंदरियों से, तो जरा कायदे से रहना
बाढ़ काढ़कर, मूंछ डाईकर, बनकर स्मार्ट सा मिलना॥
नखरें दिखलायें बालायें तो, मत उनके झांसे में आना,
इठला-इतरा, मुस्का-शर्मा कर, पास आने का करेंगी बहाना।
कैसे सजती, कैसे धजतीं , साबुन हैं कौन लगाती,
पूछ के आना कौन क्रीम से, वे चेहरे अपने चमकातीं।।
हीरोइन के चमचे हैं हम सोचा, आये हैं मिलने-मिलाने।
तभी अचानक मोबाइल मेरा, ससुरा बड़ी तेज भन्नाया,
उधर से मेरे दोस्त ने मुझको था, बड़ी तेज हड़काया॥
तुमतो मेरे जिगरी दोस्त हो, भेजे क्यों मीठे सपने,
मिला तुम्हारा SMS जैसे ही, हम तुरतै लगे कलपने।
तुम्हें पता क्या हम हो बैठे हैं, अब डाइबिटीज के रोगी,
वे दिन मती दिलवाओ जब, हमनें चांपी बहुत जलेबी॥
अगर चाहते भला हमारा, कुछ दिन जिये तुम्हारा यार,
सपन-करेला, ड्रीम-चिरायता, बस यही भेजवाओ यार।
मीठे-सपने,किसमिस-बातें, किसी सुमुखि-सुंदरी को भेजो,
जीना अभी चाहता हूं, मीठे सपने मुझको मत बिल्कुल भेजो।
हमने उसको फ़िर समझाया, बे समझो थोड़ी अंगरेजी,
स्वीट-ड्रीम्स से डर गये लल्ला, बातें करन लगे चंगेजी।
मतलब समझो बात का बबुआ,और मौज करो झन्नाटे से,
ज्यादा बहकोगे रातों को, तो करना होगा इलाज फ़िर चांटे से॥
यदि अनिद्रा के भी रोगी हो, तो ब्लाग पढ़ो और टिपियाओ।
और समस्या यदि कोई हो, तो सुबह मुझे बतलाना,
मस्त रहो, तुम जियो धांस के, मत काहू से घबराना॥
रात बीत गई पूरी-पूरी , आई न कोई सुंदरी बाला,
आया फोन कनाडा से, सबको बुलवाइन लाला।
अपनी किताब के विमोचन पर, उनको जिद करके बुलवाया,
फ़ुरसतिया से फ़िर मिलवा देंगे, कह सुंदरियों को भरमाया।
खैर मजे से कटी रात , और सुबह हुई खिलती सी,
याद दोस्त की घुली हुयी है, हवा महकती सी है।
बालायें अब फोन कर रही हैं, अब कब मिलिहौ फ़ुरसतिया,
हम उनको टरकाय रहे हैं, हैं बिजी बहुत हम भईया॥
Posted in कविता, बस यूं ही | 31 Responses
मिला तुम्हारा SMS जैसे ही, हम तुरतै लगे कलपने।
तुम्हें पता क्या हम हो बैठे हैं, अब डाइबिटीज के रोगी,
वे दिन मती दिलवाओ जब, हमनें चांपी बहुत जलेबी॥
मज़ा आ गया अनूप जी. वैसे कई बार हम भी मित्रों को स्वीट ड्रीम्स भेज देते हैं अब आगे से याद रखेंगे….क्या पता डायबिटिक बना देने की ज़िम्मेदारी हमारे ही सर…..,तस्वीर बडी बढिया लगाई है, किसी का घर है या होटल? जो भी है कविता के अनुकूल है.
किताब के विमोचन ने सारा मामला बिगाड़ दिया. कविता की किताब के विमोचन पर भड़ास कविता लिख कर पूरी….:-)
वैसे बहार…सॉरी बहर में न होने की शिकायत तो करूंगा ही.
संबंध ही स्थापित करना था तो ‘बहना’ कह देते !
इसके अलावा आपकी कविता अच्छी लगी, घर में काफी लिबर्टी मिली हुई है लगता है
और लिपस्टिक वाली बात भी दर्ज कर लेते तो
वृत्तांत वास्तविकता के और करीब जा पहुँचने का
अहसास दे देता !
रामराम.
निंदिया के उड़ते पाखी रे, सपनों में आना साथी रे…
रा री रू, रा री रुम…
जय हिंद…
बाढ़ काढ़कर, मूंछ डाईकर, बनकर स्मार्ट सा मिलना॥
कौन कहता है कि सबसे संकटग्रस्त प्रजाति पुरुषों की है…! दुआ है कि ऐसी मलिकाइन सबको नसीब हों। लेकिन अपनई इज्जत का फालूदा कर लिये आप ई बता के कि उस फोन वार्ता के बाद शबे-हिज्र अकेले ही कटी….
हा! हा!!
जय हो !
जीना अभी चाहता हूं, मीठे सपने मुझको मत बिल्कुल भेजो।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा इत्ते मीठे सपने ……कोनो ज्यादा मीठे नहीं हो गये इ कमबख्त सपने हा हा हा हा हा हा हा हा
regards
मस्त रहो, तुम जियो धांस के (वाह वाह)
सुन्दरियों को रखो फ़ांस के
सपने की डायबिटीज से मत घबराना
जिन्दगी में क्यों ऐसा मकाम आया
मीठे सपनों से भी बुखार आया
congrats
http://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
” मिलना जब उन सुंदरियों से, तो जरा कायदे से रहना
बाढ़ काढ़कर, मूंछ डाईकर, बनकर स्मार्ट सा मिलना॥”
श्रीमतीजी ने बिल्कुल सही सीख दी है…याद रखिएगा…
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..आलू कोई मसाला नहीं होता….