फ़ोन से अपन का परिचय कब हुआ याद नहीं आता। लेकिन यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं कि ग्राहम बेल के बाद ही हुआ होगा। ग्राहम बेल की बात इसलिये कही क्योंकि फ़ोन की खोज उनके नाम ही चढी है।
चोंगा वाले फ़ोन के बाद पहला नोकिया मोबाइल फ़ोन जब आया घर में उसका उपयोग मिस्ड कॉल करने, आई हुई फ़ोन कॉल रिसीव करने और पेपर दबाने के लिये हुआ।
सोते समय फ़ोन सिरहाने रखकर सोते थे।
फ़ोन सिरहाने रखकर सोने का कारण उन दिनों छपी अखबार में एक खबर थी जिसके अनुसार टाइगर वुडस की बेवफ़ाई की खबर पता लगने पर उसकी पहले वाली प्रेमिका ने फ़ेंककर मोबाइल मारा था। टाइगर वुड्स के दांत टूट गये थे। बेवफ़ाई तो खैर बड़े लोगों के चोंचले ठहरे लेकिन हम सोचते थे कि अगर कोई चोर हमारे यहां घुसेगा तो देखते ही उसके फ़ेंक के मारेंगे मोबाइल। नोकिया के फ़ोन में यह सुविधा होती है कि टुकड़े-टुकड़े होकर भी जुड़ जाता है। काम करता रहता है। स्मार्टफ़ोन की तरह छुई-मुई नहीं होता कि छूटा तो गया।
मोबाइल फ़ेंककर मारने वाली बात लगता है चीनियों ने अभी तक देखी नहीं वर्ना काश्मीर में खपा दिये होते मोबाइल- ’पत्थर की जगह मोबाइल फ़ेंककर मारो। पत्थर से सस्ते और टिकाऊ।’
जब स्मार्ट्फ़ोन हाथ आया तो उसके फ़ीचर इस्तेमाल करने शुरु किये। फ़ोन करने में खर्चा लगता है। मिस्ड कॉल उठती नहीं। इसके बाद ले-देकर कैमरे का उपयोग ही बचता है। फ़ोटो खैंचने लगे।
देखते-देखते फ़ोटो खींचने की ऐसी लत लगी जो चीज देखी उसकी फ़ोटो खींचने लगे। बल्कि चीजें देखते बाद में फ़ोटो पहले खींचते। धीरे-धीरे इतना एक्सपर्ट हो गये कि बिना देखे फ़ोटो खींचने लगे। अच्छा फ़ोटोग्राफ़र एक आंख दबाकर फ़ोटो खींचता है। हम दोनों आंख दबाकर खैंचते। दोगुने अच्छे फ़ोटो ग्राफ़र हो गये।
-जारी है अभी शायद आगे भी लिखा जाये
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